(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 1989/1998
1. सीनियर सुपरिटेंडेंट पोस्ट ऑफिस, बरेली।
2. सब पोस्ट मास्टर, शिवाजी मार्ग, पोस्ट आफिस- बरेली।
........अपीलार्थीगण।
बनाम
अनिल कुमार आयु लगभग 27 वर्ष पुत्र श्री नरायन दास, निवासी सी-143 शहदाना कालोनी, बरेली, यू0पी0।
................प्रत्यर्थी।
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से : डॉ0 उदयवीर सिंह के सहयोगी
श्री श्रीकृष्ण पाठक, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक:- 19.01.2022
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय/आदेश
परिवाद सं0- 400/1994 अनिल कुमार व एक अन्य बनाम भारत संघ द्वारा सचिव डाक विभाग व तीन अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, बरेली द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 04.07.1998 के विरुद्ध यह अपील धारा- 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थीगण/विपक्षीगण पोस्ट आफिस द्वारा संचालित सेविंग स्कीम में रू0 200/- प्रति माह की धनराशि वर्ष 1988 से जमा की गई जिसका एकाउंट नम्बर अपीलार्थीगण/विपक्षीगण पोस्ट आफिस द्वारा 230785 आवंटित किया गया तथा जिसकी परिपक्वता दि0 19.07.1993 को हुई। अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि उपरोक्त परिपक्वता धनराशि अर्थात रू0 16,006/- की देनदारी अपीलार्थीगण/विपक्षीगण पोस्ट आफिस द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को थी, जिस हेतु प्रत्यर्थी/परिवादी को अपीलार्थीगण/विपक्षीगण पोस्ट आफिस द्वारा नियुक्त एजेंट श्रीमती ऊषा अग्रवाल द्वारा सूचित किया गया तथा पुन: दि0 03.02.1994 को पत्र से भी सूचना प्रेषित की गई, परन्तु अपीलार्थीगण/विपक्षीगण पोस्ट आफिस के सम्मुख प्रत्यर्थी/परिवादी जमाकर्ता उपस्थित नहीं हुआ तथा उसके द्वारा अपनी जमा धनराशि प्राप्त नहीं की गई। चूँकि जमाकर्ता को परिपक्वता धनराशि प्राप्त नहीं हुई, अतएव उसके द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, बरेली के सम्मुख वाद सं0- 400/1994 योजित किया गया जिसमें प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा निम्न अनुतोष प्रदान किये जाने की प्रार्थना की गई:-
1. यह कि प्रत्यर्थी/परिवादीगण को अपीलार्थीगण/विपक्षीगण से रूपया सोलह हजार छ: (16006/-) दिलवाये जावें।
2. यह कि प्रत्यर्थी/परिवादीगण को रूपया 16006/- पर दि0 30.07.1993 से वायोम वसूली 36 प्रतिशत सलाना की दर से ब्याज दिलवाया जावे।
3. यह कि अपीलार्थी सं0- 2/विपक्षी सं0- 3 ने समय पर भुगतान नहीं किया एवं प्रत्यर्थी/परिवादीगण को अनावश्यक रूप से परेशान किया उनके साथ अभद्र व्यवहार किया जिस कारण उन्हें मानसिक व शारीरिक कष्ट पहुँचा। यद्यपि इसका कोई मूल्यांकन नहीं है फिर भी प्रत्यर्थी/परिवादीगण रूपया 15,000/- (रूपया पन्द्रह हजार) की मॉंग बतौर क्षतिपूर्ति करते हैं।
4. यह कि परिवाद को लड़ने में प्रत्यर्थी/परिवादीगण रूपये 15,000/- वकील फीस एवं अन्य मुद्दों में खर्च कर चुके हैं अपीलार्थीगण/विपक्षीगण से दिलवाये जायें।
5. यह कि दीगर दादरसी जो मुफीदे हक प्रत्यर्थी/परिवादीगण हैं अपीलार्थीगण/विपक्षीगण से दिलायी जाये।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उपरोक्त परिवाद अपने निर्णय एवं आदेश द्वारा दि0 04.07.1998 को स्वीकार किया गया तथा अपीलार्थीगण/विपक्षीगण सं0- 1, 2 व 3 को आदेशित किया गया कि वे प्रत्यर्थी/परिवादी को कुल परिपक्वता धनराशि 16,006/-रू0 खाते में परिपक्वता की तिथि दि0 30.07.1993 से भुगतान की तिथि तक 18 प्रतिशत ब्याज की देयता निर्णय व आदेश की तिथि से 01 माह के अन्दर प्रदान करें। साथ ही रू0 2,000/- अन्य अनुतोष के रूप में प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रदान करें।
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख वर्ष 1998 से लम्बित है। हमारे द्वारा अपीलार्थीगण पोस्ट आफिस के विद्वान अधिवक्ता डॉ0 उदयवीर सिंह के सहयोगी अधिवक्ता श्री श्रीकृष्ण पाठक को विस्तार पूर्वक सुना गया। प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता अनुपस्थित हैं। चूँकि अपील को गुण-दोष के आधार पर पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों को दृष्टिगत रखते हुए एवं परिशीलन करने के उपरांत निर्णीत किया जा रहा है, अतएव समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए यह आदेशित किया जाता है कि उपरोक्त परिपक्वता धनराशि अर्थात 16,006/-रू0 अपीलार्थीगण पोस्ट आफिस द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को मय ब्याज, जो वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए हमारे मत से, 08 प्रतिशत उचित प्रतीत होता है की देयता सुनिश्चित की जाती है। साथ ही उपरोक्त रू0 2,000/- अन्य अनुतोष के रूप में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा आदेशित देयता भी अपीलार्थीगण पोस्ट आफिस द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को 60 दिवस की अवधि में सुनिश्चित की जाती है। अपीलार्थीगण पोस्ट आफिस समस्त देय धनराशि की गणना कर विवरण के साथ देय धनराशि का चेक प्रत्यर्थी/परिवादी को 60 दिवस में जारी करें।
तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकृत करते हुए निस्तारित की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 1