राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-१५९५/२०११
(जिला मंच, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद सं0-१६१/२०११ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक ०२-०८-२०११ के विरूद्ध)
माईक्रोन्स टेलीकॉम, नोकिया ऑथराइज्ड सर्विस सेण्टर, सी-४, सेक्टर-२, नोएडा, जिला गौतम बुद्ध नगर द्वारा प्रौपराइटर, मैथ्यू ऑगस्टाइन
..................... अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम्
दीना नाथ यादव पुत्र श्री देवा नन्दन निवासी जी-२८१, बीटा-द्वितीय, ग्रेटर नोएडा, जिला गौतम बुद्ध नगर।
.................... प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१- मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२- मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री राम गोपाल विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- श्री आर0के0 मिश्रा विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : १८-०१-२०१७.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद सं0-१६१/२०११ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक ०२-०८-२०११ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार उसने दिनांक २३-०८-२०१० को अपना एक मोबाइल नोकिया एन-९१, नोकिया केसर्य सेण्टर सैक्टर-९ नोएडा में ठीक कराने के लिए दिया था। उक्त मोबाइल में परिवादी की आवाज दूसरी तरु नहीं जाती थी। नोकिया केयर के कर्मचारियों ने परिवादी को म्यूजिक सिस्टम में हल्की समस्या बतायी और कहा कि अपना जोब कार्ड खुलवाकर जमा कर दीजिए १५ दिन के अन्दर मोबाइल ठीक कराकर मिल जायेगा। पन्द्रह दिन बाद नोकिया केयर कर्मचारियों ने प्रत्यर्थी/परिवादी से २५००/- रू० बसूल कर उसको फोन दे दिया। प्रत्यर्थी/परिवादी अपने फोन को घर ले गया। उसका प्रयोग करने पर उसे ज्ञात हुआ कि फोन में दूसरी समस्या
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कैमरे से सम्बन्धित शुरू हो गयी है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने नोकिया कस्टूमर केयर में फोन कर उक्त समस्या से अवगत कराया। अपीलार्थी के कर्मचारियों ने प्रत्यर्थी/परिवादी से फोन को दोबारा से चेक करने के लिए मंगाया। प्रत्यर्थी/परिवादी ने फोन जमा कर दिया। दिनांक ०४-११-२०१० तक एक-एक दिन छोड़कर लगातार फोन नोकिया सर्विस सेण्ट के पास रहा क्योंकि जब भी सर्विस सेण्टर से प्रत्यर्थी/परिवादी अपना फोन लेकर वापस आया उसमें एक नयी समस्या उन्होंने डाल छोड़ी। दिनांक २९-११-२०१० को प्रत्यर्थी/परिवादी नोकिया सर्विस सेण्टर गया और फोन को ठीक कराने के लिए कहा, किन्तु सर्विस सेण्टर के कर्मचारियों ने फोन लेने से मना कर दिया। प्रत्यर्थी/परिवादी ने नोकिया कम्प्लेण्ट हेण्डलिंग बैंग्लौर शिकायत की तब कहीं जाकर सर्विस सेण्टर पर ०१-१२-२०११ को फोन तो रख लिया और कहा कि ७०००/- रू० का बिल है, यह जमा कर वापस ले लेना। प्रत्यर्थी/परिवादी ने उक्त कर्मचारीगण से कहा कि १०,०००/- रू० में एक साल की गारण्टी वाला अच्छा फोन बाजार में मिल सकता है यदि मुझे एक साल की गारण्टी दें तो ७०००/- रू० का भुगतान कर दूँगा, किन्तु अपीलार्थी कम्पनी के कर्मचारियों ने प्रश्नगत फोन वापस देने से साफ इन्कार कर दिया। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया गया।
