जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नरावत ।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि - 10.02.2014
मूल परिवाद संख्या:- 12/2014
ठाकुरदास पुत्र स्वं. श्री प्रेमचंद जाति नाई, निवासी मोहनगढ़, हाल तालरिया पाड़ा जैसलमेर तहसील व जिला जैसलमेर राजस्थान। ............ परिवादी
बनाम
1. अजय पुत्र श्री गोकुलचंद जाति गुजराती ब्ध्व् सुन्दर पुत्र श्री चमनजी गुजराती मकान नम्बर एन.17 हाउसिंग बोर्ड, जेठवाई रोड जैसलमेर, तहसील व जिला जैसलमेर राजस्थान।
2. श्रीमान सहायक अभियंता जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड़ जैसलमेर राजस्थान।
.............अप्रार्थीगण
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री टीकूराम गर्ग, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2. श्री विपिन कुमार व्यास, अधिवक्ता अप्रार्थी सं. 1 की ओर से ।
3. श्री राणीदान सेवक, अधिवक्ता अप्राथी सं 2 की ओर से।
ः- निर्णय -ः दिनांक ः 29.09.2015
1. परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी को राजस्थान हाउसिग बोर्ड मे लाॅटरी पद्वति से एक मकान सख्या डब्लू-10 साइज 6ग्11ण्25 मीटर का क्रमांक 573 दिनांक 30.07.2010 निम्न आय वर्ग के तहत आवटित हुआ जिसकी किस्तों की राषि का भुगतान किया गया व परिवादी को मौके पर मकान का कब्जा दिया गया। कब्जा लेने के पश्चात् परिवादी को पैसो की जायज जरूरत होने पर अप्रार्थी सं. 1 से 50,000 रू उक्त मकान के कागजात रखकर उधार लिये तथा अप्रार्थी सं0 1 ने खाली कागजो ओर स्टाम्प पर हस्ताक्षर करवाए। विवाद होने पर एक बेदखली का वाद जिला न्यायाधीष के समक्ष पेष किया जो मूल वाद सं0 21/2013 विचाराधीन है। परिवादी द्वारा अप्रार्थी सं0 2 के यहा 3300 रू जरिये रसीद सं. 7480 दिनांक 29.04.2013 को जमा कराने के बाद भी विद्युत सम्बंध देने हैतु अप्रार्थी सं. 2 ने कई चक्कर लगाये परिवादी अप्रार्थी सं. 1 से पहले विद्युत सम्बंध लेने का अधिकारी है। परिवादी को उसके मकान मे अप्रार्थी सं. 2 द्वारा विद्युत कनैक्षन न देकर सेवा दोष कारित किया है। साथ ही आर्थिक एवं मानसिक पेटे 10,000 रू व परिवाद व्यय 2,000 रू दिलाये जाने की प्रार्थना की।
2. अप्रार्थी संख्या 1 ने जवाब पेष कर कहा कि परिवादी अप्रार्थी सं. 1 का न तो उपभोक्ता है ओर न ही अप्रार्थी सं. 1 से कोई रिलिफ ले सकता है। न ही मेरे विरूद्व कोई आदेष प्राप्त कर सकता है परिवादी द्वारा अपने अधिकारो हैतु अन्य न्यायालय मे वाद पेष कर रखा है। परिवादी द्वारा केवल मुझे विद्युत सम्बंध लेने से रोकने के लिए परिवाद किया है इसलिए परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
अप्रार्थी सं. 2 ने जवाब पेष कर कहा कि परिवादी अथवा अप्रार्थी सं. 1 द्वारा कोई डिमान्ड राषि अप्रार्थी विभाग मे जमा नही कराई न ही उनके द्वारा डिमान्ड राषि की माॅग की गई है। एवम् साथ ही परिसर के सम्बंध मे दोनो पक्षों मे विवाद है इसलिए अप्रार्थी सं. 2 सक्ष्म न्यायालय के बिना कानूनन किसी भी पक्ष को उक्त परिसर मे विद्युत सम्बंध नही दे रहा है। अप्रार्थी सं. 2 द्वारा कोई सेवा दोष कारित नही किया गया है। इसलिए परिवादी का परिवाद मय हर्जे खर्चे के खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
3. हमने विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4. विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1. क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या विपक्षीगण का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3. अनुतोष क्या होगा ?
