Uttar Pradesh

Chanduali

CC/44/2011

Dr Om Prakash lal - Complainant(s)

Versus

Chif Commercial Manager - Opp.Party(s)

Arunkumar Mehta

30 Jan 2017

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum, Chanduali
Final Order
 
Complaint Case No. CC/44/2011
 
1. Dr Om Prakash lal
House no D59/73-A,Mahmoorganj Varanasi
Chandauli
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. Chif Commercial Manager
Barauda House,New Delhi
New Delhi
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 30 Jan 2017
Final Order / Judgement

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 44                                सन् 2011ई0
डा0 ओमप्रकाश लाल पुत्र श्री शिव प्रकाश लाल निवासी म0नं0 डी059/73-ए-महमूरगंज वाराणसी।
                                      ...........परिवादिनी                                                                                                                                    बनाम
1-चीफ कामर्शियल मैनेजर (जनरल)नार्दन रेलवे बडौदा हाऊस नई दिल्ली।
2-सीनियर मण्डल कामर्शिलय मैनेजर नार्दन सेन्ट्रल रेलवे, इलाहाबाद मण्डल इलाहाबाद।
3-स्टेशन मैनेजर,मुगलसराय,चन्दौली।
4-सीनियर डिवीजनल कामर्शियल मैनेजर इस्टर्न सेन्ट्रल रेलवे,मुगलसराय चन्दौली।
                                            .............................विपक्षीगण
उपस्थितिः-
 रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
 लक्ष्मण स्वरूप, सदस्य
                               निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1-    परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण से रेल यात्रा के दौरान हुई शारीरिक,मानसिक क्षति की  क्षतिपूर्ति हेतु रू0 50000/- एवं वादव्यय हेतु रू0 5000/-एवं अन्य अनुतोष  दिलाये  जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2-    संक्षेप में परिवादी का अभिकथन है कि वे मेडिकल क्षेत्र के प्रतिष्ठित डाक्टर है तथा देश के कानून का पालन करने वाले जागरूक नागरिक है तथा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा2(।) (डी) में परिभाषित उपभोक्ता की श्रेणी में आते है। परिवादी गम्भीर रोगों से ग्रस्त है तथा चिकित्सकीय राय के अनुसार उसे बाजार से तथा फेरी वालों द्वारा बेचे जा रहे भोजन व नाश्ता को लेने से मना किया गया है। परिवादी को यह तथ्य ज्ञात था कि सुपरफास्ट मगध एक्सप्रेस में पेन्ट्रीकार की सुविधा उपलब्ध है जहॉं परिवादी जैसे लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था रहती है और इसीलिये परिवादी ने दिल्ली से चलते समय भोजन तथा मिनरल वाटर अपने साथ नहीं लिया। परिवादी ने अपना आरक्षण उक्त ट्रेन में इस तथ्य को जानकर कराया था कि उसमे पेन्ट्रीकार उपलब्ध है। परिवादी तथा उसकी पत्नी का आरक्षण एसी-3 कोच नं0 बी/2 में बर्थ नं0 64 तथा 67 हेतु हुआ था यह आरक्षण दिनांक 4-1-2009 के लिए नई दिल्ली से मुगलसराय तक के लिए हुआ था। परिवादी का टिकट नं0 33023320 पी.एन.आर. नं. 