Uttar Pradesh

Chanduali

CC/35/2015

Shamsher Ansari - Complainant(s)

Versus

Adhishashi Abhiyanta Vidyut Chandauli - Opp.Party(s)

Ram Prakash Maurya

15 Jul 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum, Chanduali
Final Order
 
Complaint Case No. CC/35/2015
 
1. Shamsher Ansari
Paura Sakaldiha Chandauli
Chandauli
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. Adhishashi Abhiyanta Vidyut Chandauli
Chandauli
Chandauli
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Shashi Yadav MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 35                                सन् 2015ई0
शमसेर अंसारी पुत्र स्व0 कमरूद्दीन अंसारी निवासी पौरा थाना सकलडीहा जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                    बनाम
1-अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड चन्दौली।
2-संजय मौर्य जे0ई0विद्युत वितरण खण्ड सकलडीहा जिला चन्दौली।
3-एस0डी0ओ0 विद्युत वितरण खण्ड सकलडीहा जिला चन्दौली।
4-प्रबन्ध निदेशक उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लि0 भिखारीपुर डी0एल0डब्लू वाराणसी।
                                            .............................विपक्षी
उपस्थितिः-
 रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
 शशी यादव, सदस्या
                               निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1-    परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा गलत तरीके से भेजे गये रू0 74530/-की रिकवरी को निरस्त करने तथा शारीरिक,मानसिक,आर्थिक क्षति  एवं नोटिस खर्च,वाद व्यय में हुए  क्षति हेतु कुल  185000/-  दिलाये  जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2-    परिवादी की ओर से संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी के पिता कमरूद्दीन अंसारी द्वारा 5 एच0पी0 का विद्युत कनेक्शन संख्या 021140  विपक्षीगण से लिया था। जिसका अधिभार रू0 431/- प्रत्येक माह में जमा करते थे। परिवादी के पिता की मृत्यु 8 वर्ष पूर्व हो चुकी है पिता की मृत्यु के बाद परिवादी द्वारा प्रत्येक माह का बिल जमा किया जाता रहा। परिवादी की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उसने दिनांक 3-11-2009 को विपक्षी के कार्यालय में विद्युत कनेक्शन कटवाने का प्रार्थना पत्र दिया जिस पर विभाग द्वारा विचार करते हुए जे0ई0 संजय मौर्या के आदेश के अनुपालन में दिनांक 5-11-2009 को परिवादी के पिता के नाम का विद्युत कनेक्शन काट दिया गया और लाइनमैन रामनरेश के द्वारा कनेक्शन का केबिल व तार उतार कर स्टोर रूम में जमा कर दिया गया, जिस पर लाइनमैन का हस्ताक्षर भी बना हुआ है। परिवादी का विपक्षीगण द्वारा विद्युत कनेक्शन काटने के बाद घोर लापरवाही करते हुए परिवादी  के विरूद्ध सन् 2015 में रू0 74530/-का रिकवरी भेजा गया है जबकि विपक्षी द्वारा परिवादी से विद्युत बिल की कुल बकाया धनराशि जमा करा ली गयी है और परिवादी के उपर कोई बकाया विद्युत बिल शेष नहीं है। परिवादी बार-बार विपक्षी के कार्यालय का चक्कर लगाता रहा किन्तु विपक्षीगण पर कोई प्रभाव नहीं पडा तब परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध दिनांक 9-6-2015 को विधिक नोटिस अपने अधिवक्ता के माध्यम से दिया। किन्तु विपक्षीगण नोटिस का कोई जबाब नहीं दिये तब परिवादी ने यह परिवाद दाखिल किया है।

