राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-२१८४/२०१४
(जिला मंच(प्रथम), लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-६३४/२०११ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०६-०९-२०१४ के विरूद्ध)
कैरियर एयरकण्डीशनिंग एण्ड रेफ्रिजरेशन लि0 (A company incorporated under the Companies Act, 1956) रजिस्टर्ड कार्यालय खेरकी दौला पोस्ट, नर्सिंगपुर, गुड़गॉव (हरियाणा)-१२२००१ द्वारा अधिकृत हस्ताक्षरी श्री सुशील कुमार शर्मा।
............. अपीलार्थी/विपक्षी सं0-१.
बनाम
१. अशोक कुमार पुत्र स्व0 जगन्नाथ निवासी-५९१/२८१, व पोस्ट-उतरेठिया, रायबरेली रोड, लखनऊ। ............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
२. कृष्णा इलैक्ट्रॉनिक्स द्वारा प्रौपराइटरए, १०७६, सदर चौराहा कैण्ट, लखनऊ।
............ प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-२.
समक्ष:-
१- मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२- मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री संजीव सिंह विद्वान अधिवक्ता द्वारा अधिकृत
श्रीमती प्रतिभा सिंह विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री राम गोपाल विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-२ की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- १५-०१-२०२०.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच(प्रथम), लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-६३४/२०११ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०६-०९-२०१४ के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने दिनांक १५-०७-२०१० को एक कैरियर कम्पनी का स्पिलिट एयर कण्डीशनर माडल ड्यूरा कूल प्रत्यर्थी सं0-२ से ३७,५००/- रू० में क्रय किया। इस एयर कण्डीशनर के क्रय करने के एक सप्ताह बाद ही एयर कण्डीशनर खराब हो गया। एयर कण्डीशनर की इन्डोर यूनिट व उससे बाहर जाने वाली पाइप से पानी टपकता रहता तथा ए0सी0 की कूलिंग कम थी।
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इन खराबियों की शिकायत परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी सं0-२ से की गई तब सैनी इलैक्ट्रानिक्स से सम्पर्क करने को कहा गया। परिवादी ने दिनांक २३-०७-२०१०, ३०-०७-२०१०, १०-०८-२०१०, १२-०८-२०१०, १७-०८-२०१० एवं ०८-१०-२०१० को सैनी इलैक्ट्रानिक्स से शिकायत की तो सैनी इलैक्ट्रानिक्स द्वारा भेजे गये मैकेनिक ने ठीक करने का प्रयास किया किन्तु ठीक न होने पर अपीलार्थी कम्पनी के लालबाग स्थित आफिस में फोन नम्बर ०५२२४१५८७१० पर सम्पर्क करने को कहा गया तब परिवादी ने दिनांक १५-१०-२०१० एवं ११-११-२०१० को शिकायत की तो उनके द्वारा आशीष के मोबाइल नं0-९१९८४५४४६३ पर सम्पर्क करने को कहा गया। परिवादी ने उसी दिन शिकायत की तब उनके द्वारा अंकित मेहरोत्रा के मोबाइल नं0-९६७०४४४४१२ से सम्पर्क करने को कहा गया। परिवादी ने उनसे भी शिकायत की किन्तु एयर कण्डीशनर ठीक नहीं किया गया। तब परिवादी ने अपीलार्थी कम्पनी के टोल फ्री नम्बर-१८००३०११११११ पर दिनांक १५-११-२०१० को कम्पलेण्ट नं0-एनयूकेएन ०६६ पर कम्पलेण्ट की किन्तु कम्पलेण्ट अटेण्ड नहीं की गई तो दिनांक २३-०६-२०११ एवं २५-०६-२०११ को अपीलार्थी कम्पनी के लालबाग स्थित आफिस के फोन नम्बर ०५२२४१५८७१० पर पुन: शिकायत की किन्तु कम्पलेण्ट अटेण्ड न होने पर श्री आशीष के मोबाइल नं0-९१९८४५४४६३ पर दिनांक २६-०६-२०११, २८-०६-२०११ को एवं दिनांक ०६-०७-२०११ को अपीलार्थी कम्पनी के नम्बर १८००३०११११११ पर कम्पलेण्ट नं0 एनयूकेएन ५११ व कम्पलेण्ट नं0 एनयूकेएन ०६६ पर कम्पलेण्ट की किन्तु परिवादी की कम्पलेण्ट अटेण्ड नहीं की गई तथा परिवादी का एयर कण्डीशनर ठीक नहीं किया गया। अत: परिवाद, क्रय किए गये एयर कण्डीशनर की कीमत का मय ब्याज भुगतान तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु अपीलार्थी एयर कण्डीशनर निर्माता कम्पनी तथा एयर कण्डीशनर बिक्रेता प्रत्यर्थी सं0-२ के विरूद्ध योजित किया गया।
