(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-38/2010
रिलायंस इण्डस्ट्रीज लिमिटेड
बनाम
अनुपम सुगर इण्डस्ट्रीज तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : श्री आलोक सिन्हा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : 23.11.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-99/2005, अनुपम शुगर इण्डस्ट्रीज बनाम रिलायंस इण्डस्ट्रीज लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, लखीमपुर-खीरी द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 6.8.2007 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है, जबकि प्रत्यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक सिन्हा उपस्थित हैं, उन्हें सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार विपक्षी सं0-1 द्वारा उत्पादित एलडीओ विपक्षी सं0-2 के माध्यम से परिवादी द्वारा विपक्षी
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सं0-1 से 20 किलो लीटर एलडीओ विक्रय किया गया था, इसके लिए परिवादी द्वारा अंकन 3,40,000/-रू0 का डिमांड ड्राफ्ट विपक्षी सं0-1 के नाम बनाकर विपक्षी सं0-2 को दिया गया था। दिनांक 11.11.2003 को एलडीओ का मूल्य मय भाड़ा अंकन 18,600/-रू0 प्रति किलो लीटर था। विपक्षी सं0-1 ने डिमांड ड्राफ्ट का भुगतान प्राप्त कर लिया, लेकिन परिवादी को माल नहीं भेजा।
3. विपक्षीगण का कथन है कि परिवाद माल के क्रय से संबंधित है, जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आता है।
4. विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि चूंकि विपक्षी सं0-1 ने अंकन 3,40,000/-रू0 ड्राफ्ट के माध्यम से प्राप्त किया है, परन्तु उनके द्वारा डीजल ऑयल नहीं भेजा गया, इसलिए अंकन 3,40,000/-रू0 6 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस लौटाने का आदेश पारित किया गया है।
5. स्वंय परिवाद पत्र में वर्णित तथ्यों के अवलोकन से स्पष्ट हो जाता है कि परिवादी तथा विपक्षी सं0-1 के मध्य विपक्षी सं0-2 के माध्यम से विशुद्ध रूप से व्यापारिक संव्यवहार हुआ है। व्यापारिक संव्यवहार होने के पश्चात यदि किसी पक्षकार द्वारा संविदा की शर्तों का उल्लंघन किया जाता है या संविदा का अनुपालन नहीं किया जाता है तब संविदा अधिनियम की धारा 73/74 के अंतर्गत क्षतिपूर्ति की मांग की जा सकती है। व्यापारिक संव्यवहार में दो पक्षकार के मध्य उपभोक्ता तथा सेवाप्रदाता के संबंध स्थापित नहीं होते। अत: स्पष्ट है
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कि विद्वान जिला आयोग द्वारा गैर उपभोक्ता विवाद पर अपना निर्णय/आदेश पारित किया गया है, जो अपास्त होने योग्य है। तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 6.8.2007 अपास्त किया जाता है तथा गैर उपभोक्ता विवाद होने के कारण परिवाद खारिज किया जाता है। यद्यपि परिवादी को अवसर रहेगा कि वह सक्षम न्यायालय से वांछित अनुतोष की प्राप्ति कर सकता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3