Uttar Pradesh

StateCommission

C/2011/31

M/s Anoop Bekars - Complainant(s)

Versus

Ayukt and Nideshak Udhyog - Opp.Party(s)

O P Duvel

07 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2011/31
( Date of Filing : 20 Apr 2011 )
 
1. M/s Anoop Bekars
a
...........Complainant(s)
Versus
1. Ayukt and Nideshak Udhyog
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 07 Sep 2022
Final Order / Judgement

                                                          (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-31/2011

मैसर्स अनूप बेकर्स, प्रोपराइटर बाबू राम कुशवाहा, पता 114/193 ई0 पंचवटी विनायकपुर, परगना व जिला कानपुर नगर।

                   परिवादी

बनाम

1.    आयुक्‍त एवं निदेशक उद्योग, निदेशालय, उत्‍तर प्रदेश, जी.टी. रोड, कानपुर नगर।

2.    महाप्रबंधक जिला उद्योग केन्‍द्र, जिला फतेहपुर।

3.    शाखा प्रबंधक, बैंक आफ बड़ौदा, शाखा मलवॉं, जिला फतेहपुर।

        विपक्षीगण

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से उपस्थित            : श्री ओ.पी. दुबेल।

विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

विपक्षी सं0-3 की ओर से उपस्थित     : श्री अनिल कुमार मिश्रा।

दिनांक:  11.10.2022

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.          यह परिवाद, विपक्षी संख्‍या-3 के विरूद्ध इस आशय के अनुतोष के लिए प्रस्‍तुत किया गया है कि परिवादी के खाता संख्‍या-6/368 के संबंध में जारी नोटिस दिनांकित 24.10.2010 को निरस्‍त किया जाए तथा परिवादी को स्‍वीकृत ऋण को वितरित करने का आदेश दिया जाए साथ ही विपक्षी संख्‍या-1 व 2 को आदेशित किया जाए कि वह आवंटित भूखण्‍ड से संबंधित मूलभूत सुविधाएं उपलब्‍ध कराए ताकी ईकाई की स्‍थापना हो सके। दिनांक 05.03.2009 से अंकन 41,500/- रूपये प्रतिमाह की जो क्षति हुई है, उसे प्रतिमाह के हिसाब से हुई क्षति विपक्षीगण से दिलायी जाए। मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 05 लाख रूपये दिलाए जाए तथा क्षतिपूर्ति के रूप में धनराशि अंकन 20,42,000/- रूपये दिलायी जाए तथा अंकन 10,000/- रूपये परिवाद व्‍यय भी दिलाया जाए।

2.         परिवाद पत्र के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि बेकरी उद्योग स्‍थापित करने हेतु आवंटित भूखण्‍ड की लीज डीड दिनांक 15.01.2009 को विपक्षी संख्‍या-1 एवं 2 से कराई गई। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के अन्‍तर्गत बेकरी स्‍थापित करने हेतु वित्‍तीय सहायता के लिए आवेदन प्रस्‍तुत करने पर अंकन 8,19,800/- रूपये का ऋण स्‍वीकृति हेतु विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा पत्र लिखा गया, जिसे विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा अनंतिम रूप से स्‍वीकार कर लिया गया, परन्‍तु विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा मूलभूत सुविधाएं उपलब्‍ध नहीं कराई जा सकी, जिसके कारण अंकन 41,500/- रूपये प्रतिमाह की क्षति हो रही है। भूखण्‍ड का कब्‍जा भी नहीं दिया गया है। विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा ऋण स्‍वीकृत करने के पश्‍चात प्रताड़ना प्रारम्‍भ कर दी गई और स्‍वीकृत ऋण का 10 प्रतिशत कमीशन मांग रहे हैं, जिस पर विपक्षी संख्‍या-3 की शिकायत की गई, जिसके कारण विपक्षी संख्‍या-3 द्ववेष रखने लगे। सभी सामग्रियों के रेट बढ़ने के कारण स्‍वीकृत ऋण में ईकाई की स्‍थापना असंभव हो गई, इसलिए ऋण राशि बढ़ाए जाने का अनुरोध किया गया और न बढ़ाए जाने पर ऋण निरस्‍त करने का अनुरोध किया गया। विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा स्‍वीकृत ऋण राशि में से केवल 01 लाख रूपये प्रदान किया गया है बाकी ऋण वितरित नहीं किया गया। विपक्षी संख्‍या-3 ने पैसे का दुरूपयोग होने का कथन करते हुए दिनांक 24.10.2010 को नोटिस भेजा और पूरा पैसा ब्‍याज सहित जमा करने के लिए कहा, अन्‍यथा तहसील द्वारा वसूल करने की धमकी दी। ईकाई की स्‍थापना न होने के लिए विपक्षीगण जिम्‍मेदार हैं, इसलिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.         परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा दस्‍तावेज प्रस्‍तुत किए गए। सुसंगत दस्‍तावेजों की चर्चा आगे चलकर की जाएगी।

