Uttar Pradesh

StateCommission

A/1998/613

New Okhla Industrial Development Authority - Complainant(s)

Versus

Adarsh Seva Mandal - Opp.Party(s)

Rajnish Kumar

18 Mar 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1998/613
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District Gautam Buddha Nagar)
 
1. New Okhla Industrial Development Authority
Gautam Budha Nagar
...........Appellant(s)
Versus
1. Adarsh Seva Mandal
Gautam Budha Nagar
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ

                   अपील संख्‍या  613  सन् 1998

सुरक्षित

 (जिला उपभोक्‍ता फोरम, गाजियाबाद के द्वारा  परिवाद सं0-297/1993 में पारित  निर्णय/आदेश दिनांक 10-02-1998 के विरूद्ध)

न्‍यू ओखला इन्‍डस्‍ट्रीयल डेव्‍लपमेंट अथारिटी, सेक्‍टर-6, नोएडा,जिला गौतमपबुद्धनगर, द्वारा चेयरमैन।

                                              ...अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1

                             बनाम

आदर्श सेवा मंडल (रजिस्‍टर्ड) ए-35, सेक्‍टर-12 नोएडा, जिला- गौतमबुद्धनगर, द्वारा अध्‍यक्ष।

                                             ....प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1-मा0 श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

2-मा0 राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य।                             

अधिवक्‍ता  अपीलार्थी : श्री रजनीश कुमार, विद्वान अधिवक्‍ता।

अधिवक्‍ता प्रत्‍यर्थी   : श्री ओ0पी0 दुवैल, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक- 13-04-2015

मा0 श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्‍य, द्वारा उदघोषित।

                                निर्णय

      मौजूदा अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम, गाजियाबाद के द्वारा  परिवाद सं0-297/1993 में पारित  निर्णय/आदेश दिनांक 10-02-1998 के विरूद्ध प्रस्‍तुत किया गया है। उपरोक्‍त निर्णय में यह आदेश किया गया है कि परिवादी के शिकायत को स्‍वीकार करते हुए विपक्षी सं0-1 को निर्देशित किया जाता है कि वह निर्णय के पश्‍चात दो माह के भीतर परिवादी की जमा धनराशि 5000-00 रूपये मय व्‍याज 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से वापिस करें। ब्‍याज की गणना जमा करने की तिथि से  अदायगी की तिथि तक की जायेगी। साथ ही वाद के हर्जे-खर्चे और मानसिक उत्‍पीड़न के लिए 500-00 रूपये मुआवजा अदा करें। उपरोक्‍त अवधि में आदेश का पालन न करने पर 21 प्रतिशत की दर से ब्‍याज अदा करना होगा।

      संक्षेप में  केस के तथ्‍य इस प्रकार से है कि परिवादी सोसाइटी ने विपक्षी सं0-1 के यहॉ 5000-00 रूपये जमा करके एक भूखण्‍ड के आवंटन के लिए आवेदन किया, परन्‍तु एक लम्‍बी अवधि तक उसे कोई भूखण्‍ड आवंटन नहीं किया। ऐसी स्थिति में उसने

(2)

अनुरोध किया है कि उसकी जमा धनराशि 5000-00 रूपये ब्‍याज सहित विपक्षी सं0-1 से दिलायी जाय और वाद के हर्जे-खर्चे के लिए उचित मुआवजा दिलाया जाय।

      विपक्षी सं01 ने अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया, जिसमें कहा गया है कि परिवादी को कोई भूखण्‍ड नहीं आवंटित किया गया है। वह उपभोक्‍ता की परिभाषा में नहीं आता है और उसकी जमा धनराशि लौटा दी गई है।

इस सम्‍बन्‍ध में अपील के आधार का अवलोकन किया गया तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम के निर्णय/आदेश दिनांकित 10-02-1998 का अवलोकन किया गया तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री रजनीश कुमार एवं प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री ओ0पी0 दुवैल को सुना गया तथा अपीलकर्ता द्वारा दाखिल लिखित बहस का अवलोकन किया गया।

अपीलकर्ता की तरफ से लिखित बहस में कहा गया है कि परिवादी ने साइड स्‍कीम में रजिस्‍ट्रेशन कराने हेतु दिनांक-05-02-1985 को 5,000-00 रूपये जमा किया था, निरीक्षण के बाद पाया गया कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी एलाटमेंट के लिए फिट नहीं था, इ‍सलिए परिवादी/प्रत्‍यर्थी का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया और उसको निरस्‍तीकरण की सूचना दिनांक-21-01-1986 को दिया गया था और 5,000-00 रूपये का चेक संख्‍या- 72522  दिनांकित 20-10-1987 को भेजा गया और इसके बाद जब प्रत्‍यर्थी ने चेक नहीं लिया तो उसे दोबारा चेक सं0-911304 दिनांक 02-05-1991 को भेजा गया और उक्‍त रजिस्‍ट्री भी लौटा दिया गया और जिसमें पत्र दिनांक 13-05-1991 चेयरमैन, नोएडा को एडरेस किया गया था। इस प्रकार से पुन: चेक सं0-911304 दिनांक-02-05-1991 प्रत्‍यर्थी को पत्र दिनांकित-20-07-1991 के द्वारा भेजा गया और प्रत्‍यर्थी ने इस तथ्‍य को छिपा लिया कि उसको रजिस्‍ट्रेशन की रकम का चेक भेजा गया था, जिसे उसने वापस कर दिया है। प्रत्‍यर्थी को कोई प्‍लाट एलाट नहीं किय गया है, इ‍सलिए वह उपभोक्‍ता की परिभाषा में नहीं आता है और जिला उपभोक्‍ता फोरम को कोई क्षेत्राधिकार नहीं था कि वह इस केस की सुनवाई करते।

      दोनों पक्षकारों को सुनने के उपरान्‍त केस के तथ्‍यों परिस्थितियों में हम यह पाते है कि जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा जो 5,000-00 रूपये की राशि पर 18 प्रतिशत का

(3)

वार्षिक ब्‍याज व हर्जा-खर्चा व मानसिक उत्‍पीड़न के लिए 500-00 दिये जाने का आदेश किया गया है तथा निर्धारित अवधि में आदेश का पालन न करने पर 21 प्रतिशत का ब्‍याज का आदेश किया गया है, वह समाप्‍त किये जाने योग्‍य है। परिवादी/प्रत्‍यर्थी केवल 5,000-00 रूपये पाने का हकदार है और अपीलकर्ता की अपील ऑशिक रूप से स्‍वीकार होने योग्‍य है।

                              आदेश

       अपीलकर्ता की अपील ऑंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम गाजियाबाद के द्वारा  परिवाद सं0-297/1993 में पारित  निर्णय/आदेश दिनांक   10-02-1998 में संशोधन करते हुए जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा जो 18 प्रतिशत ब्‍याज व 5,00-00 रूपये हर्जा-खर्चा व मानसिक उत्‍पीड़न के लिए लगाया गया है, उसे समाप्‍त किया जाता है। उपरोक्‍त अवधि में आदेश का पालन न करने पर 21 प्रतिशत का ब्‍याज के आदेश को भी समाप्‍त किया जाता है। परिवादी/प्रत्‍यर्थी केवल 5,000-00 रूपये अपीलकर्ता से पाने का हकदार है।

      उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्‍यय स्‍वयं वहन करेगें।

 

 

     ( आर0सी0 चौधरी )                        ( राज कमल गुप्‍ता )                 

       पीठासीन सदस्‍य                               सदस्‍य                         

आर0सी0वर्मा आशु0-ग्रेड-2

 कोर्ट नं.5

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER

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