Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/1087

Geeta Tiwari - Complainant(s)

Versus

D T D C Courier - Opp.Party(s)

14 Sep 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/1087
( Date of Filing : 24 Jun 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Geeta Tiwari
A
...........Appellant(s)
Versus
1. D T D C Courier
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 14 Sep 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-१०८७/२०१०

 

(जिला मंच (द्वितीय), लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-६९३/२००७ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २८-०५-२०१० के विरूद्ध)

 

श्रीमती गीता तिवारी पत्‍नी श्री दिनेश कुमार तिवारी निवासी ‘’गीता भवन’’ ई-वन-७२५ सैक्‍टर- एच, कानपुर रोड योजना, एल0डी0ए0 कालोनी, लखनऊ-१२. (मृतक)

प्रतिस्‍थापित विधिक उत्‍तराधिकारी - श्री दिनेश कुमार तिवारी।

                                                  ................. अपीलार्थी/परिवादिनी।

बनाम्

१. मैसर्स डी0टी0डी0सी0 कोरियर एण्‍ड कारगो लि0, पंजीकृत कार्यालय डी0टी0डी0सी0 हाउस नं0-३, विक्‍टोरिया रोड, बंग्‍लौर-४७. 

२. मैसर्स डी0टी0डी0सी0 कोरियर एण्‍ड कारगो लि0, शोप नं0-१३, सदाफल प्‍लाजा (आशियाना), निकट पकरी का पुल, लखनऊ-१२.                                          ...............  प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण।

.

समक्ष:-

१. मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२. मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  :- श्री दिनेश कुमार तिवारी प्रतिस्‍थापित विधिक उत्‍तराधिकारी।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित :- श्री सत्‍य प्रकाश पाण्‍डेय विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक : ३१-१०-२०१८.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच (द्वितीय), लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-६९३/२००७ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २८-०५-२०१० के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रश्‍नगत परिवाद की मूल परिवादिनी/अपीलार्थी के कथनानुसार उसने जुलाई २००६ में कन्‍साइनमेण्‍ट नं0 जेड-४०००८५११ के माध्‍यम से अपने भाई एवं भतीजे के मूल शैक्षिक अभिलेख तथा राखी, फैजाबाद निवासी अपने भाई श्री आर0एस0 ओझा के पहुँचाने के लिए १५.०० रू० नकद भुगतान प्रत्‍यर्थी सं0-२ को करके भेजा था किन्‍तु प्रत्‍यर्थीगण ने उक्‍त आर्टिकिल्‍स गन्‍तव्‍य तक नहीं पहुँचाई। इस सन्‍दर्भ में परिवादिनी कई बार प्रत्‍यर्थीगण के पास गई तथा पत्राचार किए तथा विधिक नोटिस दी किन्‍तु प्रत्‍यर्थीगण कोई न

 

 

 

 

 

-२-

कोई बहाना करके टालते रहे। परिवादिनी के कथनानुसार राखी के साथ-साथ भाई व भतीजे के शैक्षिक अंक पत्र/प्रमाण त्र भी प्रत्‍यर्थीगण द्वारा खो दिए जाने से वह प्रधानमंत्री रोजगार योजना के अन्‍तर्गत ऋण, बेरोजागार भत्‍ता एवं शासकीय/प्राईवेट नौकरी नहीं प्राप्‍त कर सके जिससे परिवादिनी को अत्‍यधिक मानसिक क्‍लेश हुआ। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया गया।

जिला मंच के समक्ष प्रत्‍यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

विद्वान जिला मंच ने परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत साक्ष्‍य एवं परिवाद के अभिकथनों के अवलोकनोपरान्‍त यह मत व्‍यक्‍त करते हुए कि परिवादिनी द्वारा वांछित अनुतोष जिला मंच द्वारा प्रदान नहीं किया जा सकता, प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा परिवाद निरस्‍त कर दिया।

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

हमने मूल अपीलार्थी/परिवादिनी मृतक श्रीमती गीता तिवारी के प्रतिस्‍थापित विधिक उत्‍तराधिकारी श्री दिनेश कुमार तिवारी तथा प्रत्‍यर्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री सत्‍य प्रकाश पाण्‍डेय के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

