Uttar Pradesh

Bareilly-II

CC/126/2020

RAJU - Complainant(s)

Versus

DR AMAN - Opp.Party(s)

KISHAN VEER

18 Apr 2023

ORDER

जिला  उपभोक्ता  विवाद  प्रतितोष आयोग- द्वितीय, बरेली।
 
  उपस्थित :- 1-  दीपक कुमार त्रिपाठी           अध्यक्ष
                     2-   दिनेश कुमार गुप्ता            सदस्य
                     3-   कुसुम सिंह                  सदस्य
                     
                       परिवाद सं0 : 126/2020  
राजू पुत्र श्री टीकाराम निवासी ग्राम धर्मपुर पो. रिठौरा थाना हाफिजगंज, जिला बरेली।            
                                                ..................परिवादी
                             प्रति
 
1.  डा. अमन निवासी ग्राम भटपुरा थाना हाफिजगंज, जिला बरेली।
   हाल निवासी रिठौरा निकट होली चौराहा थाना हाफिजगंज, जिला बरेली।
2.  डा. दर्शन मेहरा- दर्पिन अस्पताल -तुलाशेरपुर संजयनगर रोड़, पीलीभीत 
    वाईपास रोड़, जिला बरेली।
3.  मैसर्स न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कम्पनी लि. द्वारा डिवीजनल मैनेजर, 
    डिवीजनल आफिस प्प् 85-ए, सिविल लाइन्स, बरेली।     
                                               .................विपक्षीगण
                          परिवाद संस्थित होने  की  तिथि 20.10.2020  
                          निर्णय उद्घोषित करने की तिथि 18.04.2023                                               
परिवादी अधिवक्ता श्री किशन वीर वर्मा।
विपक्षी क्रमांक 1 एकपक्षीय। 
विपक्षी क्रमांक 2 व 3 अधिवक्ता श्री संजय अग्रवाल।
                                                                 
                            निर्णय 
1.   उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 35 के अंतर्गत यह परिवाद परिवादी की पत्नी का इलाज लापरवाही पूर्वक किए जाने के परिणामस्वरूप मृत्यु हो जाने के कारण परिवादी के बच्चों की देखरेख और उनके भरण-पोषण हेतु रू. 1,00,000/- तथा परिवादी को शारीरिक व मानसिक क्षतिपूर्ति रू. 1,50,000/- दिलाए जाने हेतु दिनांक 20.10.2020 को प्रस्तुत किया गया है।
 
2.   प्रकरण में यह अविवादित तथ्य है कि परिवादी की पत्नी का इलाज विपक्षी क्रमांक 2 डा. दर्शन मेहरा के दर्पिन अस्पताल में दिनांक 28.09.2020 से दिनांक 01.10.2020 तक भर्ती रखकर किया गया था तथा दिनांक 01.10.2020 को परिवादी की पत्नी की मृत्यु हो गई। यह भी अविवादित तथ्य है कि विपक्षी क्रमांक 2 विपक्षी क्रमांक 3 न्यू इण्डिया एश्योरेंस कं. लि. द्वारा च्त्व्थ्म्ैप्व्छ।स् प्छक्म्डछप्ज्ल् प्छैन्त्।छब्म् के अंतर्गत उक्त अवधि के दौरान बीमित रहा।
 
