Uttar Pradesh

StateCommission

A/1037/2018

Rani Indu Kumari Institute of Technology and Professional Studies - Complainant(s)

Versus

Ankit Gupta - Opp.Party(s)

Pranav Agarwal

19 Sep 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1037/2018
( Date of Filing : 30 May 2018 )
(Arisen out of Order Dated 07/05/2018 in Case No. C/126/2017 of District Shambhal)
 
1. Rani Indu Kumari Institute of Technology and Professional Studies
Shambhal
...........Appellant(s)
Versus
1. Ankit Gupta
Shambhal
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 19 Sep 2019
Final Order / Judgement

                                                                                                                                    सुरक्षि‍त

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 

                                                                                    अपील संख्‍या- 1037/2018

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, सम्‍भल द्वारा परिवाद संख्‍या- 126/2017 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07-05-2018 के विरूद्ध)

 

रानी इन्‍दू कुमारी इंस्‍टीट्यूट आफ टेक्‍नोलॉजी एण्‍ड प्रोफेसनल स्‍टडीज द्वारा इट्स मैनेजिंग डायरेक्‍टर हैविंग इट्स आफिस एट इन्दिरा भवन, बनिया खेड़ा, चन्‍दौसी, मुरादाबाद रोड, चन्‍दौसी, डिस्ट्रिक सम्‍भल।

                                                                                                                                                  अपीलार्थी/विपक्षी

                              बनाम 

1- अंकित गुप्‍ता, पुत्र श्री महेन्‍द्र गुप्‍ता, निवासी- प्रगति विहार, नियर साईं मन्दिर, चन्‍दौसी, डिस्ट्रिक सम्‍भल।

                                                                                                                                                    प्रत्‍यर्थी/परिवादी

2- स्‍पर्श इंस्‍टीट्यूट आफ टेक्‍नोलॉजी एण्‍ड मैनेजमेंट, 737, ग्राउण्‍ड फ्लोर ईस्‍ट गुरू राम दास नगर, वेस्‍ट दिल्‍ली- 110092

also at –

105 Lajpat nager-1 Near Car Market, HDFC Bank,  New delhi-110024  through its Manager/Director

                                                                                                                                                     प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं-2

मक्ष:-

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्‍ता श्री प्रणव अग्रवाल

प्रत्‍यर्थी सं०1 की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस०पी० पाण्‍डेय

प्रत्‍यर्थी सं०- 2 की ओर से      :  कोई उपस्थित नहीं

 

दिनांक- 17-10-2019

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

                                                                                                निर्णय

 

परिवाद संख्‍या– 126 सन् 2017 अंकित गुप्‍ता बनाम रानी इन्‍दू कुमारी इंस्‍टीट्यूट आफ टेक्‍नोलॉजी एण्‍ड प्रोफेसनल स्‍टडीज व एक अन्‍य में जिला

 

2

उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, सम्‍भल  द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 07-05-2018 के विरूद्ध यह अपील धारा- 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

" परिवाद आंशिक रूप से विपक्षी सं०1 के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी सं०1 को आदेश दिया जाता है कि वह 74,000/-रूपया मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज दौरान मुकदमा ता वसूली तथा दस हजार रूपया वाद व्‍यय व क्षतिपूर्ति परिवादी को अदा करें। "

जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी संख्‍या-1 ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री प्रणव अग्रवाल और प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस०पी० पाण्‍डेय उपस्थित आए हैं। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 को रजिस्‍टर्ड डाक से नोटिस प्रेषित की गयी है जो लेफ्ट की प्रविष्टि के साथ अदम तामील वापस आयी है। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 जिला फोरम के समक्ष भी उपस्थित नहीं हुआ है। अत: प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की अनुपस्थिति में अपील की सुनवाई की गयी है।

मैंने अपीलार्थी एवं प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी सं०1 और

