(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 1118/2018
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, रायबरेली द्वारा परिवाद सं0- 60/2015 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 23.02.2018 के विरुद्ध)
1. The New India Assurance Co. Ltd., Branch Office Jail Garden Road, Raibareli, Through its Branch Manager.
2. The New India Assurance Co. Ltd., Divisional Office-II, 94, M.G. Road, In front of Raj Bhawan, Hazratganj, Lucknow. Through its Divisional Manager.
……..Appellants
Versus
Ajay Kumar Soni S/o Sri Shatrughan Lal, R/o Village Tamanpur, Kasba Bachrawan, District Raibareli.
……Respondent
समक्ष:-
माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री असित श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : श्री श्रीश कुमार मिश्रा, विद्वान
अधिवक्ता उपस्थित नहीं हैं।
दिनांक:- 02.09.2022
माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 60/2015 अजय कुमार सोनी बनाम दि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कं0लि0 व 01 अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, रायबरेली द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 23.02.2018 के विरुद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
संक्षेप में अपीलार्थीगण/विपक्षीगण का कथन है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने प्राईवेट कार पैकेज पालिसी उसकी सम्बन्धित शर्तों को देखकर लिया था जो दिनांक 21.10.2014 से 20.10.2015 तक प्रभावी थी। दिनांक 31.10.2014 को दिन में 11.00 बजे जब उसने अपनी कार अपनी दुकान के सामने खड़ी की थी जो गल्ला मण्डी, कस्बा बछरावॉं, रायबरेली में है, वाहन ने आग पकड़ ली और वहॉं पर काफी भीड़ इकट्ठा हो गई। फायर ब्रिगेड ने मौके पर आ कर आग पर काबू पाया। प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपना दावा 2,42,413/-रू0 के लिए प्रस्तुत किया जो आई0डी0वी0 के विपरीत था। इसका परीक्षण करने के उपरान्त दावा अमान्य कर दिया गया, क्योंकि अग्निशमन विभाग ने अपनी आख्या में अग्निकाण्ड का होना संदिग्ध पाया। तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने एक परिवाद सं0- 60/2015 प्रस्तुत किया।
अपीलार्थीगण/विपक्षीगण ने अपना उत्तर पत्र भी प्रस्तुत किया। अपीलार्थीगण/विपक्षीगण ने सेवा में कोई कमी नहीं की, किन्तु विद्वान जिला फोरम ने अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के कथनों को अस्वीकार करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया:-
‘’परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। परिवादी, विपक्षीगण से बीमा की धनराशि 2,42,413/-रू0 पाने का अधिकारी है, साथ ही परिवादी, विपक्षीगण से बीमित धनराशि 2,42,413/-रू0 पर परिवाद दर्ज करने की तिथि 13.07.2015 से उसके अन्तिम वसूली तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी पाने का अधिकारी है इसके साथ ही साथ परिवादी विपक्षीगण से 8,000/-रू0 शारीरिक व मानसिक क्षति के लिए व 5,000/- रू० परिवाद व्यय के मद में भी पाने का अधिकारी है।
विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे उपरोक्त वर्णित समस्त धनराशि परिवादी को एक महीने के अन्दर अदा करें।‘’
इस आदेश से व्यथित होकर वर्तमान अपील प्रस्तुत की गई है।
हमने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री असित श्रीवास्तव को सुना और पत्रावली का सम्यक परिशीलन किया। प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री श्रीश कुमार मिश्रा उपस्थित नहीं हैं।
हमने पत्रावली पर उपलब्ध समस्त साक्ष्यों एवं विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय व आदेश का अवलोकन किया।
वर्तमान मामले में अपीलार्थीगण/विपक्षीगण की ओर से यह कहा गया कि अग्निशमन विभाग ने अपनी आख्या में अग्निकांड का होना संदिग्ध पाया, किन्तु विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया और प्रत्यर्थी/परिवादी का परिवाद स्वीकार कर दिया जो विधि विरुद्ध और तथ्यों से परे है।
अपीलार्थीगण/विपक्षी की ओर से एक बिन्दु यह उठाया गया कि पालिसी में आई0डी0वी0 2,41,413/-रू0 की है जब कि अवार्ड में 2,42,413/-रू0 अंकित हुआ है।
हमने पालिसी का अवलोकन किया और पाया कि आई0डी0वी0 2,41,413/-रू0 अंकित है। फायर बिग्रेड ने अपनी आख्या में आग लगने का कारण संदिग्ध कहा है, किन्तु यह नहीं कहा कि आग ही नहीं लगी। अर्थात आग तो लगी, लेकिन आग लगने का कारण क्या था, यह स्पष्ट नहीं हुआ। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने यह माना कि वाहन में आग लगी है और तदनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी विविध धनराशि पाने का अधिकारी है। प्रश्नगत निर्णय व आदेश विधिसम्मत है। मात्र इस तथ्य के अतिरिक्त की बीमे की धनराशि 2,42,413/-रू0 लिखी है, जब कि इसे 2,41,413/-रू0 माना जाये। शेष निर्णय व आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। अत: वर्तमान अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। प्रश्नगत निर्णय व आदेश दि0 23.02.2018 (परिवाद सं0- 60/2015) में अवार्ड की गई बीमे की धनराशि 2,42,413/-रू0 के स्थान पर 2,41,413/-रू0 की जाती है। शेष निर्णय व आदेश की पुष्टि की जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थीगण द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय व आदेश के अनुसार जिला उपभोक्ता आयोग को निस्तारण हेतु प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय व आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(विकास सक्सेना) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0-2