राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
परिवाद सं0- 272/2018
Mrs. Raj Kumari Mishra Village Bharatkhera Post- Kacchauna District- Hardoi, Pin-241126.
………Comp.
Versus
1. Ansal API 115, Ansal Bhawan 16, Kasturba Gandhi Marg, New Delhi-110001.
2. Ansal Properties And Infrastructures Ltd. 1st Floor, Y.M.C.A. Building 13, Rana Pratap Marg, Lucknow 226001.
…….Opposite Parties
समक्ष:-
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादिनी की ओर से उपस्थित : परिवादिनी के पति श्री अमरनाथ
मिश्रा।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 22.12.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. यह परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध 19,85,320/-रू0 18 प्रतिशत ब्याज सहित प्राप्त करने के लिए तथा परिवादिनी को कारित प्रताड़ना के लिए प्रतिकर हेतु प्रस्तुत किया गया है।
2. परिवादिनी का कथन है कि विपक्षीगण द्वारा सेक्टर पी, पॉकेट 4 में प्लाट नं0- 0231 कीमत 49,63,296/-रू0 का आवंटित किया गया। परिवादिनी द्वारा अंकन 20,17,137/-रू0 जमा किए जा चुके हैं, परन्तु भूखण्ड का ले आउट कभी भी उपलब्ध नहीं कराया गया।
3. परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र, आवंटन पत्र तथा जमा धनराशि एवं निष्पादित करार की प्रति भी प्रस्तुत की गई है।
4. लिखित कथन में यह उल्लेख किया गया है कि परिवादिनी ने केवल 5 किश्तें अदा की हैं और विकास के मद में कोई धनराशि जमा नहीं की है। परिवादिनी द्वारा इन शर्तों का कोई अनुपालन नहीं किया गया। परिवाद देरी से प्रस्तुत किया गया है, इसलिए संधारणीय नहीं है।
5. लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
6. हमने परिवादिनी के पति श्री अमरनाथ मिश्रा को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया।
7. विपक्षीगण का यह तर्क है कि विपक्षी कम्पनी के विरुद्ध मोरिटोरियम की कार्यवाही प्रारम्भ हो चुकी है। इसलिए इस परिवाद पर सुनवाई न की जाए, परन्तु इस सम्बन्ध में 13.12.2022 को ही आदेश पारित किया जा चुका है। यह कार्यवाही केवल हरियाणा स्थित योजना के सम्बन्ध में की गई है। इसलिए इस तर्क में कोई बल नहीं है कि परिवाद की सुनवाई न की जाए।
8. परिवादिनी की ओर से इस तथ्य को रसीद एवं शपथ पत्र से साबित किया गया है कि उनके द्वारा अंकन 19,85,320/-रू0 जमा किए गए हैं, परन्तु प्लाट ले आउट तक प्राप्त नहीं कराया गया है। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि समस्त धनराशि जमा नहीं की गई है। इसलिए प्लाट ले आउट तक उपलब्ध न कराने का यह परिणाम है। यह तथ्य स्थापित है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी को आवंटित भूखण्ड से सम्बन्धित योजना का कोई विकास नहीं किया गया और यथार्थ में विकसित भूखण्ड देने के लिए उपलब्ध नहीं है तथा अनुचित व्यापार प्रणाली अपनाते हुए परिवादिनी से धनराशि प्राप्त कर ली गई। अत: परिवादिनी इस धनराशि पर 09 प्रतिशत ब्याज सहित वापस प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। साथ ही मानसिक प्रताड़ना के मद में अंकन 2,00,000/-रू0 भी प्राप्त करने के लिए अधिकृत है एवं परिवाद व्यय के रूप में 25,000/-रू0 प्राप्त करने के लिए अधिकृत है, क्योंकि देरी के बिन्दु पर कोई बहस नहीं की गई। अत: परिवाद को समयावधि से बाधित मानने का कोई आधार नहीं है। विशेष स्थिति में परिवादिनी नियमित रूप से ले आउट की मांग करती रही। इसलिए वाद कारण निरंतर बना रहा। तदनुसार परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
9. अ. परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवादिनी द्वारा जमा धनराशि अंकन 19,85,320/-रू0 मय 09 प्रतिशत ब्याज धनराशि जमा करने की तिथि से वास्तविक अदायगी की तिथि तक 03 माह के अन्दर परिवादिनी को अदा करें।
ब. विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि मानसिक प्रताड़ना के मद में अंकन 2,00,000/-रू0 परिवादिनी को अदा करें। यदि इस राशि का भुगतान 03 माह के अन्दर अदा किया जाता है तब कोई ब्याज देय नहीं होगा, परन्तु 03 माह बाद भुगतान करने पर निर्णय की तिथि से भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत की दर से ब्याज देय होगी।
स. विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि परिवाद व्यय के रूप में अंकन 25,000/-रू0 03 माह के अन्दर परिवादिनी को अदा करें।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 2