Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/2185

Stallion Honda Auto Sales - Complainant(s)

Versus

Ajay Kumar Agarwal - Opp.Party(s)

Virat Anand Singh & Rajesh Chadha

17 May 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/2185
( Date of Filing : 24 Sep 2013 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Stallion Honda Auto Sales
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Ajay Kumar Agarwal
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 17 May 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

अपील संख्‍या:-2185/2013

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, सीतापुर द्धारा परिवाद सं0-22/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 25.4.2013 के विरूद्ध)

M/s Sttallion Honda, Stallion Auto Sales Pvt. Ltd., Faizabad Road, Lucknow.

                                                 ........... Appellant/Opp. Party

Versus    

Ajay Kumar Agarwal, S/o Shri Gopi Krishna Agarwal, Sitapur Trading Co., Station Road, Sitapur.

              ……..…. Respondent/Complainant     

समक्ष :-

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य

मा0 गोवर्धन यादव, सदस्‍य

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता    : श्री राजेश चडढा

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता      : कोई नहीं।

दिनांक :- 13-6-2018                                          

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय   

प्रस्‍तुत अपील परिवाद संख्‍या-22/2013 में जिला मंच, सीतापुर द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांकित 25.4.2013 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार उसने एक होण्‍डा सिटी कार अपीलार्थी से जुलाई, 2010 में क्रय की थी, जिसका रजिस्‍ट्रेशन नं0-यू0पी0 34पी0/3888 है। अपीलार्थी द्वारा बताया गया कि उसकी कम्‍पनी बीमा पालिसी का कार्य होण्‍डा एश्‍योर के नाम से किसी कम्‍पनी से टाइअप करके चलाती है, जो अधिक लाभकारी है। अपीलार्थी द्वारा दिए गये आश्‍वासन पर परिवादी ने अपनी होण्‍डा सिटी कार का बीमा अपीलार्थी कम्‍पनी से सम्‍बन्धित बीमा कम्‍पनी होण्‍डा एश्‍योर से करा लिया तथा दिनांक 06.6.2012 को अपीलार्थी को 23,200.00 रू0 प्रीमियम का अदा किया, जो अपीलार्थी के खाते में जमा हुए। बीमा का पैसा अपीलार्थी

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द्वारा लिए जाने के कारण व अपीलार्थी के खाते में पैसा जाने से वाहन सम्‍बन्‍धी समस्‍त उत्‍तरदायित्‍व अपीलार्थी का है। परिवादी की कार दुर्घटनाग्रस्‍त होने पर उसने दिनांक 11.10.2012 को अपीलार्थी के वर्कशाप पर प्रश्‍नगत कार को मरम्‍मत हेतु भेजा तथा मरम्‍मत के संदर्भ में हुए खर्च के भुगतान हेतु बीमा दावा प्रेषित किया, किन्‍तु अपीलार्थी द्वारा भुगतान नहीं किया गया तथा अभर्द्र व्‍यवहार किया गया। अपीलार्थी द्वारा मरम्‍मत के बाद 25,670.00 रू0 की मॉग की गई तथा धमकी दी गई कि भुगतान न करने पर गाड़ी नहीं देगें। अपीलार्थी द्वारा 25,670.00 रू0 का भुगतान प्राप्‍त कर लिया गया। अपीलार्थी के इस व्‍यवहार से परिवादी को अत्‍यधिक आर्थिक, मानसिक व शारीरिक क्षति हुई। अत: परिवादी द्वारा सम्‍पूर्ण धनराशि मय ब्‍याज तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया है।

जिला मंच के समक्ष अपीलार्थी को पंजीकृत डाक से नोटिस जारी की गई, किन्‍तु अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: अपीलार्थी के विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही प्रारम्‍भ की गई।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत की गई साक्ष्‍य के परिशीलन के उपरांत जिला मंच ने परिवादी का परिवाद स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी को आदेशित किया कि एक माह के अन्‍दर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 25,670.00 रू0 बीमा दावा के रूप में तथा 20,000.00 रू0 मानसिक एवं शारीरिक क्षतिपूर्ति हेतु एवं 10,000.00 रू0 वाद व्‍यय के रूप में अर्थात 55,670.00 रू0 का भुगतान करें। अनुपालन न किए जाने की स्थिति में परिवादी को यह अधिकार होगा कि उपरोक्‍त धनराशि पर वाद योजित किए जाने की तिथि से भुगतान किए जाने की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से सम्‍पूर्ण धनराशि की वसूली फोरम के माध्‍यम से अपीलार्थी से करेगा। 

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर अपील योजित की गई है।

हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चडढा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता

 

