राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण संख्या-6/2018
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम-प्रथम, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या 1064/2012 में पारित आदेश दिनांक 17.10.2017 के विरूद्ध)
M/s. Viraj Distributors Pvt. Ltd., A Company incorporated under Companies Act, 1956, 55, Purana Quila, Lucknow Through its Director Sri R.K. Agarwal.
....................पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षी
बनाम
1. M/s Bee Gee Projects India Pvt. Ltd., a company incorporated under the provisions of Companies Act, 1956 having its registered office at 49/65, 1st Floor, Naughara, Kanpur Nagar through its Director Alok Krishna Gupta.
2. Volkswagon Group Sales India Ltd 3RD North Avenue Bandra Kurla Complex Bandra East Mumbai 51 ................विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री सचिन गर्ग,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री मो0 अबरार,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 15-06-2018
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-1064/2012 बी0जी0 प्रोजेक्ट इण्डिया बनाम विराज डिस्ट्रब्यूटर्स प्रा0लि0 में जिला फोरम-प्रथम, लखनऊ द्वारा
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पारित आदेश दिनांक 17.10.2017 के विरूद्ध यह पुनरीक्षण याचिका धारा-17 (1) (बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सचिन गर्ग और विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मो0 अबरार उपस्थित आए हैं।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
पुनरीक्षण याचिका के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि उपरोक्त परिवाद में दिनांक 27.07.2016 साक्ष्य परिवादी हेतु तिथि नियत थी, परन्तु उस दिन परिवाद में परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: जिला फोरम ने साक्ष्य परिवादी का अवसर समाप्त कर दिया और साक्ष्य विपक्षी हेतु दिनांक 19.09.2016 तिथि नियत की। तदोपरान्त परिवादी की ओर से प्रार्थना पत्र दिनांक 19.09.2016 को साक्ष्य का अवसर दिए जाने हेतु प्रस्तुत किया गया, जिसे जिला फोरम ने आक्षेपित आदेश के द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा RELIANCE GENERAL INSURANCE CO. LTD AND ANR Vs. M/S MAMPEE TIMBERS AND HARDWARES PVT. LTD AND ANR IN CIVIL APPEAL No…………….OF 2017 OF (D.No. 2365 OF 2017) के वाद में पारित निर्णय दिनांकित 10.02.2017 में प्रतिपादित सिद्धान्त के आधार पर स्वीकार कर
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लिया है और साक्ष्य परिवादी हेतु तिथि नियत किया है, जिससे क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी ने यह पुनरीक्षण याचिका प्रस्तुत की है।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने राजीव हितेन्द्र पाठक व अन्य बनाम अच्युत कशीनाथ कारेकर व अन्य IV (2011) सी0पी0जे0 35 (एस0सी0) के वाद में दिए गए निर्णय में यह माना है कि राज्य आयोग और जिला फोरम को अपने पूर्व पारित आदेश को रिकाल करने का अधिकार नहीं है। अत: जिला फोरम ने एक बार आदेश दिनांक 27.07.2016 के द्वारा परिवादी का साक्ष्य समाप्त कर दिया है तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त के आधार पर जिला फोरम अपने ही आदेश को रिकाल नहीं कर सकता है।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र स्वीकार कर जिला फोरम द्वारा परिवादी को साक्ष्य का अवसर प्रदान किया जाना आदेश दिनांक 27.07.2016 को अपास्त किया जाना है, जिसका जिला फोरम को अधिकार नहीं है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश विधि विरूद्ध है और निरस्त किए जाने योग्य है।
विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा RELIANCE GENERAL INSURANCE CO. LTD AND ANR Vs. M/S
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MAMPEE TIMBERS AND HARDWARES PVT. LTD AND ANR IN CIVIL APPEAL No…………….OF 2017 OF (D.No. 2365 OF 2017) के वाद में पारित निर्णय दिनांकित 10.02.2017 में प्रतिपादित सिद्धान्त के आधार पर परिवादी को
साक्ष्य हेतु अवसर प्रदान किया है, जो विधि विरूद्ध नहीं कहा जा सकता है।
हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा RELIANCE GENERAL INSURANCE CO. LTD AND ANR Vs. M/S MAMPEE TIMBERS AND HARDWARES PVT. LTD AND ANR के वाद में पारित निर्णय 45 दिन की निर्धारित समय-सीमा के बाद प्रस्तुत लिखित कथन के विलम्ब को क्षमा कर लिखित कथन ग्रहण किए जाने के सम्बन्ध में है, परन्तु माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने राजीव हितेन्द्र पाठक व अन्य बनाम अच्युत कशीनाथ कारेकर व अन्य के उपरोक्त वाद में यह स्पष्ट रूप से कहा है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत ऐसा कोई प्राविधान नहीं है, जिसके अन्तर्गत राज्य आयोग और जिला फोरम अपने पूर्व पारित आदेश पर पुनर्विचार कर सके अथवा उसे रिकाल कर सके। अत: पूर्व पारित आदेश पर पुनर्विचार करने या उसे रिकाल करने का अधिकार राज्य आयोग और जिला फोरम को नहीं है। अत: जब जिला फोरम ने परिवादी का साक्ष्य समाप्त करने का स्पष्ट आदेश पारित कर दिया है तो उसे रिकाल करने और परिवादी को साक्ष्य
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का अवसर प्रदान करने का अधिकार जिला फोरम को माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राजीव हितेन्द्र पाठक व अन्य बनाम अच्युत कशीनाथ कारेकर व अन्य के उपरोक्त वाद में दिए गए निर्णय में प्रतिपादित सिद्धान्त के आधार पर नहीं है। ऐसी स्थिति में हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने जो आदेश दिनांक 27.07.2016 को रिकाल कर साक्ष्य परिवादी हेतु तिथि नियत किया है वह उचित नहीं है। अत: पुनरीक्षण याचिका स्वीकार करते हुए जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश दिनांक 17.10.2017 अपास्त किया जाता है। जिला फोरम परिवाद में अग्रिम कार्यवाही विधि के अनुसार सम्पादित करे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (महेश चन्द)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1