अपीलार्थी द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया किन्तु प्रत्यर्थी सं0-२ द्वारा कोई प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया, अत: परिवाद की कार्यवाही प्रत्यर्थी सं0-२ के विरूद्ध एक पक्षीय चली।
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अपीलार्थी के कथनानुसार परिवादी को प्रश्नगत ए0सी0 कार्यशील स्थिति में प्रदान किया गया। प्रश्नगत ए0सी0 के सन्दर्भ में कम्प्रेशर की वारण्टी ०५ वर्ष की थी तथ पूरे ए0सी0 की वारण्टी क्रय की तिथि से ०१ वर्ष थी। वारण्टी की शर्तों के अन्तर्गत त्रुटिपूर्ण पार्ट की नि:शुल्क मरम्मत की जानी थी अथवा ऐसा पार्ट नि:शुल्क बदला जाना था। अपीलार्थी के कथनानुसार परिवादी द्वारा क्रय किए गये ए0सी0 के सम्बन्ध में शिकायत किए जाने पर अपीलार्थी के कर्मचारी द्वारा ए0सी0 से पानी निकलने की शिकायत पी0सी0बी0 को बदलकर दूर की गई। तदोपरान्त ए0सी0 पूर्णत: ठीक हो गया। अपीलार्थी द्वारा यह भी अभिकथित किया गया कि परिवादी द्वारा की गई इस शिकायत से पूर्व परिवादी की शिकायत पर अपीलार्थी के टेक्नीशियन परिवादी के आवास पर निरीक्षण हेतु कई बार गये किन्तु निरीक्षण हेतु जब-जब टेक्नीशिन गये उन्हें ए0सी0 का निरीक्षण करने नहीं दिया गया बल्कि ए0सी0 बदले जाने का आग्रह किया गया जबकि ए0सी0 का बदला जाना वारण्टी की शर्तों के अनुसार ही सम्भव था। इस प्रकार अपीलार्थी द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई।
जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय में अपीलार्थी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को त्रुटिपूर्ण ए0सी0 विक्रय किया जाना माना। तद्नुसार परिवाद अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0-२ के विरूद्ध स्वीकार करते हुए अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-२ को निर्देशित किया कि परिवादी को पुराने ए0सी0 को बदलकर उसी श्रेणी का ए0सी0 प्रदान किया जाय। यदि यह सम्भव न हो तो ए0सी0 का मूल्य ३७,५००/- रू० तथा इस धनराशि पर परिवाद योजित किए जाने की तिथि से सम्पूर्ण धनराशि की अदायगी तक ०९ प्रतिशत ब्याज का भुगतान निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर करें। इसके अतिरिक्त अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-२ को यह भी निर्देशित किया गया कि परिवादी को ३,०००/- रू० क्षतिपूर्ति के रूप में तथा २,०००/- रू० वाद व्यय के रूप में भी उपरोक्त अवधि में भुगतान करें।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गई।
हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री संजीव सिंह द्वारा अधिकृत श्रीमती प्रतिभा सिंह अधिवक्ता एवं प्रत्यर्थी सं0-१ की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राम