3.    परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी क्रमांक 1      डा. अमन से अपनी पत्नी का करीब 1सप्ताह तक इलाज कराया जब  इलाज कराए गया था तब परिवादी की पत्नी को कोई खास बीमारी नहीं थी। विपक्षी क्रमांक 1 ने कहा कि 2दिन की दवा में ठीक हो जाएगी, जब दवा लेते 4दिन हो गए तो परिवादी ने विपक्षी क्रमांक 1 से पूछा कि डाक्टर साहब अब तो और हालत बिगड़ती जा रही है। अभी तक दवाई से पत्नी को कोई आराम नहीं और आपने रू. 10,000/- ध्ीरे-धीरे करके ले लिए हे।  परिवादी की पत्नी में सुधार न होने पर तथा हालत गम्भीर होने पर फिर 1सप्ताह बाद परिवादी ने विपक्षी क्रमांक 1 डा. अमन से पूछा कि क्या बीमारी है तब विपक्षी क्रमांक 1 ने जबाब दिया कि अपनी पत्नी को किसी भगत के यहॉ दिखाओं, इन पर भूत का साया है।  परिवादी ने भगत को दिखाया तो उसने कहा कि इनके ऊपर कोई भूत का साया नहीं है। परिवादी ने विपक्षी क्रमांक 1       डा. अमन से कहा कि जब मै आपके पास अपनी पत्नी को लेकर दवाई लेने आया था तब तो वह ठीक-ठाक थी, अपने आप पैदल चलकर आपके पास आती थी और अब तक आपने मुझसे रू. 22,000/- ले चुके है तब विपक्षी क्रमांक 1 ने कहा कि तुम मेरे भाई से टोने निकलवा लो तब परिवादी ने यह काम भी कर लिया। परिवादी की पत्नी को डा. अमन ने जानबूझकर गुमराह किया, पैसे ऐठते रहे। परिवादी ने कहा कि कितने दिन और लगेंगे तब  विपक्षी क्रमांक 1 ने कहा कि मेरा मकान बन रहा है तुम मेरे पास मजदूरी करते रहों, मै दवाई में पैसे काट लूॅंगा। विपक्षी क्रमांक 1 ने केवल पैसा लेकर परिवादी को गुमराह किया और परिवादी की पत्नी की हालत खराब कर दी।विपक्षी क्रमांक 1 के वश में रोग नहीं रहा, गलत दवाई देते रहे तथा दिनांक 27.09.2020 को विपक्षी क्रमांक 1 ने कहा दिया कि तुम अपनी पत्नी को बरेली में दर्पिन अस्पताल में ले जाओं और मै भी चल रहा हूॅं, वहां इनका इलाज होगा। दर्पिन इस्पताल में मेरी जान-पहचान है, कम खर्च में अच्छा इलाज हो जाएगा। 
 
       परिवादी अपनी पत्नी को अर्पिन अस्पताल में दिनांक 27.09.2020 को रात 12 बजे लेकर पहुॅंचा तब डा. अमन का फोन आया और रू. 5,000/- लेकर भर्ती कर दिया और रू. 4,200/- की दवाइयां लिखकर दे दी जो परिवादी ने उसी अस्पताल के मेडिकल पर रूपए जमा करके खरीदी। परिवादी की पत्नी को डा. अमन ने जानबूझकर गलत दवाई दी जिससे उसकी हालत बिगड़ती गई फिर जब दर्पिन अस्पताल, बरेली को रेफर कर दिया तो वहां पर भी परिवादी के साथ गलत तरीके से अभद्र व्यवहार किया गया आर कहा कि पैसा जमा करो, वरना आपकी पत्नी नहीं बच पाएगी।  परिवादी ने जब विपक्षी क्रमांक 2 डा. दर्शन मेहरा से पूछा कि मेरी पत्नी को क्या बीमारी है तब बताया गया कि इन्हें पीलिया व दौरे की बीमारी है। तब परिवादी ने कहा कि मेरी पत्नी को आज तक दौरा नहीं आया है और न ही कभी दौरे जैसी शिकायत या बीमारी थी। इस पर विपक्षी क्रमांक 2 ने कहा कि पहले नहीं थी अब तो हो गई और कहा कि पैसे की व्यवस्था करो।  परिवादी ने जैसे-तैसे कर्ज लेकर रू. 16,000/- दर्पिन अस्पताल में जमा किए तब जाकर बेन्टीलेटर पर मरीज को लिया गया। जबकि विपक्षी क्रमांक 1 डा. अमन ने सीधे गुर्दे में पथरी और तिल्ली बढ़ी हुई बताई और शुगर भी कम बताया गया।  विपक्षी क्रमांक 1 ने माया अस्पताल से अल्ट्रासाउण्ड भी दर्पिन अस्पताल में भर्ती कराने से 2 या 3दिन पहले कराया था उसमें ऐसी कोई बात नहीं थी और न परिवादी को कोई पर्चा दिया गया और न ही कोई जांच रिपोर्ट दी गई। परिवादी अनपढ़ व्यक्ति है। परिवादी के पास दवाईयों के पर्चे है, वह भी पूरे धनराशि की रसीद भी परिवादी को नहीं दी गई।  परिवादी के साथ विपक्षी क्रमांक 1 व विपक्षी क्रमांक 2 दोनो डाक्टरों ने मिलकर धोखा किया हे।  परिवादी की पत्नी की मृत्यु दिनांक 01.10.2020 को हो जाने पर डेथवाडी नहीं दे रहे थे तथा कह रहे थे कि             रू. 70,000/-बकाया रूपए जमा करो तब शव दिया जाएगा। इतने में मीडिया के लोग आ गए तब जाकर शव दिया। घटना की पूरी जानकारी दैनिक समाचारपत्र अमृत विचार में भी छापी गई थी। अतः परिवादी को विपक्षीगण से पत्नी की मृत्यु के उपरांत बच्चों की देखरेख व उनके भरण-पोषण हेतु रू. 1,00,000/- तथा शारीरिक-मानसिक क्षतिपूर्ति       रू. 1,50,000/- तथा वाद व्यय रू. 50,000/- दिलाया जावे। 
 