225-5100708 ट्रेन नं0 2402 हेतु था। यात्रा के दौरान जरूरत होने पर परिवादी ने टी0टी0ई0/कोच अटेन्डेन्ट से पेन्ट्रीकार तथा उसके समय एवं खाद्य सामग्री के बारे में पूछा लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया न कोई सूचना दिया जिसके कारण परिवादी तथा उसकी पत्नी बिना खाये व बिना पानी पिये ही अपने गन्तब्य तक पहुचे जिसके कारण परिवादी तथा उसकी पत्नी का व्लडप्रेशर व डायविटीज बढ गया और उन्हें मानसिक परेशानी हुई इसकी शिकायत उन्होंने कोच अटेन्डेन्ट से किया लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला। मुगलसराय पहुंचने के बाद परिवादी ने इस सम्बन्ध में शिकायत बुक पर दिनांक 4-1-09/5-1-09 में स्टेशन मैनेजर मुगलसराय से संक्षिप्त शिकायत भी 
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दर्ज कराया तथा विस्तारपूर्वक उनसे अपनी परेशानी बताया तो स्टेशन मैनेजर ने कहा कि रेलवे की यात्रा के दौरान सामान्य तौर पर ऐसी परेशानी होती है जिसे पूर्ण रूप से दूर नहीं किया जा सकता है क्योंकि रेलवे के पास इसका कोई निदान नहीं है यह सुनकर परिवादी तथा उसकी पत्नी को सदमा पहुंचा। विपक्षी तथा रेलवे विभाग भोजन तथा अन्य खाद्य सामग्री पानी,सुगर फ्री चाय आदि उपलब्ध कराने के दायित्व का पालन नहीं किये। अनेक बार निवेदन किये जाने के बावजूद विपक्षीगण ने परिवादी को हुई मानसिक परेशानी एवं नुकसान हेतु कोई क्षतिपूर्ति अदा नहीं किया। अतः परिवादी ने यह परिवाद दाखिल किया है।
3-    प्रस्तुत मामले में विपक्षीगण को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी किन्तु नोटिस तामिला के बावजूद केवल विपक्षी संख्या 2 ही उपस्थित होकर जबाबदावा दाखिल किये है। शेष विपक्षीगण की ओर से कोई जबाबदावा दाखिल नहीं है।
4-    विपक्षी संख्या 2 ने अपने जबाबदावा में परिवादी के परिवाद के पैरा 9 में दी गयी यात्रा की तिथि को स्वीकार किया है तथा परिवाद के शेष अभिकथनों से इन्कार किया है। अपने अतिरिक्त कथन में संक्षेप में कथन किया है कि विपक्षीगण यूनियन आफ इण्डिया रेलवे विभाग के अर्न्तगत अधिकारी व कर्मचारी है। परिवादी ने यूनियन आफ इण्डिया द्वारा महाप्रबन्धक को पक्षकार नहीं बनाया है ऐसी स्थिति में परिवादी का परिवाद पोषणीय नहीं है।भारत सरकार के रेलवे मन्त्रालय द्वारा सम्पूर्ण भारत में यात्रियों की सुविधा पूर्ण यात्रा हेतु रेल का संचालन किया जाता है तथा रेलवे विभाग द्वारा यात्रियों की सुविधा हेतु पेन्ट्रीकार व स्टेशनों पर खान-पान की सुविधा का प्रबन्ध किया है जिसका उपभोग करते हुए यात्री अपनी यात्रा सम्पन्न करते है। रेलवे विभाग यात्रियों की सुविधा हेतु कोच अटेन्डेन्ट व कण्डक्टर की नियुक्ति किया है जो बराबर यात्रियों की सुविधा हेतु यात्रा में मदद करते है। परिवादी द्वारा दिनांक 4-1-2009 को ट्रेन संख्या 2402 डाउन मगध एक्सप्रेस से नई दिल्ली से मुगलसराय तक यात्रा करने हेतु अपना तथा अपनी पत्नी का आरक्षण कराया था। किन्तु अपरिहार्य कारणों से ट्रेन संख्या 2401अप एक्सप्रेस का मूल रेक समय से नईदिल्ली नहीं पहुंचा और काफी विलम्ब से पहुंचा। रेलवे विभाग द्वारा यात्रियों की परेशानी को देखते हुए 2402 डाउन मगध एक्सप्रेस का डुप्लीकेट रैक