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गोपाल के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रत्यर्थी सं0-२ की ओर से नोटिस की तामील के बाबजूद तर्क प्रस्तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है। जिला मंच द्वारा इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी की शिकायत पर अपीलार्थी के टेक्नीशियन परिवादी के घर पर गये किन्तु परिवादी द्वारा उन्हें निरीक्षण करने नहीं दिया गया। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत ए0सी0 में निर्माण सम्बन्धी कोई त्रुटि प्रमाणित करने हेतु प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कोई विशेषज्ञ आख्या प्रस्तुत नहीं की गई। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत ए0सी0 के सन्दर्भ में जारी की गई वारण्टी की शर्तों के अनुसार त्रुटिपूर्ण पार्ट की नि:शुल्क मरम्मत अथवा मरम्मत योग्य न होने पर नि:शुल्क बदला जाना आच्छादित था। प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी द्वारा की गई शिकायत का निराकरण अपीलार्थी के टेक्नीशियन द्वारा कर दिया गया। प्रश्नगत ए0सी0 में कोई त्रुटि प्रमाणित न होने के बाबजूद प्रश्नगत निर्णय पारित किया गया।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रश्नगत निर्णय को पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का उचित परिशीलन करते हुए पारित किया जाना बताया गया तथा अपील को निरस्त किए जाने की प्रार्थना की गई।
प्रस्तुत प्रकरण में यह तथ्य निर्विवाद है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी द्वारा निर्मित कैरियर कम्पनी का स्पिलिट एयर कण्डीशनर माडल ड्यूरा कूल अपीलार्थी के डीलर प्रत्यर्थी सं0-२ से ३७,५००/- रू० में दिनांक १५-०७-२०१० को क्रय किया। प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार क्रय किए गये इस एयर कण्डीशनर में क्रय की तिथि से १० दिन के अन्दर ही इन्डोर यूनिट तथा उससे बाहर जाने वाले पाइप से पानी निकलने लगा तथा एयर कण्डीशनर की कूलिंग कम थी जिसकी शिकायत परिवादी ने प्रत्यर्थी सं0-२ तथा उसके द्वारा निर्देशित व्यक्तियों से विभिन्न तिथियों में की किन्तु एयर कण्डीशनर की त्रुटि दूर नहीं की गई। अत: परिवाद योजित किया गया।
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अपीलार्थी के कथनानुसार परिवादी द्वारा की गई शिकायत के आलोक में अपीलार्थी कम्पनी के कर्मचारी निरीक्षण हेतु गये। निरीक्षण में एयर कण्डीशनर से पानी निकलने की समस्या पाई गई। इस समस्या के निराकरण हेतु प्रश्नगत एयर कण्डीशनर का पी0सी0बी0 बदल दिया गया और वह सुचारू रूप से कार्य करने लगा। अपीलार्थी के कथनानुसार एयर कण्डीशनर में निर्माण सम्बन्धी कोई त्रुटि नहीं थी। ए0सी0 पूर्ण रूप से सही कार्य कर रहा था। अपीलार्थी के कथनानुसार प्रश्नगत ए0सी0 के सन्दर्भ में एक वर्ष की वारण्टी प्रदान की गई थी तथा इसके कम्प्रेशर के सन्दर्भ में ०५ वर्ष की वारण्टी प्रदान की गई थी। वारण्टी की शर्तों के अन्तर्गत वारण्टी की अवधि के मध्य त्रुटि निवारण नि:शुल्क किया जाना था। किसी पार्ट में खराबी होने की स्थिति में उस पार्ट की मरम्मत नि:शुल्क की जानी थी। यदि पार्ट मरम्मत योग्य नहीं पाया जाता तो उसको नि:शुल्क बदला जाना था। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने जिला मंच के समक्ष प्रश्नगत ए0सी0 में निर्माण सम्बन्धी त्रुटि होने के सम्बन्ध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की और न ही कोई विशेषज्ञ आख्या प्रस्तुत की। जिला मंच ने मात्र परिवाद के अभिकथनों को स्वीकार करते हुए प्रश्नगत ए0सी0 को त्रुटिपूर्ण मान लिया तथा ए0सी0 बदले जाने हेतु आदेशित किया।
पत्रावली के अवलोकन से यह विदित होता है कि जिला मंच के समक्ष प्रश्नगत ए0सी0 में निर्माण सम्बन्धी कोई त्रुटि प्रमाणित किए जाने हेतु कोई विशेषज्ञ आख्या जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गई। परिवादी के शपथ पत्र के अतिरिक्त इस सम्बन्ध में कोई साक्ष्य परिवादी द्वारा प्रस्तुत नहीं की गई। मात्र परिवादी के शपथ पत्र के आधार पर प्रश्नगत ए0सी0 में निर्माण सम्बन्धी कोई त्रुटि होना प्रमाणित नहीं माना जा सकता।