4.   विपक्षी क्रमांक 1 आयोग द्वारा जारी नोटिस की तामील में उपस्थित हुए है किन्तु अनेकों अवसर दिए जाने के बावजूद जवाबदावा प्रस्तुत नहीं किया गया है तथा अनुपस्थित हो गए है जिसके परिणामस्वरूप विपक्षी क्रमांक 1 के विरूद्ध दिनांक 16.06.2020 को एकपक्षीय कार्यवाही की गई है। 
 
5.   विपक्षी क्रमांक 2 ने निर्णय की कंडिका क्रमांक 2 में उल्लिखित स्वीकृत तथ्यों के अलावा परिवादपत्र में उल्लिखित शेष विरोधी अभिवचन से इंकार करते हुए, प्रस्तुत जवाबदावा में संक्षेप में यह विरोधी अभिवचन किया है कि परिवादी की पत्नी श्रीमती सीमा विपक्षी क्रमांक 2 के अस्पताल में दिनांक  28.09.2020 को 00ः10ए.एम पर लाई गई थी उसे पेशाब निकलने में परेशानी होने, गहरे कलर की पेशान होने तथा दाहिने ीलचवबीवदकतपनउ ंदक ंसजमतमक ेमदेवतपनउ की समस्या 4दिन पूर्व से होना बताए जाने के कारण भर्ती किया गया था। परिवादी की पत्नी पूर्व से लोकल तथा अनाधिकृत डाक्टर से इलाज करवा रही थी तथा परिवादी ने खुद बताया था कि उसने तांत्रिक से भी इलाज करावाया था। परिवादी की पत्नी को अस्पताल में भर्ती करते ही मेडिकल साइंस के अंतर्गत सावधानी रखते हुए उपचार दिया गया। मरीज को आक्सीजन सपोर्ट और पदरमबजंइसम ेनचचवतज में रखा गया। परिवादी की पत्नी की जनरल कंडीशन अत्यधिक खराब थी। इलाज के पूर्व परिवादी तथा मरीज के अन्य तीमारदारों की लिखित सहमति ले ली गई थी। विपक्षी  क्रमांक 2 ने परिवादी की पत्नी की गम्भीर स्थिति के संबंध में बता दिया गया था तथा सब कुछ बतलाने के पश्चात् परिवादी तथा अन्य तीमारदारों की सहमति लेकर आई.सी.यू. में भर्ती किया गया था। परिवादी की पत्नी की स्पअमत थ्नदबजपवद ज्मेज ंदक ज्ञपकदमल थ्नदबजपवद ज्मेज आदि की जांच कराए जाने पर उसे ीमचंजवेचसमदवउमहंसल (तीव्र वायरल हैपेटाइटिस)  तथा दाहिने गुर्दे में 
 
