Uttar Pradesh

StateCommission

A/2004/1553

Bank of Baroda - Complainant(s)

Versus

Dinesh Singh - Opp.Party(s)

B L Jaiswal

27 Jul 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2004/1553
( Date of Filing : 11 Aug 2004 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Bank of Baroda
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Dinesh Singh
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 27 Jul 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-१५५३/२००४

 

(जिला फोरम/आयोग, कानपुर देहात द्वारा परिवाद सं0-०५/२००१ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०१-०७-२००४ के विरूद्ध)

 

बैंक आफ बड़ौदा, ब्रान्‍च शिवराजपुर, कानपुर देहात द्वारा ब्रान्‍च मैनेजर।

    ...........अपीलार्थी/विपक्षी सं0-२. 

बनाम

१. दिनेश सिंह पुत्र श्री नन्‍हा सिंह निवासी ग्राम सुधर देवा जिला कानपुर देहात। (मृतक)

प्रतिस्‍थापित उत्‍तराधिकारीगण:-

१/१. श्रीमती शान्ति देवी पत्‍नी।

१/२. कु0 नीलम पुत्री।

१/३. वीर सिंह पुत्र।

१/४. धीर सिंह पुत्र।

१/५. कु0 रजनी पुत्री।

१/६. शिवेन्‍द्र सिंह पुत्र।

                                              ...........प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण।

 

२. मै0 राजकोट मार्केटिंग प्रा0लि0, ७८/२७८, लाटूश रोड, कानपुर द्वारा मैनेजर/प्रौपराइटर।

...........प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-१.

समक्ष:-

१-  मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

२-  मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित     : श्री राजीव जायसवाल विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 गुप्‍ता विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0-२ की ओर से उपस्थित  : कोई नहीं।

 

दिनांक :- ०३-०८-२०२१.

 

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

यह अपील, उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम १९८६ के अन्‍तर्गत जिला फोरम/आयोग, कानपुर देहात द्वारा परिवाद सं0-०५/२००१ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०१-०७-२००४ के विरूद्ध योजित की गयी है।

 

 

 

-२-

संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद अपीलार्थी/विपक्षी सं0-२ के विरूद्ध १०,०००/- रू० राह खर्च, ५०,०००/- रू० मानसिक उत्‍पीड़न, २,४०,०००/- रू० कृषि क्षति और ७५,९९६/- रू० ब्‍याज एवं ५,५०२/- रू० हर्जाना और इस पर १८ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के लिए प्रस्‍तुत किया। साथ ही साथ वाद व्‍यय के रूप में ५,०००/- रू० की मांग की। इस परिवाद में प्रत्‍यर्थी सं0-२ को पक्षकार बनाया गया। परिवादी ने कहा कि उसने दिनांक ०८-०१-१९९७ को एक सोनाली ट्रैक्‍टर चेसिस नम्‍बर ९६११०४४, इंजन नम्‍बर ५१३०२ मु0 २,४२,३४५/- रू० में प्रत्‍यर्थी सं0-२/विपक्षी सं0-१ से खरीदा। परिवादी ने इसके लिए बैंक आफ बड़ौदा से १,५०,०००/- रू० का ऋण लिया। उक्‍त ट्रैक्‍टर के सम्‍भागीय परिवहन कार्यालय में पंजीकरण के लिए सेल लैटर की आवश्‍यकता थी जो प्रत्‍यर्थी सं0-२ ने नहीं दिया। अपीलार्थी ने इसके लिए पत्र भी लिखा किन्‍तु सेल लैटर न मिलने के कारण उसके ट्रैक्‍टर का रजिस्‍ट्रेशन नहीं हो सका। दिसम्‍बर, १९९९ के आखिरी सप्‍ताह में परिवादी प्रत्‍यर्थीसं0-२ से मिला जिसने विश्‍वास दिलाया कि वह होली तक ट्रैक्‍टर का रजिस्‍ट्रेशन करा लेगा किन्‍तु इसका कोई परिणाम नहीं मिला। इसके बाद परिवादी प्रत्‍यर्थी सं0-२ से दिनांक २५-१०-२०००, २२-१२-२००० और जनवरी, २००१ में मिला किन्‍तु कोई परिणाम नहीं मिला। ट्रैक्‍टर का पंजीकरण न होने से उसको ८०,०००/- रू० प्रतिवर्ष की क्षति उठानी पड़ रही है। अपीलार्थी बैंक ने इसका लिखित उत्‍तर दिया और कहा कि परिवादी ने ऋण धनराशि की कुछ किश्‍तों को अदा किया है किन्‍तु नियमित अदा नहीं किया है। परिवादी ने बैंक को गलत पक्षकार बनाया है। परिवादी उपभोक्‍ता नहीं है। विद्वान जिला फोरम ने दिनांक ०१-०७-२००४ को आदेश दिया कि प्रत्‍यर्थी सं0-२, २,००,०००/- रू० और ५०,०००/- रू० बतौर क्षतिपूर्ति और १,०००/- रू० वाद व्‍यय के रूप में अदा करेगा। विद्वान जिला फोरम ने यह नहीं देखा कि ट्रैक्‍टर ०८-०१-१९९७ को खरीदा गया और परिवादी दिसम्‍बर, १९९९ में डीलर से मिला और इस दौरान् परिवादी ने कभी सेल लैटर के बारे में नहीं पूछा। खरीद के ०३ साल बाद सेल लैटर का मांगा जाना परिवादी की दुर्भावना को व्‍यक्‍त करता है। परिवाद दिनांक २३-०१-२००१ को ०४ वर्ष बाद प्रस्‍तुत किया गया, जो कालबाधित है। विद्वान जिला फोरम ने इस तथ्‍य