उल्लेखनीय है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी द्वारा कथित वारण्टी की शर्तों से इन्कार नहीं किया है। अपीलार्थी द्वारा प्रश्नगत ए0सी0 से सम्बन्धित जॉबकार्ड की फोटोप्रति अपील मेमो के साथ संलग्नक-डी के रूप में दाखिल की गई है जिसके अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रश्नगत ए0सी0 में पानी निकलने की समस्या के
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निराकरण हेतु पी0सी0बी0 पार्ट बदला गया तथा यह समस्या दूर कर दी गई। जॉबकार्ड में परिवादी द्वारा दिनांक १४-०९-२०११ को हस्ताक्षर किया गया है। क्योंकि निर्माण सम्बन्धी कोई त्रुटि प्रमाणित नहीं है, अत: प्रश्नगत ए0सी0 बदले जाने के सम्बन्ध में अथवा उसके क्रय मूल्य का भुगतान कराए जाने के सम्बन्ध में जिला मंच द्वारा पारित आदेश हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण है, किन्तु उल्लेखनीय है कि परिवादी ने परिवाद के अभिकथनों में यह अभिकथित किया है कि प्रश्नगत ए0सी0 क्रय करने के एक सप्ताह में ही उसके इन्डोर यूनिट तथा उससे बाहर जाने वाले पाइप से पानी टपकने लगा तथा ए0सी0 द्वारा कूलिंग कम की गई। इन खराबियों के सम्बन्ध में जब प्रत्यर्थी सं0-२ से शिकायत की गई तो प्रत्यर्थी सं0-२ ने सैनी इलैक्ट्रानिक्स से सम्पर्क करने को कहा। परिवादी ने दिनांक २३-०७-२०१०, ३०-०७-२०१०, १०-०८-२०१०, १२-०८-२०१०, १७-०८-२०१० एवं ०८-१०-२०१० को सैनी इलैक्ट्रानिक्स से शिकायत की तब सैनी इलैक्ट्रानिक्स द्वारा भेजे गये मैकेनिक ने ठीक करने का प्रयास किया किन्तु ठीक न होने पर प्रत्यर्थी सं0-२ ने अपीलार्थी कम्पनी के लालबाग स्थित आफिस में फोन नम्बर ०५२२४१५८७१० पर सम्पर्क करने को कहा। तब परिवादी ने दिनांक १५-१०-२०१० एवं ११-११-२०१० को शिकायत की तो उनके द्वारा आशीष के मोबाइल नं0-९१९८४५४४६३ पर सम्पर्क करने को कहा गया। परिवादी ने उसी दिन शिकायत की तब उनके द्वारा अंकित मेहरोत्रा के मोबाइल नं0-९६७०४४४४१२ से सम्पर्क करने को कहा गया। परिवादी ने उनसे भी शिकायत की किन्तु एयर कण्डीशनर ठीक नहीं किया गया। तब परिवादी ने अपीलार्थी कम्पनी के टोल फ्री नम्बर-१८००३०११११११ पर दिनांक १५-११-२०१० को कम्पलेण्ट नं0-एनयूकेएन ०६६ पर कम्पलेण्ट की किन्तु कम्पलेण्ट अटेण्ड नहीं की गई तो दिनांक २३-०६-२०११ एवं २५-०६-२०११ को अपीलार्थी कम्पनी के लालबाग स्थित आफिस के फोन नम्बर ०५२२४१५८७१० पर पुन: शिकायत की किन्तु कम्पलेण्ट अटेण्ड न होने पर श्री आशीष के मोबाइल नं0-९१९८४५४४६३ पर दिनांक २६-०६-२०११, २८-०६-२०११ को एवं दिनांक ०६-०७-२०११ को अपीलार्थी कम्पनी के नम्बर १८००३०११११११ पर कम्पलेण्ट नं0 एनयूकेएन ५११ व कम्पलेण्ट नं0 एनयूकेएन ०६६ पर कम्पलेण्ट की किन्तु परिवादी की
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कम्पलेण्ट अटेण्ड नहीं की गई तथा परिवादी का ए0सी0 ठीक नहीं किया गया।
परिवाद के इन अभिकथनों के सन्दर्भ में जिला मंच में अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत किए गये प्रतिवाद पत्र में इन अभिकथनों को मात्र अस्वीकार किया गया है किन्तु अपीलार्थी ने यह स्पष्ट रूप से अभिकथित नहीं किया है कि परिवादी द्वारा दर्शित उपरोक्त टेलीफोन नम्बर उससे सम्बन्धित नहीं हैं तथा इन टेलीफोन नम्बर्स पर परिवादी द्वारा कोई शिकायत नहीं की गई। यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि प्रतिवाद पत्र के अभिकथनों में स्वयं अपीलार्थी द्वारा यह अभिकथित किया गया है कि परिवादी की शिकायत पर प्रश्नगत ए0सी0 से पानी निकलने की समस्या