(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
परिवाद संख्या : 365/2017
संगीता वर्मा पत्नी नरेश कुमार वर्मा, निवासी-ए0एम0-240, वीरांगना नगर, वीरांगना, झॉसी। .....परिवादिनी
बनाम्
- प्रबन्धक निदेशक अंसल हाउसिंग एण्ड कन्ट्रक्शन लिमिटेड, 15 यू0जी0एफ0 इन्द्रा प्रकाश 21, बारह खम्बा रोड, न्यू दिल्ली-110 001
- प्रबंधक निदेशक अंसल हाउसिंग एण्ड कन्ट्रक्शन लिमिटेड, दुकान नम्बर-6, प्रथम मंजिल अपोजिट मेडिकल कॉलेज, झॉसी।
- .विपक्षीगण
समक्ष :-
1- मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष ।
उपस्थिति :
परिवादी की ओर से उपस्थित- श्री संजय कुमार वर्मा ।
विपक्षी की ओर से उपस्थित- श्रीमती सुचिता सिंह ।
दिनांक : 23-10-2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित निर्णय
परिवादिनी श्रीमती संगीता वर्मा ने यह परिवाद विपक्षीगण प्रबंधक निदेशक अंसल हाउसिंग एण्ड कन्ट्रक्शन लिमिटेड व एक अन्य के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है :-
- यह कि आवंटित विलाए-038 की रजिस्ट्री व भौतिक कब्जा अविलम्ब परिवादिनी के पक्ष में करने हेतु विपक्षीगण को निर्देशित करने की कृपा करें।
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ब- यह कि जमा धनराशि 26,70,451/-रू0 पर 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सन् 2011 से विला का भौतिक कब्जा प्रदान करने तक दिलाया जावे।
स- यह कि दिनांक 13-11-2014 के पजेशन आफर पत्र में स्टाम्प ड्यूटी को छोड़कर शेष धनराशि निरस्त की जावे।
द- यह कि मैन्टेनेन्स व सर्विस चार्ज के यप में मांगी गयी कुल धनराशि को निरस्त करने हेतु विपक्षीगण को निर्देशित करने की कृपा करें।
य- यह कि मानसिक कष्ट के तहत 2,00,000/-रू0 विपक्षीगण को निर्देशित करने की कृपा करें।
र- यह कि वाद व्यय के तौर पर रू0 50,000/- परिवादी को विपक्षीगण से दिलाये जाने की कृपा करें।
ल- यह कि अन्य कोई अनुतोष जो परिवादिनी के हित में हो, विपक्षीगण से दिलाये जाने की कृपा करें।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी श्रीमती संगीता वर्मा का कथन है कि विपक्षीगण ने परिवादिनी के आवेदन पत्र पर अपनी परियोजना में यूनिट नम्बर-038 विला, जिसका कुल क्षेत्रफल 2093 वर्गफिट है, रू0 30,70,448.89/- में बिक्री करने का अनुबंध उससे किया। उसे कैश डाउन डिस्काउन्ट के तहत रू0 3,07,044.89 की छूट दी गयी थी। इस प्रकार उसे कुल भुगतान 27,63,404/-रू0 करना था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि दिनांक 06-07-2011 को उसे विपक्षीगण ने आवंटन पत्र जारी किया और आवंटन पत्र के अनुसार 36 माह के अंदर उक्त विला का निर्माण पूरा कर कब्जा दिया जाना था।
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परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि पेमेन्ट प्लान के अनुसार परिवादिनी को आवंटन की तिथि से 30 दिवस के अंदर रू0 2,76,340/-रू0 का भुगतान करना था। उसके बाद 60 दिन के अंदर रू0 22,10,724/- का भुगतान करना था। उसके बाद 05 प्रतिशत का भुगतान अर्थात रू0 1,38,170/- का भुगतान भौतिक कब्जा दिये जाने के समय करना था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि उसे जो आवंटन पत्र दिनांक 06-07-2011 को दिया गया था उसके 30 दिवस के अंदर बुकिंग एमाउन्ट मिलाकर रू0 4,14,510/- का भुगतान करना था, जब कि उसने इस अवधि में रू0 4,52,426/- का भुगतान किया है यानि कि रू0 37,916/-अधिक का भुगतान किया है। उसके 60 दिवस के अंदर जो 22,10,724/-रू0 का भुगतान करना था। वह भुगतान उसने 60 दिन निकलने के बाद 96 दिन के अंदर किया और 95 प्रतिशत की जो धनराशि 26,25,233.80/-रू0 बनती थी उसके स्थान पर रू0 26,70,451/- का भुगतान विपक्षीगण को किया है। इस प्रकार उसने 95 प्रतिशत से अधिक धनराशि का भुगतान विपक्षीगण को किया है।
