Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/225

O I Co. Ltd. - Complainant(s)

Versus

Anoop Sharma - Opp.Party(s)

V S Bisaria

27 Oct 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/225
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. O I Co. Ltd.
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Anoop Sharma
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 27 Oct 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-२२५/२००७

 

(जिला मंच(द्वितीय), आगरा द्वारा परिवाद सं0-४३/२००६ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक ३०-१२-२००६ के विरूद्ध)

 

दी ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंस कं0लि0, रीजनल आफिस द्वारा मैनेजर (लीगल डिपार्टमेण्‍ट),  आर0ओ0 हजरतगंज, जीवन भवन, लखनऊ।     .............         अपीलार्थी/विपक्षी।  

बनाम्

अनूप शर्मा पुत्र श्री एस0पी0 शर्मा निवासी एफ-१, कावेरी व्‍यापार केन्‍द्र, कावेरी विहार, शामसाबाद रोड, आगरा।                      .............          प्रत्‍यर्थी/परिवादी।

 

समक्ष:-

१. मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२. मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  :- श्री अशोक मेहरोत्रा विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    :- श्री वी0एस0 बिसारिया विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक : ०९-११-२०१७.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच(द्वितीय), आगरा द्वारा परिवाद सं0-४३/२००६ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक ३०-१२-२००६ के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने नवीन टोयटा के प्रतिनिधि बैनारा मोटर्स प्रा0लि0 से क्‍वालिस मॉडल गाड़ी ५,८३,२८०/- रू० में सेण्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा ताजगंज, आगरा से फाइनेंस कराकर दिनांक २३-०५-२००२ को क्रय की थी। उक्‍त गाड़ी का बीमा दिनांक २२-०५-२००३ को कराया गया जो दिनांक २१-०३-२००४ तक प्रभावी था। इस बीमा के अन्‍तर्गत प्रश्‍नगत वाहन की बीमित धनराशि ४,५७,७८०/- रू० निर्धारित की गई थी। यह वाहन दिनांक ३१-१२-२००३ को चोरी हो गया। घटना की सूचना परिवादी ने दिनांक ०१-०१-२००४ को वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक को दी। परिवादी ने अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी को भी चोरी की सूचना दी तथा अन्‍य आवश्‍यक औपचारिकताऐं पूर्ण कीं, किन्‍तु अपीलार्थी द्वारा बीमा धनराशि का भुगतान

 

 

-२-

नहीं किया गया। अपीलार्थी ने पत्र दिनांकित २९-०५-२००४ द्वारा कई प्रपत्र मांगे, उनको भी परिवादी ने प्राप्‍त करा दिया। परिवादी ने बीमा दावे के भुगतान हेतु विधिक नोटिस भी अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से भेजी गयी किन्‍तु बीमा दावा का भुगतान नहीं किया गया। अत: बीमा दावे की मय ब्‍याज अदायगी तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रेषित किया गया।

अपीलार्थी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रतिवाद पत्र प्रेषित किया गया। प्रतिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी ने प्रश्‍नगत वाहन के बीमित होने के तथ्‍य से इन्‍कार नहीं किया। अपीलार्थी के कथनानुसार प्रश्‍नगत वाहन निजी प्रयोग के लिए पंजीकृत किया गया किन्‍तु इस वाहन का उपयोग्‍य व्‍यावसायिक प्रयोजन हेतु किया गया। अत: बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन के कारण अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी का दायित्‍व बीमित धनराशि की अदायगी का नहीं माना जा सकता। अपीलार्थी के कथनानुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा निरन्‍तर मांग किए जाने के बाबजूद प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति उपलब्‍ध नहीं कराई। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी का यह भी कथन है कि कथित घटना में प्रश्‍नगत वाहन चोरी होना प्रमाणित नहीं है, बल्कि मामला अमानत में खयानत का होने के कारण क्षतिपूर्ति की अदायगी का दायित्‍व अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी का नहीं माना जा सकता। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि कथित घटना के समय प्रश्‍नगत वाहन वैध लाइसेंसधारी द्वारा नहीं चलाया जा रहा था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी को आवश्‍यक अभिलेख उपलब्‍ध न कराये जाने के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी का बीमा दावा समाप्‍त कर दिया गया।

