Uttar Pradesh

StateCommission

CC/399/2018

Harish Degree College - Complainant(s)

Versus

Chola Mandalam General Insurance Co. - Opp.Party(s)

R.K. Mishra

20 Mar 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/399/2018
( Date of Filing : 27 Nov 2018 )
 
1. Harish Degree College
Pratapgarh
...........Complainant(s)
Versus
1. Chola Mandalam General Insurance Co.
Lucknow
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Mar 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

परिवाद संख्‍या-399/2018

हरीश डिग्री कालेज द्वारा योगेश मिश्रा प्रबंधक निवासी पिपरी

खालसा पोस्‍ट-सराय गवई, तहसील-रानीगंज, जिला प्रतापगढ़

उ0प्र0।                                     ...........परिवादी

बनाम

चोला मण्‍डलम मेसर्स जनरल इंश्‍योरेंस कंपनी लि0 4 मरी

गोल्‍ड शाहनजफ रोड, लखनऊ-226001              .......विपक्षी

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से उपस्थित   :  श्री आर0के0 मिश्रा, विद्वान

                             अधिवक्‍ता।

विपक्षी की ओर से उपस्थित    :  श्री टी0के0 मिश्रा, विद्वान

                             अधिवक्‍ता।

दिनांक 08.05.2023

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   यह परिवाद विपक्षी बीमा कंपनी के विरूद्ध वाहन दुर्घटनाग्रस्‍त होने पर बीमित धनराशि रू. 1602960/- प्राप्‍त करने के लिए ट्रेवेल एजेन्‍सी से किराए की गाड़ी प्राप्‍त करने के कारण किराए में खर्च राशि रू. 440000/- की प्राप्ति के लिए 18 प्रतिशत ब्‍याज सहित प्रस्‍तुत किया है। मानसिक प्रताड़ना के मद में 5 लाख रूपये और परिवाद व्‍यय के रूप में रू. 50000/- की मांग की गई है।

2.   परिवाद के अनुसार वाहन संख्‍या यूपी 72 ए.पी. 007 का बीमा महेन्‍द्रा एण्‍ड महेन्‍द्रा फाइनेन्‍स कंपनी द्वारा सीजीआई बीमा कंपनी से कराया था। बीमा पालिसी संख्‍या टीसीएच डीसीएच 97310610 दि. 25.11.17 से 24.11.18 की अवधि के लिए जारी की गई थी।

 

 

-2-

3.   दि. 31.1.17 को समता मूलक चौराहे से करीब 100 मीटर की दूरी पर वाहन संख्‍या यूपी 32 जेएम 0365 स्विफ्ट डिजायर से टकराकर परिवादी का बीमित वाहन दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया। उक्‍त वाहन के मालिक द्वारा परिवादी के वाहन के ड्राइवर संतोष के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई। इस वाहन को क्रेन से थाने पर ले जाया गया, जो 28.03.18 को सीजेएम लखनऊ के आदेश से 16 लाख रूपये के बंध पत्र पर परिवादी के पक्ष में निर्मुक्‍त हुआ। बीमा कंपनी को सूचना दी गई। उनके द्वारा सर्वे कराया गया। सर्वेयर द्वारा अपनी जांच आख्‍या में पूर्ण क्षतिग्रस्‍त होने का आंकलन किया, परन्‍तु रिपोर्ट की प्रति परिवादी को उपलब्‍ध नहीं करायी गई। बीमा कंपनी को देरी से सूचना देने के आधार पर परिवाद खारिज कर दिया गया। वाहन रिलीज होने के तुरंत पश्‍चात ही बीमा कंपनी को सूचना दी गई थी, परन्‍तु बीमित राशि का भुगतान न कर सेवा में कमी की गई, इसलिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

4.   परिवाद पत्र के समर्थन में शपथपत्र तथा एनेक्‍सर संख्‍या 1 लगायत 06 दस्‍तावेजी साक्ष्‍य प्रस्‍तुत की गई।

5.   विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा दि. 23.01.2019 को लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया, जिसमें उल्‍लेख है कि महेन्‍द्रा एण्‍ड महेन्‍द्रा फाइनेन्‍स कंपनी को पक्षकार नहीं बनाया गया है। दुर्घटना के बारे में बीमा कंपनी को तुरंत सूचना नहीं दी गई, इसलिए बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन किया गया, अत: बीमा क्‍लेम नकारने का आधार विधिसम्‍मत है।

 

-3-

6.   दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का अवलोकन किया गया।

7.   प्रश्‍नगत वाहन का बीमा होना, बीमित वाहन के दौरान दुर्घटना होना, बीमा कंपनी द्वारा सर्वेयर नियुक्‍त किए जाने का तथ्‍य साबित है, इसलिए इन बिन्‍दुओं पर विस्‍तृत विवेचना की आवश्‍यकता नहीं है। बीमा कंपनी द्वारा बीमा क्‍लेम नकारने का जो आधार बताया गया है वह आधार बीमा कंपनी को दुर्घटना के पश्‍चात देरी से सूचना देना कहा गया है।

