राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1719/2016
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम-द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या 1288/2009 में पारित आदेश दिनांक 07.07.2011 के विरूद्ध)
HINDUSTAN ENTERPRISES, A-5, MARUTI PURAM, FAIZABAD ROAD, LUCKNOW (INCOMPLETE ADDRESS MENTIONED AS OPPOSITE LEKHRAJ MARKET-III, FAIZABAD ROAD, MARUTI PURAM, LUCKNOW) THROUGH IT’S PROPRIETOR, BRIJENDRA KUMAR AGARWAL.
....................अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
ANOOP JAIN S/O SRI R.K. JAIN R/O 489/15, JAINBAGH, DALIGANJ, LUCKNOW.
................प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राम गोपाल,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : स्वयं।
दिनांक: 12.04.2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-1288/2009 अनूप जैन बनाम हिन्दुस्तान एन्टरप्राइजिज में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 07.07.2011 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्त परिवाद के विपक्षी हिन्दुस्तान एन्टरप्राइजिज की ओर से धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
-2-
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध परिवाद स्वीकार करते हुए उसे आदेशित किया है कि वह निर्णय की तिथि से दो माह के भीतर प्रत्यर्थी/परिवादी को उसके द्वारा खरीदे गए बेड, साइड टेबिल और ड्रेसर की कीमत 28,000/-रू0 दावा दायर करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज सहित अदा करे। जिला फोरम ने यह भी आदेशित किया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी, अपीलार्थी/विपक्षी को उसके द्वारा दिया गया बेड, साइड टेबिल और ड्रेसर वापस करेगा। इसके साथ ही जिला फोरम ने यह भी आदेशित किया है कि अपीलार्थी/विपक्षी, प्रत्यर्थी/परिवादी को 5000/-रू0 मानसिक कष्ट एवं 1500/-रू0 वाद व्यय भी अदा करेगा।
अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री राम गोपाल उपस्थित आए हैं। प्रत्यर्थी/परिवादी श्री अनूप जैन व्यक्तिगत रूप से उपस्थित आए हैं।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसने दिनांक 28.04.2008 को मेसर्स हिन्दुस्तान इन्टरप्राइजिज लखनऊ अर्थात् अपीलार्थी/विपक्षी से 28,000/-रू0 में बेड, साइड टेबिल और ड्रेसर खरीदा था। बेड, साइड टेबिल और ड्रेसर खरीदने
-3-
के बाद सारा सामान अपीलार्थी/विपक्षी ने फिट और फिनिस्ड करने के लिए कहा था, किन्तु उसने ऐसा नहीं किया। तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने दिनांक 15.05.2008 और दिनांक 30.05.2008 को अपीलार्थी/विपक्षी से सामान फिट और फिनिस्ड करने के लिए कहा, लेकिन उसने उक्त सामान को फिट और फिनिस्ड करने के लिए कारपेन्टर नहीं भेजा और जब प्रत्यर्थी/परिवादी दिनांक 11.06.2008 को उसके यहॉं गया तो उसने कहा कि कारपेन्टर गॉंव गया है, आने पर उसे भेज देंगे। उसके बाद कई बार प्रत्यर्थी/परिवादी उसके यहॉं गया, परन्तु उसने कारपेन्टर को उक्त सामान फिट और फिनिस्ड करने के लिए नहीं भेजा। तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने दूरभाष से अपीलार्थी/विपक्षी को सूचित किया और उसे दिनांक 10.09.2009 को रजिस्ट्री डाक द्वारा पत्र भेजा, फिर भी उसने उक्त सामान फिट और फिनिस्ड नहीं कराया। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत कर क्षतिपूर्ति की मांग की।
अपीलार्थी/विपक्षी को जिला फोरम द्वारा नोटिस भेजी गयी, परन्तु उसकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: जिला फोरम ने एकपक्षीय रूप से प्रत्यर्थी/परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए उपरोक्त प्रकार से आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश विधि विरूद्ध है और जिला फोरम ने जो क्षतिपूर्ति की धनराशि 28,000/-रू0 तथा
-4-
मानसिक कष्ट हेतु धनराशि 5000/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करने हेतु आदेशित किया है, वह अनुचित और अधिक है।
प्रत्यर्थी/परिवादी का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश विधिसम्मत है। इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 07.07.2011 एकपक्षीय रूप से अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध पारित किया गया है और उसकी प्रति अपीलार्थी/विपक्षी को नहीं भेजी गयी है। अपीलार्थी/विपक्षी को निर्णय की नि:शुल्क प्रति जिला फोरम ने दिनांक 04.08.2016 को उपलब्ध करायी है। तब दिनांक 01.09.2016 को अपीलार्थी/विपक्षी ने वर्तमान अपील आयोग के समक्ष प्रस्तुत की है। अत: अपील में विलम्ब हेतु पर्याप्त कारण है। अत: अपील ग्रहण कर गुणदोष के आधार पर निस्तारित किया जाना आवश्यक है।
अपीलार्थी/विपक्षी जिला फोरम के समक्ष नोटिस के तामीला के बाद भी उपस्थित नहीं हुआ है। अत: आक्षेपित निर्णय और आदेश एकपक्षीय होने के मात्र आधार पर निरस्त किया जाना विधिसम्मत नहीं है। गुणदोष के आधार पर इस पर विचार किया जाना उचित है।
परिवाद पत्र के कथन से ही यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी से 28,000/-रू0 का बेड, साइड टेबिल और ड्रेसर खरीदा है और अपीलार्थी/विपक्षी ने इन वस्तुओं की आपूर्ति
-5-
उसे की है। प्रत्यर्थी/परिवादी की शिकायत यह है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने कारपेन्टर भेजकर उक्त वस्तुओं को फिट और फिनिस्ड नहीं करवाया है, जबकि उसने ऐसा करने हेतु प्रत्यर्थी/परिवादी को वचन दिया था। परिवाद पत्र के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा आपूर्ति की गयी उक्त वस्तुओं की क्वालिटी अथवा गुणवत्ता के सम्बन्ध में कोई प्रतिकूल कथन नहीं किया है। अत: मेरी राय में जिला फोरम ने जो उक्त वस्तुओं के मूल्य की सम्पूर्ण धनराशि 28,000/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया है, वह उचित और युक्तसंगत नहीं है। मेरी राय में उक्त वस्तुओं को फिट और फिनिस्ड कराने में हुए व्यय एवं उक्त वस्तुओं के फिट और फिनिस्ड होने में विलम्ब से प्रत्यर्थी/परिवादी को जो मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हुआ है, सबकी क्षतिपूर्ति हेतु प्रत्यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी/विपक्षी से 15,000/-रू0 दिलाया जाना उचित है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश तदनुसार संशोधित किया जाना आवश्यक है। जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी को जो 1500/-रू0 वाद व्यय दिलाया है, वह उचित है। अत: उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
उपरोक्त निष्कर्षों के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 07.07.2011 को संशोधित करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह
-6-
प्रत्यर्थी/परिवादी को 15,000/-रू0 क्षतिपूर्ति परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित अदा करे। साथ ही वह प्रत्यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा प्रदान की गयी वाद व्यय की धनराशि 1500/-रू0 भी अदा करे।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपीलार्थी की ओर से धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1