-3-

श्री वी0के0 शाही उपस्थित हो चुके है, किन्‍तु तर्क प्रस्‍तुत करने हेतु उपस्थित नहीं हुए।

उल्‍लेखनीय है कि प्रश्‍नगत निर्णय दिनांकित 25.4.2013 के विरूद्ध यह अपील दिनांक 24.9.2013 को योजित की गई और इस प्रकार अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम,1986 की धारा-15 के अन्‍तर्गत निर्धारित समय सीमा के बाद योजित की गई है। अपील के प्रस्‍तुतीकरण में हुए विलम्‍ब को क्षमा किए जाने हेतु प्रार्थना पत्र अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत किया गया है और प्रार्थना पत्र के समर्थन में श्री एम0के0 अग्रवाल, अपीलार्थी के निदेशक का शपथपत्र प्रस्‍तुत किया गया है। अपीलार्थी के कथनानुसार प्रश्‍नगत निर्णय दिनांकित 26.4.2013 की प्रमाणित प्रति अपीलार्थी को दिनांकित 06.8.2013 को प्राप्‍त हुई। अपीलार्थी के अधिवक्‍ता के दाहिने घुटने में अत्‍याधिक दर्द के कारण उनका चलना फिरना बाधित था, ऐसी परिस्थिति में अपील के प्रस्‍तुतीकरण में हुए विलम्‍ब को क्षमा किए जाने की प्रार्थना की गई। अपीलार्थी के कथनानुसार अधिवक्‍ता की गलती का दण्‍ड पक्षकार को दिया जाना उचित नहीं होगा। अपीलार्थी की ओर से प्रस्‍तुत किए गये शपथपत्र के विरूद्ध कोई प्रति शपथपत्र प्रत्‍यर्थी की ओर से प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। अत: अपील के प्रस्‍तुतीकरण में हुए विलम्‍ब का कारण पर्याप्‍त पाते हुए अपील के प्रस्‍तुतीकरण में हुए विलम्‍ब को क्षमा किया जाता है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत परिवाद जिला मंच, सीतापुर द्वारा निर्णीत किया गया है और जिला मंच, सीतापुर को प्रश्‍नगत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं था, क्‍योंकि प्रश्‍नगत वाहन अपीलार्थी से जनपद लखनऊ में क्रय किया गया था और प्रश्‍नगत बीमा पालिसी भी जनपद लखनऊ में ही जारी की गई थी। प्रश्‍नगत वाहन से सम्‍बन्धित समस्‍त भुगतान अपीलार्थी के व्‍यवसायिक संस्‍थान जनपद लखनऊ में किया गया। अपीलार्थी की कोई शाखा जनपद सीतापुर में स्थित नहीं है। ऐ‍सी परिस्थिति में जनपद सीतापुर में कोई वाद कारण उत्‍पन्‍न न होने के कारण जिला मंच, सीतापुर को प्रस्‍तुत परिवाद की

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सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं था। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत प्रकरण में विवाद प्रश्‍नगत वाहन से सम्‍बन्धित बीमा दावे की अदायगी के भुगतान का है। अपीलार्थी ने सम्‍बन्धित बीमा कम्‍पनी को पक्षकार नहीं बनाया है। सम्‍बन्धित बीमा कम्‍पनी प्रश्‍नगत परिवाद के उचित निस्‍तारण हेतु आवश्‍यक पक्षकार थी। बीमा दावा के कथित भुगतान की अदायगी न किए जाने के संदर्भ में अपीलार्थी के विरूद्ध अनुतोष हेतु कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता।

अपीलार्थी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत परिवाद की फोटोप्रति दाखिल की है, जिसके अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा यह अभिकथित किया गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी से कार खरीदने से लेकर बीमा तक सभी धनराशि जनपद सीतापुर में दी हैं और अपीलार्थी के प्रतिनिधि द्वारा परिवादी से जनपद सीतापुर में प्राप्‍त की गई है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह भी कथन है कि प्रश्‍नगत कार का संचालन जनपद सीतापुर में भी होता है और उपरोक्‍त कारणों से जनपद सीतापुर न्‍यायालय को सम्‍पूर्ण क्षेत्राधिकार प्राप्‍त है।