चलाया गया जिसमे पैट्रीकार की सुविधा नहीं थी। पैट्रीकार न होने की उद्घोषणा नई दिल्ली स्टेशन पर ध्वनि विस्तारक यंत्र से कई बार कराया गया, जिससे परिवादी के अलावा ट्रेन के अन्य सभी यात्री अपने खान-पान की व्यवस्था स्टेशन में किये। परिवादी जानबूझकर रेलवे विभाग को परेशान करने की नियत से ट्रेन के चलने के बाद तत्काल कोच कण्डक्टर श्री अनुराग सिंह जो नई दिल्ली से टूण्डला तक कोच संख्या बी.1व बी.2 में ड्यूटी पर थे, से पूछा। श्री अनुराग सिंह ने परिवादी को सभी बातों से अवगत कराया।अनुराग सिंह द्वारा परिवादी द्वारा किये गये परिवाद को टूण्डला स्टेशन पर कार्यवाही हेतु सी0टी0आई0/टूण्डला को सौप दिया गया, टूण्डला से मुगलसराय के बीच 2402डाउन में उप मुख्य निरीक्षक श्री रितिराम उत्तर मध्य रेलवे टूण्डला कण्डक्टर के रूप में कार्यरत रहे,जिनसे परिवादी
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 या अन्य किसी यात्री द्वारा भोजन या पानी आदि के बारे में मांग नहीं किया गया। सभी यात्री ट्रेन के ठहराव स्थल/स्टेशन पर अपने खान-पान व पानी की व्यवस्था किये। अगर परिवादी द्वारा मांग की गयी होती  तो अगले ठहराव पर यथोचित व्यवस्था करायी जा सकती थी। 2402 डाउन मगध एक्सप्रेस का नईदिल्ली से मुगलसराय आने तक अलीगढ ,टूण्डला, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, इटावा, कानपुर, इलाहाबाद, मिर्जापुर स्टेशन पर ठहराव है जहॉं पर समुचित खानपान व मिनरल वाटर की सुविधा है जिसका उपयोग सभी यात्रीगण करते है। ट्रेन में पैन्ट्रीकार की व्यवस्था अलग से दी गयी अतिरिक्त सुविधा है जिससे यात्रियों द्वारा भुगतान करने पर खाद्य/पेय पदार्थ उपलब्ध करायी जाती है। रेलवे विभाग द्वारा समय से 2401 अप मगध एक्सप्रेस को नई दिल्ली न पहुंचने के कारण ही यात्रियों की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए डुप्लीकेट 2402 मगध एक्सप्रेस को नई दिल्ली से गन्तव्य स्थान के लिए रवाना किया गया। पैन्ट्रीकार डुप्लीकेट रेक में न लगाना रेलवे विभाग की मजबूरी थी फिर भी रेलवे विभाग ने ध्वनि विस्तारक यंत्र व कोच कण्डक्टर के माध्यम से पैन्ट्रीकार न लगने का कारण यात्रियों को बता दिया था जिसका अनुपालन सभी यात्री किये। रेलवे विभाग यात्रियों की सुविधा का बराबर ध्यान रखती है। परिवादी स्वयं मरीज है तथा वह पेशे से डाक्टर भी है तो उन्हें स्वयं अपने मेडिकल आवश्यकता के अनुसार स्वयं सावधानी बरतनी चाहिए। परिवादी ने अपने स्वास्थ्य सम्बन्धी जरूरत के मुताबिक स्टेशन स्टाल का खाना नहीं खरीदे, जिसके लिए गलत ढंग से दोषारोपण रेलवे विभाग पर कर रहे है परिवादी गलत मुकदमा लडने का आदी है। इस प्रकार रेलवे विभाग द्वारा अपने सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है और अपने व्यवस्था के अनुसार पूरी सुविधा यात्रियों को दी गयी। अतः परिवादी का प्रस्तुत वाद कारण बनावटी है इसलिए निरस्त किये जाने योग्य है।
