(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-253/2015
1. हरि शंकर यादव पुत्र स्व0 चुन्नी लाल यादव, निवासी 192-ए, लखनपुर, अवधपुरी रोड, कानपुर नगर।
2. श्रीमती कुमुद यादव पत्नी हरि शंकर यादव, निवासिनी 192-ए, लखनपुर, अवधपुरी रोड, कानपुर नगर।
परिवादीगण
बनाम्
1. बैंक आफ बड़ौदा, ए बॉडी कारपोरेट कंस्टीट्यूटेड अंडर बैंकिंग कंपीज (Acquisition and transfer of undertakings) एक्ट, 1970, हेड आफिस द्वारका भवन, प्रथम तल, 19-ए, टैगोर टाऊन, इलाहाबाद 211002, द्वारा चीफ मैनेजर।
2. बैंक आफ बड़ौदा, ब्रांच आफिस स्थित चुन्नीगंज, कानपुर नगर, द्वारा ब्रांच मैनेजर।
3. एम.एस. भल्ला पुत्र सरदार जसवंत सिंह, असिस्टण्ट जनरल मैनेजर, बैंक आफ बड़ौदा असेट्स रिकवरी डिपार्टमेंट स्थित 19-ए, टैगोर टाऊन इलाहाबाद।
4. चीफ मैनेजर, बैंक आफ बड़ौदा, स्थित चुन्नीगंज, कानपुर नगर।
विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री पीयूष मणि त्रिपाठी, विद्वान
अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री राजीव सिंह एवं श्री लाल जी
गुप्ता, विद्वान अधिवक्तागण
दिनांक: 17.02.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. यह परिवाद, परिवादीगण द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध चुराए गए सामान/पदार्थ को वापस प्राप्त करने के लिए या विकल्प में अंकन 80 लाख रूपये प्राप्त करने के लिए, सेवा में कमी तथा अनुचित व्यापार प्रणाली अपनाने के कारण उचित क्षतिपूर्ति/दण्डात्मक क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए, समस्त देय राशि बैंक के कर्मचारियों के वेतन से वसूल करने के लिए तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 01 लाख रूपये प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार अपने जीवन-यापन के लिए परिवादीगण द्वारा मैसर्स अवस्थी कोल्ड स्टोरेज प्राईवेट लिमिटेड आराजी नं0-3123 तथा 3124 स्थानिक ग्राम ठतिया, तहसील तिर्वा, जिला कन्नौज 29216 स्क्वायर मीटर, जो बैंक ने गिरवी रखी हुई थी, क्रय की गई, जिसका विक्रय प्रमाण पत्र बैंक आफ बड़ौदा द्वारा जारी किया गया, जो अनेक्जर संख्या-1 है।
3. मैसर्स अवस्थी कोल्ड स्टोरेज द्वारा ऋण चुक्ता नहीं किया गया, इसलिए मैसर्स अवस्थी कोल्ड स्टोरेज तथा इसकी भूमि, इस पर स्थापित प्लांट तथा मशीनरी अंकन 1,82,71,000/- रूपये में विक्रय किए गए। विक्रय की पुष्टि के समय यह तथ्य संज्ञान में आया कि मैसर्स अवस्थी कोल्ड स्टोरेज द्वारा अवैध एवं मनमाने रूप से प्लांट तथा मशीनरी को हटा लिया गया। विपक्षीगण द्वारा परिवादीगण को आश्वासन दिया गया था कि आपराधिक कार्यवाही प्रारम्भ हो चुकी है और शीघ्र ही प्लांट तथा मशीनरी परिवादीगण को सुपुर्द की जाएगी, परन्तु समस्त विक्रय मूल्य प्राप्त करने के बावजूद प्लांट तथा मशीनरी परिवादीगण को प्राप्त नहीं करायी