5. बिन्दु संख्या 1:- जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आते है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आते हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनीयम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी अप्रार्थी सं. 1 का उपभोक्ता नही है। क्योकि परिवादी व अप्रार्थी सं. 1 के मध्य उपभोक्ता एवं सेवा प्रदाता के सम्बंध नही है। इसलिए परिवादी उसके विरूद इस मंच से कोई आदेष प्राप्त नही कर सकता तथा परिवादी अपने अधिकारो हैतु सक्ष्म न्यायालय मे वाद पेष कर सकता है। परिवादी ने अप्रार्थी सं. 2 के कार्यालय मे घरेलू विद्युत कनैक्षन लेने हैतु जरिये रसीद सं. 7480 दिनांक 29.04.2013 को नकद 3300 रू जमा कराये है। इस कारण परिवादी अप्रार्थी सं. 2 का उपभोक्ता है। इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत अप्रार्थी सं. 2 के उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में अप्रार्थी सं. 2 के विरूद्व निस्तारित किया जाता है ।
6. बिन्दु संख्या 2:- जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या अप्रार्थी सं. 2 का उक्त कृत्य एक सेवा दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? विद्वान परिवादी अभिभाषक की दलील है कि उसने अप्रार्थी सं. 2 के यहा घरेलू विद्युत कनैक्षन लेने हैतु आवेदन शुल्क के रूप मे 3300 रू नकद जमा कराये जिसकी रसीद सं. 7480 दिनांक 29.04.2013 है लेकिन अप्रार्थी सं. 2 ने विद्युत कनैक्षन न देकर सेवा दोष कारित किया है। उनकी यह भी दलील है कि परिवादी को आॅवटित मकान सं. डब्लू 10 मे विद्युत सम्बंध अप्रार्थी सं. 2 से करवाया जावें तथा साथ ही मानसिक व आर्थिक नुकसान पेटें राषि दिलाये जाने का निवेदन किया। उनकी यह भी दलील है कि परिवादी अप्रार्थी सं. 1 से पहले विद्युत सम्बंध लेने का अधिकारी है।
इसका प्रबल विरोध करते हुए अप्रार्थी सं. 1 के विद्वान अभिभाषक की दलील है कि परिवादी उसका उपभोक्ता नही है। इसलिए वह इस मंच से उसके विरूद्व किसी प्रकार का अनुतोष प्राप्त नही कर सकता तथा इस परिसर का विवाद भी न्यायालय मे विचाराधीन है। परिवादी कोई अनुतोष अप्रार्थी सं. 2 के विरूद्व भी प्राप्त नही कर सकता। अतः परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया।
7. उभयपक्षो के पक्षों के तर्को पर मनन किया गया। क्या अप्रार्थी सं. 2 सहायक अभियंता जोधपुर विद्युत वितरण निगम लि. जैसलमेर ने परिवादी को विद्युत कनैक्षन नही देकर कोई सेवा दोष कारित किया है अथवा नही ? यह बात सही है कि परिवादी अप्रार्थी सं. 1 अजय का उपभोक्ता नही है। जैसा कि अजय ने अपने जवाब व साक्ष्य मे बताया है। इस बात का खण्डन परिवादी ने अपनी साक्ष्य मे नही किया है। जहा तक अप्रार्थी सं. 2 सहायक अभियंता जैसलमेर का सेवा दोष का प्रष्न है परिवादी ने अपनी साक्ष्य मे यह बताया है कि उसने दिनांक 24.02.2013 को अप्रार्थी सं. 2 के विभाग मे 3300 रू नकद जमा करवाये जिसकी रसीद सं. 7480 दिनांक 29.04.2013 है। अप्रार्थी सं. 2 द्वारा बार-बार चक्कर लगाने पर भी विद्युत सम्बंध नही दिया गया। अतः परिवादी की इस साक्ष्य से यह प्रकट है कि उसने विद्युत सम्बंध लेने हैतु 3300 रू जमा कराये। परिवादी द्वारा प्रस्तुत रसीद दिनांक 29.04.2013 का अवलोकन करे तो उसमे 3300 रू आवेदन-शुल्क के जमा कराना साबित है। अतः परिवादी द्वारा केवल विद्यत सम्बंध लेने के आवेदन का ही शुल्क जमा कराया था । अप्रार्थी सं. 2 की तरफ से कोई डिमांड राषि का नोटिस जमा कराने के सम्बंध मे जारी किया गया हो ऐसा भी नही है। तथा परिवादी ने डिमांड की एवज मे कोई राषि जमा कराई हुई हो ऐसा भी नही है। अप्रार्थी सं. 2 ने अपने जवाब व साक्ष्य मे बताया है कि परिवादी व अप्रार्थी सं. 1 द्वारा कोई डिमांड राषि अप्रार्थी सं. 2 के विभाग मे जमा नही कराई गई। विभाग द्वारा डिमांड नोटिस जमा कर राषि जमा कराने के बाद ही विद्युत कनैक्षन जारी किया जा सकता है। अतः परिवादी द्वारा कोई डिमांड की राषि जमा कराई हो ओर विद्युत विभाग ने कनैक्षन नही दिया हो ऐसा नही है। अप्रार्थी सं. 2 ने यह भी बताया है कि परिसर के सम्बंध मे दोनो पक्षो मे विवाद है। अप्रार्थी सं. 2 सक्ष्म न्यायालय के बिना कानूनन आदेष के किसी भी पक्ष को उक्त परिसर मे विद्युत सम्बंध नही दे रहा है। अतः उपरोक्त परिस्थतियो मे अप्रार्थी सं. 2 विद्युत विभाग द्वारा कोई संेवा दोष कारित नही किया है।
8. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 अप्रार्थीगण के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है जो अस्वीकार कर खारीज किया जाता है ।
ः-ः आदेष:-ः
परिणामतः परिवादी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्व खारिज होने योग्य है जो खारिज किया जाता है। दोनो पक्ष अपना-अपना खर्चा वहन करेगें
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेश आज दिनांक 29.09.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।