Uttar Pradesh

StateCommission

A/2004/1167

G D A - Complainant(s)

Versus

Anil Bhardwaj - Opp.Party(s)

Ram Raj

17 Dec 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2004/1167
( Date of Filing : 14 Jun 2004 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. G D A
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Anil Bhardwaj
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 17 Dec 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1167/2004

Ghaziabad Development Authority  

Versus

Anil Bharadwaj Advocate son of Sri Jagdish Prasad Sharma   

समक्ष:-                                                            

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

उपस्थिति:-

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित: श्री पियूष मणि त्रिपाठी, विद्धान

                             अधिवक्‍ता

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री आनन्‍द कुमार श्रीवास्‍तव, विद्धान

                         अधिवक्‍ता

दिनांक :17.12.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        परिवाद संख्‍या-70/2003, अनिल भारद्वाज बनाम गाजियाबाद विकास प्राधिकारण में विद्वान जिला आयोग, गाजियाबाद द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 31.03.2004 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

2.        जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए प्राधिकरण को आदेशित किया है कि परिवादी द्वारा भवन की कुल कीमत अंकन 1,78,000/-रू0 पूर्व में जमा की जा चुकी है, इसलिए प्राधिकरण द्वारा मांगी जा रही धनराशि अंकन 2,92,919/-रू0 की वसूली नही की जायेगी।

3.          परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी के पक्ष में एक भवन आवंटित हुआ था, जिसका मूल्‍य अंकन 1,78,000/-रू0 था। इस धनराशि को परिवादी द्वारा जमा किया जा चुका है, इस धनराशि को जमा करने के लगभग 07 साल बाद अपने पत्र दिनांक 04.09.2008 से पुन: 2,92,919/-रू0 जमा कराने का नोटिस प्रेषित किया, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

4.          विपक्षी की ओर से कोई लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया।

5.          निर्णय के अवलोकन से ऐसा प्रतीत होता है कि नोटिस की तामील विपक्षी पर करायी गयी और विपक्षी पर फोरम के कर्मचारी अमर सिंह द्वारा समन प्राप्ति पर अपने हस्‍ताक्षर भी किये गये, इसके बावजूद कोई लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद पत्र मे वर्णित तथ्‍यों के समर्थन में प्रस्‍तुत की गयी साक्ष्‍य पर विचार करते हुए उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया।

5.         इस निर्णय के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील के ज्ञापन में वर्णित आधार तथा मौखिक बहस का सार यह है कि आवंटन के समय प्रारंभिक मूल्‍य दर्शित किया गया था, जबकि भवन निर्माण में वास्‍तविक खर्च आने के पश्‍चात अंकन 2,30,933/-रू0 मूल्‍य निर्धारित हुआ था, जिसकी मांग की गयी थी। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि एनेक्‍जर सं0 4 पर परिवादी द्वारा एक शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया है, जिसमें स्‍वीकार किया गया है कि अंकन 1,78,000/-रू0 जमा किये जा चुके हैं और अवशेष राशि एक माह के अंदर जमा कर दूंगा, परंतु इसके बाद कोई धनराशि जमा नहीं की गयी और उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत कर दिया गया, जबकि भवन की मूल्‍य निर्धारित करने का एकमात्र अधिकार प्राधिकरण में निहित है। जिला उपभोक्‍ता आयोग को भवन की कीमत निर्धारित करने का अधिकार प्राप्‍त नहीं है।

6.         प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्धान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि कब्‍जा अत्‍यधिक देरी से दिया गया है तथा निर्माण भी गुणवत्‍तापूर्ण नहीं था। निवास योग्‍य बनाने के लिए अत्‍यधिक धनराशि खर्च करनी पड़ी, परंतु इन सभी बिन्‍दुओं पर जिला उपभोक्‍ता आयोग का कोई निष्‍कर्ष नहीं है तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग के निष्‍कर्ष के विरूद्ध कोई अपील भी परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत नहीं की गयी। अत: अब इन बिन्‍दुओं पर विचार नहीं किया जा सकता। इस अपील के निस्‍तारण के लिए एकमात्र विचारणीय बिन्‍दु यह है कि क्‍या परिवादी भवन की बढ़ोत्‍तरी वाली कीमत अदा करने के लिए दायित्‍वाधीन है? इस प्रश्‍न का उत्‍तर इस आधार पर सकारात्‍मक है कि परिवादी ने एनेक्‍जर सं0 4 के माध्‍यम से प्राधिकरण के समक्ष एक शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया है और अपने दायित्‍व को स्‍वीकार किया है। अत: भारतीय साक्ष्‍य पुरातन अधिनियम की धारा 22 के अनुसार स्‍वीकृत तथ्‍य संबंधित व्‍यक्ति के विरूद्ध विबंधन की श्रेणी मे आते हैं। इस शपथ पत्र के पश्‍चात परिवादी यह कहने के लिए हकदार नहीं है कि उसपर कोई राशि बकाया नहीं है। अत: प्राधिकरण द्वारा भवन निर्माण की कीमत में बढ़ोत्‍तरी का जो पत्र दिया गया है, उस पत्र में वर्णित दायित्‍व को स्‍वयं परिवादी द्वारा शपथ पत्र के माध्‍यम से स्‍वीकार किया गया है, इसलिए बढ़ोत्‍तरी की राशि अदा करने के लिए बाध्‍य है। अत: जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित होने योग्‍य है कि परिवादी से केवल भवन की कीमत की बढ़ोत्‍तरी वाली राशि का अंतर प्राप्‍त किया जाए। कुल कीमत अंकन 2,30,933/-रू0 बतायी गयी है, जबकि परिवादी पूर्व में ही 1,78,000/-रू0 जमा कर चुका है क्‍योकि परिवादी को स्‍वयं प्राधिकरण द्वारा कब्‍जा देरी से दिया है, यह स्‍वयं अभिलेख से स्‍थापित है। अत: बढ़ी हुई राशि पर प्राधिकरण ब्‍याज वसूल करने के लिए साम्‍या के अनुसार अधिकृत नहीं है। तदनुसार निर्णय/आदेश परिवर्तित होने योग्‍य है।  

आदेश

           अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता   मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी भवन की कीमत की बढ़ी हुई राशि आज से एक माह के अंदर प्राधिकरण में जमा कराये, यदि एक माह के अदंर यह राशि जमा करायी जाती है तब प्राधिकरण द्वारा परिवादी से कोई ब्‍याज वसूल नहीं किया जायेगा और यदि एक माह के अंदर यह राशि जमा नहीं करायी जाती तब परिवादी से ब्‍याज की वसूली भी नियमानुसार की जायेगी।

          उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

 आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

         

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

सदस्‍य सदस्‍य

 

 

      संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2

  

 

 

 

 

         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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