Uttar Pradesh

StateCommission

A/1999/2378

Ansal Housing - Complainant(s)

Versus

Dinesh Kumar Sharma - Opp.Party(s)

Rajesh Chadha And Vineet Sahai Bisaria

25 Apr 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1999/2378
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Ansal Housing
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Dinesh Kumar Sharma
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 25 Apr 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

मौखिक

अपील संख्‍या-2378/1999

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-1/1997 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 31-07-1999 के विरूद्ध)

 

Ansal Housing and Construction Limited, 15, U.G.R. Indra Prakash, 21, Bara Khamba Road, New Delhi-110001.

अपीलार्थी/विपक्षी                                              

बनाम्

Dinesh Kumar Sharma, son of Sri R.G. Sharma, Care of State Bank of India Region Second Zonal Office Garh Road, Meerut.

                                     प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

1-   मा0  श्री उदय शंकर अवस्‍थी,   पीठासीन सदस्‍य।

2-   मा0 श्रीमती बाल कुमारी,         सदस्‍य।

 

1-  अपीलार्थी की ओर से उपस्थित -       श्री वी0एस0 विसारिया

2-  प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   -       कोई नहीं।

 

दिनांक : 11-05-2017

मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित निर्णय :

 

परिवाद संख्‍या-1/1997 दिनेश कुमार शर्मा बनाम् Ansal Housing and Construction Limited में जिला उपभोक्‍ता फोरम, गाजियाबाद द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 31-09-1999 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्‍त परिवाद के विपक्षी Ansal Housing and Construction Limited की ओर से धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम-1986 के अन्‍तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

 

 

 

2

     आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवादी का प्रस्‍तुत परिवाद इस निर्देश के साथ स्‍वीकार किया है कि परिवादी विपक्षी से जमा की प्रत्‍येक किश्‍त की धनराशि पर 11-05-1992 से 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज पाने का हकदार होगा। यदि कोई धनराशि विपक्षी द्वारा परिवादी को इस निर्णय से पूर्व भुगतान कर दी गयी है तो उस भुगतान की राशि को वह निर्णय के अनुसार देय राशि से काट लिया जाए। ब्‍याज की गणना दिनांक11-05-1992 से अदायगी की तिथि तक की जायेगी।

     परिवादी विपक्षी से अपने मानसिक उत्‍पीड़न के लिए 1000/-रू0प्राप्‍त करने का हकदार है। उक्‍त आदेश का अनुपालन विपक्षी द्वारा इस निर्णय के दो माह के अदा किया जायेगा। अन्‍यथा उपरोक्‍त सभी धनराशि पर परिवाद विपक्षी से 20 प्रतिशत वार्षिक दर से भुगतान की तिथि तक ब्‍याज पाने का अधिकारी होगा।

     संक्षेप में इस केस के सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी के द्वारा वर्ष 1981 में प्रयोजित चिरजीव बिहार योजना में एक भवन आवंटित कराया था। भवन का अनुमानित मूल्‍य 2,99,000/-रू0 था। परिवादी ने 29,900/-रू0 दिनांक 24-11-1991 को कुल मिलाकर 68,750/-रू0 दिनांक 11-05-92 तक जमा कर दिया। भवन आवंटित करते समय विपक्षी ने परिवादी को यह आश्‍वासन दिया था कि सम्‍पत्ति पर अंसल हाऊसिंग कन्‍ट्रक्‍शन लि0 का पूर्ण स्‍वामित्‍व व अधिकार है। चूंकि परिवादी बैंक का कर्मचारी था और वह अपने बैंक से ऋण लेकर भवन खरीद सकता था। परिवादी का एक पत्र बैंक ने इस आशय का प्रस्‍तुत किया कि उसे ऋण लेने हुए विपक्षी से परिपत्र व प्रमाण पत्र इस आशय का चाहिए कि विपक्षी ही उस भूमि का स्‍वामी है जिस पर प्रस्‍तावित भवन व योजना तैयार होनी थी। विपक्षी ने परिवादी को प्रमाण पत्र उपलब्‍ध नहीं कराया। परिणामस्‍वरूप उक्‍त प्रमाण  के अभाव में परिवादी के नियोक्‍ता बैंक ने उसे ऋण देने से इंकार कर दिया।उक्‍त परिस्थिति में परिवादी के अनुसार चूंकि विपक्षी ने उसे प्रश्‍नगत भवन की भूमि से संबंधित स्‍वामित्‍व के बारे में सही सूचना नहीं दी अत: वह बैंक से ऋण प्राप्‍त नहीं कर सका और विपक्षी द्वारा आवंटित भवन का मूल्‍य देने में वह असमर्थ रहा। परिवादी ने विपक्षी से अपनी जमा धनराशि 68,750/-रू0 दिनांक 11-05-1992 से भुगतान की तिथि तक मूल धनराशि मय 26 प्रतिशत ब्‍याज सहित वापस मांगा। जो कि विपक्षी ने नहीं दिया। अत: यह परिवाद योजित किया गया है।

