(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील सं0 :- 2202/2012
(जिला उपभोक्ता आयोग, बहराइच द्वारा परिवाद सं0- 191/2011 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30/07/2012 के विरूद्ध)
The New India Assurance Company Ltd, including its office at 94, M.G. Marg, Mumbai, through its duly constituted attorney and its Incharge legal HUB, Vijay Kumar Sinha, at its legal HUB at 94 M.G Marg, Lucknow
Dilip Kumar Soni, Adult son of Surat Lal Soni, R/O Near Purwa Bus Station Mahipurwa, Tehsil nanpara, District Bahraich.
समक्ष
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
- मा0 डा0 आभा गुप्ता, सदस्य
उपस्थिति:
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री जफर अजीज, एडवोकेट
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- कोई नहीं।
दिनांक:-21.04.2022
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- जिला उपभोक्ता आयोग, बहराइच द्वारा परिवाद सं0- 191/2011, दिलीप कुमार सोनी बनाम शाखा प्रबंधक दि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30/07/2012 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
- संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने वाहन सं0 यू0पी0 40 ई/7181 बोलेरों जीप का पंजीकृत स्वामी है, जो अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से दिनांक 11.02.2011 से दिनांक 10.02.2012 तक की अवधि के लिए बीमित थी। उक्त वाहन दिनांक 20.04.2011 को ग्राम मेनहवा अंतर्गत थाना कोतवाली नानपारा के निकट दुर्घटनाग्रस्त होकर क्षतिग्रस्त हो गया। दिनांक 21.04.2011 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गयी। वाहन क्षतिग्रस्त होने की सूचना प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी को दिया। अपीलार्थी/विपक्षी ने सर्वेयर नियुक्त करते हुए दुर्घटनाग्रस्त वाहन का सर्वे कराया। सर्वे विपक्षी बीमा कम्पनी के निर्देशानुसार शासन द्वारा स्वीकृत गैराज अजय मोटर्स जनपद लखीमपुर में किया गया जहां वाहन को बनवाया गया। वाहन के मरम्मत से पूर्व स्टीमेंट तैयार किया गया जो मु0 49,068/- का है। तत्पश्चात मरम्मत का बिल जो मु0 40,118 रू0 का है स्टीमेट एवं बिल मूलरूप से वाहन के सम्पूर्ण कागजात सहित सर्वेयर को उपलब्ध करा दिया गया है तथा प्रत्यर्थी/परिवादी को आश्वस्त किया गया कि सर्वेयर आख्या के आधार पर परिवादी के बीमा दावे का भुगतान कर दियाजायेगा लेकिन कोई भुगतान नही किया गया। विपक्षी की ओर से पत्र दिनांक18.07.2011 व 18.08.2011 परिवादी को प्रेषित करके फिटनेस प्रमाण की मांग की गयी लेकिन प्रश्नगत वाहन मूलरूप में एक प्राइवेट वाहन है ट्रांसपोर्ट वाहन नहीं है एकमुश्त टेक्स जमा किया गया है फिटनेस की आवश्यकता ट्रासपेार्ट वाहन में होती है प्राइवेट वाहन में नहीं होती है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने विपक्षी के पत्र दिनांकित 18.08.2011 का उत्तर अपने अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक 25.08.2011 को भेजा लेकिन विपक्षी द्वारा परिवादी के दावे का भुगतान नहीं किया गया और विपक्षी ने अपने पत्र दिनांकित 17.10.2011 के माध्यम से परिवादी को सूचित किया कि परिवादी का दावा पालिसी के नियम व शर्त को पूर्ण नहीं करता इसलिए अस्वीकृत किया जाता है। जबकि परिवादी ने दावे को निरस्त करने का कोई उपयुक्त व उचित आधार विपक्षी के पास नहीं था इसलिए परिवाद दाखिल करने की आवश्यकता हुई।
- अपीलार्थी/विपक्षी की ओर जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष अपना लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद पत्र की धारा-1 दुर्घटना संबंधी प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित होना परिवाद पत्र की धारा-3 दुर्घटनाग्रस्त वाहन का सर्वे एवं मरम्मत होना तथा स्टीमेट की प्रति सर्वेयर का उपलब्ध कराया जाना, विपक्षी से पत्राचार किया जाना स्वीकार किया है तथा यह भी कथन किया कि परिवाद गलत तथ्यों के आधार पर अवैध तरीके से बीमा लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। दुर्घटना की सूचना प्राप्त होने पर दुर्घटनाग्रस्त वाहन के सर्वे हेतु सर्वेयर श्री शांताकर अवस्थी को नियुक्त किया गया तथा प्रपत्रों की जांच के लिए इन्वेस्टीगेटर श्री प्रभात कुमार शुक्ला को नियुक्त किया गया। श्री शांताकर अवस्थी ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन का निरीक्षण किया तथा साल्वेज चार्ज मु0 1500/- रू0 को छोडकर क्षतिका आंकलन