3

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2  के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने विपक्षी संख्‍या-1 के कार्यालय में फरवरी 2012 में डी-फार्मा कोर्स  करने के लिए आवेदन दिया और दिनांक 12-02-2012 को 9000/-रू० जमा किया। उसके बाद उसने डी-फार्मा कक्षाओं में अध्‍ययन किया और दिनांक 11-06-2012 से दिनांक 16-08-2014 तक की अवधि में विभिन्‍न तिथियों में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के यहॉं 65,000/-रू० जमा किया। उसने  अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के संस्‍थान में डी-फार्मा की शिक्षा दो वर्ष तक प्राप्‍त की तथा परीक्षा दिया परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने उसका अंक-पत्र व प्रमाण-पत्र नहीं दिया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी अंक-पत्र व प्रमाण-पत्र प्राप्‍त करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी सं०1 के यहॉं चक्‍कर लगाता रहा। अंत में अपीलार्थी/विपक्षी सं०1 ने दिनांक 23-07-2017 को उसे अंक-पत्र व प्रमाण-पत्र देने से इन्‍कार कर दिया। तब उसने विवश होकर परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वर्ष 2012 में उसके इंस्‍टीट्यूट में कोचिंग हेतु प्रवेश लिया था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के प्रस्‍ताव पर   डी-फार्मा का कोर्स कराने के लिए उसने परिवादी व तीन अन्‍य छात्रों का प्रवेश प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं०2 के यहॉं कराने को कहा और प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के एजेण्‍ट सुधीर कुमार ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के यहॉं छात्रों का एडमिशन कराया और फीस जमा कराया तथा डी-फार्मा डिप्‍लोमा कराने के लिए प्रथम वर्ष की फीस प्रति छात्र 45,000/-रू० प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के माध्‍यम से वेंकेटेश्‍वर यूनिवर्सिटी में जमा किया और वहीं पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी व अन्‍य छात्रों ने परीक्षा दी।

4

 

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने कहा कि परीक्षा फल घोषित करने का कार्य विश्‍वविद्यालय का है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी सं०1 ने कहा है कि उसने 61,000/-रू० प्रति छात्र के हिसाब से प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं० 2 के माध्‍यम से श्री वेंकेटेश्‍वर यूनिवर्सिटी को दिया था। प्रथम व द्धितीय वर्ष की जमा फीस की रसीदें छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा ही दी जाती रही हैं। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद गलत कथन के साथ फीस की शेष धनराशि से बचने के लिये प्रस्‍तुत किया है जो निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं०2 ने लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया है।

जिला फोरम ने उभय-पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त यह माना है कि अपीलार्थी अर्थात् परिवाद का विपक्षी    संख्‍या-1 मान्‍यता प्राप्‍त संस्‍था नहीं है, फिर भी उसने प्रत्‍यर्थी/परिवादी से विभिन्‍न तिथियों में वर्ष 2012 से 2014 तक 74,000/-रू० प्राप्‍त किया है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी माना है कि अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 अन्‍य संस्‍था से भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को डी-फार्मा का कोर्स नहीं करा पाया है। इस प्रकार उसने सेवा में कमी की है। अत: जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए आक्षेपित आदेश पारित किया है जो ऊपर अंकित है।

अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवाद-पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अंक-पत्र एवं प्रमाण-पत्र जारी करने हेतु निर्देश चाहा है जो उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के क्षेत्राधिकार से परे है।

5

 

अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कोचिंग की सुविधा उपलब्‍ध कराया है। उसने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को डी-फार्मा कोर्स में प्रवेश उसके अनुरोध पर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के एजेण्‍ट के माध्‍यम से दिलाया है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 की सेवा में कोई कमी नहीं है।

अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश दोषपूर्ण है और निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को डी-फार्मा कोर्स कराने की मान्‍यता प्राप्‍त नहीं रही है फिर भी उसने प्रत्‍यर्थी/परिवादी व अन्‍य छात्रों को डी-फार्मा कोर्स में प्रवेश दिया है और प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के माध्‍यम से फीस जमा कराकर परीक्षा दिलाया है। परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी व अन्‍य छात्रों का परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किया है और उन्‍हें अंक-पत्र एवं प्रमाण-पत्र यूनिवर्सिटी द्वारा नहीं दिया गया है। ऐसी स्थिति में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 की सेवा में कमी मानने हेतु उचित आधार है। जिला फोरम ने जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है वह उचित है। उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