विद्वान जिला मंच ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी को आदेशित किया कि वह प्रश्‍नगत वाहन की बीमित धनराशि ४,५७,४८०/- रू० मय ब्‍याज १२ प्रतिशत की दर से दिनांक ०१-०४-२००४ से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक निर्णय के ४५ दिन के भीतर परिवादी को अदा करे। इसके अतिरिक्‍त बतौर मानसिक क्षति हेतु ४,०००/- रू० एवं परिवाद व्‍यय हेतु २,०००/- रू० इस प्रकार       कल ६,०००/- रू० भी उक्‍त अवधि में परिवादी को अदा करे। अवहेलना करने पर उपरोक्‍त

 

 

 

 

-३-

धनराशि ६,०००/- रू० पर भी आदेश की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक ०९ प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज देय होगा।

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अशोक मेहरोत्रा तथा प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी0एस0 बिसारिया के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत वाहन निजी प्रयोग हेतु पंजीकृत था किन्‍तु कथित घटना के समय इस वाहन का उपयोग व्‍यावसायिक प्रयोजन हेतु टैक्‍सी के रूप में किया जा रहा था। इस सन्‍दर्भ में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने वाहन चालक हरिकिशन के पिता द्वारा थाना ताजगंज आगरा में लिखाई गई रिपोर्ट जिसकी प्रति अपील मेमो के साथ पृष्‍ठ सं0-५० के रूप में दाखिल की गई है की ओर हमारा ध्‍यान आकृष्‍ट किया। यह तथ्‍य निर्विवाद है कि चोरी की कथित घटना में वाहन चालक हरिकिशन की हत्‍या किया जाना दौरान् विवेचना पाया गया। वाहन चालक के पिता द्वारा लिखाई गई प्रथम सूचना रिपोर्ट का हमने अवलोकन किया। इस प्रथम सूचना रिपोर्ट के अवलोकन से यह विदित होता है कि इस प्रथम सूचना रिपोर्ट में ऐसा कोई तथ्‍य उल्लिखित किया गया है जिससे यह माना जाय कथित दुर्घटना के समय प्रश्‍नगत वाहन का उपयोग व्‍यावसायिक प्रयोजन हेतु किया जा रहा था। प्रश्‍नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि इन अभिलेखों के अतिरिक्‍त अन्‍य कोई अभिलेख इस सन्‍दर्भ में अपीलार्थी की ओर से दाखिल किया गया और न ही अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने इस सन्‍दर्भ में अन्‍य किसी अभिलेख पर बल दिया। ऐसी परिस्थिति में विद्वान जिला मंच का यह निष्‍कर्ष कि कथित दुर्घटना के समय प्रश्‍नगत वाहन का वाणिज्यिक उपयोग प्रमाणित नहीं है, हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण नहीं है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि बीमा दावा प्रस्‍तुत किए जाने के उपरान्‍त अपीलार्थी बीमा निगम द्वारा अनेक पत्र प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रथम सूचना रिपोर्ट, अन्तिम आख्‍या की प्रमाणित प्रति,      ड्राइविंग लाइसेंस की प्रति उपलब्‍ध कराने हेतु प्रेषित किए गये, किन्‍तु अपीलार्थी द्वारा ये

 