 
पथरी पाई गई थी। जांच रिपोर्ट में परिवादी की पत्नी का लीवर गम्भीर हालत में फेल हो रहा था तथा कीड़नी में भी गम्भीर छति थी जिसके कारण पेशाब निकलने में तकलीफ हो रही थी। दिनांक 01.10.2020 तक परिवादी की पत्नी का इलाज किया जाता रहा किन्तु दिनांक 01.10.2020 को      6ः35पी.एम पर परिवादी की पत्नी की मृत्यु हो गई। परिवादी की पत्नी का इलाज पूर्ण चिकित्सीय सिद्धांतों का पालन करते हुए किया गया। इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं की गई। विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा परिवादी के प्रति सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है। विपक्ष्ी क्रमांक 2, विपक्षी क्रमांक 3 बीमा कम्पनी द्वारा बीमित है। अतः यदि किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति का दायित्व आता है तो वह विपक्षी क्रमांक 3 बीमा कम्पनी द्वारा देय होगा।
 
6.   विपक्षी क्रमांक 3 ने भी स्वीकृत तथ्यों के अलावा परिवादपत्र में उल्लिखित शेष अभिवचन से इंकार करते हुए, प्रस्तुत जवाबदावा में संक्षेप में यह अभिवचन किया है कि विपक्षी क्रमांक 2 ने परिवादी की पत्नी का इलाज पूर्ण सावधानी पूर्व करते हुए तथा चिकित्सीय सिद्धांतों का पालन करते हुए किया है। विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा किसी प्रकार की लापरवाही नहीं की गई है। अतः परिवादी विपक्षी क्रमांक 2 व 3 से किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। 
 
7.   परिवादी ने अपने पक्ष समर्थन में दर्पिन अस्पताल के बिल दिनांक    28.09.2020 से दिनांक 01.10.2020, समाचारपत्र दिनांक 02.10.2020 की कटिंग की फोटोकापी, दर्पिन अस्पताल द्वारा डेथ सार्टिफिकेट, विपक्षी   क्रमांक 1 अमन कुमार के आधारकार्ड की प्रति प्रस्तुत की है  तथा परिवादी ने अपना शपथपत्र तथा प्रत्युत्तर शपथपत्र प्रस्तुत किया है।  
 
8.  विपक्षी क्रमांक 2 की ओर से च्त्व्थ्म्ैप्व्छ।स् प्छक्म्डछप्ज्ल् प्छैन्त्।छब्म् पालिसी, प्रीमियम भुगतान की रसीद, दर्पिन अस्पताल में हाईरिस्क कंसेंट, आई.सी.यू तथा बेन्टीलेटर की कंसेंट, न्ैळ ॅभ्व्स्म् ।ठक्व्डम्छ की माया हॉस्पिटल के डा. ए.के. गंगवार, अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट की रिपोर्ट, दर्पिन अस्पताल में कराए गए दिनांक 28.09.2020 से दिनांक     01.10.2020 तक की जांच रिपोर्ट, दर्पिन अस्पताल का बिल दिनांक 01.10.2020 प्रस्तुत किया हे। विपक्षी क्रमांक 2 डा. दर्शन मेहरा के शपथपत्र पर कथन प्रस्तुत किए गए है। 
 
9.    विपक्षी क्रमांक 3 की ओर से कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई है।    
 
 
 
10. परिवाद के निस्तारण हेतु निम्नलिखित विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैः- 
 
       प्रथम क्या विपक्षीगण ने परिवादी क प्रति सेवा में कोई कमी की है?      
      
       द्वितीय क्या परिवादी विपक्षीगण से अपनी पत्नी की मृत्यु के उपरांत 
       बच्चों की देखरेख व उनके भरण-पोषण हेतु रू. 1,00,000/- तथा 
       स्वयं को हुई मानसिक व शारीरिक कष्ट की क्षतिपूर्ति           
       रू. 1,50,000/- प्राप्त करने का अधिकारी है?     
      
