राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-1233/2004
(जिला उपभोक्ता फोरम, बाराबंकी द्वारा परिवाद संख्या-249/95 में पारित निर्णय दिनांक 25.05.2004 के विरूद्ध)
हौसला बक्श पुत्र स्व0 श्री धनीराम, निवासी ग्राम ककरहा, मजरे छदवल
परगना सूर्यपुर तहसील रामसनेहीघाट जिला बाराबंकी। .........अपीलार्थी@परिवादी
बनाम्
1. धामपुर सुगर मिल (डी.एस.एम.) शाखा रौजागांव, परगना व तहसील
रूदौली डाकखाना रौजागांव जिला बाराबंकी।
2. गन्ना प्रबंधक धामपुर सुगर मिल, शाखा रौजागांव परगना व तहसील
रूदौली डाकखाना रौजागांव जिला बाराबंकी।
3. दि धामपुर शुगर मिल्स लि0 धामपुर जिला बिजनौर उ0प्र0।
........प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री टी0एच0 नकवी, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :श्री वी0एस0 बिसारिया, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 29.07.15
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम बाराबंकी के परिवाद संख्या 249/95 में पारित निर्णय एवं आदेश दि. 25.05.2004 के विरूद्ध योजित की गई है। जिला मंच द्वारा परिवादी का परिवाद निरस्त किया गया।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि विपक्षी द्वारा परिवादी को उनके खेत में बोने के लिए उन्नतिशील गन्ने की प्रजाति की 58 कुन्तल बीज की आपूर्ति की गयी थी तथा यह वादा किया गया था कि उक्त फसल गन्ने की तैयार होने पर माह अक्टूबर, नवम्बर 1995 में क्रय कर लेगी। उसके आश्वासन पर बीज क्रय किया, जिसका भुगतान रू. 3784/- दि. 22.08.95 किया गया। उक्त फसल नवम्बर 1994 में 50 प्रतिशत व शेष जनवरी 1995 तक निकल आया और उसकी सिंचाई व कीटनाशक दवा आदि डालने का कार्य समय-समय पर किया गया, किंतु सितम्बर 95 में उसमें रोग लग गया, जिसके कारण विपक्षी को प्रार्थना पत्र दिया गया कि गन्ना बिक्री का प्रबंध कर दें, किंतु सेन्टर इन्चार्ज ने यह कहा कि बिक्री की व्यवस्था सहकारी गन्ना विकास समिति लि0 के माध्यम से ही किया जा सकता है।
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आपूर्ति न होने के कारण उन्हें क्षति उठानी पड़ा।
विपक्षीगण ने अपना लिखित उत्तर/आपत्ति जिला मंच के समक्ष दाखिल किया, जिसमें परिवादी को मिल द्वारा किसी भी बीज की बिक्री से स्पष्ट रूप से इनकार किया गया। उनके अनुसार न तो मिल द्वारा परिवादी को किसी भांति के बीज की आपूर्ति की गयी थी और न ही कोई संविदा इस आशय की गयी थी कि उनके द्वारा बोये गये गन्ने की खरीद बीज के रूप में मिल द्वारा की जायेगी।
पीठ द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों एवं अभिलेखों का परिशीलन किया।
परिवादी द्वारा जो साक्ष्य दाखिल किए गए हैं वे परिवादी के कथन को प्रमाणित नहीं करते हैं कि मिल द्वारा गन्ने का बीज अथवा जो भी माल बेचा जाता है उसका नियमित कैश मेमो जारी किया जाता है। परिवादी ने कोई ऐसा साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है जिससे सिद्ध होता है कि विपक्षी शुगर मिल ने परिवादी को गन्ने का बीज विक्रय किया हो। परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता सिद्ध नहीं होता है, इसलिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अधीन कोई भी क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है।
केस के तथ्य एवं परिस्थतियों के आधार पर हम यह पाते हैं कि जिला मंच ने साक्ष्यों की पूर्ण विवेचना करते हुए अपना निर्णय दिया है, जो कि विधिसम्मत है, पीठ उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं पाती है, अत: उपरोक्त विवेचना के दृष्टिगत प्रस्तुत अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
(राम चरन चौधरी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-5