राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-681/2017
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, मैनपुरी द्वारा परिवाद संख्या 149/2015 में पारित आदेश दिनांक 14.09.2016 के विरूद्ध)
1. Shriram Transport Finance Co.Ltd having its registered office at Mookambika Complex Third Floor No-4, Lady Desika Road-Mellapore-Chennai-600004.
2. Branch Manager Shriram Transport Finance Co.Ltd Farukkhabad-through Branch Manager-Radha Raman Road-Near-Rangoli Mandap-District-Mainpuri through its Power of Attorney (Amrendra Kumar).
.................अपीलार्थीगण
बनाम
Devdas son of Kaptan Singh resident of Mohalla-New Agarwal Shahar-City&District-Mainpuri.
.................प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री रवि कुमार रावत,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अखिलेश त्रिवेदी,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 17.04.2018
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-149/2015 देवदास बनाम श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्स कम्पनी लि0 में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, मैनपुरी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 14.09.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
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आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद एकपक्षीय रूप से आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
''परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र विपक्षी के विरूद्ध एक पक्षीय ऑशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी द्वारा जारी नोटिस दिनांकित 06.02.2013 निरस्त किया जाता है। विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि शेष धनराशि जो रू0 30711/- की परिवादी की ओर निकलती है वह परिवादी से परिवादी को दिए गए ऋण के सम्बन्ध में प्राप्त करे।
विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को मानसिक कष्ट के मद में रू0 1,00,000/- (एक लाख रू0) तथा वाद व्यय के मद में रू0 5,000/- (पॉच हजार रू0) भी अदा करे। टैम्पू खिचकर ले जाने के नुकसान में रू0 70,000/- भी अदा करे।''
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्स कम्पनी लि0 ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री रवि कुमार रावत और प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अखिलेश त्रिवेदी उपस्थित आए हैं।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि
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प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने दिनांक 24.03.2010 को एक टैम्पू बजाज मेघा मैक्स, जिसका पंजीयन नं0-यू0पी0 84 एफ-9912 है अपीलार्थी/विपक्षी श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्स कम्पनी लि0 से 95,000/-रू0 की आर्थिक सहायता प्राप्त कर खरीदा था, जिसकी अदायगी 22 माह में करनी थी और प्रत्यर्थी/परिवादी को कुल 119000/-रू0 अपीलार्थी/विपक्षी को भुगतान करना था।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसने 6500/-रू0 मासिक की दर से माह अप्रैल 2010 की किश्त अपीलार्थी/विपक्षी को अदा किया। उसके बाद दिनांक 05.06.2010 को उसके उपरोक्त टैम्पू का एक्सीडेंट हो गया। उसने एक्सीडेंट की सूचना बीमा कम्पनी को दी। तब बीमा कम्पनी ने 41,789/-रू0 दिनांक 23.11.2010 को प्रत्यर्थी/परिवादी के उक्त वाहन की मरम्मत हेतु भेजा, परन्त यह धनराशि अपीलार्थी/विपक्षी फाइनेंसर श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्स कम्पनी लि0 ने स्वयं ले लिया।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने दिनांक 12.07.2011 को उसका उपरोक्त टैम्पू जबरन खिंचवा लिया और 40,000/-रू0 में नीलाम कर दिया और नीलामी की यह धनराशि अपने पास रख ली।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसके द्वारा जमा पहली किश्त की धनराशि 6500/-रू0, बीमा कम्पनी से प्राप्त धनराशि 41,789/-रू0 और उसके वाहन की बिक्री
