राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-1464/2008
(जिला उपभोक्ता फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद संख्या-302/2005 में पारित निर्णय दिनांक 11.04.2008 के विरूद्ध)
मेरठ डेवलपमेन्ट अथारिटी, मेरठ द्वारा वाइस चेयरमैन।
........अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
आशा कौल ए-151 शक्ति अपार्टमेन्ट, सेक्टर-9 रोहिणी
दिल्ली-110085 ..........प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री रामराज की सहयोगी राधिका
सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री इफ्तिखार हसन, विद्वान
अधिवक्ता।
दिनांक 18.04.2023
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 302/2005 आशा कौल बनाम उप सचिव मेरठ विकास प्राधिकरण तथा एक अन्य में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 11.04.2008 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता मंच ने परिवाद स्वीकार करते हुए अंकन रू. 432000/- की बावत अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने का आदेश दिया हे।
2. इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता मंच ने परिवादिया द्वारा दि. 05.01.2009 को मकान संख्या ओएच-209 पल्लवपुरम मेरठ फेज 2 में भूखंड प्राप्त करने के लिए रू. 54000/- पंजीकरण राशि जमा की थी। इस भवन का कुल अनुमानित मूल्य रू. 540000/- था। रू. 54000/- समायोजित करने
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के पश्चात रू. 432000/- बकाया थे। चूंकि भुगतान 16 अर्द्धवार्षिक किश्तों में होना था, जिस पर 18 प्रतिशत ब्याज देय था। परिवादी द्वारा दि. 15.11.99 को रू. 54000/- जमा किया। दि. 27.11.99 को अपीलार्थी द्वारा इस आशय का पत्र लिखा गया कि कब्जा प्राप्त करने के लिए देय 3 किश्त तथा फ्री होल्ड किश्त रू. 32724/-, वाटर सीवर चाजेस रू. 625/-, डाकूमेन्ट चार्जेस रू. 50/-, सेल डीड पंजीकरण के लिए स्टांप शुल्क रू. 95850/- जमा करें और कब्जा प्राप्त कर लें। परिवादिया द्वारा लोन प्राप्त करने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र के लिए आवेदन दिया गया। अपीलार्थी द्वारा अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया, जिसकी फोटोप्रति एनेक्सर संख्या 7 है, परन्तु किश्तों का भुगतान न होने के कारण अपीलार्थी द्वारा डिमांड नोटिस जारी किया गया और कब्जा प्राप्त करने के लिए पत्र लिखा गया, अन्यथा चौकीदारा शुल्क देने के लिए आदेशित किया गया। दि. 18.11.02 कसे फ्री होल्ड सेल डीड लिखी गई। दि. 25.11.2000 को भौतिक कब्जा सुपुर्द कर दिया गया, इसके बाद कुछ मामूली त्रुटियों की ओर इशारा किया गया। समयावधि से बाधित परिवाद प्रस्तुत किया गया। कब्जा प्राप्ति के 8 वर्ष बाद यह परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय व आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. परिवादिया का कथन यह है कि भवन की कुल कीमत रू. 540000/- बतायी गई थी, परन्तु मूलभूत सुविधाएं भवन में उपलब्ध नहीं करायी, इसलिए एक लाख रूपये की छूट का आग्रह किया गया, परन्तु विपक्षी द्वारा केवल रू. 9181/- की छूट दी गई। परिवादिनी
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अंकन रू. 432000/- ऋण लेकर जमा करने के लिए तैयार थी। ऋण प्राप्त करने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र की मांग की गई थी। अनापत्ति प्रमाणपत्र देने का आदेश जिला उपभोक्ता मंच द्वारा दिया गया है, इस आदेश का कोई विपरीत प्रभाव प्राधिकरण पर नहीं है, परन्तु प्राधिकरण की ओर से यह कहना है कि उनके द्वारा यथार्थ में अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया था, इसके बावजूद भी किश्त की अदायगी नहीं की गई, इसलिए परिवाद प्रस्तुत करने का कोई आधार नहीं था। एनेक्सर संख्या 7 के अवलोकन से जाहिर होता है कि प्राधिकरण द्वारा 25.03.2000 को अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी किया गया, जिसको परिवादिया आशा कौल द्वारा प्राप्त किया गया, इस पर आशा कौल के हस्ताक्षर हैं। इस तथ्य से भी इंकार नहीं किया गया कि यह हस्ताक्षर फर्जी या बनावटी हैं, इसलिए जिस अनुतोष की मांग की गइ वह अनुतोष यथार्थ में विहीन हो चुका है, क्योंकि अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राधिकरण द्वारा जारी किया जा चुका था, इसलिए वर्ष 2008 में परिवाद प्रस्तुत करने का कोई औचित्य नहीं था, अत: स्पष्ट होता है कि मंच द्वारा समयावधि से बाधित वाद कारण विहीन परिवाद पर अपना निर्णय पारित किया गया है, जो अपास्त होने योग्य है।
आदेश
5. अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्त किया जाता है। परिवाद खारिज किया जाता है।
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प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-3