राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
परिवाद सं0 :- 34/2012
Smt Madhuri Kesarwani a/a 38 years w/o late Dhirendra kumar kesarwani resident of village and post paschim Sarira, District Kaushambi- 212214
- Birla Sunlife Insurance Company Limited, through its Branch manager Branch Office at IInd Floor, J.S Tower, 16/0106, mall Road Kanpur.
- Birla Sunlife Insurance Company Limited, Claims Department, Through its Authorized signatory, G corp Tech park, 6th Floor kasar Vadavali, Ghodbhunder Road, Thane West-400601
……………Opp. parties
समक्ष
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
- मा0 डॉ0 आभा गुप्ता, सदस्य
उपस्थिति:
परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री यू0के0 श्रीवास्तव
विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री अविनाश शर्मा
दिनांक:-11.05.2022
माननीय डॉ0 आभा गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवादी द्वारा यह परिवाद धारा 17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत परिवाद सं0 34/2012 श्रीमती माधुरी केसरवानी द्वारा परिवाद इस आधार पर दाखिल किया गया है कि परिवादी के पति धीरेन्द्र कुमार केसरवानी का देहांत दिनांक 20.07.2011 को स्वरूप रानी नेहरू हॉस्पिटल, इलाहाबाद में कार्डिएक पल्मोनली अरेस्ट की वजह से हुआ, जहां पर उन्हें दिनांक 17.07.2011 को भर्ती किया गया था। श्री धीरेन्द्र कुमार केसरवानी का मेडिकल इंश्योरेंस 02 इंश्योरेंस एजेण्ट श्री सैय्यद तुलसी एण्ड भारत भाटिया के द्वारा किया गया और एक पॉलिसी बाण्ड लाइफ इंश्योरेंस पालिसी बिरला सनलाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड के द्वारा श्री धीरेन्द्र कुमार केसरवानी द्वारा उनके माध्यम से ली गयी पॉलिसी के तहत 6,81,000+50,00,000 कुल धनराशि रू0 56,81,000/- का कवरेज 25 साल की अवधि के लिए प्रीमियम की धनराशि 24,208.08 एवं बढ़ी हुई प्रीमियम की धनराशि रू0 30,250/- कुल प्रीमियम धनराशि रू0 54,458.08/- वार्षिक प्रीमियम के 25 वर्ष के प्लान के तहत ली गयी। पहला प्रीमियम दिनांक 31.08.2010 को कुल धनराशि 54,458.08/- रू0 का भुगतान किया गया। इस हेतु कम्पनी के द्वारा परिवादी के पति का मेडिकल चेकअप उनके द्वारा बताये गये सेण्टर पर जो कि मॉडर्न एक्सरे और पैथोलॉजी हॉस्पिटल रोड, परेड, कानपुर में स्थित है, से कराया गया तत्पश्चात सभी औपचारिताओं से संतुष्ट होने के पश्चात कम्पनी के द्वारा पॉलिसी बॉण्ड और पॉलिसी दिनांक 31.08.2010 में प्रारंभ की गयी। इस पॉलिसी के तहत मृत्यु लाभ भी दिया जाना था, जिसमें यदि पॉलिसी धारक की मृत्यु पॉलिसी टर्म में हो जाती है तो कम्पनी पॉलिसी फण्ड की मूल कीमत और मैच्योरिटी बेनेफिट बीमाधारक के नॉमिनी को भुगतान करने के लिए बाध्य थी। परिवादी श्री धीरेन्द्र कुमार केसरवानी के नॉमिनी के रूप में नामित थी। माह जुलाई 2011 में अचानक श्री धीरेन्द्र