राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-958/2008
दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0
बनाम
अरविन्द कुमार तिवारी पुत्र श्री योगेश कांत तिवारी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दिनेश कुमार,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 20.09.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, इटावा द्वारा परिवाद संख्या-133/2006 अरविन्द कुमार तिवारी बनाम दि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कं0लि0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 31.03.2008 के विरूद्ध योजित की गयी है। प्रस्तुत अपील विगत लगभग 16 वर्ष से लम्बित है।
मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी टेम्पू सं0 यू0पी0 75/ई-9184 का पंजीकृत स्वामी है, जो विपक्षी बीमा कम्पनी से दिनांक 04.11.2004 से दिनांक 03.11.2005 तक के लिए बीमित था। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 17.06.2005 को तीन बजे सामने से आ रहे ट्रक व साईकिल सवार को बचाने में पुलिया के पास पलट गया तथा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। दुर्घटना के समय वाहन को चालक शेष नरायन तिवारी चला रहा
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था। परिवादी द्वारा घटना की रिपोर्ट थाना बकेवर में दिनांक 18.06.2005 को दिया तथा विपक्षी बीमा कम्पनी के कार्यालय में दुर्घटना की सूचना समस्त कागजात सहित दिया तथा अनुमानित स्टीमेट 1,06,100/-रू0 विपक्षी बीमा कम्पनी के कार्यालय में दिनांक 15.07.2005 को दिया, परन्तु विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा बीमा क्लेम का भुगतान नहीं किया गया। अत: क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से लिखित उत्तर प्रस्तुत किया गया तथा मुख्य रूप से यह कथन किया गया कि दुर्घटना की सूचना विपक्षी बीमा कम्पनी के कार्यालय में दिनांक 21.06.2005 को दी गयी, जिसके आधार पर क्लेम दर्ज किया गया। सर्वेयर द्वारा दिनांक 21.06.2005 को ही स्पाट सर्वे किया गया। स्पाट सर्वे के बाद परिवादी द्वारा फाईनल सर्वे कराए जाने हेतु कोई सूचना नहीं दी गयी तथा न ही वांछित आवश्यक प्रपत्र उपलब्ध कराए गए। इस संबंध में विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को नोटिस प्रेषित की गयी, परन्तु परिवादी द्वारा कोई औपचारिकता पूर्ण नहीं की गयी। परिवाद निरस्त होने योग्य है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त परिवाद निर्णीत करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया है:-
''परिवादी का परिवाद सव्यय स्वीकार किया जाता है। विपक्षी बीमा कम्पनी एक माह के अंदर बीमित राशि 1,20,000/-रू0 मय 8% ब्याज परिवाद दायर करने की तिथी से तथा 10,000/-रू0 हर्जा एवं 500/-रू0 वाद व्यय परिवादी को अदा करे। निर्धारित अवधि में धनराशि का भुगतान न होने पर 12% ब्याज देय
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होगा।''
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुनने तथा समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया, परन्तु मेरे विचार से जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जो समयावधि में आदेशित/देय धनराशि का भुगतान न करने पर आदेशित/देय धनराशि पर 12 प्रतिशत ब्याज की देयता निर्धारित की गयी है, उसे न्यायहित में 06 प्रतिशत ब्याज किया जाना उचित है। इसके साथ ही जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जो हर्जा हेतु 10,000/-रू0 की देयता निर्धारित की गयी है, उसे न्यायहित में 5,000/-रू0 किया जाना उचित है।
तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता आयोग, इटावा द्वारा परिवाद संख्या-133/2006 अरविन्द कुमार तिवारी बनाम दि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कं0लि0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 31.03.2008 को संशोधित करते हुए आदेशित/देय धनराशि पर 06 प्रतिशत ब्याज की देयता निर्धारित की जाती है। इसके साथ ही हर्जा हेतु 5,000/-रू0 (पॉंच हजार रूपए) की देयता निर्धारित की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग का शेष आदेश यथावत् रहेगा।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1