Uttar Pradesh

StateCommission

A/2009/173

M/s Varansi Computer Pvt Ltd - Complainant(s)

Versus

Dinesh Kumar & Associate - Opp.Party(s)

Kapish Srivastav

12 Dec 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2009/173
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. M/s Varansi Computer Pvt Ltd
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Dinesh Kumar & Associate
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 12 Dec 2017
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-173/2009

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, चंदौली द्वारा परिवाद संख्‍या-67/2002 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.12.2008 के विरूद्ध)

 

मे0 वाराणसी कम्‍प्‍यूटर्स प्राइवेट लि0, द्वारा डायरेक्‍टर श्री आर0के0 गुप्‍ता, आफिस सी-21/88ए-1, शांती मार्केट, लहुआबीर, वाराणसी।

                                      अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्     

दिनेश खेमका एण्‍ड एसोसिएट्स चार्टर्ड एकाउण्‍ट्स जी0टी0 रोड, अपोजिट स्‍टेशन रोड, सैदराजा, चंदौली, यू0पी0।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय श्री संजय कुमार, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से  : श्री गौरव कुमार हसानी, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से   : कोई नहीं।

 

दिनांक 23.02.2018

 

मा0 श्री संजय कुमार, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

यह अपील, परिवाद संख्‍या-67/2002, दिनेश खेमका एण्‍ड एसोसिएट्स बनाम कर्मचारी निदेशक वाराणसी कम्‍प्‍यूटर प्रा0लि0 में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, चंदौली द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.12.2008 से क्षुब्‍ध होकर विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से योजित की गयी है, जिसके अन्‍तर्गत जिला फोरम द्वारा निम्‍नवत् आक्षेपित आदेश पारित किया गया है :-

'' उपरोक्‍त विवरण के आधार पर परिवादी का परिवाद-पत्र आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को व्‍यवसायिक क्षतिपूर्ति के लिये 20,000/- (बीस हजार रू0) शारीरिक व मानसिक क्षति के लिये 2000/- (दो हजार) रू0 तथा वाद व्‍यय के लिये मु0 1000/- (एक हजार) रू0 कुल मु0 23000/- (तेइस हजार) रू0 बतौर क्षतिपूर्ति अदा करें। परिवादी उपरोक्‍त प्रतिकर की धनराशि परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि 3-9-02 से प्रतिकर की अदायगी की तिथि तक 6 प्रतिशत (छ: प्रतिशत) वार्षिक ब्‍याज की दर से ब्‍याज भी प्राप्‍त करेगा। विपक्षी प्रतिकर की उपरोक्‍त धनराशि ब्‍याज सहित 30 दिन में अदा करें। ''

प्रस्‍तुत प्रकरण के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी से एक सेट कम्‍प्‍यूटर प्रिन्‍टर सहित रू0 52100/- में क्रय किया। परिवादी प्रोपराइटरशिप फर्म है, जिसमें अंकेक्षर एवं लेखा परीक्षण संबंधी कार्य होता है। प्रिंटर ने वारण्‍टी अवधि के अन्‍दर ही कार्य करना बंद कर दिया, जिसके कारण प्रिंटर विपक्षी कम्‍पनी को वापस कर दिया। विपक्षी काफी समय तक उसे अपने पास रखे रहा और अक्‍टूबर 2001 में उसके महत्‍वपूर्ण पार्ट्स गायब कर वापस कर दिया, जिससे क्षुब्‍ध होकर प्रश्‍नगत परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया।

विपक्षी की ओर से परिवाद पत्र का विरोध करते हुए प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया, जिसमें कहा गया कि परिवादी द्वारा जिस दिन प्रिंटर दिया गया, उसी दिन मरम्‍मत कर उसे वापस कर दिया गया था। विपक्षी द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है।

जिला फोरम द्वारा उभय पक्षों को सुनने एवं पत्रावली का परिशीलन करने के उपरांत उपरोक्‍त आक्षेपित निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.12.2008 पारित किया गया है।

उपरोक्‍त आक्षेपित आदेश दिनांक 27.12.2008 से क्षुब्‍ध होकर यह अपील दाखिल की गई है।