अपीलार्थी की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत निर्णय में जिला मंच ने अपीलार्थी/परिवादिनी को उपभोक्‍ता माना तथा अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा कोरियर किए गये सामान को गन्‍तव्‍य स्‍थान तक न पहुँचाया जाना सेवा में त्रुटि माना। इसके बाबजूद क्षतिपूर्ति की अदायगी एवं अर्थ दण्‍ड के रूप में कोई धनराशि दिलाए जाने के सन्‍दर्भ में कोई आदेश पारित नहीं जिला मंच द्वारा पारित नहीं किया गया।

प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि जिला मंच द्वारा प्रेषित नोटिस प्रत्‍यर्थीगण को प्राप्‍त नहीं हुई। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि कोरियर करते समय अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा यह बताया गया था कि प्रश्‍नगत कोरियर में राखी हैं। अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा केवल अनुचित लाभ प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से व प्रत्‍यर्थीगण को तंग व परेशान करने की नीयत से उक्‍त पैकेट में अन्‍य कागजात होना दिखाया जा रहा है, बिल्‍कुल गलत एवं असत्‍य है। परिवादिनी को कोरियर करते समय कम्‍पनी के नियम व शर्तों से अवगत करा दिया गया था, जिसको पढ़ने के उपरान्‍त ही कोरियर

 

 

 

-३-

किया गया था। परिवादिनी द्वारा कोरियर करते समय यह घोषणा नहीं की गई थी कि उक्‍त पैकेट में राखी के अतिरिक्‍त क्‍या है, कितनी कीमत का है। यदि पैकेट में मूल्‍यवान वस्‍तु थी तो अपीलार्थी को बीमा कराना चाहिए था।

कम्‍पनी के नियम एवं शर्तों की धारा-१५ के अनुसार – In the event of damage or loss or mis delivery of a consignment, the maximum liability assumed by D.T.D.C. on a consignment is limited to Rs. 100 unless the sender declares higher value as “declared value for carriage”. And also at the applicable Risk Surcharge there of as “carriers Risk” at the time of tendering the consignment.

इस प्रकार कोई कन्‍साइनमेण्‍ट खो जाता है तो कम्‍पनी १००/- रू० तक की अदायगी हेतु उत्‍तरदायी होगी। प्रत्‍यर्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने सन्‍दर्भ में भारतीय नाइटिंग कम्‍पनी बनाम डी0एच0एल0 वर्ल्‍ड वाइड एक्‍सप्रेस कोरियर डिवीजन आफ एयर फ्रेट लि0, १९९६ ए0आई0आर0 (एस0सी0) २५०८ के मामले में मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा दिए गये निर्णय पर विश्‍वास व्‍यक्‍त किया गया। मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा इस मामले में यह निर्णीत किया गया है – ‘’ Applicability of provisions to courier service- On account of non-delivery of the cover, the State Commission of National Commission under the Act Could not give relief for damages in excess of the limits prescribed under the Contract. In appropriate case where there is an acute dispute of fact necessarily the Tribunal has to refer the parties to the original Civil Court under CPC. ‘’  

मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय के उपरोक्‍त निर्णय तथा पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित संविदा के आलोक में हमारे विचार से अपीलार्थी १००/- रू० क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने का अधिकारी है। विद्वान जिला मंच ने प्रत्‍यर्थीगण द्वारा सेवा में त्रुटि किया जाना मानने के बाबजूद अपीलार्थी/परिवादिनी को कोई क्षतिपूर्ति न दिलाकर त्रुटि की है। इस धनराशि पर परिवाद योजित किए जाने की तिथि

 

 

 

-४-

से सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी तक ०९ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी दिलाया जाना न्‍यायोचित होगा। मामले के तथ्‍य एवं परिस्थितियों के आलोक में १,०००/- रू० वाद व्‍यय के रूप में अपीलार्थी को दिया जाना न्‍यायसंगत होगा।   

आदेश

      प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच (द्वितीय), लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-६९३/२००७ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २८-०५-२०१० अपास्‍त किया जाता है। परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वे अपीलार्थी को १००/- रू०, परिवाद योजित किए जाने की तिथि से सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी तक ०९ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज सहित निर्णय की तिथि से एक माह के अन्‍दर अदा किया जाना सुनिश्चित करें। इसके अतिरिक्‍त निर्धारित अवधि में १,०००/- रू० परिवाद व्‍यय के रूप में भी अपीलार्थी को अदा करें।  

उभय पक्ष इस अपील का व्‍यय-भार अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

 

                                              (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                पीठासीन सदस्‍य

 

 

                                                (गोवर्द्धन यादव)

                                                   सदस्‍य

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट-२.

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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