5-    परिवादी की ओर से स्वयं परिवादी का शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में ट्रेन टिकट की छायाप्रति,परिचारक के पास उपलब्ध शिकायत पुस्तक की छायाप्रति, पूर्व मध्य रेलवे के पत्र दिनांकित 2-12-2010 की छायाप्रति एवं सूचना अधिकार के अर्न्तगत परिवादी के अधिवक्ता द्वारा प्रेषित प्रार्थना पत्र मय रसीद की छायाप्रति दाखिल की गयी है। विपक्षी की ओर से जबाबदावा के समर्थन में वी.के. वर्मा मण्डल वाणिज्य प्रबंधक उत्तर मध्य रेलवे का शपथ पत्र दाखिल है तथा अनुराग सिंह प्रधान चल टिकट परीक्षक तथा रितिराम उप मुख्य टिकट निरीक्षक के भी शपथ पत्र दाखिल है।
6-    परिवादी तथा विपक्षी संख्या 2 की ओर से लिखित तर्क दाखिल किया गया है, उनके अधिवक्तागण की मौखिक बहस भी सुनी गयी, तथा पत्रावली का परिशीलन किया गया।
7-    उभय पक्ष के अधिवक्तागण के तर्को को सुनने तथा उनके लिखित तर्क एवं पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि प्रस्तुत मामले में यह स्वीकृत तथ्य है कि 
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परिवादी ने दिनांक 4-1-2009 को मगध एक्सप्रेस ट्रेन नं0 2402 से नई दिल्ली से मुगलसराय की यात्रा की है।
8-    परिवादी का कथन है कि मगध एक्सप्रेस सुपर फास्ट एक्सप्रेस है जिसमे यात्रियों की सुविधा के लिए पेन्ट्रीकार लगायी जाती है जिसमे भोजन,पानी आदि की व्यवस्था होती है और इसलिए उक्त ट्रेन में पेन्ट्रीकार लगाने की सुविधा के सम्बन्ध में पूर्णतः आश्वस्त होने के बाद ही यात्रा हेतु उक्त ट्रेन में अपना तथा अपनी पत्नी का आरक्षण कराया था लेकिन यात्रा के दौरान जब परिवादी को जरूरत महसूस हुई और उसने टी0टी0ई/कोच अटेन्डेन्ट से पेन्ट्रीकार तथा उसके आफिसियल समय के बारे में तथा खाद्य सामग्री व पानी दिये जाने के सम्बन्ध में पूछा तो कोच अटेन्डेन्ट ने उनकी अपेक्षा कर दी और कोई जबाब नहीं दिया जिसके कारण परिवादी तथा उसकी पत्नी बिना खाये व बिना पानी पीये ही नई दिल्ली से मुगलसराय तक की यात्रा किये। परिवादी गम्भीर रोगों से ग्रस्त है और भोजन पानी न मिलने से उसका व्लडप्रेशर तथा डायविटीज बढ गयी जिससे परिवादी तथा उसकी पत्नी को काफी मानसिक परेशानी झेलनी पडी। परिवादी का कथन है कि उसने मुगलसराय पहुंचने पर इस सम्बन्ध में शिकायत पुस्तिका में शिकायत दर्ज कराया और स्टेशन मास्टर से भी विस्तार पूर्वक अपनी परेशानी को बताया लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला और उसे यह कहा गया कि रेल यात्रा में इसतरह की परेशानी होना सामान्य बात है और इसका कोई निदान नहीं है परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण की ओर से सेवा में कमी की गयी है। अतः वह क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है।
9-    इसके विपरीत विपक्षीगण की ओर से यह अभिकथन किया गया है कि दिनांक 4-1-2009 को अपरिहार्य कारणों से ट्रेन संख्या 2401 अप मगध एक्सप्रेस का मूल रैक समय से नई दिल्ली नहीं पहुंचा जिसके कारण यात्रियों की परेशानी को देखते हुए ट्रेन संख्या 2402 डाऊन मगध एक्सप्रेस का डुप्लीकेट रैक चलाया गया जिसमे पेन्ट्रीकार की सुविधा नहीं थी लेकिन इस बात की उद्धघोषणा नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से अनेक बार करायी गयी थी और ट्रेन के सभी यात्री अपने खान,पान की व्यवस्था भी किये थे लेकिन परिवादी जानबूझकर रेलवे विभाग को परेशान करने की नियत से ट्रेन चलने के तत्काल बाद कोच कन्डक्टर अनुराग सिंह से इस सम्बन्ध में पूछताछ किया तो उसे उपरोक्त सारी बातों से अवगत कराया गया और अनुराग सिंह ने परिवादी द्वारा किये गये परिवाद को टुण्डला स्टेशन पर कार्यवाही हेतु सी.