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3-    विपक्षीगण की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया है कि परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी को केवल परेशान करने हेतु दाखिल किया है जो सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है।  परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता नहीं है और न ही उसके नाम से कोई विद्युत कनेक्शन है।उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत वही व्यक्ति परिवाद प्रस्तुत कर सकता है जिसके नाम से विद्युत कनेक्शन हो अन्यथा नहीं। शमशेर अंसारी के नाम पर विद्युत कनेक्शन को दिनांक 5-11-2009 को काटा गया और उसके बाद अवर अभियन्ता द्वारा साइट विद्युत बना कर दो महिने का बिल व अन्य देय कुल रू0 1965/-जमा करने का निर्देश दिया गया ताकि स्थाई विच्छेदन की समस्त प्रक्रिया पूरी की जा सके परन्तु परिवादी द्वारा ऐसा नहीं किया गया जिसके कारण कागजी तौर पर स्थायी विच्छेदन की कार्यवाही विभाग के लेजर में पूरी नहीं हो पायी। चूंकि विभाग के लेजर से स्थायी रूप से विच्छेदन न होने के कारण उपभोक्ता के नाम से कनेक्शन कागज में चालू था और बिल भी चालू थी इसलिए परिवादी को बिल प्रस्तुत किया गया है। परिवादी द्वारा स्थायी विच्छेदों से सम्बन्धित समस्त प्रक्रिया पूरी नहीं की गयी इसलिए परिवादी के पिता के नाम से बिलिंग चालू है। अतः विपक्षी द्वारा कोई लापरवाही नहीं की गयी है। इस आधार पर परिवादी के परिवाद को सव्यय निरस्त करने की प्रार्थना की गयी है।
4-    परिवादी ने अपने अभिकथनों के समर्थन में अपना शपथ पत्र दाखिल किया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में रजिस्ट्री की रसीदें 3 अद्द,लीगल नोटिस  की कार्बन प्रति,विद्युत कनेक्शन कटवाने के आवेदन का प्रारूप,विद्युत डिस कनेक्शन की रसीद,पी0डी0 रसीद,ग्राम पंचायत पौरा का प्रमाण पत्र,नक्शा नजरी की छायाप्रति,पासबुक की छायाप्रति 2अद्द,विद्युत बिल की रसीद एक अदद् तथा भुगतान रसीद की छायाप्रति 8अद्द तथा डिमाण्ड नोटिस दिनांकित 25-2-2016 की छायाप्रति दाखिल किया है।    विपक्षीगण की ओर से अधिशासी अभियन्ता विद्युत का शपथ पत्र दाखिल किया गया है इसके अतिरिक्त अन्य कोई अभिलेख दाखिल नहीं है।
5-    परिवादी के अधिवक्ता द्वारा तर्क दिया गया कि परिवादी के पिता स्व0 कमरूद्दीन अंसारी ने विपक्षी विद्युत विभाग से 5 हार्सपावर का विद्युत कनेक्शन लिया था जिसका मासिक बिल रू0 431/- परिवादी के पिता जमा करते रहे। करीब 8 वर्ष पूर्व परिवादी के पिता की मृत्यु हो गयी उसके बाद परिवादी द्वारा भी प्रत्येक माह विद्युत बिल जमा किया जाता रहा लेकिन परिवादी की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण दिनांक 3-11-2009 को उसने उपरोक्त विद्युत कनेक्शन को कटवाने के लिए विपक्षीगण के कार्यालय में प्रार्थना पत्र दिया जिस पर विचार करते हुए जे0ई0 संजय मौर्या के आदेश पर लाइनमैन रामनरेश के द्वारा दिनांक 5-11-2009 को कमरूद्दीन अंसारी के नाम का उपरोक्त विद्युत कनेक्शन काट दिया गया तथा केबुल व तार उतार कर स्टोररूम में जमा कर दिया गया लेकिन कनेक्शन काटाने के लगभग 6 वर्ष बाद सन् 20015 में विपक्षीगण द्वारा रू0
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 74530/- की रिकवरी नोटिस परिवादी के पिता कमरूद्दीन अंसारी के नाम से भेजी गयी है। परिवादी इसके सम्बन्ध में विद्युत विभाग का चक्कर लगाता रहा लेकिन विपक्षी द्वारा कोई सुनवाई नहीं की गयी। इस प्रकार विपक्षीगण ने सेवा में घोर लापरवाही किया है। परिवादी ने विद्युत काटने का प्रार्थना पत्र कागज संख्या 6क/3 दाखिल किया है तथा परिवादी ने अन्य अभिलेख तथा शपथ पत्र दाखिल किया है जिससे यह बात भलीभांति सिद्ध है कि दिनांक 5-11-2009 में ही विद्युत कनेक्शन काटे जाने के बावजूद विपक्षीगण गलत ढंग से विद्युत बिल प्रेषित कर रहे है। अतः उनके द्वारा प्रेषित गलत विद्युत बिल को निरस्त किया जाना तथा परिवादी को शारीरिक,मानसिक व आर्थिक क्षति एवं वाद व्यय हेतु क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्यायोचित है और उसका परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