4.         विपक्षी संख्‍या-1 एवं 2 का कथन है कि परिवाद जनपद फतेहपुर में दाखिल होना चाहिए। अन्‍य किसी कथन का खण्‍डन नहीं किया गया।

5.         विपक्षी संख्‍या-3 की ओर से कोई लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया।

6.         विपक्षीगण की ओर से कोई साक्ष्‍य एवं शपथ पत्र पत्रावली पर उपलब्‍ध नहीं है।

7.          परिवादी एवं विपक्षी संख्‍या-3 के विद्वान अधिवक्‍तागण उपस्थित आए। विपक्षी संख्‍या-1 एवं 2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है, जबकि उनकी ओर से पूर्व में विद्वान अधिवक्‍ता उपस्थित हो चुके हैं। अत: परिवादी एवं विपक्षी संख्‍या-3 के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

8.         परिवादी का कथन है कि विपक्षी संख्‍या-1 एवं 2 द्वारा भूखण्‍ड का कब्‍जा प्रदान नहीं किया गया तथा मूलभूत सुविधाएं उपलब्‍ध नहीं कराई गईं, इस तथ्‍य का कोई खण्‍डन विपक्षी संख्‍या-1 एवं 2 द्वारा नहीं किया गया, उनके द्वारा केवल क्षेत्राधिकार का प्रश्‍न उठाया गया, परन्‍तु चूंकि जिस अनुतोष की मांग की गई है, उस अनुतोष को प्रदान करने का आर्थिक क्षेत्राधिकार जिला फोरम में निहित नहीं है। अत: इस आयोग को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त है। चूंकि शेष किसी तथ्‍य से इंकार नहीं किया गया है। अत: माना जाएगा कि परिवाद पत्र में जो तथ्‍य वर्णित किए गए हैं, वह तथ्‍य विपक्षी संख्‍या-1 एवं 2 को स्‍वीकार हैं, परन्‍तु परिवाद में कही पर भी यह उल्‍लेख नहीं है कि परिवादी द्वारा विपक्षी संख्‍या-1 एवं 2 से ली गई सेवा का क्‍या प्रतिफल अदा किया गया और कितनी धनराशि विलेख लिखने में खर्च की गई। केवल यह उल्‍लेख है कि विपक्षी संख्‍या-1 एवं 2 ने भूखण्‍ड आवंटित किया और पूंजी विनियोजन अंकन 8,19,500/- रूपये का ऋण स्‍वीकृति के लिए विपक्षी संख्‍या-3 को पत्र लिखा, परन्‍तु परिवादी द्वारा किस धनराशि को खर्च किया गया, जिसको खर्च करने के बाद भी औद्योगिक ईकाई स्‍थापित नहीं हो सकी और उसे अंकन 41,500/- रूपये प्रतिमाह का नुकसान हुआ, इसका कोई उल्‍लेख नहीं किया गया, इसलिए इस आयोग द्वारा इस बिन्‍दु पर कोई निष्‍कर्ष देना संभव नहीं हो रहा है। यथार्थ में परिवादी द्वारा विपक्षी संख्‍या-1 एवं 2 के द्वारा प्रदत्‍त सेवाओं के लिए क्‍या प्रतिफल अदा किया गया, जिसके कारण विपक्षीगण की लापरवाही से परिवादी को अंकन 41,500/- रूपये प्रतिमास का नुकसान हुआ। अत: इस क्षति के संबंध में परिवादी के पक्ष में कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता, परन्‍तु चूंकि परिवादी के पक्ष में भूखण्‍ड के आवंटन से इंकार नहीं किया गया है। कब्‍जा प्रदान करने का कोई कथन नहीं किया गया है। भूखण्‍ड को विकसित करने का कोई कथन नहीं किया गया, जबकि परिवादी ने सशपथ साबित किया है कि यह भूखण्‍ड विकसित नहीं है, इसलिए ईकाई स्‍थापित करना संभव नहीं हो पा रहा है। अत: विपक्षी संख्‍या-1 एवं 2 को यह निर्देश दिया जाना विधिसम्‍मत है कि परिवादी के पक्ष में आवंटित भूखण्‍ड का कब्‍जा समस्‍त मूलभूत सुविधाओं सहित 03 माह में उपलब्‍ध कराए।