टी.आई. टुण्डला को सौपा था और इसके बाद टुण्डला से मुगलसराय तक उक्त ट्रेन में उप मुख्य निरीक्षक रितिराम कन्डक्टर के रूप में कार्यरत रहे लेकिन परिवादी ने उनसे कभी भी भोजन या पानी आदि की मांग नहीं किया विपक्षीगण का कथन है कि उक्त ट्रेन टुण्डला के बाद फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, इटावा, कानपुर, इलाहाबाद, मिर्जापुर स्टेशन पर ठहरते हुए मुगलसराय पहुंची थी और इन सभी स्टेशनों पर खान,पान व मिनरल वाटर की सुविधा उपलब्ध है जिसका उपयोग सभी यात्रीगण करते है।
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 परिवादी ने केवल रेलवे विभाग को परेशान करने की नियत से परिवाद दाखिल किया है। पेन्ट्रीकार की व्यवस्था रेलवे द्वारा दी गयी एक अतिरिक्त सुविधा है जिसमे यात्रीगण भुगतान करके खा़द्य व पेय पदार्थ प्राप्त करते है। ट्रेन में पेन्ट्रीकार न लगने की सूचना यात्रा के प्रारम्भ में ही नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ध्वनि विस्तारक यंत्र के जरिये बार-बार दी जा चुकी थी रेलवे ने जानबूझकर कोई लापरवाही नहीं है। अतः उसे सेवा में कमी का दोषी नहीं माना जा सकता है। इस आधार पर परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
10-    अपने अभिकथनों के समर्थन में परिवादी की ओर से जो शपथ पत्र दाखिल किया गया है वह परिवाद दाखिल करते समय ही परिवाद के साथ दाखिल किया गया है और उसमे मात्र यही कहा गया है कि परिवादी के पैरा 1 से 11 के कथन सत्य एवं सही है। विपक्षीगण द्वारा अपने जबाबदावा में जो अभिकथन किये गये है उनके जबाब में परिवादी की ओर से रिप्लीकेशन दाखिल नहीं किया गया है। इसी प्रकार विपक्षीगण की ओर से अनुराग सिंह का शपथ पत्र दाखिल किया गया है जो ट्रेन संख्या 2402 में परिवादी की यात्रा वाले दिन टिकट परीक्षक के रूप में तैनात थे उन्होंने अपने शपथ पत्र में स्पष्ट रूप से यह कहा है कि दिनांक 4-1-2009 को मगध एक्सप्रेस का मूल रैक उपलब्ध न होने के कारण उस दिन डुप्लीकेट रैक के साथ ट्रेन को रवाना किया गया जिसमे पेन्ट्रीकार की सुविधा नहीं थी और इस तथ्य के सम्बन्ध में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर स्टेशन प्रबंधक द्वारा उद्घोषणा भी करायी गयी थी उन्होंने शपथ पत्र में यह भी कहा है कि परिवादी ने शिकायत पुस्तिका में पेन्ट्रीकार न लगाये जाने के सम्बन्ध में जो परिवाद किया उसे उन्होनें सी.टी.आई. टूण्डला को सौप दिया था उन्होने यह भी कहा कि परिवादी या अन्य किसी भी यात्री ने उनसे खाने अथवा पीने के पानी की व्यवस्था हेतु नहीं कहा था। इसी प्रकार विपक्षीगण की ओर से उप मुख्य टिकट निरीक्षक रितिराम का भी शपथ पत्र दाखिल किया गया है जो घटना वाले दिन उक्त ट्रेन में टूण्डला से मुगलसराय तक ड्यूटी पर थें इन्होनें शपथ पत्र में यह कहा है कि टूण्डला से मुगलसराय तक के उनके कार्यकाल के दौरान वादी या अन्य किसी यात्री