Uttar Pradesh

StateCommission

C/2014/95

Sushant Kumar Dey - Complainant(s)

Versus

Bank of Baroda & Other - Opp.Party(s)

Ananttika Singh & Vivek Raj Singh

06 Feb 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2014/95
( Date of Filing : 08 Jul 2014 )
 
1. Sushant Kumar Dey
924, Shekhupura Vikas Nagar Sector 4, Lucknow
...........Complainant(s)
Versus
1. Bank of Baroda & Other
Suraj Plaza, Baroda
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 06 Feb 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

परिवाद संख्‍या-95/2014

सुशांत कुमार डे पुत्र स्‍व0 बिभूति भूषण डे निवासी मकान नं9

924, शेखूपुरा अपोजिट विकास नगर सेक्‍टर 5, लखनऊ।

                                           ...........परिवादी

बनाम्

बैंक आफ बड़ौदा, रजिस्‍टर्ड/हेड आफिस, सूरज प्‍लाजा(16 वां तल)

सयाजीगंज, मगनवाड़ी, बड़ौदा-390005 व 6 अन्‍य।

                                           .......विपक्षीगण

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से उपस्थित   :  श्री सुशांत कुमार, स्‍वयं

विपक्षीगण की ओर से उपस्थित :  श्री एच0पी0 श्रीवास्‍तव, विद्वान

                             अधिवक्‍ता।

दिनांक 13.03.2023

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   यह परिवाद परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध रू. 5179000/- की क्षति की पूर्ति के लिए, दो वर्ष के बीमे की प्रीमियम राशि रू. 69688/- की वापसी के लिए, मानसिक प्रताड़ना के मद में अंकन 20 लाख रूपये प्राप्‍त करने के लिए तथा उन समस्‍त राशियों पर 12 प्रतिशत ब्‍याज एवं रू. 25000/- वाद व्‍यय प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है।

2.   परिवाद के तथ्‍य के अनुसार गृह ऋण के लिए विपक्षीगण द्वारा 40 लाख रूपये का ऋण अगस्‍त 2013 में स्‍वीकृत किया गया, जिसमें 27.90 लाख रूपये बैंक आफ बड़ौदा ने बैंक आफ इंडिया को सीधे अदा किया और अंकन 20 लाख रूपये डेयरी उद्योग के लिए स्‍वीकृत किया गया, परन्‍तु केवल 8 लाख रूपये जारी किए गए, शेष राशि 12 लाख

-2-

रूपये परिवादी को प्रदान करने के लिए अनुरोध करते रहे। विपक्षी संख्‍या 6 द्वारा परिवादी को जनवरी 2014 में सूचित किया गया कि परिवादी का ऋण खाता एन.पी.ए. हो गया है। परिवाद ने 12 लाख रूपये प्राप्‍त न कराने के कारण जो डेयरी व्‍यापार के लिए स्‍वीकृत किए गए थे ऋण की अदायगी में अपनी असमर्थता जताई। दि. 30.01.14 को परिवादी ने विपक्षी संख्‍या 5 को सूचित किया कि वह अपना व्‍यापार जारी रखने में समर्थ नहीं हैं और उसके सभी विवरण गृह ऋण में शामिल कर दिया जाए। इस पत्र पर कोई विचार नहीं किया और भुगतान का दबाव बनाते रहे। दि. 24.05.14 को सभी ऋणों का भुगतान करते हुए तथा अंकन रू. 5179000/- का नुकसान उठाते हुए खाता बंद कर दिया गया, जिसके कारण परिवादी को अत्‍यधिक हानि उठानी पड़ी, तदनुसार क्षतिपूर्ति के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.   परिवाद पत्र के समर्थन में शपथपत्र एवं दस्‍तावेजी साक्ष्‍य प्रस्‍तुत की गई है।

4.   विपक्षीगण की तरफ से पेश लिखित कथन में कथन किया गया कि परिवादी ने सब रोजगार योजना के लिए ऋण प्राप्‍त नहीं किया था, अपितु व्‍यापारिक उद्देश्‍य के लिए ऋण प्राप्‍त किया था, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय नहीं है। विपक्षी संख्‍या 5 द्वारा बैंक आफ इंडिया का ऋण चुकाने के लिए 40 लाख रूपये का ऋण स्‍वीकृत किया गया, जिसमें 27.90 लाख रूपये बैंक आफ इंडिया को अदा कर दिए गए थे। अंकन 20 लाख रूपये का ऋण डेयरी उद्योग के लिए स्‍वीकृत किया गया, जिसका भुगतान 58 मासिक किश्‍तों में दिसम्‍बर

