राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
पुनरीक्षण संख्या:-42/2023
एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी आफ इण्डिया लि0, आफिस ब्लॉक-1, पंचम तल, प्लॉट बीएससी ईस्ट, किदवई नगर, रिंग रोड नई दिल्ली द्वारा रीजनल मैनेजर एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी आफ इण्डिया लि0, रीजनल आफिस, जीवन भवन, फेस-II, पंचम तल, नवल किशोर रोड, हजरतगंज, लखनऊ।
........... पुनरीक्षणकर्ता
बनाम
धीरेन्द्र सिंह पुत्र स्व0 शिवा जी सिंह, निवासी ग्राम बरवल माफी, पोस्ट खोरठा, तहसील सहजनवॉ, थाना खजनी, जिला गोरखपुर उ0प्र0 व तीन अन्य।
…….. प्रत्यर्थीगण
समक्ष :-
1. मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
2. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
3. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित: श्री दिनेश कुमार विद्वान अधिवक्ता के
कनिष्ठ सहायक अधिवक्ता श्री आनन्द भार्गव।
प्रत्यर्थीगण के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :- 31-05-2023.
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका इस आयोग के सम्मुख धारा-47 (1) (बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता आयोग, गोरखपुर द्वारा परिवाद सं0-74/2022 में पारित आदेश दिनांक 22.3.2023 के विरूद्ध योजित की गई है।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया।
निर्विवादित रूप से परिवाद सं0-74/2022 में विपक्षी कम्पनी के दिल्ली
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कार्यालय में परिवाद से सम्बन्धित नोटिस पंजीकृत डाक से दिनांक 01.3.2022 को प्राप्त की गई। तद्नुसार लिखित कथन (W.S) प्रस्तुत किये जाने की अवधि दिनांक 01.3.2022 के पश्चात दिनांक 02.3.2022 से प्रारम्भ मानी जायेगी एवं 30+15 दिवस का समय अर्थात 45 दिवस वास्ते लिखित कथन (W.S) प्रस्तुत किये जाने की गणना के अनुसार लिखित कथन (W.S) पुनरीक्षणकर्ता को उपरोक्त परिवाद में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख दिनांक 16.4.2022 तक प्रस्तुत किया जाना था, जो कि पुनरीक्षणकर्ता द्वारा प्रस्तुत न करते हुए दिनांक 18.10.2022 को प्रस्तुत किया गया।
समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए ही विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा मा0 उच्चतम न्यायालय एवं मा0 राष्ट्रीय आयोग व इस न्यायालय के आदेशों के परिणामस्वरूप आदेश पारित किया है जिसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है, तद्नुसार प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका अंगीकरण के बिन्दु पर ही निरस्त की जाती है।
पुनरीक्षणकर्ता विधि के अनुसार साक्ष्य प्रस्तुत करने हेतु प्रार्थना पत्र विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत कर सकते है।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-1,
कोर्ट नं0-1.