8.   परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि दुर्घटना 31.12.17 को घटित हुई है। चालक के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट 01.01.2018 को दर्ज हुई। यह वाहन पुलिस द्वारा खींच लिया गया, जो दि. 28.03.18 को मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट के न्‍यायालय से परिवादी के पक्ष में उन्‍मोचित हुआ। बीमा कंपनी को सूचना दी गई, अत: बीमा कंपनी को सूचना देने में कोई देरी नहीं है, जो भी देरी कारित हुई है वह परिस्थितिवश कारित हुई है। बीमा कंपनी द्वारा स्‍थल निरीक्षण कराया गया तथा सर्वेयर द्वारा वाहन की पूर्ण क्षति का आंकलन किया है, इसलिए बीमा कंपनी को देरी से सूचना का कोई विपरीत प्रभाव नहीं है, क्‍योंकि परिस्थितिवश देरी से सूचना दी गई है और देरी अप्रत्‍याशित नहीं है।

9.   बीमा नकारने का जो आधार वर्णित किया है वह एनेक्‍सर संख्‍या 2 पर उपलब्‍ध है। बीमा कंपनी का कथन है कि 14 जून 2014 को सूचना दी गई, जबकि दुर्घटना 31 दिसम्‍बर 2017 को हो चुकी थी, इसलिए बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि दुर्घटना

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अत्‍यधिक देरी से की गई है, इसलिए प्रश्‍नगत ति‍थि को ही दुर्घटना कारित हुई है, इस संबंध में कोई विवेचना न की जा सके। देरी से सूचना के कारण बीमा कंपनी के अधिकारों का उल्‍लंघन हुआ है, इसलिए बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति के लिए उत्‍तरदायी नहीं है।

10.  सर्वप्रथम इस बिन्‍दु पर विचार किया जाता है कि क्‍या  फाइनेन्‍सर कंपनी इस केस में आवश्‍यक पक्षकार है। इस प्रश्‍न का उत्‍तर नकारात्‍मक है, क्‍योंकि बीमा कंपनी के विरूद्ध दुर्घटना के कारण कारित क्षति की पूर्ति के लिए प्रस्‍तुत किए गए परिवाद में फाइनेन्‍सर कंपनी आवश्‍यक पक्षकार नहीं है। परिवादी का दायित्‍व है कि वह ऋण का भुगतान फाइनेन्‍सर कंपनी को करें, इसलिए बीमा कंपनी के अधिकार किसी भी दृष्टि से प्रभावित नहीं होते, अत: यह तर्क ग्राह्य नहीं है, फाइनेन्‍स कंपनी आवश्‍यक पक्षकार हैं। परिवाद के तथ्‍यों के अवलोकन से तथा परिवाद के समर्थन में प्रस्‍तुत की गई साक्ष्‍य के अवलोकन से जाहिर होता है कि बीमा कंपनी को सूचना दुर्घटना के तुरंत पश्‍चात नहीं दी गई है। देरी का आधार यह लिया गया है कि वाहन को पुलिस द्वारा थाने में क्रेन के माध्‍यम से खींच लिया गया और सीजीएम के न्‍यायालय से छूटने के पश्‍चात बीमा कंपनी को सूचना दी गई, यह आधार ग्राह्य नहीं है। दुर्घटना के तुरंत पश्‍चात बीमा कंपनी को सूचित किया जा सकता था, इसलिए बीमा कंपनी को दुर्घटना के कारणों के बारे में तथा दुर्घटना की स्थिति के संबंध में दुर्घटना के तुरंत पश्‍चात निरीक्षण करने का अवसर प्राप्‍त नहीं हुआ, अत: परिवादी के स्‍तर पर कारित इस त्रुटि के कारण बीमा राशि में 50 प्रतिशत की कटौती करने के पश्‍चात अवशेष राशि के

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भुगतान का आदेश दिया जाना उचित है। यहां यह स्‍पष्‍ट किया जाता है कि चूंकि सर्वेयर की रिपोर्ट को इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया गया, अत: माना जा सकता है कि प्रस्‍तुत किया जाता तब यह रिपोर्ट बीमा कंपनी के विरूद्ध होती। परिवादी ने श-शपथ कथन किया है कि सर्वेयर द्वारा संपूर्ण क्षति का आंकलन किया गया था। बीमित राशि अंकन रू. 1602960/- बीमा पालिसी में दर्शित की गई है, जो एनेक्‍सर संख्‍या 4 है, अत: इस राशि की 50 प्रतिशत राशि परिवादी को देय होगी। परिवाद व्‍यय रू. 25000/- प्राप्‍त करने के लिए भी परिवादी अधिकृत है, परन्‍तु प्रस्‍तुत केस में मानसिक प्रताड़ना के मद में या वाहन किराए लेने के मद में किसी भी क्षति का आदेश इस आधार पर नहीं दिया जा रहा है। स्‍वयं परिवादी ने बीमा कंपनी को दुर्घटना के संबंध में त्‍वरित रूप से अवगत नहीं कराया गया है।

आदेश

11.   परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है।

(ए).  बीमा कंपनी को निर्देशित किया जाता है कि परिवादी को कुल बीमित धन की आधी धनराशि रू. 801480/- का भुगतान परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत ब्‍याज के साथ अदा किया जाए।

(बी). बीमा कंपनी को आदेशित किया जाता है कि परिवाद व्‍यय के रूप में रू. 25000/- भी परिवादी को अदा करे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को

 

 

 

-6-

आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

         

       (सुशील कुमार)                      (राजेन्‍द्र सिंह)                                                                                                                                                   सदस्‍य                            सदस्‍य 

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

        (सुशील कुमार)                      (राजेन्‍द्र सिंह)                                                                                                                                                   सदस्‍य                             सदस्‍य          

राकेश, पी0ए0-2

कोर्ट-2

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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