 प्रथम विचारणीय प्रश्न पर विवेचना एवं निष्कर्ष 
 
11.  परिवादी राजू ने प्रस्तुत शपथपत्र पर कथन में परिवादपत्र का समर्थन करते हुए पूर्व में करीब 2सप्ताह विपक्षी क्रमांक 1 डा. अमन से अपनी पत्नी का इलाज कराए जाने, इलाज में लाभ न होने पर विपक्षी क्रमांक 1 की सलाह के अनुसार तांत्रिक से इलाज कराए जाने, विपक्षी क्रमांक 1 के भाई से टोना-टूटका कराए जाने तथा पत्नी की हालत और अधिक बिगड़ जाने पर विपक्षी क्रमांक 1 के सलाह के अनुसार दिनांक 27.09.2020 की रात 12ः00बजे विपक्षी क्रमांक 2 के अस्पताल में भर्ती कराए जाने तथा विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा परिवादी से पैसे लेने के बावजूद इलाज में लापरवाही किए जाने तथा परिणामस्वरूप पत्नी की मृत्यु हो जाने तथा पत्नी की मृत्यु के पश्चात् रू. 70,000/- मॉंगने व परिवादी की पत्नी का शव पैसे न देने पर न सोपे जाने तथा पत्रकारों के आ जाने पर शव सौप दिए जाने की साक्ष्य दी है तथा इसके विपरीत विपक्षी क्रमांक 2 डा. दर्शन मेहरा ने प्रस्तुत शपथपत्र पर कथन में परिवादपत्र में उल्लिखित विरोधी अभिवचनों का खण्डन करते हुए, प्रस्तुत जवाबदावा में उल्लिखित अभिवचनों का समर्थन करते हुए परिवादी की पत्नी की हालत पहले ही अत्यधिक गम्भीर स्थिति में होने तथा अपने अस्पताल में भर्ती कर पूर्ण चिकित्सा किए जाने के बावजूद परिवादी की पत्नी की मृत्यु हो जाने की साक्ष्य दी है तथा यह कथन किया है कि उसने परिवादी की पत्नी के इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं की है।
 
12.   स्वयं परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवादपत्र में उल्लिखित अभिवचन तथा परिवादी राजू द्वारा शपथ पूर्वक दी गई साक्ष्य में विपक्षी क्रमांक 1 डा. अमन द्वारा 2सप्ताह तक इलाज किए जाने, परिवादी द्वारा विपक्षी क्रमांक 1       डा. अमन के पास अपनी पत्नी को ले जाते समय पत्नी की हालत बिल्कुल ठीक होने किन्तु विपक्षी क्रमांक 1 द्वारा दी गई दवा के पश्चात् हालत ठीक न होने तथा और अधिक बिगड़ जाने पर विपक्षी क्रमांक 1 की सलाह पर भूतप्रेत बाधा दूर करने हेतु तांत्रिक के पास ले जाने, वहां फायदा न होने पर विपक्षी क्रमांक 1 की सलाह पर विपक्षी क्रमांक 1 के भाई से टोना-टूटका करवाए जाने तथा पत्नी की हालत एकदम खराब हो जाने पर दिनांक 27.09.2020 को विपक्षी क्रमांक 1 की सलाह पर विपक्षी क्रमांक 2 डा. दर्शन मेहरा के दर्पिन अस्पताल में भर्ती कराए जाने की साक्ष्य दी है। परिवादी के उक्त कथन से विपक्षी क्रमांक 2 डा. दर्शन मेहरा के इस साक्ष्य की पर्याप्त रूप से पुष्टि पाई जाती है कि विपक्षी क्रमांक 2 के अस्पताल में परिवादी द्वारा अपनी पत्नी का इलाज हेतु ले जाने के समय परिवादी की पत्नी की अत्यधिक गम्भीर हालत थी।  
 
