(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1420/2012
Dr. Sri Narian Viswakarma, Amrita Devi Chikitsalaya Surgical and Maternity Clinic
Versus
Ajit Kumar S/O Acche Lal Yadav
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री अम्बरीश कौशल, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित:- श्री कुं0 रवि प्रकाश, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :20.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-106/2011, अजीत कुमार बनाम डा0 श्री नरायन विश्वकर्मा व अन्य में विद्वान जिला आयोग, गोरखपुर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 22.06.2012 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादी की पत्नी श्रीमती चन्दा देवी के इलाज के दौरान लापरवाही बरतने के कारण अंकन 2,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी की गर्भवती पत्नी को दिनांक 31.05.2010 को विपक्षी सं0 1 को दिखाया गया तब उनके द्वारा बताया गया कि तुरंत ऑपरेशन करना पड़ेगा नहीं तो चन्दा की जान चली जायेगी एवं ऑपरेशन के लिए 15,000/-रू0 की मांग की गयी। खून चढ़ाने के लिए अलग से पैसे मांगे गये, परंतु खून चढ़ाने के बाद मरीज के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ और दिनांक 02.06.2010 को मेडिकल कॉलेज गोरखपुर को रेफर कर दिया गया, जहां पर दिनांक 04.06.2010 को चंदा की मृत्यु हो गयी। इस घटना की शिकायत विपक्षी सं0 2 मुख्य चिकित्साधिकारी गोरखपुर से की गयी गयी, जिनके द्वारा इलाज कराने के पश्चात यह पाया गया कि इलाज के दौरान लापरवाही बरती गयी है, जिसके कारण चन्दा की मृत्यु हुई है। तदनुसार जिला उपभोक्ता आयोग ने अंकन 2,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है।
4. इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि जिस समय मरीज को अपीलार्थी के अस्पताल में लाया गया था, तत्समय बच्चे का एक हाथ महिला के शरीर से बाहर आ रहा था, इसलिए आपातकाल मे ऑपरेशन किया गया था। अत: उनके स्तर से कोई लापरवाही नहीं बरती गयी है। बहस के दौरान भी अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता की ओर से इन्हीं तर्कों को दोहराया गया है।
5. मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा तैयार की गयी जांच रिपोर्ट तथा जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष प्रस्तुत दस्तावेज जिस पर उनके द्वारा विचार किया गया है, से यह स्थापित है कि गर्भवती महिला का हीमोग्लोबिन अत्यधिक निम्न स्तर पर था। हीमोग्लोबिन को दुरूस्त किये बिना ऑपरेशन किया गया और ऑपरेशन करने से पूर्व किसी भी प्रकार का कोई परीक्षण नहीं किया गया, जिसके कारण महिला के शरीर में खून की अत्यधिक कमी हो गयी और अंतत: उसकी मृत्यु कारित हो गयी। दस्तावेज सं0 38 पर मौजूद पैथोलॉजी रिपोर्ट से साबित होता है कि हीमोग्लोबिन मात्र केवल 4.0 थी। इस न्यून हीमोग्लोबिन की निम्न स्थिति में सुधार किये बिना ऑपरेशन करना स्वयं में लापरवाही की घटना का द्योतक है, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2