कुमार केसरवानी के पेट में दर्द हुआ, जिस हेतु उनका इलाज एस0आर0एन0 हॉस्पिटल, इलाहाबाद में प्रारंभ हुआ और दिनांक 17.07.2011 को उन्हें भर्ती कर लिया गया, जहां भर्ती रहते हुए अचानक दिनांक 20.07.2011 को परिवादी के पति की मृत्यु कार्डियक पल्मोनली अरेस्ट से हुई। परिवादी द्वारा 25 अगस्त 2011 को मृत्यु क्लेम फार्म भरकर कम्पनी से सम्पर्क किया गया और सभी वांछित अभिलेख कम्पनी के परीक्षण और मृत्यु क्लेम के भुगतान के लिए दस्तावेज प्रस्तुत किये गये तत्पश्चात कम्पनी के अधिकृत व्यक्तियों के द्वारा कई बार परिवादिनी से मुलाकात की गयी और काफी पूछताछ की गयी। बाद में एक अधिकृत व्यक्ति के द्वारा यह बताया गया कि जो अभिलेख पॉलिसी के वक्त दाखिल किये गये थे वह सही नहीं पाये गये। दिनांक 31.10.2011 को कम्पनी के द्वारा एक पत्र इस आशय का भेजा गया कि परिवादिनी के पति द्वारा मात्र आयु प्रमाण पत्र, पैन कार्ड एवं लोकल एड्रैस प्रूफ ही प्रस्तुत किया गया और कोई भी अभिलेख नहीं दिये गये। परिवादिनी द्वारा कई बार कम्पनी के अधिकारियों से सम्पर्क किया गया, परंतु निरर्थक पूछताछ करके कम्पनी के द्वारा उसका उत्पीड़न ही किया गया। दिनांक 23.01.2012 को कम्पनी के द्वारा मृत्यु क्लेम को रेपुडिएट कर दिया गया, परंतु कोई भी लिखित में इस आशय का पत्र नहीं दिया गया कि परिवादी का क्लेम निरस्त किया जाता है और क्या आधार निरस्त करने के दिये गये हैं, यह भी नहीं बताया गया। बाद में कई बार प्रयास करने के पश्चात दिनांक 23.01.2012 का रेपुडिएशन लेटर 10.02.2012 को दिया गया, जिसमें मृत्यु क्लेम को निरस्त करने के तीन आधार दिये गये, जिनमें पहला आधार यह था कि बिरला सनलाइफ इंश्योरेंस कम्पनी से पॉलिसी लेने से पूर्व भी परिवादिनी के पति द्वारा कोई पॉलिसी ली गयी थी। दूसरा चिकित्सीय परीक्षण रिपोर्ट दिनांक 11.08.2010 गलत है और तीसरा इनकम टैक्स रिटर्न जो परिवादिनी के पति के द्वारा दाखिल किया गया इनकम प्रमाण पत्र के तौर पर, वह एक झूठा अभिलेख था। इस प्रकार बिना तथ्य की जानकारी किये इंश्योरेंस कम्पनी के द्वारा मृत्यु क्लेम को निरस्त कर दिया गया जो कि सेवा में कमी का प्रतीक है। अत: परिवादिनी को इंश्योरेंस कम्पनी के द्वारा 56,81,000/- मृत्यु क्लेम के रूप में 2,00,000/- रू0 मानसिक संताप, 1,00,000/- क्षतिपूर्ति तथा 50,000/- वाद व्यय के रूप में इंश्योरेंस कम्पनी से दिलाया जाये।
प्रतिपक्षी बिरला लाइफ इंश्योरेंस के द्वारा अपने प्रतिवाद पत्र में कहा गया है कि परिवादिनी के पति ने इस तथ्य को इंश्योरेंस कम्पनी से छुपाया कि उसका पूर्व में भी लीवर सिरोसिस का इलाज स्वरूप रानी नेहरू हॉस्पिटल, इलाहाबाद में चला है, जिसकी पुष्टि के लिए उनके द्वारा अस्पताल के पर्चे भी दाखिल किये गये जो कि पत्रावली पर पृष्ठ सं0 23 है। यह पर्चा 17.07.2011 का है, जब श्री धीरेन्द्र कुमार केसरवानी को हॉस्पिटल मे भर्ती कराया गया था। इसके अतिरिक्त अन्य पर्चे भी दाखिल किये गये हैं, जिनमें लीवर सिरोसिस के