गयी, इसलिए परिवादीगण अपना कार्य प्रारम्भ नहीं कर सके। इन सब सामान का मूल्य अंकन 80 लाख रूपये है, जबकि विपक्षीगण द्वारा अंकन 1,82,71,000/- रूपये वसूल कर लिए गए। दिनांक 13.07.2015 को लीगल नोटिस दिया गया, इसके बावजूद भी विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। अत: यह उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत करते हुए उपरोक्त वर्णित अनुतोषों की मांग की गई।
4. परिवाद पत्र के समर्थन में श्री हरि शंकर यादव का शपथ पत्र तथा अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत की गई।
5. देरी से प्रस्तुत किए गए लिखित कथन को अंकन 05 हजार रूपये हर्जे पर स्वीकार करते हुए पूर्व में शामिल मिसिल किया गया, जिसमें उल्लेख किया गया कि मैसर्स अवस्थी कोल्ड स्टोरेज, प्राईवेट लिमिटेड की सम्पत्ति बैंक की नोटिस दिनांक 16.05.2012 के अनुसार नीलाम की गई। परिवादीगण द्वारा अंकन 1,82,71,000/- रूपये की बोली लगायी गयी। दिनांक 23.07.2012 को विक्रय प्रमाण पत्र जारी किया गया तथा दिनांक 29.01.2013 को विक्रीत सम्पत्ति का कब्जा उपलब्ध करा दिया गया। विक्रय पत्र में सम्पत्ति का विवरण दिया गया था और केवल भवन तथा अचल सम्पत्ति विक्रय की गई थी। परिवादीगण द्वारा दाखिल किया गया अनेक्जर संख्या-1 फर्जी तथा बनावटी दस्तावेज है। परिवादीगण से अंकन 1,82,71,000/- रूपये की प्राप्ति को स्वीकार किया गया, लीगल नोटिस प्राप्त होना भी स्वीकार किया गया, परन्तु सेवा में कमी से इंकार किया गया। प्लांट तथा मशीनरी बैंक में गिरवी थी, परन्तु इनका ऑक्शन बैंक द्वारा नहीं किया गया। यद्यपि इस तथ्य को स्वीकार किया गया कि बैंक द्वारा दिनांक 08.06.2013 को ऋण प्राप्तकर्ता के विरूद्ध प्लांट तथा मशीनरी को हटाने की रिपोर्ट दर्ज करायी गयी, परन्तु प्लांट तथा मशीनरी परिवादीगण को देने का कभी कोई वायदा नहीं किया गया, इसलिए परिवाद खारिज होने योग्य है।
6. लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र तथा अनेक्जर संख्या-1 लगायत 6 प्रस्तुत किए गए।
7. परिवादीगण एवं विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं साक्ष्यों का अवलोकन किया गया।
8. प्रस्तुत केस में मैसर्स अवस्थी कोल्ड स्टोरेज प्राईवेट लिमिटेड का नीलाम/विक्रय होना, सम्पत्ति का कब्जा परिवादीगण को दिया जाना, विक्रय मूल्य अंकन 1,82,71,000/- रूपये बैंक द्वारा प्राप्त करना दोनों पक्षकारों को स्वीकार है। अत: इन बिन्दुओं पर विस्तृत विवेचना की आवश्यकता नहीं है।
9. प्रस्तुत परिवाद के संबंध में विपक्षीगण बैंक द्वारा सर्वप्रथम यह आपत्ति की गई है कि चूंकि नीलामी में सम्पत्ति क्रय की गई है, इसलिए बैंक परिवादीगण के प्रति उपभोक्ता नहीं है। विपक्षीगण की ओर से नजीर Chief Manager/Authorized Officer, State Bank Of Mysore Vs. G. Mahimaiah प्रस्तुत की गई है, जिसमें व्यवस्था दी गई है कि नीलामी क्रेता, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं हैं तथा परिवाद देरी से भी प्रस्तुत किया गया है।
10. परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि चूंकि बैंक के स्तर से सेवा में कमी की गई है और विक्रय किए गए प्लांट एवं मशीनरी परिवादीगण को उपलब्ध नहीं करायी गयी, इसलिए परिवादीगण अपना व्यापार प्रारम्भ नहीं कर सके और परिवादीगण का जीवन यापन कष्ट में पड़ गया, इसलिए बैंक परिवादीगण के प्रति सेवाप्रदाता है और उपभोक्ता परिवाद संधारणीय है। उनके द्वारा अपने तर्क के समर्थन में नजीर, Revision Petition No 4662 of 2012, Jaswinder Singh Vs. Corporation Bank प्रस्तुत की गई है, जिसमें यह निष्कर्ष दिया गया है कि बैंक द्वारा की गई नीलामी में क्रय की गई सम्पत्ति का टाईटल (स्वत्व) दूषित था, इसलिए क्रय करते समय धनराशि अदा करने के बावजूद परिवादीगण अपना कार्य प्रारम्भ नहीं कर सके, क्योंकि कोई भी बैंक ऋण देने के लिए तैयार नहीं था, इसलिए परिवादीगण को पहुँची हानि के लिए बैंक उत्तरदायी है। प्रस्तुत केस में भी यही स्थिति मौजूद है। परिवादीगण द्वारा अंकन 1,82,71,000/- रूपये जैसी महत्वपूर्ण राशि अदा करने के बावजूद भी प्लांट एवं मशीनरी चालू करने का कार्य प्रारम्भ नहीं हो सका। यद्यपि यह प्रश्न आगे चलकर हल किया जाएगा कि क्या प्लांट एवं मशीनरी भी नीलामी में विक्रय की गई थीं, परन्तु चूंकि परिवादीगण का यह आरोप है कि प्लांट एवं मशीनरी भी विक्रय की गई थी, जिसे बैंक ने उपलब्ध नहीं कराया और प्लांट एवं मशीनरी के अभाव में वह जीवन यापन हेतु अपना कार्य प्रारम्भ नहीं कर सके, इसलिए उपरोक्त नजीर की व्यवस्था के अनुसार उपभोक्ता परिवाद संधारणीय है, जबकि चीफ मैनेजर, बैंक आफ मैसूर वाली उपरोक्त नजीर में केवल कब्जा देरी से देने के आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया गया था। अत: दोनों तथ्यों के केस पूर्णतया भिन्न थे, इसलिए देरी से कब्जा देने के कारण उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं माना गया, परन्तु जसविन्दर सिंह वाले केस में चूंकि नीलामीकर्ता द्वारा क्रय मूल्य अदा करने के बावजूद अपना कार्य प्रारम्भ नहीं कर सका, इसलिए उपभोक्ता परिवाद संधारणीय माना गया। प्रस्तुत केस में भी यही स्थिति मौजूद है। अत: तार्किकता के आधार पर कहा जा सकता है कि प्रस्तुत केस में जसविन्दर सिंह वाली नजीर अधिक उपयोगी है।
11. अब इस बिन्दु पर विचार करना है क्या प्लांट एवं मशीनरी भी नीलामी में विक्रय के लिए रखी गई थी और परिवादीगण द्वारा नीलामी में प्लांट एवं मशीनरी को भी क्रय किया गया और बैंक द्वारा प्लांट एवं मशीनरी तथा विलकल्प को उपलब्ध न कराने के कारण परिवादीगण को क्षति कारित हुई है, जिसके लिए वह प्लांट एवं मशीनरी तथा विकल्प में इनका मूल्य प्राप्त करने के लिए अधिकृत हैं ?