-3-

2013 तक होना था। अंकन 8 लाख रूपये भैंस क्रय करने के लिए जारी किए गए, परन्‍तु परिवादी ने शर्तों का अनुपालन नहीं किया गया और स्‍थानीय बाजार से भैंस क्रय कर ली गई, जबकि पंजाब या हरियाणा की भैंस क्रय करने का वायदा हुआ था, इसलिए फंड का दुरूपयोग किया गया। अवशेष 12 लाख रूपये की राशि का वितरण रोक दिया गया, इसलिए स्‍वयं परिवादी के आचरण के कारण स्‍वीकृत ऋण की अवशेष राशि का वितरण रोका गया, इसके लिए कदाचित विपक्षीगण उत्‍तरदायी नहीं हैं।

5.   लिखित कथन के समर्थन में शपथपत्र तथा दस्‍तावेजी साक्ष्‍य प्रस्‍तुत की गई।

6.   परिवादी स्‍वयं को सुना गया तथा विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एच.पी. श्रीवास्‍तव को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.   प्रस्‍तुत केस के तथ्‍यों के अवलोकन से जाहिर होता है‍ कि परिवादी द्वारा 2 ऋण प्राप्‍त किए गए। प्रथम ऋण अंकन 40 लाख रूपये का ऋण प्राप्‍त किया गया, जिसमें से 27.90 लाख रूपये पूर्व बैंक को अदा कर दिए गए, जिसे परिवादी द्वारा ऋण प्राप्‍त किया गया था, अत: गृह ऋण के संबंध में कोई विवाद की स्थिति मौजूद नहीं है, जिसका निस्‍तारण इस पीठ द्वारा किया जाए।

8.   विवाद की स्थिति केवल यह है कि क्‍या 20 लाख रूपये ऋण स्‍वीकार करने के बावजूद परिवादी को केवल 8 लाख रूपये का वितरण करने और अवशेष राशि 12 लाख रूपये का वितरण न करना सेवा में कमी है ?  ऋण प्राप्‍त करने के बाद ऋण का समुचित उपभोग करना

-4-

ऋण ग्रहिता का दायित्‍व है। प्रस्‍तुत केस में विपक्षीगण का यह कथन है कि परिवादी को 20 लाख रूपये का ऋण स्‍वीकार किया गया और प्रथम किश्‍त अंकन 8 लाख रूपये पंजाब या हरियाणा की उत्‍तम नस्‍ल की भैंस क्रय करने का अनुबंध किया गया था ताकि उत्‍तम नस्‍ल की भैंसों से अधिक दूध का उत्‍पादन हो सके और परिवादी ऋण की अदायगी कर सके, परन्‍तु परिवादी द्वारा गोसाई गंज लखनऊ स्थित स्‍थानीय पशु बाजार से भैंस क्रय कर ली गई और इस प्रकार ऋण स्‍वीकृति की संविदा का उल्‍लंघन किया गया, इसलिए अवशेष ऋण जारी नहीं किया गया। यह सही है कि यदि बैंक द्वारा एक बार ऋण स्‍वीकार कर लिया जाता है तब स्‍वीकृत ऋण की राशि का वितरण ऋण ग्रहिता को किया जाना चाहिए, परन्‍तु यह नियम शाश्‍वत नहीं है, यदि ऋण ग्रहिता ऋण प्राप्‍त करने के लिए निर्धारित शर्तों का अनुपालन नहीं करता और उनका उल्‍लंघन करता है तब बैंक को यह अधिकार प्राप्‍त है कि वह स्‍वीकृत ऋण की अवशेष अवतरित राशि का वितरण बंद कर दे। प्रस्‍तुत केस में बैंक द्वारा यही कार्य प्रणाली अमल में लायी गई है, जो विधिसम्‍मत है। स्‍वीकृत ऋण की प्राप्‍त राशि को प्राप्‍त करने का किसी उपभोक्‍ता का कानूनी अधिकार नहीं है। इस अधिकार की प्राप्ति के लिए वह अनुबंध की शर्तों का अनुपालन ज्‍यों का त्‍यों करने के लिए बाध्‍य है और यदि शर्तों के अनुपालन में विफल रहते हैं तब यह नहीं कहा जा सकता कि बैंक द्वारा स्‍वीकृत ऋण की अवशेष राशि के वितरण को रोकने में सेवा में कोई कमी की है, इसलिए यह उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय नहीं है। परिवादी किसी प्रकार का अनुतोष प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत नहीं है।

-5-

आदेश

9.   परिवाद खारिज किया जाता है।

     उभय पक्ष अपना-अपना परिवाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

         

       (सुशील कुमार)                      (राजेन्‍द्र सिंह)                                                                                                                                                   सदस्‍य                            सदस्‍य 

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

        (सुशील कुमार)                      (राजेन्‍द्र सिंह)                                                                                                                                                   सदस्‍य                             सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

कोर्ट-2

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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