अपीलार्थी जिला मंच के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। अत: अपीलार्थी के विरूद्ध एक पक्षीय सुनवाई की गयी। प्रश्नगत निर्णय द्वारा विद्वान जिला मंच ने प्रत्यर्थी/परिवादी के परिवाद को स्वीकार करते हुए अपीलार्थी को निर्देशित किया कि वह आदेश के एक माह के अन्दर परिवादी का फोन चालू हालत में परिवादी की सन्तुष्टि के लिए सही करके परिवादी को वापस करे। इसके अतिरिक्त यह भी आदेश पारित किया गया कि वाद व्यय के लिए विपक्षी, परिवादी को १,०००/- रू० और मानसिक संताप के लिए २,०००/- रू० अदा करे।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी।
हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राम गोपाल तथा प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0 मिश्रा के तर्क सुने तथा अभिलेखों
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का अवलोकन किया गया।
अपीलार्थी की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत परिवाद के सन्दर्भ में विद्वान जिला मंच ने कोई नोटिस की तामीला अपीलार्थी पर नहीं करायी। प्रत्यर्थी/परिवादीने प्रश्नगत मोबाइल सेट अपीलार्थी सर्विस सेण्टर में मरम्मत हेतु वारण्टी अवधि बीत जाने के उपरान्त दिनांक २३-०८-२०१० को दिया था। मोबाइल सेट में आवाज की परेशानी थी। मोबाइल सेट की मरम्मत की गयी। प्रत्यर्थी/परिवादी ने २५००/- रू० मरम्मत की धनराशि अदा करके प्रश्नगत मोबाइल दिनांक १०-०९-२०१० को प्राप्त कर लिया। तदोपरान्त प्रत्यर्थी/परिवादी ने प्रश्नगत मोबाइल में पुन: कैमरे की समस्या तथा कुछ अन्य समस्या बतायी तथा मोबाइल सेट जमा कर दिया। अपीलार्थी द्वारा मरम्मत का अनुमानित खर्चा ७,०००/- रू० बताया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी के मोबाइल सेट की मरम्मत अपीलार्थी द्वारा की गयी तथा प्रत्यर्थी/परिवादी को फोन करके अपना मोबाइल सेट लेने हेतु कहा गया, किन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी मोबाइल सेट मरम्मत का खर्चा अदा करके प्राप्त करने हेतु नहीं आया और उसने असत्य कथनों के आधार पर परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित कर दिया।
अपील के साथ प्रस्तुत अभिलेखों के अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपना मोबाइल सेट आवाज की खराबी की मरम्मत हेतु सितम्बर, २०१० में दिया था तथा २५००/- रू० मरम्मत का व्यय अदा किया जाना था। स्वयं प्रत्यर्थी/परिवादी यह स्वीकार करता है कि उसे प्रश्नगत मोबाइल सेट आवाज की समस्या का निराकरण करने के उपरान्त उपलब्ध कराया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी का यह कथन नहीं है कि प्रश्नगत मोबाइल वारण्टी अवधि के मध्य मरम्मत हेतु अपीलार्थी को दिया गया था। प्रत्यर्थी/परिवादी यह स्वीकार करता है कि बाद में आवाज की समस्या अतिरिक्त अन्य समस्या बाद में मोबाइल में आ गयी। वारण्टी अवधि के बाद आई अन्य समस्याओं की नि:शुल्क मरम्मत का उत्तरदायी अपीलार्थी को नहीं माना जा सकता और न ही अपीलार्थी को प्रश्नगत मोबाइल के सन्दर्भ में वारण्टी दिए जाने हेतु बाध्य किया जा सकता है।
मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों के आलोक में विद्वान जिला मंच ने हमारे
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विचार से परिवाद को स्वीकार करके त्रुटि की है। प्रश्नगत निर्णय त्रुटिपूर्ण होने के कारण अपास्त करते हुए परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद सं0-१६१/२०११ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक ०२-०८-२०११ अपास्त करते हुए परिवाद निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपीलीय व्यय-भार अपना-अपना वहन करेंगे।
पक्षकारों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(राज कमल गुप्ता)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-४.