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से प्राप्त धनराशि 40,000/-रू0 कुल मिलाकर 88,289/-रू0 उसका अपीलार्थी/विपक्षी के पास पहुँच चुका है, जबकि उसे अपीलार्थी/विपक्षी को कुल 1,19,000/-रू0 मय ब्याज देने थे।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि वह अपीलार्थी/विपक्षी की अवशेष धनराशि 30,711/-रू0 देने को हमेशा तैयार और तत्पर है बशर्ते कि अपीलार्थी/विपक्षी प्रत्यर्थी/परिवादी को हुए नुकसान का भुगतान करे।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने दिनांक 06.02.2013 को उसे गलत कथन के आधार पर अवशेष धनराशि 85,000/-रू0 बताते हुए नोटिस भेजा था तब उसने अपीलार्थी/विपक्षी को बताया कि उसके जिम्मा कुल रकम 30,711/-रू0 अवशेष है और वह विकलांग है। वह मेहनत मजदूरी नहीं कर पाता है। अत: टैम्पू दूसरे से चलवाकर यह धनराशि वह उसे अदा कर देगा। फिर भी अपीलार्थी/विपक्षी ने टैम्पू जबरदस्ती खिंचवा लिया, जिससे प्रत्यर्थी/परिवादी अवशेष धनराशि 30,711/-रू0 का भुगतान नहीं कर सका है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा 85,000/-रू0 की वसूली हेतु जारी नोटिस को निरस्त करने हेतु जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है। साथ ही क्षतिपूर्ति की भी मांग की है।
जिला फोरम के निर्णय से स्पष्ट है कि अपीलार्थी/विपक्षी को नोटिस जिला फोरम ने प्रेषित की है, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अत: उसके विरूद्ध परिवाद की
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कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गयी है और जिला फोरम द्वारा उसके विरूद्ध आक्षेपित निर्णय और आदेश एकपक्षीय रूप से पारित किया गया है।
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद गलत कथन के साथ प्रस्तुत किया है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने ऋण की किश्तों का भुगतान करार पत्र के अनुसार नहीं किया है। अपीलार्थी/विपक्षी का प्रत्यर्थी/परिवादी के जिम्मा 2,50,103/-रू0 दिनांक 08.04.2017 की तिथि में अवशेष है।
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने प्रश्नगत टैम्पू वाणिज्यिक उद्देश्य से अपीलार्थी/विपक्षी से आर्थिक सहायता प्राप्त कर क्रय किया है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं है और परिवाद ग्राह्य नहीं है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अधिकार रहित और विधि विरूद्ध है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षी नोटिस तामीला के बाद भी जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है। अत: जिला फोरम ने एकपक्षीय रूप से परिवाद की कार्यवाही करते हुए जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है, वह उचित है।
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प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्यर्थी/परिवादी के वाहन को बिना नोटिस दिए अवैधानिक ढंग से कब्जे में लिया है और उसकी बिक्री की है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अदा की गयी किश्त एवं बीमा कम्पनी से प्राप्त धनराशि और वाहन की बिक्री से प्राप्त धनराशि को समायोजित करने पर मात्र 30,711/-रू0 अपीलार्थी/विपक्षी के अवशेष बचते हैं, जिसे देने को प्रत्यर्थी/परिवादी तैयार और तत्पर है। प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने जो क्षतिपूर्ति प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाया है, वह उचित है। उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से उसकी अनुपस्थिति में पारित किया है। अत: यह उचित प्रतीत होता है कि अपीलार्थी/विपक्षी को अपना कथन जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाए और उसके बाद जिला फोरम उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: विधि के अनुसार निर्णय व आदेश पारित करे।
जिला फोरम के निर्णय से स्पष्ट है कि नोटिस प्रेषित किए जाने के बाद भी अपीलार्थी/विपक्षी जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है और लिखित कथन नहीं प्रस्तुत किया है। ऐसी स्थिति में प्रत्यर्थी/परिवादी को क्षतिपूर्ति हेतु अपीलार्थी/विपक्षी से
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10,000/-रू0 हर्जा दिलाया जाना उचित और आवश्यक है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को 10,000/-रू0 हर्जा अदा करने पर अपास्त किया जाता है तथा पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम अपीलार्थी/विपक्षी को इस निर्णय में हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से 30 दिन के अन्दर अपना लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर दे और उसके बाद उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर परिवाद में पुन: निर्णय व आदेश विधि के अनुसार पारित करे।
उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 25.05.2018 को उपस्थित हों।
अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत इस अपील में जमा की गयी धनराशि 25,000/-रू0 से हर्जे की उपरोक्त धनराशि 10,000/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा की जाएगी और अवशेष धनराशि सम्पूर्ण धनराशि पर अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी/विपक्षी को वापस की जाएगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1