13.   विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा प्रस्तुत पृष्ठ क्रमांक 53 लगायत 60 में संलग्न दर्पिन अस्पताल की जांच रिपोर्ट दिनांक 28.09.2020 से दिनांक 01.10.2020 के अवलोकन से विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा मरीज के भर्ती होते ही हर प्रकार की जांच करवाई जाना पाई जाती है तथा पृष्ठ क्रमांक 49, पृष्ठ क्रमांक 50 एवं पृष्ठ क्रमांक 51 में संलग्न हाईरिस्क कंसेंट के अवलोकन से यह प्रकट होता है कि परिवादी द्वारा अपनी पत्नी को विपक्षी क्रमांक 2 के अस्पताल में ले जाने पर मरीज के पति परिवादी तथा मरीज के पिता की इलाज हेतु लिखित कंसेंट ली गई थी तथा पृष्ठ क्रमांक 50 में संलग्न हाई रिक्स कंसेंट दिनांक 28.09.2020 के अवलोकन से यह भी स्पष्ट है कि मरीज के पिता ने इस आशय की लिखित सहमति दी थी कि विपक्षी क्रमांक 2 ने मरीज की अत्यधिक गम्भीर हालत को देखते हुए अन्य उच्चस्तरीय अस्पताल में इलाज के लिए रेफर किया था किन्तु मरीज के पिता ने यह लिखित कंसेंट दी थी कि कवह यहीं रखकर इलाज कराना चाहते है। तत्पश्चात् परिवादी की पत्नी को परिवादी एवं मरीज के पिता की सहमति लेकर आई.सी.यू. में भर्ती किया गया तथा बेन्टीलेटर की सुविधा प्रदान की गई थी।
 
14.   परिवादी की पत्नी का माया अस्पताल में न्ैळ ॅभ्व्स्म् ।ठक्व्डम्छ  पृष्ठ क्रमांक 52 में संलग्न रिपोर्ट दिनांक 26.09.2020 में मरीज को तीव्र वायरल हैपीटाइटिस, लीवर में सूजन होने तथा दाहिने गुर्दे में पथरी होना भी विपक्षी क्रमांक 2 के अस्पताल में भर्ती होने के 2दिन पूर्व पाई गई थी। 
 
15.    परिवादी ने कोई एक्सपर्ट ओपीनियन न तो प्रस्तुत की है और न ही आयोग के माध्यम से ऐसे किसी एक्सपर्ट की सलाह आहूत की गई हे जिससे यह प्रकट हो कि विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा परिवादी की पत्नी की चिकित्सा में किसी प्रकार की लापरवाही की गई थी। अतः परिवादी विपक्षी क्रमांक 1 डा. अमन द्वारा पूर्व में 2सप्ताह तक इलाज कराए जाने तथा विपक्षी क्रमांक 1 की सलाह पर जादू-टोना-टुटका, तांत्रिक प्रक्रिया कराए जाने तथा विपक्षी क्रमांक 1 डा. अमन के पास किसी प्रकार की इलाज की डिग्री के अभाव में विपक्षी क्रमांक 1 से परिवादी द्वारा अपने पत्नी का इलाज कराए जाने तथा मरीज की स्थिति अत्यधिक बिगड़ जाने पर विपक्षी क्रमांक 2 के अस्पताल में ले जाने तथा विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा इलाज में लापरवाही के संबंध में किसी एक्सपर्ट ओपीनियर के अभाव में यह प्रमाणित नहीं माना जा सकता कि विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा परिवादी की पत्नी के इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही की गई थी। जबकि विपक्षी क्रमांक 1 डा. अमन (जोकि चिकित्सा की नहीं डिग्री रखता है और न ही किसी प्रकार की चिकित्सा हेतु प्राधिकृत है) के द्वारा परिवादी की पत्नी का इलाज किया जाना तथा परिवादी की पत्नी को इलाज से फायदा न होने पर परिवादी की पत्नी को टोना टुटका और तांत्रिक उपचार हेतु भेजे जाने के कारण विपक्षी क्रमांक 1 के एकपक्षीय हो जाने के कारण किसी प्रकार के खण्डन के अभाव में यह तथ्य प्रमाणित पाए जाते है कि विपक्षी क्रमांक 1 डा. अमन द्वारा परिवादी के प्रति सेवा में कमी किया जाना पाया जाता है। इस प्रकार से प्रथम विचारणीय प्रश्न पर यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि विपक्षी क्रमांक 1 द्वारा परिवादी की पत्नी की चिकित्सा अप्राधिकृत रूप से करके सेवा में कमी की गई है तथा अनुचित व्यापार व्यवहार भी किया गया है। 
 