मैंने उभय-पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी अंकित गुप्‍ता ने अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 रानी इन्‍दू कुमारी इंस्‍टीट्यूट आफ टेक्‍नोलॉजी एण्‍ड प्रोफेसनल स्‍टडीज को निम्‍न तिथियों में निम्‍न धनराधि अदा किया है:-

 

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  1.  दिनांक-  26-09-2013  -    4000/- रू०
  2.  दिनांक-  16-08-2014  -    5000/- रू०
  3.  दिनांक-  24-09-2013  -    11,000/- रू०
  4.  दिनांक-  19-09-2013  -    10,000/- रू०
  5.  दिनांक-  01-08-2014  -    8000/-  रू०
  6.  दिनांक-  30-07-2014  -    17,000/- रू०

      उपरोक्‍त तिथियों में जमा रसीदें प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है जिसकी फोटोप्रति अपील के संलग्‍नक- 3 के रूप में अपीलार्थी ने प्रस्‍तुत किया है। उपरोक्‍त सभी रसीदों में ब्रांच डी-फार्मा अंकित है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह कथन विश्‍वसनीय है कि अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी से डी-फार्मा कोर्स हेतु धनराशि प्राप्‍त किया है। स्‍वीकृत रूप से अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 डी-फार्मा कोर्स हेतु अधिकृत नहीं है और उसे मान्‍यता प्राप्‍त नहीं है परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी व अन्‍य छात्रों को डी-फार्मा कोर्स की परीक्षा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के विश्‍वविद्यालय से दिलाया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी व अन्‍य छात्रों को डी-फार्मा की डिग्री व अंक-पत्र संबंधित यूनिवर्सिटी वेंकटेश्‍वर यूनिवर्सिटी द्वारा क्‍यों नहीं जारी किया गया, इसका कोई कारण उभय-पक्ष ने नहीं बताया है।  परन्‍तु इतना स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी से उपरोक्‍त धनराशि डी-फार्मा कोर्स हेतु प्राप्‍त की है जबकि वह डी-फार्मा कोर्स हेतु अधिकृत नहीं था और उसे कोई मान्‍यता प्राप्‍त नहीं थी। अत: माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा बुद्धिस्‍ट मिशन डेंटल कालेज एण्‍ड हास्पिटल बनाम भुपेश खुराना व अन्‍य I (2009) CPJ 25 (SC) के वाद प्रतिपादित सिद्धान्‍त को दृष्टिगत रखते हुए अपीलार्थी/विपक्षी की सेवा में कमी मानने हेतु उचित

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और युक्तिसंगत आधार दिखता है। अत: जिला फोरम ने जो आक्षेपित निर्णय व आदेश के द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी की जमा धनराशि ब्‍याज सहित वापस करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को आदेशित किया है उसे अनुचित और अवैधानिक नहीं कहा जा सकता है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में उल्‍लेख किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के यहॉं जमा धनराशि की 10 रसीदें प्रस्‍तुत किया है जिनका योग 74,000/-रू० होता है। इन रसीदों को अपीलार्थी/विपक्षी सं०1 ने कूटरचित नहीं कहा है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी के यहॉं 74,000/-रू० जमा किया है।

      उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर मैं इस मत का हॅूं कि जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए जो आदेश पारित किया है वह वाद के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए उचित प्रतीत होता है।  जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश में हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। अत: अपील निरस्‍त की जाती है।

       अपील में उभय-पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

    धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि 25,000/-रू० अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।.

               

                                  (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

                                                  अध्‍यक्ष                                                             

         

कृष्‍णा, आशु0

कोर्ट नं01

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 

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