राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-244/2015
सरफराज अख्तर खान पुत्र श्री वाजिद अली खान निवासी ब्रम्ह नगर
थर्ड लेन राबर्टसगंज, सोनभद्र। .....अपीलार्थी@परिवादी
बनाम
ब्रांच मैनेजर बैंक आफ बड़ोदा व एक अन्य। .......प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एच0के0 श्रीवास्तव, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 02.12.2022
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 58/2014 सरफराज अख्तर खान बनाम शाखा प्रबंधक बैंक आफ बड़ौदा व एक अन्य में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 13.01.2015 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। विद्वान जिला फोरम ने परिवादी का परिवाद निरस्त किया है।
2. परिवादी सरफराज अख्तर खान ने यह परिवाद इन अभिकथनों के साथ प्रस्तुत किया कि परिवादी का एक बचत खाता विपक्षी बैंक के पास है, जिसमें ए.टी.एम की सुविधा प्राप्त है। परिवादी ने दि. 06.02.13 को बैंक आफ बड़ौदा के ए.टी.एम से इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर एक हजार रूपये निकालने का प्रयास किया, किंतु रूपये नहीं निकले, जिसको सी.सी टी.वी कैमरे से देखा जा सकता है। परिवादी ने पुन: एक हजार रूपये निकालने के लिए पिन डाला, किंतु पुन: ए.टी.एम मशीन से रूपये बाहर नहीं आया। परिवादी के मोबाइल पर दो बार मैसेज आए, जिस पर यह विवरण था कि परिवादी ने दि. 06.02.14 को रू. 15000/- 9.15 मिनट पर निकाला था।
-2-
परिवादी को प्राप्त ए.टी.एम स्लिप पर पैसा निकालने का कोई विवरण नहीं है। परिवादी ने उसी दिन अपने घर के सदस्यों के माध्यम से विपक्षी संख्या 1 के अधिकारियों से बातचीत की। दि. 17.02.14 को एक लिखित प्रार्थना पत्र दिया, किंतु बार-बार संपर्क करने पर कोई हल नहीं निकला, अत: विधिक नोटिस देने के उपरांत यह परिवाद प्रस्तुत किया गया, जिसें रू. 25000/- मय ब्याज सहित एवं अन्य अनुतोष की मांग की गई।
3. विपक्षी संख्या 1 ने अपन वादोत्तर दाखिल किया, जिसमें परिवादी के अभिकथनों से इंकार करते हुए यह कहा गया क परिवादी का कथन पूर्णतया असत्य है। सत्यता यह है कि दि. 06.02.14 को परिवादी ने तीन बार ए.टी.एम मशीन इलाहाबाद में संचालित की। प्रथम बार बैलेन्स के संबंध में सूचना, दूसरी व तीसरी बार धनराशि का आहरण किया था। जिला फोरम ने फर्जी स्लिप को आधार बनाते हुए परिवाद प्रस्तुत किया है। परिवादी का खाता बैंक आफ बड़ौदा की शाखा राबर्टसगंज में है। परिवादी की सूचना पर बैंक आफ बड़ौदा राबटर्सगंज ने जांच की तो सही तथ्य यह प्रकाश में आया कि उपरोक्त कथित पैसे का आहरण ए.टी.एम मशीन द्वारा किया गया है। परिवादी एक नाजायज दबाव बनाकर अपनी दूषित मंशा के चलते अपने द्वारा आहरण की गई धनराशि का पुन: नजायज ढंग से प्राप्त करना चाहता है। बैंक आफ बड़ौदा, राबर्टसगंज द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।
4. विद्वान जिला फोरम ने परिवादी का परिवाद इन आधारों पर निरस्त किया है कि परिवादी ने दि. 06.02.14 को ए.टी.एम मशीन से धनराशि निकालने का प्रयास किया, स्लिप संख्या 8248 प्राप्त हुई, जिस पर धनराशि भुगतान का कोई इन्दराज नहीं था। पहली बार स्लिप संख्या 5203 बाहर गई। परिवादी के अनुसार इस पर कोई धनराशि प्राप्त नहीं हुई। परिवादी की
-3-
ओर से जो रसीद दाखिल की गई है, वह दि. 06.02.14 समय 9 बजकर 15 मिनट, रेफ्रेन्स संख्या 5203, दूसरी रसीद रेफ्रेन्स संख्या 5204 तथा तीसरी रसीद रेफ्रेन्स संख्या 5205 है। बैंक आफ बड़ौदा का स्टेटमेन्ट दाखिल किया गया है, जिसमें दि. 06.02.14 को कोई भी रेफ्रेन्स नम्बर अंकित नहीं है। ए.टी.एम रेफ्रेन्स संख्या 5201 तथा तीसरा रेफ्रेन्स संख्या 5202 है और उपरोक्त रेफ्रेन्स नं0 से क्रमश: रू. 15000/- व रू. 10000/- की निकासी की गई है। विद्वान जिला फोरम द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी द्वारा दाखिल किया गया रेफ्रेन्स संख्या बैंक स्टेटमेन्ट से मेल नहीं खाते हैं और ऐसी स्थिति में परिवादी का कथन विश्वास योग्य प्रतीत नहीं होता है, इन आधारों पर परिवाद निरस्त किया गया है, जिससे व्यथित होकर यह अपील प्रस्तुत की गई है।