द्वितीय विचारणीय प्रश्न पर विवेचना एवं निष्कर्ष 
 
16.   प्रथम विचारणीय प्रश्न पर प्राप्त निष्कर्ष के अनुसार चूॅंकि विपक्षी क्रमांक 1 डा. अमन द्वारा परिवादी के प्रति सेवा में जहां कमी की गई है, वहीं परिवादी के प्रति अनुचित व्यापार व्यवहार भी किया गया है।  परिवादी विपक्षी क्रमांक 1 डा. अमन से अपनी पत्नी के इलाज में हुए व्यय तथा मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी होना पाया जाता है।
 
17.    परिवादी ने पत्नी की मृत्यु हो जाने के कारण बच्चों की देखरेख व उनके भरण-पोषण हेतु रू. 1,00,000/- दिलाए जाने की प्रार्थना की है। किन्तु उपभोक्ता परिवाद में केवल आर्थिक, मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति ही दिलाई जा सकती है। अतः परिवादी के बच्चों के भरण-पोषण की राशि दिलाए जाने का कोई औचित्य होना प्रकट नहीं होता है।
 
18.    परिवादी ने पृष्ठ क्रमांक 73 लगायत पृष्ठ क्रमांक 103 में पत्नी के दर्पिन अस्पताल में कराए गए इलाज के संबंध में बिल प्रस्तुत किए है जिनमें से पृष्ठ क्रमांक 74, पृष्ठ क्रमांक 76, पृष्ठ क्रमांक 76/1, पृष्ठ क्रमांक 77 लगायत पृष्ठ क्रमांक 82, पृष्ठ क्रमांक 89 लगायत पृष्ठ क्रमांक 94, पृष्ठ क्रमांक 96 लगायत पृष्ठ क्रमांक 98 में पेयमेंट बाकी का उल्लेख पाया जाता हे। स्वयं परिवादी के अनुसार जब विपक्षी क्रमांक 2 रू. 70,000/- की मॉंग करते हुए परिवादी की पत्नी के शव को वापस नहीं दे रहे थे तब पत्रकारों के आने पर परिवादी की पत्नी का शव परिवादी को सौप दिए जाने का उल्लेख किया है जिससे स्पष्ट है कि उक्त बाकी पेयमेंट वाले बिलों का विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा परिवादी से भुगतान नहीं लिया गया है।
 