 

 

-३-

की अनदेखी की कि परिवाद मै0 राजकोट मार्केटिंग प्रा0लि0 के विरूद्ध है जो ट्रैक्‍टर का डीलर है न कि बैंक के विरूद्ध। विद्वान जिला फोरम ने इस तथ्‍य की अनदेखी की कि परिवादी ने दिनांक ०४-०१-२००१ को अपने अधिवक्‍ता श्री मुन्‍ना लाल द्वारा मै0 राजकोट मार्केटिंग प्रा0लि0 को नोटिस भेजी। विद्वान जिला फोरम ने यह नहीं देखा कि अपीलार्थी बैंक ने हमेशा परिवादी की मदद की। विद्वान जिला फोरम ने यह गलत निष्‍कर्ष दिया कि अपीलार्थी बैंक ने मै0 राजकोट मार्केटिंग प्रा0लि0 के एजेण्‍ट का कार्य किया जबकि अपीलार्थी और डीलर के मध्‍य कोई सम्‍बन्‍ध नहीं था। ऋण की धनराशि स्‍वीकृत की गई और परिवादी को अदा की गई तथा उसके निवेदन पर पे आर्डर डीलर के नाम से बनाया गया। विद्वान जिला फोरम ने इस तथ्‍य की अनदेखी की कि बीमा धनराशि व अन्‍य शुल्‍क बीमा कम्‍पनी को अदा किया गया। परिवादी का यह दायित्‍व था कि वह अपने ट्रैक्‍टर को नियमित बीमित कराता। विद्वान जिला फोरम का यह निष्‍कर्ष गलत है कि यह कर्तव्‍य अपीलार्थी बैंक का था कि वह डीलर से सेल लैटर प्राप्‍त करता। विद्वान जिला फोरम ने ५०,०००/- रू० क्षतिपूर्ति और १,०००/- रू० का हर्जाना दिलाए जाने का आदेश गलत पारित किया है। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथ्‍यों से परे है और मनमाना है। अत: वर्तमान अपील स्‍वीकार करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय अपास्‍त किया जाए।

हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजीव जायसवाल तथा प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर0के0 गुप्‍ता को सुना तथा पत्रावली का सम्‍यक परिशीलन किया। प्रत्‍यर्थी सं0-२ की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

विद्वान जिला फोरम ने अपने निर्णय दिनांक ०१-०७-२००४ में परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी सं0-१ को आदेश दिया है कि वह ४५ दिन की अवधि के अन्‍दर परिवादीगण को विक्रीत सोनाली इण्‍टरनेशनल ट्रैक्‍टर का विक्रय पत्र हस्‍तगत करा दें। परिवादीगण विपक्षी सं0-१ से ०२.०० लाख रू० एवं विपक्षी सं0-२ से ५०,०००/- रू० बतौर क्षतिपूर्ति एवं १०००/- रू० वाद व्‍यय उपरोक्‍त अवधि के अन्‍दर पाने के अधिकारी होंगे।