5. अपील में मुख्य रूप से यह आधार लिए गए हैं कि प्रश्नगत निर्णय दिनांकित 13.01.15 गलत आधारों पर अवैध एवं मनमाने रूप से पारित किया गया है, क्योंकि यह विपक्षी के वादोत्तर के आधार पर पारित कर दिया गया है। विपक्षी की ओर से सेवा में कमी की गई है। परिवादी ने रू. 15000/- की सूचना प्राप्त होने पर इसकी सूचना विपक्षी बैंक को भिजवा दी और लिखित में दि. 17.02.14 को सूचना दी थी। पुन: 13.03.14 को संपर्क करने पर विपक्षी बैंक से कोई हल नहीं मिला, जिसके कारण यह परिवाद प्रस्तुत किया गया तथा इन आधारों पर प्रस्तुत अपील प्रस्तुत की गई।
6. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय व पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
-4-
7. इस मामले में परिवादी का कथन है कि उसके द्वारा धनराशि ए.टी.एम के माध्यम से आहरण करने पर धनराशि प्राप्त नहीं हुई, जिसकी शिकायत उसके द्वारा दि. 06.02.14 के 11 दिन बाद 17.02.14 को लिखित रूप में प्रस्तुत की गई, जिसका प्रमाण उसके द्वारा परिवाद के अभिलेख पर रखा गया है। बैंक का कथन है कि उनके द्वारा जांच करने पर परिवादी की ओर से प्रस्तुत की गई रसीद फर्जी पायी गई थी।
8. ए.टी.एम के माध्यम से आहरित की जाने वाली धनराशि इलेक्ट्रानिक माध्यम से आहरित धनराशि है, जिसके संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सर्कुलर संख्या आरबीआई/2017-18/15 डीबीआर नं0 एलईजीबीसी 78/09.07.005/2017 बैच 18 दिनांकित 06 जुलाई 2017 जारी किया गया है। इस सर्कुलर के प्रस्तर-3 में इलेक्ट्रानिक माध्यम से बैंकिंग का संव्यवहार निम्नलिखित दो प्रकार से किया जाना परिभाषित किया गया है। एक आन लाइन पमेन्ट का संव्यवहार एवं दूसरा जिसमें उपभोक्ता पेमेन्ट करने के आमने-सामने होता है, जो मोबाइल फोन के माध्यम से अथवा ए.टी.एम. अथवा कार्ड के माध्यम से सीधे पेमेन्ट किया जाता है। इस प्रकार ए.टी.एम मशीन से कार्ड के माध्यम से धनराशि का आहरण इस सर्कुलर के प्रस्तर-3 के द्वितीय भाग से इलेक्ट्रानिक संव्यवहार की श्रेणी में आता है, जिसके संबंध में इसी सर्कुलर में यह दिया गया है कि यदि दोषपूर्ण ढंग से अविधिक संव्यवहार किसी व्यक्ति द्वारा किया जाता है तो इसकी सूचना तुरंत उपभोक्ता द्वारा बैंक को देनी होगी और यदि 3 दिन में इसकी सूचना दे दी जाती है तो उपभोक्ता का उत्तरदायित्व शून्य होगा और उसे संपूर्ण धनराशि प्रदान की जाएगी।
-5-
9. इसी सर्कुलर के प्रस्तर-7 में उपभोक्ता की सीमित उत्तरदायित्व का विवरण है, जिसमें भी यह उल्लेख किया गया है कि यदि अनधिकृत संव्यवहार उपभोक्ता की गलतियां या लापरवाही से होता है तो ऐसी दशा में क्षति उपभोक्ता द्वारा वहन की जाएगी, जब तक कि इस अनधिकृत संव्यवहार की सूचना बैंक को न दी जाए और सूचना देने के उपरांत यदि कोई अनधिकृत संव्यवहार होता है तो इसके उपरांत क्षति बैंक द्वारा वहन की जाएगी।
10. प्रस्तर-7 के द्वितीय प्रस्तर में यह दिया गया है कि यदि अनधिकृत संव्यवहार की सूचना 4 से 7 कार्य दिवस के अंदर दे दी जाती है तो प्रत्येक दशा में बचत खाते में रू. 10000/- प्रति संव्यवहार क्षतिपूर्ति उपभोक्ता को दिया जाएगा। 07 दिन के उपरांत सूचना प्राप्त होने पर बैंक अपनी स्थापित नीतिओं के अनुसार क्षतिपूर्ति प्रदान करने के लिए स्वतंत्र है।
11. प्रस्तुत मामले में प्रतिवादी ने स्वीकार किया है कि दि. 06.02.14 को अनधिकृत संव्यवहार होने के उपरांत 11 दिन बाद यह सूचना दी गई है, अत: उपरोक्त सर्कुलर के आलोक में बैंक क्षतिपूर्ति अपनी निर्धारित नीतिओं के अंतर्गत दे सकता है, क्योंकि न तो सूचना 3 दिन के अंदर दी गई और न ही 4 से 7 कार्य दिवस के अंदर दी गई थी।
12. उपरोक्त सर्कुलर के प्रस्तर-10 में शिकायत पर बैंक द्वारा 90 दिन के भीतर जांच करने का निर्देश भी दिया गया है। प्रस्तुत मामले में बैंक द्वारा उक्त जांच भी की गई है, जिसमें परिवादी के अनुसार प्रस्तुत की गई बैंक स्लिप फर्जी पायी गई है एवं बैंक ने यह पाया है कि स्वयं परिवादी ने धनराशि आहरण की है, अत: परिवादी यदि छल एवं प्रपंच का आक्षेप करता
-6-
है तो वह अनुतोष उपभोक्ता न्यायालय से प्राप्त नहीं कर सकते हैं। दूसरी ओर यह पाया जाता है कि बैंक की सेवा में कोई कमी होना परिलक्षित नहीं
है न ही इसका कोई प्रमाण प्रस्तुत किया गया है, अत: परिवादी द्वारा अनुतोष में मांगी गई धनराशि प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय विधिसम्मत है, जिसमें हस्तक्षेप करने को कोई आधार नहीं है। तदनुसार अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
13. अपील निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की
वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2