कारण पेट में पानी भर जाने की स्थिति में पेट से पानी निकाला गया है। प्रतिपक्षी का यह कहना है कि श्री धीरेन्द्र कुमार केसरवानी के द्वारा पूर्व से ही इलाज कराया जाता रहा है और उन्होंने चिकित्सीय परीक्षण में गलत आख्या प्रस्तुत की है। इसकी पुष्टि में उनके द्वारा कमला नेहरू अस्पताल के कुछ पर्चे तथा केस सीट के पन्नों की छायाप्रति दाखिल की गयी है, जिसमें पेट में पानी के होने का इलाज किया गया है, जिसमें तिथि दिनांक 24.05.2010 है। जो इस बात की पुष्टि करती है कि वह पूर्व से ही बीमार थे और उनके द्वारा गलत जानकारी दी गयी है इस कारण परिवादी को मृत्यु क्लेम का भुगतान नहीं किया गया। इसके अतिरिक्त प्रतिपक्षी के द्वारा यह भी कहा गया कि वह लीवर सिरोसिस के लिए पार्वती हॉस्पिटल, इलाहाबाद मे भी भर्ती रहे थे, जहां उनको सिरोसिस के लिए उपचार किया गया था और वहां 15.08.2009 में उनको वहां से डिस्चार्ज किया गया था, इसकी पुष्टि में डिस्चार्ज कार्ड की कॉपी प्रस्तुत की गयी है। अत: प्रतिपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है और परिवादी का परिवाद निरस्त होने योग्य है अपने कथन के समर्थन में प्रतिपक्षी के द्वारा Dinesh Bhai Chandrana V/s Life Insurance Corporation and another (FA No 242 of 2006, D.O.D. 27.07.2010), Satwant Kaur Sandhu V New India Assurance Company Limited [(2009) 8 SCC 316] and P.C Chako and Anr, Vs Chairman, Life Insurance Corporation of India and Ors, 2007 (13) Scale 329 का उल्लेख किया है इन सब की पुष्टि के लिए और यह कहा है कि उनके अनुसार जानबूझकर कोई व्यक्ति गलत सूचना देता है, जिस प्रकार से श्री धीरेन्द्र कुमार केसरवानी के द्वारा अपनी पूर्व की चिकित्सीय इतिहास के लिए लिये कहा गया। लम्बा उपचार हुआ है। चिकित्सा पूर्व की है और उन्होंने पूर्व में पॉलिसी ली थी, इन सब आधार पर पार्टी के बीच में कान्ट्रैक्ट का उल्लंघन किया है और इस तरीके से कान्ट्रैक्ट लागू नहीं होता है और उनको कोई क्लेम नहीं दिया जा सकता। अत: परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त किया जाए।
हमारे द्वारा पत्रावली पर उपलब्ध प्रतिपक्षी और परिवादी के कथनों और उनकी पुष्टि के लिए जो अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं उनका ध्यानपूर्वक परिशीलन किया गया यह तथ्य स्पष्ट है कि श्री धीरेन्द्र कुमार केसरवानी के द्वारा बाकायदा प्रीमियम की धनराशि का भुगतान करते हुए बीमा पॉलिसी प्रतिपक्षी बिरला सनलाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड से क्रय की गयी थी, जिसके अनुसार उनकी मृत्यु होने पर भी उनको क्लेम का भुगतान किया जाना पॉलिसी के अंतर्गत बाध्यकारी था। विभिन्न पर्चों की छायाप्रतियां जो प्रतिपक्षी के द्वारा इस आशय से प्रस्तुत की गयी हैं कि बीमा धारक श्री धीरेन्द्र कुमार के द्वारा अपनी बीमारी के पूर्व इलाज को छुपाया गया, उनके अवलोकन से यह स्पष्ट हो रहा है कि जहां लीवर सिरोसिस में पेट