रू0 22,460/- किया परंतु प्रश्नगत वाहन के पंजीयन प्रमाण के सत्यापन में पाया गया कि दुर्घटना की तिथि पर वाहन का फिटनेस प्रभावी नही था इस प्रकार वाहन के फिटनेस के अभाव में बीमा पॉलिसी के नियम एवं शर्तों तथा मोटर वाहन अधिनयिम के प्राविधानों के विपरीत है दुर्घटनाग्रस्त वाहन बोलेरो प्राइवेट सर्विस व्हेकिल होने के कारण ट्रांसपोर्ट व्हेकिल की परिधि में आता है उक्त प्रकार से वाहन का सुचालन धारा-56 एमवी एक्ट एवं कन्द्रीय मोटरयान नियमावली 1989 के नियम 62 के प्राविधानों से बाधित है सर्वेयर श्री शांताकर अवस्थी के क्षतिपूर्ति संबंधी एसेसमेंट रिपोर्ट के आधार पर पॉलिसी के नियम एवं शर्तों के अनुसार विपक्षी के अधिकृत अधिकारी द्वारा नियमत: आवश्यक कटौतियों के बाद दुर्घटनाग्रस्त वाहन के क्षतिपूर्ति संबंधी कुल धनराशि मु0 16,219/- रू0 भुगतान योग्य पाया। लेकिन दुर्घटना की तिथि पर वाहनके फिटनेस प्रमाणपत्र के अभाव में परिवादी का केस भुगतान योग्य न पाकर ऑन डेमेट क्लेम निरस्त कर दिया गया। मोटर क्लेम फार्म में दुर्घटनाग्रसत् वहानमें आयी क्षति का कोई विवरण, मरम्मत के अनुमानित लागत का कोई उल्लेख नहीं किया गया बाद में स्टीमेट फर्जी, अधिक क्षतिपूर्ति धनराशि प्राप्त करने की नियत से गलत तैयार कराया गया। विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवादी का कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ परिवाद के श्रवण का अधिकार जिला उपभोक्ता आयोग को नहीं है। अत: परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री जफर अजीज को विस्तृत रूप से सुना। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। तत्पश्चात पीठ के निष्कर्ष निम्नलिखित प्रकार से हैं:-
- प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने दुर्घटना के उपरान्त नियुक्त सर्वेयर श्री शांताकर अवस्थी के अनुसार वास्तविक क्षति को उचित मानते हुए सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार निर्धारित क्षति को दिलाये जाने का आदेश किया है, जो उचित प्रतीत होता है।
- माननीय राष्ट्रीय आयोग के निर्णय डी0एन0 बडौनी बनाम ओरिण्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड प्रकाशित I 2012 CPJ PAGE 272 (NC) यह दिशा निर्देशन देती है कि सर्वेयर रिपोर्ट बीमा के संबंध में क्षति को आंकलित करने का सर्वोत्तम साक्ष्य है, जबकि इस सर्वेयर रिपोर्ट को किसी अन्य साक्ष्य से सफलतापूर्वक खण्डित न कर दिया जाये। प्रस्तुत मामले में मा0 राष्ट्रीय आयोग का उपरोक्त निर्णय लागू होता है। इस मामले में परिवादी की ओर से सर्वेयर रिपोर्ट के आंकलन को किसी साक्ष्य द्वारा खण्डित नहीं किया गया है न ही बीमा कम्पनी की ओर से इस रिपोर्ट को खण्डित किया गया है अत: रिपोर्ट उचित मानी जाती है एवं तत्संबंधी विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम का निष्कर्ष उचित पाया जाता है।
- विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उक्त क्षतिपूर्ति के अतिरिक्त मानसिक एवं आर्थिक कष्ट हेतु रूपये 3,000/- दिलाये जाने का निर्देश दिया है। पीठ के मत में बीमा की धनराशि के अतिरिक्त धनराशि दिलाये जाने का इस मामले में कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है। अत: उक्त धनराशि से संबंधित आदेश अपास्त किये जाने योग्य है। इसके अतिरिक्त बीमा कम्पनी की ओर से यह तर्क भी दिया गया है कि विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा दिया गया 10 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज भी वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अत्यधिक है उक्त तर्क में भी बल प्रतीत होता है। 10 प्रतिशत के स्थान पर 08 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज दिया जाना इस मामले में उचित है। तदनुसार प्रश्नगत निर्णय व आदेश परिवर्तित किये जाने योग्य एवं अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
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अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते जिला उपभोक्ता आयोग, बहराइच द्वारा परिवाद सं0 191/2011 में पारित आदेश दिनांक 30.07.2012 में मानसिक व आर्थिक कष्ट एवं वाद व्यय स्वरूप दिलायी गयी धनराशि रू0 3,000/- को समाप्त किया जाता है तथा साधारण वार्षिक ब्याज की दर 10 प्रतिशत के स्थान पर 08 प्रतिशत संशोधित की जाती है। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।
अपील में उभय पक्ष वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना)(डा0 आभा गुप्ता)
संदीप आशु0कोर्ट नं0 3