(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-112/2005
मैसर्स संजोग ट्रेडिंग कोल्यट (रजिस्टर्ड) तथा एक अन्य
बनाम
बैंक आफ बड़ौदा तथा तीन अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री अरूण टण्डन,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं
दिनांक : 03.07.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-244/2003, संजोग ट्रेडिंग कोल्यट (रजि0) तथा एक अन्य बनाम बैंक आफ बड़ौदा तथा तीन अन्य में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय बरेली द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.12.2004 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद समयावधि से बाधित होने के आधार पर खारिज कर दिया है।
2. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री अरूण टण्डन को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
3. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी द्वारा एक ड्राफ्ट बैंक आफ बड़ौदा, बरेली से बनवाया गया, जो शाखा में जमा किया गया। बैंक द्वारा इस ड्राफ्ट में वर्णित राशि की वसूली के लिए संबंधित बैंक को पत्र प्रेषित किया गया, परन्तु वहां पर अग्निकाण्ड
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के कारण सभी दस्तावेज जल गए, इसलिए ड्राफ्ट की राशि कभी भी परिवादी के खाते में जमा नहीं हो सकी। विपक्षीगण से ड्राफ्ट को रद्द कर ड्राफ्ट की राशि की मांग की गई, परन्तु यह राशि अदा नहीं की गई, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया, जिसे विद्वान जिला आयोग ने समयावधि से बाधित होने के कारण निरस्त कर दिया।
4. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि बैंक आफ बड़ौदा ने स्वंय पेज संख्या-27 पर मौजूद एक पत्र लिखा है, जो दिनांक 10.7.2000 का है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि आपके द्वारा की गई शिकायत का परीक्षण करने में समय लगने की संभावना है, इसलिए इंतजार किया जाए। इसके पश्चात दिनांक 26.5.2003 को भी बैंक द्वारा इस आशय का पत्र लिखा गया है कि कुछ समय लगने की संभावना है। अत: स्पष्ट है कि कभी भी वाद कारण इस पत्र के पूर्व प्राप्त नहीं हुआ है, इसलिए उपभोक्ता परिवाद समयावधि से बाधित नहीं था। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय विधि विरूद्ध है।
5. अब इस बिन्दु पर विचार करना है कि परिवादी किस अनुतोष को प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। चूंकि परिवादी द्वारा अंकन 30,000/-रू0 का ड्राफ्ट बनवाया जाना, बैंक में जमा करने का तथ्य शपथ पत्र द्वारा साबित किया गया है, जिसको बनाने से स्वंय बैंक द्वारा भी इंकार नहीं किया गया है, केवल परीक्षण के लिए समय की मांग की गई है। अत: परिवादी वांछित अनुतोष प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 17.12.2004 अपास्त किया जाता है। परिवाद इस आशय से स्वीकार किया जाता है कि विपक्षीगण बैंक आफ
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बड़ौदा परिवादी को अंकन 30,000/-रू0 (तीस हजार रूपये) परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज की दर से वापस लौटाया जाए तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 10,000/-रू0 (दस हजार रूपये) भी अदा किया जाए।
03 माह की अवधि के अन्दर यदि इस राशि का भुगतान नहीं किया जाता है तब समस्त राशि पर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज देय होगा।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थीगण द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थीगण को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3