से पानी का निकालने का इंद्राज किया गया है, वहां केस सीट पर मरीज का नाम भी लिखा हुआ है। परिवादिनी के द्वारा जो मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी है और जो बीमा पॉलिसी के बाण्ड के साथ सूचना संलग्न की गयी है, उनसे भी यही स्पष्ट हो रहा है कि पॉलिसी लेते वक्त जो चिकित्सीय परीक्षण बीमा कम्पनी के बताये हुये मेडिकल सेण्टर से कराया गया। उसमें कोई भी रिपोर्ट ऐसी नहीं आयी है, जिससे इस बात की पुष्टि हो की बीमा धारक को लीवर से संबंधित कोई बीमारी है तथा जो अन्य पर्चें हैं, जिनमें लीवर सिरोसिस और एसाइटिस (ascitis) का इंद्राज है, उन सभी पर्चों में किसी मरीज के नाम का इंद्राज नहीं है और वह पर्चे मृत्यु के तत्काल पहले पेट में दर्द के कारण भर्ती कराने के दौरान उक्त चिकित्सा प्राप्त की है, वहीं पीरियड लिखा हुआ है 2011 की, जो कि बीमा पॉलिसी के तहत कवर्ड थी। पॉलिसी प्रारंभ होने के बाद हुई है और इस प्रकार सभी तथ्यों का पूर्ण परीक्षण करने के उपरान्त ही पॉलिसी बाण्ड जारी किया जाता है। इस तथ्य से बीमा कम्पनी बिरला सनलाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड इंकार नहीं कर सकती थी तथा जो भी चिकित्सीय परीक्षण करवाये गये, वे भी उन्हीं के बताये हुई मेडिकल सेण्टर पर करवाये गये हैं। अत: उन्हें भी कम्पनी फर्जी नहीं बता सकती। बाद में यह कहना कि अभिलेख और चिकित्सीय परीक्षण रिपोर्ट सब फर्जी है किसी भी तरीके से सही नहीं कहा जा सकता। इसके अतिरिक्त पार्वती हॉस्पिटल से अभिलेखों सहित श्री विजयकांत मिश्रा, मैनेजर पार्वती हॉस्पिटल उपस्थित हुए और अपना लिखित कथन/शपथ पत्र भी दाखिल किया। लिखित कथन में उनके द्वारा इस तथ्य से इंकार किया गया कि श्री धीरेन्द्र कुमार केसरवानी को कभी पार्वती हॉस्पिटल में लिवर सिरोसिस के मरीज के रूप में भर्ती किया गया हो अथवा उनका इलाज पार्वती हॉस्पिटल में चला हो। उनके द्वारा प्रतिपक्षी द्वारा दाखिल डिस्चार्ज कार्ड जो श्री धीरेन्द्र कुमार केसरवानी के पार्वती हॉस्पिटल में भर्ती एवं इलाज से संबंधित था, को फर्जी बताया गया। यह कहा गया कि यह डिस्चार्ज कार्ड जो उनके द्वारा जारी दिखाया गया है, फर्जी है। श्री धीरेन्द्र केसरवानी कभी भी पार्वती हॉस्पिटल में भर्ती नहीं हुए। अत: परिवादी का परिवाद स्वीकार करने योग्य है।
परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। बीमा कम्पनी को निर्देशित किया जाता है कि मृत्यु क्लेम के रूप में 56,81,000/- रू0 इस निर्णय की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित भुगतान तत्काल करे। ब्याज की गणना परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक की जायेगी। इसके अतिरिक्त विपक्षी बीमा कम्पनी मानसिक एवं शारीरिक संताप के रूप में 20,000/- रू0 तथा परिवाद व्यय के रूप में 5,000/- भी उपरोक्त अवधि में परिवादिनी को अदा करें।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (डा0 आभा गुप्ता) सदस्य सदस्य
संदीप, आशु0 कोर्ट 3