पी0सी0बी0 बदल कर दूर की गई। इस शिकायत से पूर्व परिवादी द्वारा की गई शिकायतों के सन्दर्भ में अपीलार्थी के टेक्नीशियन परिवादी के आवास पर प्रत्येक बार गये किन्तु परिवादी ने प्रश्नगत ए0सी0 के निरीक्षण की अनुमति प्रदान नहीं की बल्कि ए0सी0 बदले जाने का ही आग्रह किया। अपीलार्थी के प्रतिवादपत्र के इन अभिकथनों से यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत ए0सी0 में पी0सी0बी0 बदलने से पूर्व भी परिवादी द्वारा समय-समय पर शिकातें की जाती रहीं। यह नितान्त अस्वाभाविक है कि ए0सी0 के त्रुटिपूर्ण होने के बाबजूद कोई व्यक्ति त्रुटि निवारण हेतु आये टेक्नीशियन को निरीक्षण की अनुमति प्रदान न करे। यह भी उल्लेखनीय है कि अपीलार्थी द्वारा इस सन्दर्भ में कोई सूचना प्रस्तुत नहीं की गई कि वस्तुत: कौन टेक्नीशियन परिवादी की शिकायत पर ए0सी0 का निरीक्षण करने हेतु गया और उसे परिवादी द्वारा निरीक्षण की अनुमति प्रदान नहीं की गई। मात्र अपीलार्थी द्वारा प्रश्नगत ए0सी0 का त्रुटि निवारण किया जाना ही पर्याप्त नहीं माना जा सकता। परिवाद के अभिकथनों से यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत ए0सी0 क्रय किए जाने के एक सप्ताह के अन्दर ही उसमें त्रुटियॉं उत्पन्न होने लगीं। वारण्टी की शर्तों के अन्तर्गत अपीलार्थी से यह अपेक्षित था कि त्रुटि निवारण तत्काल किया जाना सुनिश्चित किया जाता अथवा विलम्ब का उचित स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया जाता। परिवादी द्वारा प्रश्नगत ए0सी0 में त्रुटि की समस्या ए0सी0 क्रय किए जाने के १० दिन के अन्दर उत्पन्न होनी बताई गई। सर्वप्रथम शिकायत दिनांक २३-०७-२०१० को परिवादी द्वारा की गई। इस शिकायत के
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एक वर्ष से अधिक समय बाद दिनांक १४-०९-२०११ को ए0सी0 की कथित त्रुटि का निवारण किया गया।
उपरोक्त तथ्यों के आलोक में हमारे विचार से प्रत्यर्थी/परिवादी को त्रुटिपूर्ण ए0सी0 की आपूर्ति किये जाने तथा त्रुटि निवारण शीघ्र न किए जाने एवं इस प्रकार अकारण मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताडि़त होने के सन्दर्भ में परिवादी को १०,०००/- रू० क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाया जाना न्यायसंगत होगा। अपील तद्नुसार आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती हैं। जिला मंच(प्रथम), लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-६३४/२०११ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०६-०९-२०१४ अपास्त किया जाता है। अपीलार्थी को निर्देशित किया जाता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी को मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताडि़त किए जाने के कारण १०,०००/- रू० क्षतिपूर्ति के रूप में निर्णय की प्रति प्राप्ति की तिथि से एक माह के अन्दर भुगतान करे। इसके अतिरिक्त अपीलार्थी को यह भी निर्देशित किया जाता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी को २,०००/- रू० वाद व्यय के रूप में भी उपरोक्त निर्धारित अवधि में भुगतान करे। निर्धारित अवधि में क्षतिपूर्ति की धनराशि भुगतान न किए जाने पर अपीलार्थी, प्रत्यर्थी/परिवादी को १०,०००/- रू० क्षतिपूर्ति की धनराशि पर परिवाद योजित किए जाने की तिथि से सम्पूर्ण धनराशि की अदायगी तक ०६ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज का भुगतान भी करने के लिए उत्तरदायी होगा।
इस अपील का व्यय-भार भी उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(गोवर्द्धन यादव)
सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट नं.-२.