अपील सुनवाई हेतु पीठ के समक्ष प्रस्‍तुत हुई। अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री गौरव कुमार हसानी उपस्थित हुए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को विस्‍तार से सुना गया एवं प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश तथा उपलब्‍ध अभिलेखों का ध्‍यानपूर्वक परिशीलन किया गया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने मुख्‍य रूप से यह तर्क प्रस्‍तुत किया कि जिला फोरम का निर्णय एवं आदेश त्रुटिपूर्ण है। अपीलार्थी एक विक्रेता है और निर्माण संबंधी दोष के लिये अपीलार्थी जिम्‍मेदार नहीं है।

प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

आधार अपील एवं सम्‍पूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया गया, जिससे यह तथ्‍य विदित होता है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने एक कम्‍प्‍यूटर सेट मय प्रिन्‍टर के रू0 52100/- में विपक्षी/अपीलार्थी से क्रय किया था। प्रिंटर में खराबी आने के कारण परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी को अवगत कराया तथा प्रिंटर का दोष दूर करने के लिए निवेदन किया, किन्‍तु विपक्षी/अपीलार्थी द्वारा प्रिंटर की त्रुटि को दूर नहीं किया गया। अपीलार्थी/विपक्षी का तर्क है कि कम्‍प्‍यूटर मय प्रिंटर परिवादी द्वारा जनपद वाराणसी से क्रय किया गया था। परिवादी पो0 सैयदराजा, जनपद चन्‍दौली का निवासी है और प्रिंटर का प्रयोग अपने निवास स्‍थान चन्‍दौली में किया जा रहा था। जहां प्रिंटर ने कार्य करना बन्‍द कर दिया। अपीलार्थी ने इनवाइस पत्र दाखिल किया है, जिसमें परिवादी दिनेश का पता सैयदराजा, चंदौली अंकित है। सैयदराजा स्‍थान जिला चन्‍दौली में स्थित है। इस प्रकार यह साबित है कि कम्‍यूटर मय प्रिंटर पो0 सैयदराजा जनपद चन्‍दौली के लिये क्रय किया गया था। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम का निर्णय एवं आदेश एकपक्षीय है। यह तर्क स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है, क्‍योंकि अपीलार्थी/विपक्षी ने जिला फोरम के समक्ष उपस्थित होकर अपना प्रतिवाद पत्र भी प्रस्‍तुत किया था। जिला फोरम ने प्रतिवाद पत्र पर विचार करते हुए गुणदोष के आधार पर निर्णय पारित किया है। अपीलार्थी का तर्क है कि वह एक विक्रेता है। प्रिंटर में आये दोष के सम्‍बन्‍ध में वह जिम्‍मेदार नहीं है। निर्माण सम्‍बन्‍धी दोष के लिए निर्माता कम्‍पनी जिम्‍मेदार है। यह तर्क स्‍वीकार करने योग्‍य नहीं है, क्‍योंकि निर्माण सम्‍बन्‍धी दोष के लिए क्रेता व विक्रेता दोनो ही जिम्‍मेदार होते हैं।

मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा M/s Jaycee Automobiles Pvt. Ltd Vs Raj Kumar Ahnihotri and others 2016 SCC Online NCDRC 1963 में यह विधिक सिद्धान्‍त प्रतिपादित किया गया है कि दोषपूर्ण सामान के लिए निर्माता एवं विक्रेता दोनों ही जिम्‍मेदार हैं।

उपरोक्‍त विधि व्‍यवस्‍था के आलोक में विचार करने के उपरांत हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचते हैं कि प्रश्‍नगत प्रकरण में अपीलार्थी/विपक्षी ने एक विक्रेता की हैसियत से दोषपूर्ण प्रिंटर विक्रय किये जाने के लिए जिम्‍मेदार है। सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरांत हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचते हैं कि जिला फोरम के आदेश में कोई त्रुटि नहीं है। अपील बलहीन होने के कारण निरस्‍त होने योग्‍य है।

 

आदेश

अपील निरस्‍त की जाती है।

     उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

     उभय पक्ष को निर्णय की प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।

 

 

 

  (संजय कुमार)                        (महेश चन्‍द)

       पीठासीन सदस्‍य                             सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-4     

 
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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