यहॉं पर विपक्षी सं0-१ मै0 राजकोट मार्केटिंग प्रा0लि0 है तथा विपक्षी सं0-२    बैंक है। पत्रावली पर ट्रैक्‍टर का बिल उपलब्‍ध है जो मै0 राजकोट मार्केटिंग प्रा0लि0 द्वारा

 

 

-४-

दिनांक ०८-०१-१९९७ को जारी किया गया है। स्‍पष्‍ट है कि सेल लैटर भी मै0 राजकोट मार्केटिंग प्रा0लि0 को ही जारी करना था जो उसने जारी नहीं किया। बैंक का काम ऋण देना था जो उसने परिवादी को प्रदान किया और परिवादी के कहने के अनुसार पे ऑर्डर मै0 राजकोट मार्केटिंग प्रा0लि0 के नाम से बनाया। विपक्षी सं0-१ मै0 राजकोट मार्केटिंग प्रा0लि0 नोटिस की तामीली के बाद भी जिला फोरम में उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई उत्‍तर ही दिया। यह स्‍पष्‍ट है और सिद्ध है कि मै0 राजकोट मार्केटिंग प्रा0लि0 द्वारा सेल लैटर न देने के कारण परिवादी अपने ट्रैक्‍टर का रजिस्‍ट्रेशन परिवहन विभाग में नहीं करा सका और उसे अपना ट्रैक्‍टर खड़ा करना पड़ा। स्‍पष्‍ट है कि ट्रैक्‍टर को बिना रजिस्‍ट्रेशन के चलाना मोटर वाहन अधिनियम का उल्‍लंघन होता। अगर परिवादी इसके बाबजूद भी अपने ट्रैक्‍टर का बीमा करवा रहा है तब यह नहीं कहा जा सकता कि सेल लैटर जारी नहीं हुआ तथा रजिस्‍ट्रेशन न करा सकने के कारण बैंक भी उत्‍तरदायी है। विद्वान जिला फोरम का यह कहना कि विपक्षी सं0-२ का भी सेल लैटर दिलाने का पूर्ण दायित्‍व बनता है और इस प्रकार विपक्षी सं0-२ ने भी सेवा में घोर त्रुटि की है। यह निष्‍कर्ष उचित नहीं है क्‍योंकि विपक्षी सं0-२ बैंक है जहॉं से परिवादी ने ऋण लेने के लिए आवेदन किया और बैंक ने ऋण स्‍वीकृत किया। डीलर का यह कर्तव्‍य था कि वह सेल लैटर जारी करता जो उसने नहीं किया। इसमें बैंक की कोई त्रुटि नहीं है। अत: बैंक के विरूद्ध पारित आदेश विधि विरूद्ध है और अपास्‍त होने योग्‍य है। विपक्षी सं0-१ का पूर्ण दायित्‍व था कि वह सारे प्रपत्रों को परिवादी को देता और उसकी रजिस्‍ट्रेशन कराने में सहायता करता जो उसने नहीं किया।

अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों को देखते हुए हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचते हैं कि प्रश्‍नगत आदेश विरूद्ध विपक्षी सं0-२ अपास्‍त होने योग्‍य है। निर्णय का शेष भाग पुष्‍ट होने योग्‍य है। तद्नुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।     

आदेश

अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला फोरम/आयोग, कानपुर देहात द्वारा परिवाद सं0-०५/२००१ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०१-०७-२००४ में

 

 

-५-

विपक्षी सं0-२ से ५०,०००/- रू० बतौर क्षतिपूर्ति और १,०००/- रू० बतौर वाद व्‍यय पाने सम्‍बन्‍धी आदेश अपास्‍त किया जाता है। निर्णय के शेष भाग की पुष्टि की जाती है।

अपील व्‍यय उभय पक्ष पर।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

      वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                   (राजेन्‍द्र सिंह)                (सुशील कुमार)

                     सदस्‍य                         सदस्‍य 

             

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

                   (राजेन्‍द्र सिंह)               (सुशील कुमार)

                     सदस्‍य                          सदस्‍य                    

प्रमोद कुमार, 

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट नं.-३.  

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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