12. अनेक्जर संख्या-1 में विक्रीत सम्पत्ति का विवरण मौजूद है, इस दस्तावेज में आराजी नं0-3123 तथा 3124 की भूमि एवं भवन शामिल है, जो विक्रय प्रमाण पत्र है। दस्तावेज संख्या-12 पर मौजूद पत्र, जो बैंक आफ बड़ौदा द्वारा लिखा गया है, इसमें नीलामी/विक्रय की पुष्टि की गई है। इस पत्र में NPA अकाउण्ट मैसर्स अवस्थी कोल्डस्टोरेज प्राईवेट लिमिटेड के लिए ऋण के लिए गिरवी रखी गई सम्पत्ति का विक्रय, जिसका विवरण अमर उजाला तथा टाईम्स आफ इंडिया में दिनांक 16.05.2012 के प्रकाशन में दिया गया है। अत: यथार्थ में कौन सी सम्पत्ति विक्रय एवं इसके लिए विक्रय की जाने वाली सम्पत्ति के उल्लेख पर विचार करना आवश्यक है, जो दस्तावेज संख्या-13 पर मौजूद है। दस्तावेज संख्या-13 के क्रमांक संख्या-7 पर मैसर्स अवस्थी कोल्डस्टोरेज प्राईवेट लिमिटेड उपलब्ध है, जिसके अवलोकन से ज्ञात होता है कि उपरोक्त वर्णित भूमि पर निर्मित कोल्डस्टोरेज के विक्रय की सूचना दी गई है। कोल्डस्टोरेज के विक्रय का तात्पर्य प्लांट एवं मशीनरी के विक्रय से है। प्लांट एवं मशीनरी के बिना कोल्डस्टोरेज का विक्रय नहीं माना जा सकता। प्लांट एवं मशीनरी का विक्रय करने का उद्देश्य बैंक का नहीं होता तब केवल भूमि और खाली भवन के विक्रय करने का उल्लेख इस सूचना में दिया जाता, परन्तु कोल्डस्टोरेज के विक्रय करने के उल्लेख से जाहिर है कि कोल्डस्टोरेज का प्लांट एवं मशीनरी को भी विक्रय करने के लिए सार्वजनिक सूचना जारी की गई है, जिससे आकर्षित होकर परिवादीगण द्वारा विक्रय/नीलामी में सबसे ऊंची बोली लगायी। अनेक्जर संख्या-2 पर मौजूद लीगल नोटिस में भी इस तथ्य की चर्चा की गई है। नोटिस का जवाब यह कहते हुए दिया गया कि केवल भवन एवं भूमि के विक्रय के लिए सूचना दी गई थी, परन्तु यथार्थ में सूचना पड़ने से ज्ञात होता है कि भूमि तथा उस पर निर्मित कोल्डस्टोरेज के विक्रय की सूचना दी गई थी और जैसा कि ऊपर उल्लेख किया जा चुका है कि कोल्डस्टोरेज में प्लांट एवं मशीनरी भी शामिल है।
13. दस्तावेज संख्या-19 लगायत 66 पर उप निबंधक के समक्ष परिवादीगण के पक्ष में लिखा गया विक्रय दस्तावेज है, इस दस्तावेज में जो सम्पत्ति का विवरण दिया गया है, वह निम्न प्रकार है :-
'' भवन प्लांट तथा मशीनरी, जो मैसर्स अवस्थी कोल्डस्टोरेज प्राईवेट लिमिटेड की सम्पत्ति है तथा आराजी संख्या-3123 तथा 3124 ग्राम ठठिया, तहसील तिर्वा, जिला कन्नौज में स्थित है।'' इस दस्तावेज में आगे लिखा गया है कि विक्रीत सम्पत्ति का प्रयोग कोल्डस्टोरेज के लिए है। अत: इस दस्तावेज से यह स्थापित हो जाता है कि परिवादीगण को भूमि एवं भवन के साथ-साथ प्लांट तथा मशीनरी विक्रय की गई है, जिसका प्रयोग कोल्डस्टोरेज के रूप में हो रहा था। अत: बैंक के इस कथन में कोई बल नहीं है कि केवल भूमि एवं खाली भवन विक्रय किया गया।
