राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 951/2016
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, इलाहाबाद द्वारा परिवाद सं0- 323/2015 में पारित आदेश दि0 30.03.2016 के विरूद्ध)
Managing Director, Flipkat internet private limited Vaishnavi summit, Ground floor, 7-B Main, 80 Feet road, 3rd Block, Koramangala Industrial layout, Bangalore- 560034
………. Appellant
Versus
Abhishek tiwari, S/o Sh. Subhash Chandra tiwari, R/o Bodh ki bari(Ramnagar), Post- Baraut, Handia, District- Allahabad, Uttar Pradesh-221502.
………..Respondent.
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राम गोपाल, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 03.01.2018
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 323/2015 अभिषेक तिवारी बनाम मैनेजिंग डायरेक्टर, फ्लिपकार्ट इण्टरनेट प्राइवेट लि0 में जिला फोरम, इलाहाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 30.03.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
“परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। तदनुसार विपक्षी को यह निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादी को उसके उपरोक्त मोबाइल की कीमत मु0 7,899/-रू0 क्रय किये जाने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत साधारण ब्याज के साथ परिवादी को अदा करे। इसके अतिरिक्त परिवादी विपक्षी से आर्थिक, मानसिक व शारीरिक क्षति के रूप में 10,000/-रू0 तथा वाद व्यय 5,000/-रू0 भी पाने का मुस्तहक होगा। दो माह की अवधि के अंतर्गत यदि परिवादी को विपक्षी उपरोक्त धनराशि अदा नहीं करता तो सम्पूर्ण धनराशि पर परिवादी विपक्षी से 12 प्रतिशत साधारण सालाना ब्याज अदायगी की तिथि तक प्राप्त करने का मुस्तहक होगा।“
जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी मैनेजिंग डायरेक्टर फ्लिपकार्ट इण्टरनेट प्रा0लि0 ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से उसके विद्वान अधिवक्ता श्री राम गोपाल और प्रत्यर्थी की ओर से उसके विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन उपस्थित आये हैं।
मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने विपक्षी के फ्लिपकार्ट ऑनलाइन शापिंग साइट से दि0 15.04.2015 को माइक्रोसाफ्ट ल्यूमिया 535 ब्राइट ग्रीन मोबाइल जिसकी कीमत 7,899/-रू0 ऑनलाइन शापिंग से रूपया अदा कर आर्डर किया भुगतान उसके डेबिट कार्ड से यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के उसकी माता के बचत खाते से हुआ। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसने दि0 16.04.2015 को मोबाइल आर्डर निरस्त कर दिया और आर्डर निरस्त करने की मेल विपक्षी को भेज दिया। उसके बाद दि0 25.04.2015 को 1:50 बजे दिन फ्लिपकार्ट की ओर से वादी की ई-मेल आई0डी0 पर मेल आया जिसमें विपक्षी द्वारा वादी की अदा की गई धनराशि 01 मई 2015 तक बैंक खाते में वापस करने की बात कही गई, परन्तु 01 मई 2015 तक वह धनराशि परिवादी के उपरोक्त खाते में नहीं आयी तब उसने विपक्षी फ्लिपकार्ट कस्टमर केयर से फोन कर रूपया रिफण्ड करने की शिकायत दर्ज करायी तब दि0 06.05.2015 को विपक्षी ने परिवादी को ई-मेल किया कि 09 मई 2015 को प्रात: 10:00 बजे तक उसकी समस्या सुलझायेंगे। उसके बाद उसी दिन शाम 4:44 बजे विपक्षी ने मेल किया कि आर्डर नं0- OD302595716220153300 जिसका रिफ्रेंस नं0- 150506-035072 है। परिवादी के खाते में दि0 24.04.2015 को 1:50-04 बजे पर स्थानांतरित किया जा चुका है जो आठ दिन में उसके खाते में पहुंच जायेगा। उसके बाद दि0 12.05.2015 को प्रत्यर्थी/परिवादी ने बैंक स्टेटमेंट विपक्षी को उपलब्ध कराया तो उसका मेल आया कि दि0 15.05.2015 को विपक्षी द्वारा गठित टीम उसकी समस्या दूर कर देगी। इस बीच पुन: दि0 14.05.2015 को विपक्षी का मेल आया कि उसका रूपया 7,899/- दि0 24.04.2015 को उसके खाते में स्थानांतरित हो गया है जो 08 व्यावसायिक दिनों में उसके खाते में जमा हो जायेगा। इसी आशय का पुन: ई-मेल प्रत्यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी/विपक्षी से दि0 15.05.2015 को प्राप्त हुआ, परन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते में रूपया नहीं आया तब पुन: प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी से शिकायत की तो उन्होंने ई-मेल द्वारा सूचित किया कि उन्होंने दि0 24.04.2015 को रिफण्ड प्रक्रिया अपनी तरफ से समाप्त कर दिया है। आप बैंक से जानकारी प्राप्त करें तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने बैंक से सम्पर्क किया तो इस बात की जानकारी हुई कि बैंक ने NEFT से रूपया मंगाने हेतु कहा, जिस पर विपक्षी की कम्पनी द्वारा NEFT से रूपया भेजने से इनकार कर दिया गया है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी को अपने रूपये का रिफण्ड प्राप्त नहीं हुआ। अत: विवश होकर उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत कर कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा मोबाइल खरीदने का आदेश निरस्त किये जाने के उपरांत उसने धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते में अंतरित किया था जो दि0 14.05.2015 को उसके खाते में अंतरित हो गई है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया है कि परिवाद पोषणीय नहीं है।