6-    विपक्षी के अधिवक्ता ने फोरम के समक्ष अपने तर्क के दौरान यह स्वीकार किया है कि परिवादी के पिता के नाम से जो विद्युत कनेक्शन था वह दिनांक 5-11-2009 को काट दिया गया है। विपक्षी ने अपने जबाबदावा के पैरा 14 में भी इस तथ्य को स्वीकार किया है कि दिनांक 5-11-2009 को शमशेर अंसारी के नाम का विद्युत कनेक्शन काटा गया था। प्रतिवादी पक्ष का यह भी अभिकथन है कि दिनांक 5-11-2009 को उपरोक्त विद्युत कनेक्शन काटे जाने के बाद विद्युत विभाग के अवर अभियन्ता द्वारा घटना स्थल का साइट बनाकर विद्युत,दो महीने का बिल तथा देय सहित कुल रू0 1965/-जमा करने का निर्देश परिवादी को दिया गया था ताकि स्थाई विच्छेदन की समस्त प्रक्रिया पूरी हो सके लेकिन परिवादी ने पैसा जमा नहीं किया जिसके कारण कागजी तौर पर विद्युत विभाग के लेजर में स्थाई विच्छेदन की कार्यवाही पूरी नहीं हो पायी और इसी कारण से उसका बिल भी चालू रहा और बिल भेजा गया विपक्षी के अधिवक्ता का तर्क है कि इस सम्बन्ध में विपक्षीगण की ओर से कोई लापरवाही नहीं की गयी है बल्कि स्वयं परिवादी ने ही विधिक रूप से देय उपरोक्त रू0 1965/- का भुगतान नहीं किया जिसके कारण कागजों में उपभोक्ता के रूप में उसके पिता का नाम आज भी दर्ज है और इसलिए विद्युत बिल भेजी जा रही है। विपक्षी के अधिवक्ता द्वारा यह भी तर्क दिया कि उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रीक ड्यूज रिकवरी एक्ट 1958 के प्राविधानों के मुताबिक डिमाण्ड नोटिस जारी कर दिये जाने के बाद किसी न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है।
7-    उभय पक्ष के अधिवक्तागण के तर्को को सुनने तथा पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि प्रस्तुत मामले में यह स्वीकृत तथ्य है कि दिनांक 5-11-2009 को परिवादी के पिता के नाम का विद्युत कनेक्शन काट दिया गया है और परिवादी विद्युत का कोई उपभोग इसके बाद से नहीं कर रहा है ऐसी परिस्थिति में फोरम की राय में प्रस्तुत वाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार धारा 3 उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रीक ड्यूज रिकवरी एक्ट 1958 के प्राविधानों से बाधित नहीं माना जा सकता है।
8-    प्रस्तुत मामले में यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी के पिता स्व0 कमरूद्दीन अंसारी के नाम जो विद्युत कनेक्शन था वह दिनांक 5-11-2009 को मौके पर 
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काटा जा चुका है इस प्रकार यह स्पष्ट है कि इस तिथि के बाद से परिवादी द्वारा बिजली का कोई उपभोग नहीं किया गया। चूंकि विद्युत विभाग के नियमों के मुताबिक स्थाई रूप से विद्युत विच्छेदन हेतु परिवादी को रू0 1965/- जमा करना आवश्यक था जिसे उसने जमा नहीं किया इसलिए लेजर में आज भी परिवादी के पिता कमरूद्दीन अंसारी का नाम उपभोक्ता के रूप में दर्ज है और इसलिए उनके नाम से बिल भेजी गयी है।इस प्रकार यह नहीं कहा जा सकता कि विपक्षीगण की ओर से सेवा में कमी की गयी है। क्योंकि स्वयं परिवादी ने विधिक रूप से देय धनराशि अदा नहीं किया। विपक्षीगण का स्पष्ट कथन है कि यदि उपरोक्त धनराशि जमा कर दी जाय तो स्थाई रूप से विद्युत विच्छेदन हो जायेगा।
9-    उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट है कि दिनांक 5-11-2009 को परिवादी के पिता स्व0 कमरूद्दीन अंसारी के नाम का विद्युत कनेक्शन काट दिया गया है और उस तारीख के बाद परिवादी द्वारा विद्युत का कोई उपभोग नहीं किया गया है अतः इस तारीख के बाद के विद्युत बिलों के अदायगी का दायित्व परिवादी का नहीं है और इस तिथि के बाद का जो विद्युत बिल/डिमाण्ड नोटिस विपक्षीगण द्वारा भेजा गया है वह निरस्त किये जाने योग्य है। किन्तु परिवादी ने भी विधिक रूप से देय धनराशि का भुगतान नहीं किया है जिसके कारण स्थाई रूप से विद्युत विच्छेदन विपक्षीगण के अभिलेखों में नहीं हो पाया जिसके लिए परिवादी स्वयं उत्तरदायी है ऐसी स्थिति में फोरम की राय में परिवादी को शारीरिक,मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति व वाद व्यय दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है और इस प्रकार परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
                                 आदेश
    परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा परिवादी के पिता स्व0 कमरूद्दीन अंसारी के नाम का विद्युत कनेक्शन संख्या 021140 का दिनांक 5-11-2009 के बाद का विद्युत देय से सम्बन्धित डिमाण्ड नोटिस तद्नुसार निरस्त किया जाता है। इस तिथि के पूर्व के विद्युत बिलों को अदा करने की जिम्मेदारी परिवादी की होगी। तद्नुसार परिवादी विधिक रूप से देय धनराशि रू0 1965/- एक माह के अन्दर विपक्षीगण के यहाॅं जमा कर दें और तत्पश्चात विपक्षीगण परिवादी के पिता स्व0 कमरूद्दीन अंसारी के नाम दर्ज विद्युत कनेक्शन को स्थाई रूप से विच्छेदित कर दें।

(शशी यादव)                                       (रामजीत सिंह यादव)
 सदस्या                                                अध्यक्ष
                                                 दिनांक-15-7-2016

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Shashi Yadav]
MEMBER

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