14. अनेक्जर संख्या-2 स्वंय बैंक आफ बड़ौदा द्वारा दिनांक 05.02.2013 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, कन्नौज को लिखा गया एक पत्र है, जिसमें उल्लेख है कि मैसर्स अवस्थी कोल्ड स्टोरेज पर अंकन 4,07,90,000/-रू0 का ऋण बकया हो चुका है, जिसकी वसूली के लिए सरफेसी एक्ट 2002 के अंतर्गत कार्यवाही की गई है। दिनांक 22.06.2012 को यह कोल्ड स्टोरेज हरि शंकर यादव एवं श्रीमती कुमुद यादव को विक्रय किया गया है। कब्जा देते समय पाया गया कि राम गोपाल अवस्थी आदि ने बैंक को धोखा देने की नियत से कोल्ड स्टोरेज से संबंधित मशीनों एवं थर्मोकोल कोटिंग एवं लकड़ी को कब्जा देने से पूर्व हटा लिया है। अत: तहरीर से भी स्पष्ट है कि स्वंय बैंक आफ बड़ौदा को यह तथ्य स्वीकार है कि परिवादीगण को कब्जा देते समय समस्त सम्पत्ति सुपुर्द नहीं की गई, जिसको नीलामी में विक्रय किया गया था। अनेक्जर संख्या-3 में भी चीफ मैनेजर, बैंक आफ बड़ौदा द्वारा यह पुष्ट किया गया है कि भौतिक कब्जा देते समय प्लांट एवं मशीनें उपलब्ध नहीं थी, जो स्वंय विपक्षीगण के कथनों एवं उनके द्वारा की गई कार्यवाही से यह तथ्य साबित हो जाता है कि यथार्थ में कोल्ड स्टोरेज के समस्त प्लांट एवं मशीनरी विक्रय की गईं, परन्तु भौतिक कब्जा नहीं दिया गया। अत: बैंक आफ बड़ौदा प्लांट एवं मशीनरी की कीमत परिवादीगण को अदा करने के लिए उत्तरदायी है।
15. परिवादीगण द्वारा प्लांट एवं मशीनरी की कीमत अंकन 80 लाख रूपये दर्शायी गयी है, परन्तु अंकन 80 लाख रूपये की कीमत दर्शाने के उद्देश्य से कोई कोटेशन या वैल्यूवर की रिपोर्ट पत्रावली पर दाखिल नहीं है। अत: इस स्तर पर यह निष्कर्ष दिया जाना संभव नहीं है कि प्लांट एवं मशीनरी की कीमत अंकन 80 लाख रूपये है। पक्षकारों के मध्य इस विवाद को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आवश्यक है कि बैंक आफ बड़ौदा को यह निर्देशित किया जाए कि वह परिवादीगण की सहमति से एक अधिकृत वैल्यूवर की नियुक्ति करे, वैल्यूवर से अपेक्षा की जाए कि वह नियुक्ति हो जाने के एक माह के अंदर कोल्ड स्टोरेज के प्लांट एवं मशीनरी की कीमत का निर्धारण सुनिश्चित करे और वैल्यूवर द्वारा जो कीमत निर्धारित की जाए, उस कीमत को परिवादीगण को अदा की जाए तथा उस कीमत पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्याज भी अदा किया जाए। परिवाद तदनुसार स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
16. प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण को विक्रय किए गए कोल्ड स्टोरेज में प्रयुक्त होने वाली प्लांट एवं मशीनरी की कीमत का आंकलन करने के लिए परिवादीगण की सहमति से एक अधिकृत वैल्यूवर इस निर्णय/आदेश की प्रति प्राप्त होने के एक माह के अंदर नियुक्त करे और इस वैल्यूवर द्वारा नियुक्ति की तिथि से एक माह के अंदर संबंधित प्लांट एवं मशीनरी की जो कीमत निर्धारित की जाए, उस कीमत को परिवादीगण को परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक मय 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज की दर से अदा किया जाए।
परिवादीगण को कारित मानसिक प्रताड़ना की मद में अकंन 02 लाख रूपये भी उपरोक्त अवधि में अदा किया जाए।
परिवाद व्यय के रूप में अंकन 25 हजार रूपये भी उपरोक्त अवधि में अदा किया जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2