(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-204/2010
अनिल कुमार पाण्डेय पुत्र स्व0 श्री भीम शंकर पाण्डेय
बनाम
बैंक आफ बड़ौदा तथा एक अन्य।
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री वी.पी. त्रिपाठी,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री वी.पी. मेहरोत्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : 10.11.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-136/2005, अनिल कुमार पाण्डेय बनाम बैंक आफ बड़ौदा तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय लखनऊ द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 18.12.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री वी.पी. त्रिपाठी तथा प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री वी.पी. मेहरोत्रा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए बैंक को आदेशित किया है कि परिवादी के खाते में पर्याप्त धन होने के
-2-
बावजूद चेक का अनादर करने के कारण अंकन 5,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति अदा करे तथा इस राशि पर आदेश की तिथि से 9 प्रतिशत की दर से ब्याज भी अदा करे यदि एक माह के अंदर भुगतान नहीं किया जाता है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी का विपक्षी बैंक में एक बचत खाता है, जिसमें अंकन 14 लाख रूपये से भी अधिक धन जमा है। निकासी के लिए चेक बुक जारी की गई। परिवादी ने बीमा कंपनी के पक्ष में चेक संख्या-152423 अंकन 3349/-रू0 का जारी किया था, जिसके धन से पालिसी का नवीनीकरण होना था, परन्तु खाते में पर्याप्त धन होने के बावजूद चेक का आदर नहीं किया गया और न ही चेक परिवादी को उपलब्ध कराया गया, जिसके कारण पालिसी का नवीनीकरण नहीं हो सका।
4. विपक्षी बैंक द्वारा इस परिवाद का कोई खण्डन नहीं किया गया, इसलिए एकतरफा साक्ष्य पर विचार करते हुए उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
5. इस निर्णय/आदेश को स्वंय परिवादी द्वारा इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि परिवादी द्वारा हाऊसहोल्ड पालिसी ली गयी थी, उसके लैप्स होने की सूचना दी गई। परिवादी द्वारा अपने घर के दो सामान टी.वी. और रेफ्रिजरेटर खराब होने पर मरम्मत करायी गयी, उसमें क्रमश: 5823/-रू0 एवं 2990/-रू0 कुल 8813/-रू0 खर्च हुए, इसलिए यह राशि भी अदा किये जाने का आदेश दिया जाना चाहिए। चूंकि बैंक की लापरवाही के कारण बीमा कंपनी को चेक राशि
-3-
का भुगतान नहीं हो सका, जिसके कारण पालिसी लैप्स हो गयी और पालिसी लैप्स होने के कारण घर के दो सामान टी.वी. और रेफ्रिजरेटर को दुरूस्त कराने में जो राशि खर्च हुई, उसकी पूर्ति बीमा कंपनी द्वारा नहीं की जा सकी, इसलिए इस राशि को भी विपक्षी बैंक से ही प्राप्त करने के लिए परिवादी अधिकृत है।
6. विद्वान जिला आयोग द्वारा इस बिन्दु पर विचार नहीं किया गया। अत: यह अपील इस सीमा तक स्वीकार होने योग्य है कि क्षतिपूर्ति की राशि के अलावा परिवादी अंकन 8813/-रू0 भी विपक्षी बैंक से उसी ब्याज दर के अनुसार प्राप्त करने के लिए अधिकृत है, जो ब्याज दर विद्वान जिला आयोग द्वारा निर्धारित की गई है। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.12.2009 के अंतर्गत आदेशित क्षतिपूर्ति के अलावा अंकन 8813/-रू0 भी उसी ब्याज दर के अनुसार देय होगी, जो ब्याज दर विद्वान जिला आयोग द्वारा निर्धारित की गई है। शेष निर्णय/आदेश यथावत् रहेगा।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित
-4-
जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3