19.    पृष्ठ क्रमांक 33 में संलग्न बिल रू. 2,000/-, पृष्ठ क्रमांक 73/1 में संलग्न बिल रू. 300/-, पृष्ठ क्रमांक 25 में संलग्न बिल रू. 1,891/-, पृष्ठ क्रमांक 83 में संलग्न बिल रू. 6,500/-, पृष्छ क्रमांक 84 में संलग्न बिल रू. 2,214/-, पृष्ठ क्रमांक 85 में संलग्न बिल रू. 1,500/-, पृष्ठ क्रमांक 86 में संलग्न बिल रू. 4,440/-, पृष्ठ क्रमांक 87 में संलग्न बिल   रू. 720/-, पृष्ठ क्रमांक 88 में संलग्न बिल रू. 3,460/-, पृष्ठ क्रमांक 95 में संलग्न बिल रू. 5,000/-, पृष्ठ क्रमांक 95/1 में संलग्न बिल         रू. 612/-, पृष्ठ क्रमांक 99 में संलग्न बिल रू. 350/-, पृष्ठ क्रमांक 100 में संलग्न बिल रू. 3,840/-, पृष्ठ क्रमांक 101 में संलग्न बिल           रू. 1,500/- तथ पृष्ठ क्रमांक 103 में संलग्न बिल रू. 5,481/- का है जोकि परिवादी ने अदा किए है जिनका योग रू. 39,808/- होता हे। विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा प्रस्तुत पृष्ठ क्रमांक 61 में संलग्न बिलों में डिस्काउण्ट के पश्चात् रू. 20,800/- का बिल विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा परिवादी को प्रदान किए जाने का उल्लेख है किन्तु परिवादी विपक्षी क्रमांक 2 के अस्पताल में रू. 39,808/- का व्यय किए जाने को प्रमाणित करने में सफल रहा है। अतः उक्त इलाज में व्यय हुए राशि विपक्षी क्रमांक 1 से प्राप्त करने का अधिकारी होना पाया जाता है। परिवादी ने विपक्षी क्रमांक 1 द्वारा इलाज में हुए व्यय के संबंध में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए है बल्कि यह अभिवचन किया है तथा इस आशय की साक्ष्य दी है कि विपक्षी क्रमांक 1 ने परिवादी को कोई बिल आदि नहीं दिए थे। यद्यपि परिवादी ने विपक्षी क्रमांक 1 को रू. 22,000/- इलाज के मद में दिया जाना बतलाया है। अतः चूॅंकि विपक्षी क्रमांक 1 द्वारा परिवादी की पत्नी का इलाज किया जाना प्रमाणित पाया गया है। अतः परिवादी द्वारा विपक्षी क्रमांक 1 से इलाज के मद में, विपक्षी क्रमांक 1 द्वारा किसी प्रकार के खण्डन के अभाव में कम से कम रू. 20,000/- अदा किया जाना भी प्रकट होता है। अतः परिवादी विपक्षी क्रमांक 1 से इलाज में हुए व्यय के रूप में रू. 39,808 ़  20,000 त्र 59,808/- प्राप्त करने का अधिकारी होना पाया जाता है। तद्नुसार विचारणीय प्रश्न क्रमांक 2 पर निष्कर्ष प्राप्त होता है। 
 
20.   परिवादी ने मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति रू. 1,50,000/- की मॉंग की है किन्तु प्रकरण की परिस्थितियों को देखते हुए रू. 1,00,000/- मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति विपक्षी क्रमांक 1 से दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है।  
 
21.   उपरोक्त दोनों विचारणीय बिन्दुओं पर प्राप्त निष्कर्षो के परिणामस्परूप परिवादी द्वारा विपक्षी क्रमांक 1 डा. अमन के विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद अंतर्गत धारा 35 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के अंतर्गत अंशतः सव्यय स्वीकार करते हुए निम्न आशय का आदेश पारित किया जाता हैः-   
 
       प्रथम यहकि विपक्षी क्रमांक 1 परिवादी को 45दिनों के भीतर         रू. 59,808/- (उनसठ हजार आठ सौ आठ) अदा करेगा। उक्त राशि समय अवधि में अदा न किए जाने की दशा में परिवाद प्रस्तुति की दिनांक 20.10.2020 से उक्त राशि की अदायगी की तिथि तक 6प्रतिशत वार्षिक दर पर ब्याज सहित अदा करेगा।    
 
       द्वितीय यहकि विपक्षी क्रमांक 1 परिवादी को 45दिनों के भीतर             मानसिक-शारीरिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू. 1,00,000/- (एक लाख) अदा करेगा। उक्त राशि समय अवधि में अदा न किए जाने की दशा में निर्णय की दिनांक 18.04.2023 से उक्त राशि की अदायगी की तिथि तक 6प्रतिशत वार्षिक दर पर ब्याज भी अदा करेगा।      
 
         तृतीय यहकि विपक्षी क्रमांक 1 स्वयं सहित परिवादी का वाद व्यय            रू. 5,000/- (पॉंच हजार) भी वहन करेगा। विपक्षी क्रमांक 2 व 3 स्वयं का व्यय वहन करेंगे।                                  
                 
 
(कुसुम सिंह)        (दिनेश कुमार गुप्ता)         (दीपक कुमार त्रिपाठी)
     सदस्य                   सदस्य                      अध्यक्ष
 
 
 
 

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