राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-385/2017
(जिला फोरम, मुजफ्फरनगर द्धारा परिवाद सं0-01/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 25.01.2017 के विरूद्ध)
Royal Sundaram Alliance General Insurance Company Ltd., Tower, 9th Floor, Tower Second, South City-1, NH-8, Gurgaune, Hariyana Head Office Royal Sundaram Alliance General Insurance Company Ltd., Sundaram Towers, 45 & 46 White road, Chennai-6000141 though its Officer In-Charge.
........... Appellant/ Opp. Party
Versus
Avinash Chauhan, S/o Shri OmPal Singh, R/o G-4, Police Lines, District- Muzaffarnagar.
…….. Respondent/ Complainant
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री दिनेश कुमार
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :-01.7.2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-01/2015 अवनीश चौधरी बनाम रॉयल सुन्दरम एलायंज इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड में जिला फोरम, मुजफ्फरनगर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 25.01.2017 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
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“वाहन स्विफ्ट डिजायर मारूति कार सं0-यू0पी0-12आर-4786 की कथित चोरी के सम्बन्ध में विपक्षी बीमा कम्पनी से मॉगे गये बीमा क्लेम को अनुतोष हेतु विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध परिवादी का यह परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी रॉयल सुन्दरम एलायंज इंश्योरेंस कम्पनी लि0 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी के चोरी गये उक्त वाहन स्विफ्ट डिजायर मारूति कार सं0-यू0पी0-12-आर-4786 की बीमित धनराशि अंकन 2,96,513.00 रू0 की 75 प्रतिशत यदि अंकन 2,22,385.00 रू0 (दो लाख बाईस हजार तीन सौ पच्चासी मात्र) इस निर्णय के तीस दिन के अन्दर परिवादी को अदा करें।
परिवाद संस्थित किये जाने के दिनांक से पूर्ण एवं वास्तविक अदायगी के दिनांक तक परिवादी उक्त धनराशि पर 07 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज राशि भी विपक्षी बीमा कम्पनी से प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
इसके अतिरिक्त इस सम्बन्ध में स्वयं को पहुंची असुविधा की प्रतिपूर्ति के रूप में अंकन 5,000.00 रू0 एवं परिवाद व्यय की प्रतिपूर्ति के रूप में अंकन 2,000.00 रू0 की धनराशि भी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को देय होगी।”
जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी रॉयल सुन्दरम एलायंज इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड ने यह अपील प्रस्तुत की है।
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अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार उपस्थित आये है। प्रत्यर्थी की ओर से नोटिस तामीला के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने जिला फोरम के समक्ष परिवाद अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसकी स्विफ्ट डिजायर मारूति कार जिसका पंजीयन नं0-यू0पी0 12 आर 4786 था, अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से दिनांक 07.01.2013 से 06.01.2014 तक की अवधि के लिए बीमित थी और बीमा अवधि में ही दिनांक 25.5.2013 को करीब 4.15 बजे प्रात: शहर मुजफ्फरनगर स्थित जाट कालोनी के पास पेट्रोल पम्प के सामने जब वह अपनी कार खड़ी कर पेशाब करने लगा। तब कुछ अज्ञात चोर उसकी कार को चोरी कर उठा ले गये। उसके बाद प्रत्यर्थी/परिवादी ने घटना की सूचना 100 नम्बर पर पुलिस कन्ट्रोल रूप में दी, जिस पर लैपर्ड मोबाइल पुलिस पेट्रोल पम्प पर उसके पास आयी और उसको साथ लेकर कार की इधर-उधर तलाश की, परन्तु उसकी कार का पता नहीं चला। तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने उसी दिन थाना सिविल लाइन जनपद मुजफ्फरनगर में धारा-379 भा0द0सं0 के अन्तर्गत रिपोर्ट दर्ज करायी और मोबाइल के माध्यम
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से अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी को भी सूचना देने का प्रयास किया।
परिवाद पत्र के अनुसार दिनांक 25.5.2013 और 26.5.2013 को क्रमश: शनिवार एवं रविवार होने के कारण विपक्षी बीमा कम्पनी के यहॉ अवकाश था, इसलिए उसका फोन रिसीव नहीं हो पाया। तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने मुजफ्फरनगर की मारूति कार एजेंसी में घटना की लिखित सूचना दी और उक्त एजेंसी द्वारा परिवादी को आश्वस्त किया गया कि कथित घटना के सम्बन्ध में बीमा कम्पनी को सूचित कर दिया गया है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी को आवश्यक कागजात उपलब्ध कराये फिर भी अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी ने उसका बीमा दावा को निस्तारित नहीं किया और दिनांक 06.3.2014 को बीमा दावा यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने सूचना करीब 05 दिन विलम्ब से दिया है, जो उचित नहीं है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत कर बीमित धनराशि क्षतिपूर्ति और वाद व्यय की मॉग की है।
अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत कर कहा गया है कि कथित घटना के समय प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने वाहन स्विफ्ट डिजायर में चाभी लगी छोड़ दिया था और वाहन की सुरक्षा की प्रति लापरवाही बरती है, जिससे
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यह दुर्घटना घटित हुई है। इस प्रकार उसने बीमा पालिसी की शर्त का उल्लंघन किया है। इसके साथ ही उसने चोरी की सूचना पॉच दिन विलम्ब से बीमा कम्पनी को दी है, जो बीमा पालिसी की शर्त का उल्लंघन है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी ने प्रत्यर्थी/परिवादी का बीमा दावा उचित आधार पर अस्वीकार किया है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन और उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरांत यह माना है कि अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी का बीमा दावा अस्वीकार किया जाना उचित नहीं है, इसके साथ ही जिला फोरम ने यह भी माना है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने वाहन की चाभी वाहन में लगी छोड़ कर दी थी, जिससे यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने वाहन की उचित सुरक्षा नहीं की है। अत: जिला फोरम ने प्रत्यर्थी/परिवादी का बीमा दावा 25 प्रतिशत की कटौती कर नॉन स्टैण्डर्ड बेसिस पर तय किया जाना उचित माना है और तद्नुसार आदेश पारित किया है, जो ऊपर अंकित है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने वाहन की चोरी की सूचना अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी को विलम्ब से दी है और वाहन की चाभी वाहन में ही छोड़कर वाहन की सुरक्षा हेतु पर्याप्त उपाय नहीं किया है। अत: बीमा दावा अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा अस्वीकार किये जाने हेतु उचित आधार है। जिला फोरम का निर्णय दोष पूर्ण है।
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मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क पर विचार किया है।
जिला फोरम के निर्णय और परिवाद पत्र के कथन से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपनी कार की चोरी की सूचना तुरन्त मोबाइल पुलिस दल को दी है और उसी दिन घटना की रिपोर्ट थाने में दर्ज करायी है। परिवाद पत्र के कथन से यह भी स्पष्ट है कि घटना की तिथि दिनांक 25.5.2013 और 26.5.2013 को शनिवार व रविवार था। अत: बीमा कम्पनी को 05 दिन विलम्ब से सूचना देने का उचित कारण है। प्रथम सूचना रिपोर्ट तुरन्त उसी दिन पुलिस में प्रत्यर्थी/परिवादी ने दर्ज करायी है। अत: विलम्ब से बीमा कम्पनी को सूचना दिये जाने के आधार अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा बीमा दावा निरस्त किया जाना उचित नहीं है। इस संदर्भ में जिला फोरम ने जो निष्कर्ष निकाला है, वह उचित और विधि सम्मत है।
उभय पक्ष के अभिकथन एवं जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय से स्पष्ट है कि घटना के समय प्रत्यर्थी/परिवादी ने कार की चाभी कार में छोड़ दी थी और पेशाब करने चला गया था, जिससे यह दुर्घटना घटित हुई है। अत: जिला फोरम ने जो यह माना है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने वाहन की सुरक्षा हेतु पर्याप्त उपाय नहीं किये हैं, वह उचित है और प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से कोई अपील प्रस्तुत नहीं की गई है। अत: जिला फोरम ने जो 25 प्रतिशत की कटौती कर नॉन स्टैण्डर्ड बेसिस पर दावा तय किया है वह उचित है।
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जिला फोरम ने जो बीमित धनराशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 07 प्रतिशत वार्षिक की दर से जो ब्याज दिया है, वह भी उचित है। जिला फोरम ने जो 2,000.00 रू0 वाद व्यय दिलाया है, वह भी उचित है।
बीमित धनराशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से ब्याज दिया गया है अत: जिला फोरम ने जो 5,000.0 रू0 असुविधा की प्रतिपूर्ति हेतु अतिरिक्त क्षतिपूर्ति दिलाया है, वह उचित नहीं है और अपास्त किये जाने योग्य है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम ने असुविधा की प्रतिपूर्ति के लिए जो 5,000.00 रू0 की क्षतिपूर्ति अपीलार्थी/विपक्षी से प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलायी है, उसे अपास्त किया जाता है। जिला फोरम के निर्णय का शेष अंश यथावत कायम रहेगा।
अपील में उभय पक्ष अपना अपना वाद व्यय स्वयं बहन करेगें।
धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनिमय के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि 25,000.00 रू0 अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जायेगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-1