-४-

अभिलेख प्राप्‍त नहीं कराए गये। अत: बीमा दावा समाप्‍त कर दिया गया।

प्रश्‍नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने जिला मंच के समक्ष अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत किए गये प्रतिवाद पत्र के आलोक में अपना प्रत्‍युत्‍तर शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया। प्रत्‍युत्‍तर शपथ पत्र के साथ संलगनक के रूप में कथित घटना के सन्‍दर्भ में सम्‍बन्धित थाने में दर्ज की गई प्रथम सूचना की प्रति, पुलिस द्वारा विवेचना के उपरान्‍त दाखिल की गई अन्तिम आख्‍या की प्रति तथा अन्तिम आख्‍या सम्‍बन्धित न्‍यायालय द्वारा स्‍वीकार किए जाने से सम्‍बन्धित आदेश की प्रति, वाहन चालक हरिकिशन के ड्राइविंग लाइसेंस की प्रति जिला मंच के समक्ष दाखिल की गई, किन्‍तु इन अभिलेखों की प्रतियॉं अपीलार्थी द्वारा अपील मेमो के साथ दाखिल नहीं की गई। प्रश्‍नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि घटना की विवेचना के उपरान्‍त पुलिस द्वारा प्रेषित की गई अन्तिम आख्‍या न्‍यायालय द्वारा दिनांक २४-१०-२००५ को स्‍वीकार की गई। स्‍वाभाविक रूप से उक्‍त तिथि से पूर्व यह अभिलेख परिवादी द्वारा बीमा कम्‍पनी को प्राप्‍त कराया जाना सम्‍भव नहीं था। अत: उक्‍त अभिलेखों की प्राप्ति के अभाव में बीमा दावा निरस्‍त किया जाना न्‍यायसंगत नहीं माना जा सकता।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा दौरान् तर्क यह स्‍वीकार किया गया कि कथित घटना की विवेचना के मध्‍य यह तथ्‍य प्रकाश में आया कि वाहन चालक हरिकिशन की हत्‍या करके वाहन अज्ञात बदमाशों द्वारा चोरी कर लिया गया और विवेचना के मध्‍य वाहन का पता न चल सका। ऐसी परिस्थिति में अपीलार्थी का यह तर्क स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं है कि प्रश्‍नगत प्रकरण के सन्‍दर्भ में वाहन चोरी जाना प्रमाणित नहीं है।

प्रश्‍नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि विद्वान जिला मंच के समक्ष परिवादी द्वारा अपने प्रत्‍युत्‍तर शपथ पत्र के साथ वाहन चालक के लाइसेंस की प्रति दाखिल की गई तथा उक्‍त लाइसेंस के सम्‍बन्‍ध में आर0टी0ओ0 आगरा की सत्‍यापन रिपार्ट भी दाखिल की गई। इन अभिलेखों के आलोक में विद्वान जिला मंच ने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क स्‍वीकार नहीं किया कि कथित घटना के

 

 

-५-

समय प्रश्‍नगत वाहन वैध लाइसेंसधारी चालक द्वारा नहीं चलाया जा रहा था। विद्वान जिला मंच का यह निष्‍कर्ष हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण नहीं है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत वाहन का बीमा दिनांक २२-०५-२००३ से प्रभावी था। इस वाहन की चोरी दिनांक ३१-१२-२००३ को होनी बताई गई है। बीमा दिनांक २२-०५-२००३ से दिनांक २१-०५-२००३ तक प्रभावी था। प्रश्‍नगत वाहन के मूल्‍य के ह्रास पर ध्‍यान न देते हुए विद्वान जिला मंच ने सम्‍पूर्ण बीमित धनराशि की अदायगी हेतु परिवाद स्‍वीकार किया।

यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रश्‍नगत वाहन का बीमा दिनांक २२-०५-२००३ से दिनांक २१-०५-२००४ तक प्रभावी था। प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत वाहन का मूल्‍य ४,५७,४८०/- रू० निर्धारित किया गया था। निर्विवाद रूप से बीमा पालिसी प्रभावी होने की तिथि से लगभग ०७ माह बाद प्रश्‍नगत वाहन चोरी हुआ किन्‍तु विद्वान जिला मंच ने वाहन के मूल्‍य में ह्रास पर विचार न करते हुए सम्‍पूर्ण बीमित धनराशि की अदायगी हेतु परिवाद स्‍वीकार किया। मामले के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों के आलोक में हमारे विचार से बीमित धनराशि में से ह्रास के सन्‍दर्भ में २०,०००/- रू० की कटौती किया जाना न्‍यायसंगत होगा।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच द्वारा देय धनराशि पर ब्‍याज की दर १२ प्रतिशत वार्षिक निर्धारित की गई जो अधिक है। ब्‍याज की दर हमारे विचार से अधिक है, ब्‍याज की दर १२ प्रतिशत के स्‍थान पर ०९ प्रतिशत वार्षिक निर्धारित किया जाना न्‍यायसंगत होगा।

विद्वान जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय में मानसिक क्षति हेतु ४,०००/- रू० की अदायगी हेतु निर्देशित किया है। क्षति की अदायगी ब्‍याज सहित निर्देशित किए जाने के उपरान्‍त अलग से मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति कराये जाने का कोई औचित्‍य नहीं होगा। अत: इस सन्‍दर्भ में जिला मंच द्वारा दिया गया निर्देश अपास्‍त किए जाने योग्‍य है। परिवाद व्‍यय के रूप में २,०००/- रू० की अदायगी हेतु निर्देशित किया गया है, जो हमारे विचार से उचित है।

 

 

-६-

 

यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रश्‍नगत वाहन सेण्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया, शाखा ताजगंज, आगरा से वित्‍तीय सहायता प्राप्‍त करके क्रय किया गया था। स्‍वयं परिवादी ने परिवाद के अभिकथनों में यह स्‍वीकार किया है कि क्‍लेम की धनराशि फाइनेंसर सेण्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया, शाखा ताजगंज, आगरा को मिलनी है। यह भी निर्विवाद है कि प्रश्‍नगत वाहन सेण्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया, शाखा ताजगंज, आगरा में बन्‍धक है, अत: क्‍लेम की धनराशि पर प्रथम अधिकार दिए गये ऋण के समायोजन हेतु सेण्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया, शाखा ताजगंज, आगरा का होगा। अपील तद्नुसार आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है। 

आदेश

      प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच(द्वितीय), आगरा द्वारा परिवाद सं0-४३/२००६ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक ३०-१२-२००६ अपास्‍त किया जाता है। परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी से ४,३७,४८०/- रू० मय ब्‍याज प्राप्‍त करने का अधिकारी है। इस धनराशि पर परिवाद योजित किए जाने की तिथि से सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी तक प्रत्‍यर्थी/परिवादी ०९ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा। इसके अतिरिक्‍त प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपीलार्थी से २,०००/- रू० परिवाद व्‍यय के रूप में भी प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा। सम्‍पूर्ण देय धनराशि अपीलार्थी, ऋणदाता सेण्‍ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया, शाखा ताजगंज, आगरा को निर्धारित अवधि में अदा करे। सेण्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया, शाखा ताजगंज, आगरा प्राप्‍त धनराशि का समायोजन प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रश्‍नगत वाहन के सम्‍बन्‍ध में प्रदान किए गये ऋण में करेगा तथा समायोजन के पश्‍चात् यदि कोई धनराशि शेष बचती है तो शेष धनराशि बैंक, प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा करेगा। 

      यह भी आदेशित किया जाता है कि इस आयोग के अन्‍तरिम आदेश के अनुपालन में यदि कोई धनराशि जिला मंच में अपीलार्थी द्वारा जमा की गई हो तो अपीलार्थी वह धनराशि, इस आदेश का पूर्णत: अनुपालन करने के उपरान्‍त जिला मंच से मय अर्जित

 

 

 

 

-७-

ब्‍याज प्राप्‍त कर सकता है।  

      उभय पक्ष इस अपील का व्‍यय-भार अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

 

                                              (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                पीठासीन सदस्‍य

 

                                           

                                                (गोवर्द्धन यादव)

                                                    सदस्‍य

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट-३.

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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