उल्‍लेखनीय है कि परिवाद के अभिकथनों में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने यह अभिकथित नहीं किया है कि अपीलार्थी का कोई शाखा कार्यालय जनपद सीतापुर में स्थित है। अपीलार्थी के प्रतिनिधि द्वारा जनपद सीतापुर में प्रश्‍नगत कार से सम्‍बन्धित धनराशि प्राप्‍त किया जाना उल्लिखित है, किन्‍तु अपीलार्थी के किसी प्रतिनिधि का नाम इन अभिकथनों में दर्शित नहीं किया गया और न ही इस संदर्भ में कोई साक्ष्‍य प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा दाखिल की गई है, जबकि अपीलार्थी का स्‍पष्‍ट कथन है कि अपीलार्थी का कोई शाखा कार्यालय जनपद सीतापुर में स्थित नहीं है। कार की बिक्री का कार्य अपीलार्थी के कार्यालय स्थित फैजाबाद रोड़, लखनऊ में किया जाता है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी के विरूद्ध परिवाद जनपद लखनऊ कार्यालय का पता उल्लिखित करते हुए ही योजित किया है। अपीलार्थी ने प्रश्‍नगत कार से

 

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सम्‍बन्धित समस्‍त धनराशि जनपद लखनऊ में ही प्राप्‍त किया जाना अभिकथित किया है।

अपीलार्थी का यह भी कथन है कि यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की प्रश्‍नगत कार में मरम्‍मत का कार्य अपीलार्थी की जनपद लखनऊ स्थि‍त कार्यशाला में कराया गया। ऐसी परिस्थिति में प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह कथन स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं माना जा सकता कि प्रश्‍नगत वाहन से सम्‍बन्धित किसी प्रतिफल की अदायगी अथवा बीमा पालिसी से सम्‍बन्धित प्रीमियम की अदायगी जनपद सीतापुर में की गई हो। परिवाद के अभिकथनों तथा परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत की गई साक्ष्‍य के अवलोकन से कोई वाद कारण जनपद सीतापुर में उत्‍पन्‍न होना साबित नहीं है। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-11 में परिवाद योजित किए जाने के संदर्भ में निम्‍नलिखित प्रावधान दिए गये है:-

उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-11 (2) परिवाद किसी ऐसे जिला पीठ में संस्थित किया जाएगा जिसकी अधिकारिता की स्‍थानीय सीमाओं के भीतर-

  1. विरोधी पक्षकार या जहॉ एक से अधिक विरोधी पक्षकार हों, वहॉ उनमें से प्रत्‍येक परिवाद के संस्थित किए जाने के समय वस्‍तुत: और स्‍वेच्‍छापूर्वक निवास करता है (या कारबार चलाता है या शाखा कार्यालय है) या व्‍यक्तिगत रूप से अभिलाभ के लिए कार्यकरता है, या
  2. जहॉ एक से अधिक विरोधी पक्षकार हैं वहॉ वाद विरोधी पक्षकारों में से कोई भी विरोधी पक्षकार परिवाद के संस्थित किए जाने के समय वास्‍तव में और स्‍वेच्‍छा से निवास करता है या (कारबार करता है अथवा शाखा कार्यालय में है) या अभिलाभ के लिए स्‍वयं काम करता है, परन्‍तु यह तब जबकि ऐसी अवस्‍था में या तो जिला पीठ की इजाजत दे दी गई है या जो विरोधी पक्षकार पूर्वोक्‍त रूप में निवास नहीं करते या (कारबार नहीं करते या

 

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अभिलाभ के लिए स्‍वयं काम नहीं करते,) वे ऐसे संस्थित किए जाने के लिए उपमत हो गये हैं; अथवा

  1. वाद-हेतुक पूर्णत: या भागत: पैदा होता है।

उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की उपरोक्‍त धारा में वर्णित प्रावधान के आलोक में प्रश्‍नगत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला मंच, सीतापुर को प्राप्‍त होना नहीं माना जा सकता। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के इस तर्क में भी बल है कि प्रश्‍नगत प्रकरण में वस्‍तुत: विवाद बीमा धनराशि की कथित रूप से अदायगी न किए जाने का है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने सम्‍बन्धित बीमा कम्‍पनी को पक्षकार नहीं बनाया है। प्रश्‍नगत प्रकरण के निस्‍तारण हेतु सम्‍बन्धित बीमा कम्‍पनी निश्चित रूप से आवश्‍यक पक्षकार है।

हमारे विचार से क्षेत्राधिकार के अभाव में प्रश्‍नगत निर्णय पारित होने के कारण आपस्‍त किए जाने योग्‍य है। अपील तद्नुसार स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

आदेश

अपील स्‍वीकार की जाती है। परिवाद संख्‍या-22/2013 में जिला मंच, सीतापुर द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांकित 25.4.2013 को अपास्‍त किया जाता है। परिवाद निरस्‍त किया जाता है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी सक्षम जिला मंच के समक्ष परिवाद योजित करने के लिए स्‍वतंत्र होगा।

उभय पक्ष अपीलीय व्‍यय भार स्‍वयं वहन करेंगे।

 

    (उदय शंकर अवस्‍थी)               (गोवर्धन यादव)

     पीठासीन सदस्‍य                       सदस्‍य

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-5

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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