जिला फोरम ने उभयपक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरांत यह निष्कर्ष निकाला है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी को मोबाइल परचेज हेतु अदा की गई धनराशि 7,899/-रू0 आर्डर निरस्त किये जाने के बाद भी अपीलार्थी/विपक्षी ने रिफण्ड नहीं किया है। अत: जिला फोरम ने उपरोक्त धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी को वापस दिलाने के साथ 10,000/-रू0 आर्थिक, मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति और 5,000/-रू0 वाद व्यय प्रत्यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी/विपक्षी से दिलाया जाना उचित माना है और तदनुसार आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के विरुद्ध है। अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी ने सेवा में कोई त्रुटि नहीं की है। उसने प्रत्यर्थी/परिवादी की धनराशि उसके खाते में रिफण्ड की है जो तकनीकी त्रुटि के कारण उसके खाते में नहीं पहुंची है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने जो 10,000/-रू0 आर्थिक, मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रदान किया है वह अधिक है और जो 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिया है वह भी अधिक है।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के अनुकूल है। इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क पर विचार किया है।
निर्विवाद रूप से प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी से मोबाइल ऑनलाइन क्रय करने हेतु 7,899/-रू0 की धनराशि अपीलार्थी/विपक्षी के खाते में ऑनलाइन अंतरित किया है और उसके बाद मोबाइल आपूर्ति का आदेश निरस्त कर दिया है, परन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अदा की गई उपरोक्त धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते में अपीलार्थी/विपक्षी ने अंतरित नहीं की है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अदा की गई धनराशि को अपीलार्थी/विपक्षी से वापस दिलाया जाना उचित और न्यायसंगत है। इस धनराशि पर जिला फोरम ने जो 09 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया है वह उचित है। जिला फोरम ने जो दो माह की अवधि में भुगतान न होने पर 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिया है वह अधिक है, उसे संशोधित कर ब्याज दर 09 प्रतिशत वार्षिक रखना उचित है।
जिला फोरम ने जो प्रत्यर्थी/परिवादी को 5,000/-रू0 वाद व्यय दिलाया है वह उचित है उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है, परन्तु मोबाइल की अदा की गई धनराशि पर प्रत्यर्थी/परिवादी को 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिया गया है। ऐसी स्थिति में जिला फोरम ने जो 10,000/-रू0 आर्थिक, मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रदान की है वह उचित नहीं दिखती है। अत: उसे अपास्त किया जाना आवश्यक है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्यर्थी/परिवादी को उसके द्वारा मोबाइल की अदा की गई कीमत 7,899/-रू0 मोबाइल क्रय के आदेश की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित अदा करे। इसके साथ ही वह प्रत्यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा प्रदान की गई 5,000/-रू0 वाद व्यय की धनराशि भी अदा करेगा।
जिला फोरम ने जो 10,000/-रू0 आर्थिक, मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाया है उसे अपास्त किया जाता है और जिला फोरम ने जो 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से 02 माह की अवधि में भुगतान न होने पर ब्याज दिलाया है उसे संशोधित करते हुए 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सम्पूर्ण अवधि के लिए किया जाता है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत अपील में अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि 15000/-रू0 अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण करने हेतु प्रेषित की जायेगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1