(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
परिवाद संख्या :393/2019
असिस्टेंट कमिश्नर (प्रशासन) कामर्शिलय टैक्स कार्यालय-पिपरी रोड राबर्टसगंज, जनपद-सोनभद्र द्वारा श्री सिद्धार्थ सिंह, असिस्टेंट कमिश्नर, कामर्शिलय टैक्स, खण्ड-5, सोनभद्र अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
आशा देवी पत्नी लाल बहादुर निवासी चिल्काटाड बस्ती थाना शक्ति नगर, जनपद सोनभद्र प्रत्यर्थी/परिवादिनी
दिनांक : 31-08-2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री विश्वास सारस्वत उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री सुधीर कुमार श्रीवास्तव उपस्थित।
परिवाद संख्या-71/2016 में विद्धान जिला आयोग, सोनभद्र द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 26-09-2017 के विरूद्ध यह अपील इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
विद्धान जिला आयोग ने परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया है कि वह परिवादिनी को बीमित धनराशि मु0 5,00,000/-रू0 का भुगतान करें साथ ही मानसिक व शारीरिक क्षति के रूप में मु0 5,000/-रू0 तथा वाद व्यय के रूप में मु0 2500/-रू0 का भुगतान करें। उपरोक्त आदेश का अनुपालन एक माह की अवधि में किया जावे।
इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि परिवादिनी के पति का बीमा, बीमा कम्पनी द्वारा किया गया था किन्तु बीमा कम्पनी को पक्षकार नहीं बनाया गया है। अत: अपीलार्थी द्वारा परिवादिनी को बीमा क्लेम की धनराशि देय नहीं है।
असिस्टेंट कमिश्नर, कामर्शियल टैक्स तथा यूनाइटेड इण्डिया इं0 कं0 के मध्य एक इकरारनामा निष्पादित हुआ जिसके अनुसार पंजीकृत व्यापारियों
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की दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर 4,00,000/-रू0 की बीमा राशि एवं अन्य लाभ, यदि कोई हो, के भुगतान का प्राविधान था और जिसके अनुसार बीमाधारक की मृत्यु या हत्या होने पर लिखित सूचना बीमा कम्पनी को दी जानी थी साथ ही एक माह के अंदर मृत्यु की सूचना अपीलार्थी को भी दी जानी थी जो कि परिवादिनी द्वारा नहीं दी गयी है। मृत्यु बीमा क्लेम केवल बीमा कम्पनी द्वारा देय है इसलिए अपीलार्थी के विरूद्ध पारित आदेश विधि विरूद्ध है।
दोनों पक्षकारों को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
परिवाद पत्र के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी के पति लाल बहादुर की हत्या दिनांक 19-03-2013 को कर दी गयी है जिसके संबंध में थाना राबर्टसगंज में मु0अ0सं0-468/13 धारा-302,201, 120 बी. आई.पी.सी. पंजीकृत हुआ। परिवादिनी के पति एक व्यापारी थे और उनका नियमानुसार बीमा कराया गया था, परन्तु बीमा क्लेम प्रस्तुत करने के बावजूद भी तथा कई बार आग्रह करने के बावजूद विपक्षी द्वारा बीमा क्लेम की धनराशि प्राप्त नहीं करायी गयी।
पक्षकारों के मध्य बीमा पालिसी से संबंधित निष्पादित किये गये अनुबंध की प्रति पत्रावली पर मौजूद है जिसके अवलोकन से ज्ञात होता है कि वाणिज्य कर विभाग द्वारा व्यापारियों का संयुक्त बीमा कराया गया था और एक मुश्त प्रीमियम की धनराशि का भुगतान भी किया गया था तथा बीमा राशि 4,00,000/-रू0 या अन्य लाभ यदि कोई हैं, जीवित विधिक विवाहिता पति/पति को उपलब्ध कराये जाने का प्राविधान था तथा किसी भी बीमित व्यापारी की दुर्घटना में मृत्यु या हत्या हो जाने पर वाणिज्य कर विभाग के माध्यम से बीमा कम्पनी में दावा प्रस्तुत किया जाने का प्राविधान था। प्रस्तुत केस में परिवादिनी ने कहीं पर भी यह उल्लेख नहीं किया है कि बीमा क्लेम बीमाधारक की मृत्यु होने के पश्चात वाणिज्य कर विभाग के माध्यम से किस दिन बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
परिवाद पत्र में केवल यह उल्लेख है कि अपने अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भेजी गयी थी। चूंकि परिवाद पत्र में बीमा क्लेम की तिथि का कोई उल्लेख नहीं है इसलिए यह निष्कर्ष नहीं दिया जा सकता है कि बीमा क्लेम करार में वर्णित समयावधि के अन्तर्गत अपीलार्थी के माध्यम से बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। अत: विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय विधि विरूद्ध है और अपास्त होने योग्य है।
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आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश 26-09-2017 निरस्त किया जाता है साथ ही परिवाद भी खारिज किया जाता है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1