(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1274/2008
लखन लाल बादल पुत्र श्री धनीराम, निवासी ग्राम गौहरी, तहसील चरकारी, जिला महोबा।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम्
1. ब्रांच मैनेजर, इलाहाबाद बैंक, गुडा, जिला महोबा।
2. मैनजर अग्रणी बैंक, इलाहाबाद बैंक, महोबा ब्रांच जिला महोबा
3. असिस्टण्ट जनरल मैनेजर, इलाहाबाद बैंक, हमीरपुर।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री ए.के. मिश्रा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।
दिनांक: 16.03.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-19/2008, लखन लाल बादल बनाम सहायक महाप्रबंधक, इलाहाबाद बैंक तथा दो अन्य में विद्वान जिला आयोग, महोबा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04.06.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री ए.के. मिश्रा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया कि स्वीकृत ऋण की शेष पूंजी प्राप्त करने के लिए परिवादी ने पूर्व में स्वीकृत ऋण का समुचित उपभोग नहीं किया, इसलिए बैंक द्वारा अवशेष राशि अवमुक्त न कर सेवा में कोई कमी नहीं की गई।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी द्वारा कुंए का निर्माण किया गया, कमरा बनवाया गया, इसलिए राशि का प्रयोग कर
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लिया गया, परन्तु केवल कुआं एवं कमरे के लिए प्रारम्भिक राशि अवमुक्त नहीं की गई थी, अपितु कुएं एवं कमरों के अलावा दिनांक 20.12.2007 को दो बार 75-75 हजार रूपये भी अदा किए गए थे और निरीक्षण के समय पाया गया था कि 1000 किलो जी-शीट, 1000 किलो सरिया और 150 किलो तार परिवादी द्वारा क्रय नहीं किए गए और इस संबंध में कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। दिनांक 16.01.2008 को अंकन 25 हजार रूपये का ड्राफ्ट प्राप्त किया गया, परन्तु मौके पर कोई सीमेंट नहीं दिखी। दिनांक 23.01.2008 को किए गए निरीक्षण के समय मौके पर चादर, सरिया, तार नहीं मिला। दिनांक 01.02.2008 के पत्र के अनुसार कोटेशन एवं बिल में बताई गई सामग्री मौके पर नहीं मिली, इसलिए चूंकि अवशेष राशि को जारी न करने का निर्णय विधिसम्मत है, क्योंकि स्वीकृत ऋण की सम्पूर्ण राशि पर प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि उपभोक्ता द्वारा सभी नियमों एवं शर्तों का अनुपालन किया जाए, जबकि प्रस्तुत केस में परिवादी द्वारा ऐसा नहीं किया गया और राशि प्राप्त करने के बावजूद वांछित खरीद नहीं की गई। अत: विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य पर आधारित होने के कारण हस्तक्षेप करने योग्य नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
4. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
पक्षकार अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3