परिवाद पत्र में परिवादिनी ने कहा है कि उसे 80 प्रतिशत धनराशि विपक्षीगण को अदा करनी थी, परन्तु उसने यह सोचकर कि विपक्षीगण के यहॉं 95 प्रतिशत धनराशि जमा कर दी है 80 प्रतिशत धनराशि समय से वह जमा नहीं कर पायी थी। भौतिक कब्जा लेते समय मात्र 92,953/-रू0 का भुगतान उसे करना था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि विपक्षीगण ने बुकलेट में जो सुविधाऍं दिखायी थी उनमें कालोनी के अंदर क्लब, पार्क, मॉल इत्यादि सुविधाऍं बतायी गयी थी, परन्तु विपक्षीगण ने कालोनी में न तो पार्क बनाया और न ही माल बनाया। इसके साथ ही विपक्षीगण ने अपने ब्रोसर में यह भी लिखा था कि मास्टर बैडरूम बुडन से लैमिनेट दिया जायेगा। मॉडल किचन चिमनी सहित एवं 2 टीयर
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सिक्योरिटी दी जायेगी। टाटा स्काई का कनेक्शन लिविंग रूप में दिया जायेगा और मोसन सेंसर लाईटिंग प्रत्येक घर के द्वार पर प्रदान की जायेगी। यह सभी सुविधाएं विला की कास्ट में सम्मिलित थी, परन्तु यह सभी सुविधाएं दिये बिना विपक्षीगण ने परिवादिनी को दिनांक 13-11-2014 को विला के पजेशन के आफर का पत्र भेजा और 6,87,7602-रू0 की मांग परिवादिनी से की। पत्र पाते ही परिवादिनी विपक्षीगण के यहॉं गयी और मांगी गयी धनराशि पर आपत्ति की। पत्र में 1,86,518/-रू0 ओवरड्यू चार्जेज लगाये गये थे जो अनुचित थे क्योंकि परिवादिनी ने कोई भी लेट पेमेन्ट नहीं किया था।
परिवाद पत्र में परिवादिनी ने कहा है कि उसे 36 महीने के अंदर भौतिक कब्जा नहीं दिया गया है। अत: वह 36 महीने गुजरने के बाद जमा धनराशि पर 21 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज पाने की अधिकारी है जो 46732/- प्रतिमाह आता है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि उसने झॉसी कार्यालय में दिनांक 24-12-2014 को विपक्षीगण द्वारा जारी अनुचित मांग के संबंध में पत्र विपक्षीगण को दिया और अनुचित रूप से जारी मांग को निरस्त करने का निवेदन किया ताकि वह अपनी विला का रजिस्ट्रेशन विपक्षीगण से करा सके। तब विपक्षीगण ने उसे पत्र दिनांक 23-01-2014 भेजा और सूचित किया कि माननीय उच्च न्यायालय में एस0एल0पी0 नम्बर-17741/2007 के द्वारा सभी बिल्डिंग प्रोजेक्ट पर बैट टैक्स लगाया गया है अत: आवंटित बिल संख्या-1038 पर वैट टैक्स का भुगतान उसे करना पड़ेगा।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि विपक्षीगण ने जब दिनांक 06-07-2011 को अनुबंध किया था और 90 दिन के अंदर परिवादिनी ने आवंटित यूनिट की 95 प्रतिशत धनराशि अदा की
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थी। उसके बाद यह टैक्स लगाया गया है। अत: वह वैट टैक्स के दायरे में नहीं आती है और टैक्स के भुगतान का उसका कोई दायित्व नहीं बनता है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि दिनांक 24-12-2014 को उसके द्वारा विपक्षीगण को भेजे गये पत्र का कोई जवाब नहीं मिला तब उसने दिनांक 11-01-2015 को ई-मेल से पत्र विपक्षीगण को भेजा, उसका भी कोई जवाब विपक्षीगण ने नहीं दिया। परन्तु विपक्षीगण ने मौखिक रूप से उससे कहा कि उसने जो 26,70,451/-रू0 जमा किया था उसमें से वैट टैक्स काट लिया गया है।
परिवाद पत्र में परिवादिनी ने कहा है कि दिनांक 13-11-2014 को उसे विला के पजेशन का जो आफर भेजा गया है उस पत्र में अंकित धनराशि में परिवादिनी स्टैम्प का पैसा और रजिस्ट्री करते समय जो खर्च आयेगा वह अदा करने को तैयार है। जो रू0 92,953/-रू0 उसके जिम्मा बकाया था उसका भुगतान करने को भी वह तैयार है। इसके साथ ही वह जब विला में रहने लगेगी तब से कॉमन मैन्टेनेशन चार्जेज व सिक्योरिटी डिपोजिट धनराशि देने को तैयार है क्योंकि विला का निर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है।
परिवाद पत्र में परिवादिनी ने कहा है कि विपक्षीगण ने विला का निर्माण मानक के अनुसार नहीं किया है और निर्माण पूरा नहीं हुआ है। पजेशन आफर गलत दिया गया है और उससे गलत धनराशि की मांग की गयी है अत: उसने क्षुब्ध होकर यह परिवाद प्रस्तुत किया है और उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षीगण को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस दिनांक 01-02-2017 को प्रेषित की गयी है जो अदम तामील वापस नहीं आयी है अत: 30 दिन का समय पूरा होने के पश्चात आदेश दिनांक 03-01-2018 के द्वारा विपक्षीगण पर नोटिस का तामीला पर्याप्त माना गया है। फिर भी विपक्षीगण की ओर से कोई लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया है
