(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-40/2012
श्रीमती जयवती पत्नी नौबत सिंह व अन्य
बनाम
भूमि विकास बैंक
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री प्रतीक सक्सेना, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री हेमराज मिश्रा, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक: 06.12.2024
माननीय श्री सुशील कुमार सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-52/2008, श्रीमती जयवती व अन्य बनाम भूमि विकास बैंक में विद्वान जिला आयोग, बिजनौर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 17.12.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज किया है कि विपक्षी बैंक के स्तर से सेवा में कोई कमी साबित नहीं है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार आराजी खसरा 25/3 रकबई 1.265 हे0 का विक्रय कर परिवादिनी ने अपने पक्ष में कराया, इसके पश्चात सिविल वाद सं0 713/99 में विक्रय पत्र निष्पादित करने का आदेश पारित हुआ, परंतु परिवादीगण को ज्ञात हुआ कि भूमि विक्रेता झुण्डे ने विक्रीत जमीन को बैंक के पास गिरवी रखा हुआ था।
4. बैंक का कथन है कि झुण्डे सिंह ने गिरवी रख ऋण प्राप्त किया, इसलिए बैंक ऋण की वसूली करने के लिए अधिकृत है।
5. विधि का यह सुस्थापित सिद्धांत है कि कोई विक्रेता किसी क्रेता को केवल वह अधिकार प्रदान करता है, जो उसके पास पूर्व से मौजूद है। प्रस्तुत केस में झुण्डे नामक व्यक्ति द्वारा परिवादीगण द्वारा क्रय की गयी सम्पत्ति बैंक के पक्ष में बंधक रखी गयी थी, इसलिए बंधक धन चुकाये बिना यह सम्पत्ति विक्रय नहीं हो सकती थी। परिवादीगण द्वारा यह सम्पत्ति भार के अधीन क्रय की गयी है, इसलिए बैंक को सम्पत्ति से अपना ऋण वसूल करने का पूरा अधिकार प्राप्त है। बैंक के स्तर से सेवा में कोई कमी परिवादीगण के प्रति नहीं की गयी है, इसलिए अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट नं0 2