9.         विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा स्‍वीकृत ऋण में से केवल एक लाख रूपये उपलब्‍ध कराए गए हैं, इस राशि को भी वापस जमा करने की मांग विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा की गई है, परन्‍तु चूंकि परिवादी ईकाई स्‍थापित करने की स्थिति में नहीं है। अत: परिवादी के पक्ष में जो अनंतिम ऋण स्‍वीकृत हुआ है, उसको सम्‍पूर्णतया में अदा करने का आदेश देना भी विधिसम्‍मत नहीं है। यदि परिवादी द्वारा ईकाई स्‍थापित करने के लिए कार्यवाही प्रारम्‍भ की गई होती तब बैंक द्वारा अवशेष ऋण जारी किया जा सकता था, जबकि विपक्षी संख्‍या-1 एवं 2 की लापरवाही के कारण ईकाई स्‍थापित नहीं हो सकी तब बैंक अवशेष ऋण की राशि अवमुक्‍त करने के लिए बाध्‍य नहीं है। यद्यपि परिवादी को आवंटित भूखण्‍ड का कब्‍जा सम्‍पूर्ण सुविधाओं सहित उपलब्‍ध कराए जाने के साथ विपक्षी संख्‍या-1 एवं 2 द्वारा पुन: नए ऋण के लिए अनुशंसा की जा सकती है और बैंक द्वारा नया ऋण स्‍वीकार किया जा सकता है तब तक परिवादी के लिए बाध्‍यकारी है कि जो ऋण राशि प्रदान की गई है, उसे वह बैंक को अदा करे। अत: इस नोटिस को रद्द करने का आदेश पारित नहीं किया जा सकता। अन्‍य कोई भी अनुतोष दिलाया जाना विधिसम्‍मत नहीं है। परिवाद तदनुसार आंशिक रूप से स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

 

10.        प्रस्‍तुत परिवाद आंशिक रूप से इस प्रकार स्‍वीकार किया जाता है कि -

क.        विपक्षीगण संख्‍या-1 एवं 2 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को आवंटित भूखण्‍ड का कब्‍जा समस्‍त सुविधाओं सहित उपलब्‍ध कराते हुए 03 माह के अन्‍दर प्रदान करें।

ख.         विपक्षीगण संख्‍या-1 एवं 2 को आदेशित किया जाता है कि वह ईकाई स्‍थ‍ापित करने के उद्देश्‍य से जिस ऋण की आवश्‍यकता हो, उस ऋण की स्‍वीकृति के लिए विपक्षी संख्‍या-3 के समक्ष या किसी अन्‍य बैंक के समक्ष अनुशंसा पत्र प्रेषित करें। विपक्षी संख्‍या-3 से अपेक्षित है कि यदि विपक्षीगण संख्‍या-1 एवं 2 द्वारा नए ऋण की स्‍वीकृति के लिए अनुशंसा की जाती है तब स्‍थापित होने वाली औद्योगिक ईकाई की प्रमाणिकता तथा लाभ प्राप्‍त करने की स्थिति पर विचार करने के पश्‍चात ऋण स्‍वीकृति पर विचार करें यद्यपि विपक्षी संख्‍या-3 के लिए यह आदेश आज्ञात्‍मक नहीं है।

उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

                           

(विकास सक्‍सेना)                         (सुशील कुमार)

    सदस्‍य                                    सदस्‍य

 

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

     कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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