ने खाने,पीने अथवा नाश्ता की व्यवस्था हेतु कोई मांग नहीं किया अगर परिवादी/यात्रियों द्वारा मांग की जाती तो वे वाणिज्य नियंत्रण के माध्यम से अगले ठहराव स्टेशन पर खाना,पानी व नाश्ता की व्यवस्था कर देते। विपक्षीगण की ओर से दाखिल उपरोक्त शपथपत्र के खण्डन में कोई शपथ पत्र परिवादी द्वारा दाखिल नहीं किया गया है अतः इन शपथ पत्रों में किये गये अभिकथन अखण्डित है। विपक्षीगण की ओर से 1991(आरडी) 151 रमाशंकर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य तथा अन्य की विधि व्यवस्था का हवाला दिया गया है जिसमे माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है कि सामान्य तौर पर अखण्डित शपथ पत्रों को नकारा नहीं जा सकता जबतक कि रिकार्ड पर ऐसा कुछ उपलब्ध न हो जिससे शपथ पत्र के अभिकथन असत्य सिद्ध हो जाते हो। प्रस्तुत मामले में पत्रावली पर ऐसा कोई तथ्य या साक्ष्य नहीं है जिसके आधार पर अनुराग सिंह व रितिराम के शपथ पत्रों के अभिकथन को 
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खण्डित किया जा सके। इन दोनों के शपथ पत्रों से यह स्पष्ट है कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर परिवादी की यात्रा प्रारम्भ होने के पूर्व ही माइक द्वारा रेलवे विभाग ने यह उद्घोषणा करा दी थी कि ट्रेन नं0 2402 का सही रैक उपलब्ध न होने के कारण डुप्लीकेट रैक के माध्यम से ट्रेन चलाई जा रही है जिसमे पेन्ट्रीकार की सुविधा नहीं है अतः परिवादी यदि चाहता तो वह अपने भोजन,पानी आदि की व्यवस्था कर सकता था। उपरोक्त शपथ पत्रों में यह भी कहा गया है कि परिवादी ने यात्रा के दौरान कोच अटेन्डेन्ट से कभी भी भोजन, नाश्ता, पानी उपलब्ध कराने के लिए नहीं कहा और इस कथन का खण्डन परिवादी की ओर से किसी प्रतिशपथ पत्र द्वारा नहीं किया गया है अतः उपरोक्त शपथ पत्रों के अभिकथनों को अविश्वसनीय माने जाने का कोई कारण नहीं है। अतः इन्हें विश्वसनीय माना जाता है इसप्रकार पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों से यह सिद्ध होता है कि रेलवे विभाग ने जानबूझकर कोई लापरवाही या सेवा में कमी नहीं की है। समय से रैक उपलब्ध न होने के कारण रेलवे द्वारा डुप्लीकेट रैक के साथ ट्रेन चलायी गयी थी जिसमे पेन्ट्रीकार उपलब्ध न होने की सूचना यात्रा प्रारम्भ होने के पहले ही नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर माइक द्वारा यात्रियों को दे दी गयी थी ऐसी स्थिति में फोरम की राय में विपक्षीगण को सेवा में कमी का दोषी नहीं माना जा सकता है और इस प्रकार परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
                               आदेश
    परिवादी का परिवाद निरस्त किया जाता है। मुकदमें के सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेगे।
 
(लक्ष्मण स्वरूप)                                     (रामजीत सिंह यादव)
 सदस्य                                                अध्यक्ष
                                                 दिनांक-31-1-2017

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop]
MEMBER

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