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अत: विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गयी है।
परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादिनी संगीता वर्मा का शपथ पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया गया है। परिवादिनी ने शपथ पत्र के साथ प्रश्नगत विला का फोटोग्राफ भी प्रस्तुत किया है।
विपक्षीगण की ओर से Mehshar Neyazi का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है, परन्तु विपक्षी की ओर से कोई लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया है और उनके विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से चल रही है। अत: विपक्षी की ओर से प्रस्तुत शपथ पत्र साक्ष्य में ग्राह्य नहीं है। विपक्षीगण की ओर से भी विला का फोटोग्राफ प्रस्तुत किया गया है1
विपक्षी की ओर से लिखित तर्क भी प्रस्तुत किया गया है।
परिवादिनी की ओर से अंतिम सुनवाई की तिथि पर विद्धान अधिवक्ता श्री संजय कुमार वर्मा उपस्थित आए है। विपक्षीगण की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्रीमती सुचिता सिंह उपस्थित आईं हैं।
मैंने उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
सर्वप्रथम देखना है कि क्या कब्जा आफर की तिथि दिनांक 13-11-2014 को विला का निर्माण पूरा कर और विला कब्जा अन्तरण हेतु पूर्ण रूप से तैयार था। परिवादिनी के अनुसार विपक्षीगण ने कब्जा आफर का पत्र दिनांक 13-11-2014 को विला हेतु ब्रोसर में घोषित समस्त सुविधाऍं उपलब्ध कराये बिना बेचा था और देय धनराशि से अधिक धनराशि की मांग की थी। परिवादिनी ने शपथ पत्र के साथ विला का फोटो दाखिल किया है जिससे स्पष्ट है कि विला पूर्ण रूप से निर्मित और सुविधायुक्त नहीं है। विपक्षीगण की विद्धान अधिवक्ता के अनुसार
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यह फोटोग्राफ पहले का है। विपक्षीगण की तरफ से फोटोग्राफ दिखाया गया है जिसमें विला का निर्माण पूर्ण एवं मुकम्मल है।
परिवादिनी ने अपने शपथ पत्र के साथ जिला फोरम द्वारा नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त की रिपोर्ट प्रस्तुत किया है जिसमें उल्लेख है-
‘’प्रश्नगत विला दुमंजिला विला है जिसमें बनी लैट्रिनों में शीटें नहीं है और शीटों के न होने पर लैट्रिंन का स्वरूप मौके पर स्थित नहीं है तथा संलग्न बाथरूम में भी फलोरिंग फर्श/टायल्स लगे नहीं पाये गये तथा विला के कमरों की दीवारों पर लाईट फिटिंग का कार्य होता पाया गया तथा दीवार में जगह जगह पर फिटिंग हेतु दीवार खुली पाई गयी तथा किचन अर्धनिर्मित अवस्था में पाया गया किचन में बना प्लेटफार्म अधूरा है व निर्माणाधीन अवस्था में है तथा किचन में टायल्स आदि लगे पाये गये किन्तु फिनिसिंग अवस्था में नहीं पाये गये। मौके पर प्रार्थी के समक्ष परिवादी अधिवक्ता द्वारा फोटो विला की फोटो खिंचवाई गई जो रिकार्ड के साथ पेश की जा रही है।‘’
उल्लेखनीय है कि परिवादिनी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया था जिसमें जिला फोरम ने अधिवक्ता नियुक्त किया था जिन्होंने दिनांक 15-02-2015 को प्रश्नगत विला का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की है। जिला फोरम ने परिवाद में दिनांक 14-01-2016 को निर्णय पारित किया जिसके विरूद्ध विपक्षीगण ने अपील राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की। अपील में परिवाद जिला फोरम के आर्थिक क्षेत्राधिकार से परे पाया गया। अत: जिला फोरम का निर्णय अपास्त करते हुए परिवाद परिवादिनी को सक्षम फोरम में परिवाद प्रस्तुत करने की छूट के साथ निरस्त किया गया। तब परिवादिनी ने यह परिवाद प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम के समक्ष अधिवक्ता आयुक्त द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट से स्पष्ट है कि विला का निर्माण पूरा था, परन्तु फिनिसिंग का कार्य
