Uttar Pradesh

StateCommission

A/2004/1650

Mahaveer Singh - Complainant(s)

Versus

Anoop Chand - Opp.Party(s)

14 Sep 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2004/1650
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Mahaveer Singh
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Anoop Chand
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Alok Kumar Bose PRESIDING MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 14 Sep 2016
Final Order / Judgement

 सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ

 

 

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद संख्‍या 935 सन 1999 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 24.07.2004  के विरूद्ध)

 

अपील संख्‍या  1650 सन 2004

महावीर सिंह पुत्र श्री यादराम निवासी ग्राम रसूलपुर  मधि  परगना व तहसील एवं जिला मेरठ निवासी 193/9 नया बाजार, मेरठ कैंट ।  .......अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

       

अनूप चंद्र पुत्र श्री विशम्‍भर प्रो0 मै0 कश्‍यप नर्सरी, धौलरी रजवाहा के पुल के पास, ग्राम धौलरी, परगना तहसील व जिला मेरठ ।  . ......        ...प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

 

समक्ष:-

मा0  श्री  आलोक कुमार बोस,  पीठासीन  सदस्‍य।

मा0    श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  -  कोई नहीं ।

प्रत्‍यर्थी   की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  - कोई नहीं ।

 

दिनांक:   30-09-2016  

 

श्री गोवर्धन यादव़, सदस्‍य द्वारा उदघोषित ।

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील, जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद संख्‍या 935 सन 1999 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.07.2004 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है ।

संक्षेप में, केस के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी की नर्सरी से दिनांक 20.07.1999 को 10.00 रू0 प्रति पौध के हिसाब से 500 पोपुलर के पौधे क्रय किये। विपक्षी ने उसे विश्‍वास दिलाया था कि उसके यहां की पोपुलर की पौध बहुत अच्‍छी है जिसमें कोई बीमारी नहीं है और जल्‍दी जड़ पकड़ लेती है। परिवादी ने उक्‍त पौध का रोपड़ दिनांक 20.02.1999 से 23.02.1999 के मध्‍य कृषि रक्षा विभाग के निर्देशानुसार किया। काफी समय तक पौध में अंकुर न निकलने पर परिवादी ने अप्रैल, 1999 में कृषि रक्षा विभाग से सम्‍पर्क किया जिनके द्वारा जांचोपरांत बताया गया कि पौध फफूंदीग्रस्‍त है, इसलिए उसमें कोपल नहीं निकले। परिवादी ने इसकी शिकायत विपक्षी से की तथा क्षतिपूर्ति की मांग की लेकिन कोई सुनवाई न करने पर जिला मंच में परिवाद योजित किया ।  विपक्षी ने जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत अपने अभिकथन में उल्लिखित किया कि पोपुलर के पौध की रोपाई दिसम्‍बर-जनवरी माह में होती है लेकिन परिवादी ने निर्धारित समय के उपरांत पौध की रोपाई अपने बाग में की और गोबर की कच्‍ची खाद डालकर गलती की। अच्‍छी क्‍वालिटी की पौध होने के कारण उसमें अंकुर निकले और बाग में 330 से 440 के करीब जीवित पेड़ मौजूद हैं। परिवादी पेशे से अधिवक्‍ता है और दबाव बनाने के लिए यह परिवाद योजित किया है।

जिला मंच ने उभय पक्ष के साक्ष्‍य एंव अभिवचनों के आधार पर परिवादी का परिवाद खारिज कर दिया जिससे क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

       अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला मंच का प्रश्‍नगत निर्णय विधिपूर्ण नहीं है तथा तथ्‍यों को संज्ञान में लिए बिना प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया गया है जो अपास्‍त किए जाने योग्‍य है।

सुनवाई के समय उभय पक्ष की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ, अत: पीठ ने यह निर्णय लिया कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-30 के उपधारा (2) के अंतर्गत निर्मित उ0प्र0 उपभोक्‍ता संरक्षण नियमावली 1987 के नियम 8 के उपनियम (6) के दृष्टिगत प्रस्‍तुत अपील का निस्‍तारण गुणदोष के आधार पर कर दिया जाए।

      हमने स्‍वयं अभिलेख का अनुशीलन किया । अभिलेख के अनुशीलन से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी ने विपक्षी की नर्सरी से दिनांक 20.07.1999 को 10.00 रू0 प्रति पौध के हिसाब से 500 पोपुलर के पौधे क्रय किये जिनका रोपड़ उसने दिनांक 20.02.1999 से 23.02.1999 के मध्‍य अपने बाग में किया लेकिन पोपुलर की पौध में कोपलें नहीं निकली ।  प्रत्‍यर्थी का कथन है कि पोपुलर की रोपाई दिसम्‍बर-जनवरी माह में होती है लेकिन परिवादी ने निर्धारित समय के उपरांत पौध की रोपाई की और पौध में गोबर की कच्‍ची खाद डालकर गलती की। पौध रोपाई का उचित समय न होने के कारण पौध सूखने एवं मरने की जिम्‍मेंदारी उसके द्वारा नही ली गयी थी तथा परिवादी को स्‍पष्‍ट रूप से बता दिया गया था कि पोपुलर लगाने के लिए यह समय उचित नहीं है उसके बावजूद परिवादी/अपीलार्थी द्वारा अपनी जिम्‍मेदारी पर पौध लगायी गयी थी।

पत्रावली में उपलब्‍ध साक्ष्‍य से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी/अपीलार्थी ने पौध की रोपाई उचित वातावरण तथा खाद पानी की समुचित उपलब्‍धता में नहीं की जिसके कारण पौध में अपेक्षानुसारफुटाव नहीं हआ। केस के तथ्‍य एवं परिस्थिति के आधार पर हम यह पाते हैं कि जिला मंच द्वारा साक्ष्‍यों की पूर्ण विवेचना करते हुए अपना निर्णय देते हुए परिवाद को खारिज किया है, जो विधिसम्‍मत है, उसमें हस्‍तक्षेप करने की कोई आवश्‍यकता नहीं है। तदनुसार अपील खारिज किए जाने योग्‍य है।

आदेश

      प्रस्‍तुत अपील खारिज की जाती है।

 

      पक्षकारान अपना-अपना अपील व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

 

 

(आलोक कुमार बोस)                           (गोवर्धन यादव)

  पीठासीन सदस्‍य                                                                सदस्‍य

      कोर्ट-3

(S.K.Srivastav,PA)

 

           

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Alok Kumar Bose]
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