     विपक्षी ने उपरोक्‍त अभिकथनों का विरोध किया है और अपने लिखित कथन 7ग दाखिल किया है। विपक्षी का एकमात्र कथन है कि विपक्षी अंसल ग्रुप विभिन्‍न सहभागी कम्‍पनियों का एक बढ़ा ग्रुप है और इन सभी ग्रुपों ने अपनी समस्‍त शक्तियॉं विपक्षी के पक्ष में डेलीगेट कर दी है। ऐसा उन्‍होंने इन्‍टर कम्‍पनी, एग्रीमेंट प्रस्‍ताव तथा मुख्‍तारे आम के अभिलेख से किया है। विपक्षी को भूमि बेचने का पूरा अधिकार है। ऐसा उसने उपबंधो को ध्‍यान में रखते हुए किया है। परिवादी विपक्षी के अनुसार किसी भी अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है।

     अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री वी0एस0 विसारिया उपस्थित। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

     अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि उसने प्रश्‍नगत निर्णय में देनदारी के उत्‍तरदायित्‍व से इंकार नहीं किया है तथा ब्‍याज की दर अत्‍यधिक बतायी गयी है।

     स्‍वयं परिवादी/प्रत्‍यर्थी का यह कथन है कि अपीलार्थी द्वारा अभिलेख उपलब्‍ध न कराये जाने के कारण वह बैंक से ऋण प्राप्‍त नहीं कर सका और ऋण प्राप्‍त न होने से वह धनराशि जमा नहीं कर सका है।

     इस प्रकार यह तथ्‍य निर्विवादित है कि सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा नहीं की गयी है। यह अपील वर्ष 1999 से लम्बित है।

     प्रत्‍यर्थी को भेजी गयी नोटिस इस पृष्‍ठांकन के साथ वापस प्राप्‍त हुई है कि उस पते पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी नहीं रह रहा है।

     निर्विवादित रूप से प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि अपीलकर्ता द्वारा उपयोग में लाई गयी है अत: इस धनराशि पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ब्‍याज प्राप्‍त करने का अधिकारी माना जायेगा। ब्‍याज की दर मामले की परिस्थितियों के आलोक में हमारे विचार से अधिक है।

     सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए हम इस मत के हैं कि जिला फोरम द्वार जो 18 प्रतिशत ब्‍याज का आदेश पारित किया गया है उसे संशोधित करते हुए न्‍यायहित में 12 प्रतिशत किया जाना उचित प्रतीत होता है।

     तद्नुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

                            आदेश

     अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-1/1997 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 31-07-1999 को संशोधित करते हुए ब्‍याज का प्रतिशत 18 के स्‍थान पर 12 प्रतिशत किया जाता है। निर्णय का शेष भाग यथावत रहेगा।

 

(उदयशंकर अवस्‍थी)                                  (बाल कुमारी)

  पीठासीन सदस्‍य                                       सदस्‍य

कोर्ट नं0-2 प्रदीप मिश्रा

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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