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पूर्ण नहीं था। विला के मूल्य की 05 प्रतिशत धनराशि अवशेष थी और कब्जा अन्तरण के समय दी जानी थी। विपक्षीगण के विद्धान अधिवक्ता के अनुसार फिनिसिंग कार्य यह 05 प्रतिशत अवशेष धनराशि के भुगतान के बाद किया जाना था परन्तु परिवादिनी ने पत्र दिनांक 13-11-2014 के अनुसार भुगतान नहीं किया। अत: फिनिसिंग कार्य नहीं किया गया है।
परिवादिनी के विद्धान अधिवक्ता के अनुसार पत्र दिनांक 13-11-2014 के द्वारा मांगी गयी वैट की धनराशि अनुचित है। माननीय सर्वोच्च न्ययालय का निर्णय परिवादिनी के संव्यवहार के बाद का है। अत: इस निर्णय के आधार पर परिवादिनी से विपक्षीगण वैट की मांग नहीं कर सकते हैं। परिवादिनी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क मान्य नहीं है1 माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के परिणामस्वरूप देय वैट टैक्स से परिवादिनी को छूट नहीं दी जा सकती है।
एलाटमेंट करार के अनुसार परिवादिनी को प्रश्नगत विला के तय मूल्य की 05 प्रतिशत धनराशि 1,38,170/-रू0 का भुगतान कब्जा के समय करना था। एलाटमेंट लेटर के अनुसार छूट के बाद परिवादिनी को कुल मूल्य 27,63,404/-रू0 देना था। पत्र दिनांक 13-11-2014 में परिवादिनी द्वारा जमा धनराशि 25,76,886/-रू0 अंकित है। एलाटमेंट लेटर के अनुसार 22,10,724/-रू0 का भुगतान 60 दिन में करना था
परन्तु परिवादिनी ने यह धनराशि तय अवधि में जमा नहीं किया है। अत: पत्र दिनांक 13-11-2014 में अंकित अवशेष धनराशि 1,86,518/-रू0 उचित है। पर इस पत्र में जो निम्न मदों की मांग अंकित है वह उचित नहीं है क्योंकि इन मदों की धनराशि फ्लैट के मूल्य में शामिल मानी जायेगी।
External Development Charges Rs. 110929.00
External Electnfication charges Rs. 10465.00
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Fire Fighting Charges Rs. 41860.00
Sewer Connection Charges Rs. 11000.00
परिवादिनी ने 26,70,451/-रू0 का भुगतान विपक्षीगण को किया है जिसमें विलम्ब से भुगतान का ब्याज सम्मिलित है। परिवादिनी के जिम्मा अवशेष धनराशि मात्र 1,86,518/-रू0 है। अत: पत्र दिनांक 13-11-2014 में अंकित ब्याज की धनराशि 1,57,609.24 रूपये स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर स्पष्ट है कि पत्र दिनांक 13-11-2014 में उपरोक्त मदों में अंकित धनराशि जिसका योग 3,30,853/-रू0 होता है की मांग आवंटन करार के विरूद्ध है और अनुचित व्यापार पद्धति है। अत: यह धनराशि घटाकर अवशेष धनराशि बिना किसी ब्याज के परिवादिनी द्वारा इस निर्णय की तिथि से दो माह के अंदर जमा करने पर प्रश्नगत विला का निर्माण पूर्ण कर फिनिसिंग कार्य पूरा कर बिला का कब्जा परिवादिनी द्वारा धनराशि जमा करने की तिथि से एक माह के अंदर परिवादिनी को देने और विक्रय विलेख निष्पादित करने हेतु विपक्षीगण को आदेशित किया जाना आवश्यक है।
परिवादिनी को 10,000/-रू0 वाद व्यय दिलाया जाना भी आवश्यक है।
अन्य अनुतोष हेतु उचित आधार नहीं है। मेन्टीनेंस चार्ज कब्जा की तिथि से देय है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादिनी से पत्र दिनांक 13-11-2014 में अंकित धनराशि से ऊपर अंकित मदों की धनराशि 3,30,853/-रू0 घटाकर अवशेष धनराशि बिना किसी ब्याज के प्राप्त कर, धनराशि प्राप्त करने की तिथि से एक माह के अंदर विला का निर्माण एवं फिनिसिंग कार्य पूरा कर कब्जा
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परिवादिनी को दें और विक्रय विलेख परिवादिनी के खर्च पर निष्पादित करें।
परिवादिनी इस निर्णय की तिथि से दो माह के अंदर उपरोक्त धनराशि विपक्षीगण के यहॉं जमा करेगी।
परिवादिनी मेन्टेनेंस चार्जेज कब्जा की तिथि से अदा करेगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा, आशु0