राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-40/1997
(जिला उपभोक्ता फोरम, अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्या-593/92 में पारित निर्णय दिनांक 29.10.96 के विरूद्ध)
मारूति उद्योग लि0 11 वां फ्लोर, जीवन प्रकाश 25, कस्तूरबा गांधी
मार्ग, न्यू दिल्ली 110001 .....अपीलार्थी
बनाम
श्री चंपत सिंह पुत्र श्री रूपम सिंह निवासी केला भवन जयागंज
अलीगढ़ व एक अन्य। ......प्रत्यर्थीगण
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अंकित श्रीवास्तव, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 12.04.2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 593/92 में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 29.10.1996 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है।
2. परिवाद के तथ्य के अनुसार परिवादी ने एक मारूति ओमनी कार प्रत्यर्थी संख्या 2 रोहन मोटर्स से क्रय की थी। सेन्ट्रल एक्साइज ड्यूटी की छूट पूर्ण करने के लिए 2 शर्तों की पूर्ति आवश्यक है:- (ए) सहायक कलेक्टर सेन्ट्रल एक्साइज सहमत हों कि कार का क्रय टैक्सी के लिए किया जा रहा है। (बी) उत्पादक द्वारा इस आशय का प्रमाणपत्र दिया जाए कि कार का पंजीयन टैक्सी के रूप में हुआ है। यह प्रमाणपत्र 3 महीने के अंदर दिया जाना चाहिए। केन्द्रीय एक्साइज प्राधिकारी ही एक्साइज ड्यूटी को माफ करने का निर्णय ले सकते हैं। यदि एक्साइज ड्यूटी माफ कर दी जाती है तब अपीलार्थी द्वारा छूट से प्राप्त राशि क्रेता को प्रदान करा दी जाती है।
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अपीलार्थी ने दि. 29.02.92 का व्हीकिल विक्रय किया। प्रत्यर्थी संख्या 1 के लिए आवश्यक था कि वह 45 दिन के अंदर पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रस्तुत करते, परन्तु परिवादी द्वारा गलत दस्तावेज प्रेषित किए गए। वह एक्साइज नोटीफिकेशन संख्या 162/86 के अनुसार औपचारिकताएं पूर्ण करने में विफल रहे। दि. 02.06.92 को दस्तावेज प्राप्त हुए। देरी के साथ यह दस्तावेज सेन्ट्रल एक्साइज आथर्ट्रीज को दि. 05.06.92 को प्रेषित किए गए। चूंकि परिवादी ने देरी से दस्तावेज प्रस्तुत किए, इसलिए परिवादी द्वारा एक्साइज ड्यूटी दि. 05.06.92 को जमा करा दी गई, परन्तु जिला उपभोक्ता मंच ने इन सब तथ्यों पर कोई विचार नहीं किया गया और एक्साइज ड्यूटी के संबंध में त्रुटिपूर्ण निर्णय/आदेश पारित किया गया है।
3. केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना। प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
4. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि 3 माह के अंदर परिवादी ने पंजीकरण तथ अन्य वांछित दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए, इसलिए 3 माह पश्चात अपीलार्थी द्वारा एक्साइज ड्यूटी की धनराशि एक्साइज कार्यालय में जमा करा दी गई। यदि परिवादी द्वारा देय एक्साइज ड्यूटी कभी भी माफ नहीं हो सकी, इसलिए अपीलार्थी इस राशि को लौटाने के लिए उत्तरदायी नहीं है।
5. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के पश्चात यह विधिक स्थिति स्पष्ट है कि एक्साइज ड्यूटी माफ करने का निर्णय लेने का अधिकार एक्साइज विभाग को प्राप्त है। जब तक एक्साइज विभाग द्वारा ड्यूटी माफ नहीं कर दी जाती तब तक मारूति उद्योग लि0 एक्साइज ड्यूटी
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की राशि वाहन क्रेता को वापस नहीं लौटा सकते, अत: जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय विधि के विरूद्ध है, जो अपास्त होने योग्य है।
आदेश
6. अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय भार स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की
वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2