राज्य उपभोक्ता विवाद प्र`तितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :2588 /2012
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद संख्या-99/2011 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 27-09-2012 के विरूद्ध)
Sony India Pvt. Ltd., A Company incorporated under the Companies Act, 1956 having its Registered office at A-31, Mohan Cooperative Industrial Estate Mathura Road, New Delhi-110044.
अपीलार्थी
बनाम्
- Mr. Abdul Salam, 66 Imam Bada Firozabad, U.P.
- Proprietor/Partner/Manager Sony Computers, Gap Electrionics, 10 LIC Building, Dhaulpur House, MG Road, Agra, U.P.
- Shree Jee Computers, Jalaj Complex Ghar Sansar, Opp. SBI Bye Pass Road, Firozabad, U.P. प्रत्यर्थीगण
समक्ष :-
1- मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री संजीव सिंह की सहयोगी अधिवक्ता सुश्री
प्रतिभा सिंह।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- श्री विनय प्रताप सिंह।
दिनांक :
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य द्वारा उद्घोषित निर्णय
परिवाद संख्या-99/2011 अब्दुल सलाम बनाम् सोनी इण्डिया प्रा0लि0 व दो अन्य में जिला फोरम, फिरोजाबाद द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 27-09-2012 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनतर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने निम्न आदेश पारित किया है-
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‘’ परिवाद विपक्षी संख्या-1 व विपक्षी संख्या-3 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण इस आदेश के तीस दिन के अंदर परिवादी को उसी ब्राण्ड का नया लैपचाप जो उसने विपक्षी संख्या-3 से खरीदा था, उपलब्ध करायेयालैपटाप के मूल्य रू0 38,841/- का भुगतान करे। निर्धारित अवधि के अंदर आदेश का अनुपालन न होने पर परिवादी का विकल्प होगा कि वह लैपटाप प्राप्त करे या उसका मूल्य परिवादी विपक्षीगण से एक हजार रूपया परिवाद व्यय प्राप्त करेगा। परिवाद विपक्षी संख्या-2 के विरूद्ध निरस्त किया जाता है। उक्त आदेश विपक्षी संख्या-3 के विरूद्ध एकपक्षीय रहेगा। विपक्षीगण का दायित्व संयुक्त तथा पृथक-पृथक होगा।‘’
संक्षेप में इस केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने अपनी बेटी के निजी प्रयोग हेतु एक सोनी बायो लैपटाप दिनांक 09-05-2010 को मु0 38,841/-रू0 में विपक्षी संख्या-3 की मार्फत खरीदा। लैपटाप खरीदने के डेढ़ माह बाद ही लैपटान ने काम करना बंद कर दिया। जिसकी शिकायत परिवादी ने विपक्षी संख्या-3 के यहॉं की जिस पर उन्होंने लैपटाप विपक्षी संख्या-2 के यहॉं भेजने हेतु लैपटाप अपने कब्जे में ले लिया और सादे कागज पर प्राप्ति लिखकर परिवादी को रिसीविंग दी। विपक्षी संख्या-3 ने विपक्षी संख्या-2 को लैपटाप सर्विस हेतु दिया। विपक्षी ने लैपटाप ठीक करके परिवादी को दिया गया, किन्तु लैपटाप पुन: एक सप्ताह बाद खराब हो गया जिसकी शिकायत विपक्षी संख्या–3 से की गयी किन्तु उनकी ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसलिए यह परिवाद योजित किया गया है।
विपक्षी संख्या-1 ने परिवाद का विरोध किया और लिखित कथन प्रस्तुत किया। विपक्षीसंख्या-1 का कथन है कि परिवादी को तीसरी शिकायत जून, 2011 में प्राप्त हुई थी और उनके अधिकृत सर्विस सेंटर ने लैपटाप की मरम्मत करने के बाद परिवादी को प्रस्तुत किया किन्तु परिवादीने लैपटाप प्राप्त नहीं किया।
विपक्षी संख्या-2 तथा 3 नोटिस की तामीला के बाद भी उपस्थित नहीं हुए इसलिए उनके विरूद्ध एकपक्षीय सुनवाई का आदेश पारित हुआ।
अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता के सहयोगी अधिवक्ता सुश्री प्रतिभा सिंह उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री विनय प्रताप सिंह उपस्थित।
हमने उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है तथा आक्षेपित निर्णय व और पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने साक्ष्यों तथा तथ्यों के विपरीत विधि विरूद्ध आदेश पारित किया है। अपीलार्थी को प्रत्यर्थी-1 की तीसरी शिकायत जून, 2011 में प्राप्त हुई थी और उनके अधिकृत सर्विस सेंटर में लैपटाप की मरम्मत करने के बाद प्रत्यर्थी को प्रस्तुत किया मगर उसने लेने से
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इंकार कर दिया। स्वीकृत रूप से प्रत्यर्थी ने प्रत्यर्थी सं0-3 से लैपटाप खरीदा व परिवादी/प्रत्यर्थी की शिकायत पर विपक्षी संख्या-3 ने लैपटाप प्रत्यर्थी/परिवादी से मरम्मत हेतु प्राप्त किया जो अगस्त, 2010 में प्रत्यर्थी संख्या-2 सर्विश सेंटर को प्राप्त हुआ। तदोपरान्त दिनांक 16-04-2011 को लैपटाप विपक्षी संख्या-2 को मरम्मत हेतु दिया तभी से विपक्षी संख्या-2/प्रत्यर्थी संख्या-2 की अभिरक्षा में है इससे यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी का लैपटाप एक वर्ष की वारण्टी अवधि में दो बार खराब हुआ है और दोनों बार लैपटाप की खराबी प्रत्यर्थी संख्या-2 सर्विस सेंटर ने दूर की है किन्तु स्थायी रूप से खराबी दूर नहीं हुई। प्रत्यर्थी को अपना लैपटाप पुन: सर्विस सेंटर को सौपना पड़ा। बार-बार एक ही तरह की खराबी का उल्लेख यह दर्शाता है कि लैपटाप में निर्माण संबंधी दोष है अत: जिला फोरम ने तथ्यों पर विस्तृत विचार करने के बाद आदेश पारित किया है वह न्यायोचित है। तद्नुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है।
उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
( राम चरन चौधरी ) ( बाल कुमारी )
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट नं0-5, प्रदीप मिश्रा, आशु0